बकरी की बीमारियाँ, रोकथाम एवं उनका उपचार।

Bakri ki bimari ki Jankari – कोई भी व्यक्ति जो खुद का बकरी पालन का व्यापार शुरू करने की सोच रहा हो | उसके लिए जरुरी हो जाता है की, उसे बकरी की बीमारी की भी जानकारी हो | ताकि समय आने पर वह उस स्थिति को संभालकर, कम से कम नुकसान के लिए उत्तरदायी हो | और जो लोग पहले से बकरी पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं | उनके लिए भी जरुरी है, की उन्हें बकरी की बीमारीयों की, और उस स्थिति से निपटने की जानकारी हो  | इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम बकरी की बीमारी और इस स्थिति से कैसे निपटा जाय विषय पर Hindi में बात करेंगे |

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1. बकरी का पीपीआर रोग

बकरी की बीमारीयों में यह PPR बीमारी सबसे खतरनाक एवं प्राणघातक बीमारी है |  यह disease (Bimari) सबसे पहले 1942 में पश्चिमी अफ्रीका में देखने को मिली थी | लेकिन आज यह बीमारी पूरे विश्व में फैल चुकी है | और इस बीमारी से लगभग हर देश की Bakriyan (Goat) ग्रसित हो सकती हैं | यह बीमारी किसी भी उम्र की Bakri को हो सकती है | 

इस PPR बीमारी के बारे में कहा जाता है की जिन बकरियों को यह बीमारी हो जाती है | उसका बच पाना बेहद मुश्किल होता है | अर्थात इस बीमारी में मृत्यु दर काफी उच्च 90% तक रहती है | माना 100 बकरियों को यह Bimari लग गई, तो माना ये जाता है की इस बीमारी से 90 बकरियों का मरना तो तय है | प्रत्येक वर्ष विश्व में इस बीमारी से सैकड़ो हज़ारो बकरियां मृत्यु की शय्या पर लेटने को मजबूर हो जाती हैं | 

जिससे न सिर्फ Bakri Palan करने वाले व्यक्ति का नुक्सान होता है | बल्कि राष्ट्र की आर्थिक स्थिति पर भी इसका बेहद गहरा असर पड़ता है | Bakri की यह Bimari एक वायरल है, और संक्रामक भी | और इसके कीटाणु सामान्यतः हवा से, खाने से, पानी पीने से बकरी के शरीर के अंदर प्रविष्ट कर जाते हैं |

Bakri-ki-bimari-PPR disease
Image: PPR Bakri ki Bimari

 बकरी में पीपीआर रोग के लक्षण (Symptoms of PPR Disease in Goat Hindi)

  • Bakriके शरीर का तापमान बढ़ता जाता है | और Bakri को बुखार आ सकता है |
  • बकरी के नाक और आँख से लार सी टपकने लगती है| जो लगातार निकलती रहती है |
  • बकरी को दस्त और निमोनिया की शिकायत होने लगती है|
  • इस रोग disease के कारण Bakri अपनी आँखों को हमेशा बंद करके रखती है| या वह आँखे खोल पाने में असमर्थ हो जाती है |
  • बकरी के मुहं के अंदर छाले या जख्म होने लगते हैं|
  • बकरी के मुहं से बुरी तरह की बदबू आने लगती है|
  • इस Goat disease अर्थात बकरी की बीमारी के कारण अक्सर बकरियां चारा खाना बंद कर देती हैं|
  • .बकरियों के मलत्याग करते समय हो सकता है खून भी साथ में आये|

पीपीआर बकरी की बीमारी की रोकथाम  :

हालांकि जैसे की मैं उपर्युक्त वाक्य में बता चूका हूँ | इस बकरी की बीमारी से प्रभावित 90% बकरियों की मौत हो जाती है | नीचे हम इस Bimari के रोकथाम हेतु कुछ सुझाव दे रहे हैं | जिससे की यह बीमारी अन्य बकरियों को न लगे |

  • स्वस्थ बकरी को PPR जैसे रोगों से बचाने के लिए समय समय पर टिके लगवाते रहें|
  • अपने Goat Farm को हमेशा साफ़ और कीटाणु से मुक्त रखें|
  • इस रोग से पीड़ित Bakri को अन्य बकरियों के साथ न रखे| अलग से रख कर ही उसका उपचार करें |
  • नज़दीकी पशु चिकित्सालय केंद्र या पशु चिकित्सक से हमेशा संपर्क में रहें|
  • इस Bakri ki bimari (disease) से पीड़ित बकरी को चारा खिलानेया पानी पिलाने के लिए जिस बर्तन का इस्तेमाल किया जाता हो | यदि Bakri की मृत्यु हो जाती है तो बर्तनों को जमीन के अंदर गाड़ दें | जिससे यह सक्रामक Bimari अन्य किसी Bakri को न लगे |
  • इस बीमारी से पीड़ित बकरी को किसी को बेचने या इधर उधर भेजने की कोशिश न करें|
  • यदि कोई बकरी गंभीर रूप से इस Bimari अर्थात रोग की चपेट में आ चुकी है| तो उसका एकमात्र उपाय है, की आप उस बकरी को मार डालें | ताकि यह रोग अन्य बकरियों में न फैलने पाय |

पीपीआर बीमारी का उपचार/ईलाज:

अपने नज़दीकी पशु चिकित्सक से सलाह लेकर इस Bimari से पीड़ित बकरियों को एंटीबायोटिक एंड एंटी सीरम दवाएं दीजिये | इन दवाओं में PPR के कीटाणुओं को नष्ट करने का सामर्थ्य होता है |

2. एंथ्रेक्स बकरी की बीमारी (Anthrax disease):

Anthrax को Hindi में गिल्टी रोग भी कहा जाता है | यह रोग सिर्फ बकरियों को न लगकर अन्य घरेलु पशुओं को भी लग सकता है | इस रोग के होने का कारण Bacillus Anthracis नामक एक जीवाणु होता है | यह जीवाणु बकरियों के शरीर के अंदर हवा, पानी, खाना, सांस, घाव इत्यादि के माध्यम से प्रविष्ट कर सकता है | वैसे तो इस बकरी की बीमारी के लक्षण एक से पांच दिन में दिखाई देने लगते हैं | लेकिन बहुत बार बिना लक्षण दिखे भी Bakri की मौत हो सकती है |

एंथ्रेक्स बीमारी के लक्षण (Symptoms of Anthrax)

  • इस बीमारी से ग्रसित Bakri के नाक, मुहं और मलद्वार से खून निकलने लगता है|
  • इस Bimari से ग्रसित बकरी एकदम से खाना खाना बंद कर देती है|
  • बकरियां जुगाली करना अर्थात मुहं से उगार काटना बंद कर देती हैं|
  • बकरियों के शरीर के तापमान में बहुत अधिक तेजीहो जाती है | सामान्यतः एक स्वस्थ बकरी के शरीर का तापमान 101 से लेकर 103 फार्नेहाइट होता है | जबकि इस बीमारी के दौरान Bakri के शरीर का तापमान 144 फार्नेहाइट तक चला जाता है | जो बेहद खतरनाक है |
  • सांस लेने और छोड़ने में बकरियों को बहुत कष्ट होता है|
  • इस बकरी की बीमारी के जीवाणु लगभग 35 या 40 साल तक जिन्दा रह सकते हैं | और इनसे मनुष्य और अन्य पशु भी प्रभावित हो सकते हैं |

एंथ्रेक्स बीमारी का उपचार :

बकरियों को पशुचिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करवाएं |

एक बार हर एक Bakri को Anthrax Rog की रोकथाम हेतु टीका अवश्य लगाएं |

3. बकरी में निमोनिया की बीमारी

बकरियों में निमोनिया की बीमारी अनेक कारणों जैसे वायरस,जीवाणु, परजीवी इत्यादि कारणों से हो सकती है | बकरियों में होने वाला निमोनिया का रोग एक प्राणघातक रोग है | इस Rog के जीवाणु, कीटाणु, परजीवी खाने के, पीने के, सांस लेने के माध्यम से फैलते हैं |

बकरी में निमोनिया के लक्षण:

  • निमोनिया से Bakri के फेफड़ों में सूजन आ जाती है|
  • इस बकरी की बीमारी में भी बकरियों के शरीर का तापमान 144 से 148 फार्नेहाइट चला जाता है|
  • बकरियों के सांस लेने की गति तेज हो जाती है|
  • नाक से कोई तरल पदार्थ बाहर निकलने लगता है| और बकरियों को खांसी भी हो जाती है |
  • जीभ में सूजन देखने को मिलती है| और बकरियां अपनी जीभ को हमेशा बहार को लटकाए रहते हैं |
  • इस Bimari में बकरियां खाने के प्रति उदासीन रवैया अपनाती हैं| अर्थात खाने में उनकी कोई विशेष रूचि नहीं होती |
  • इस बीमारी में भी जुगाली करना अर्थात उगार काटना बंद हो जाता है|
  • इस बकरी की बीमारी में बकरियों को हमेशा नींद सी आई रहती है | और वे धीरे धीरे बहुत कमज़ोर हो जाती हैं |

उपचार :

किसी पशु चिकित्सक से राय परामर्श लेकर बकरियों को दवाओं का सेवन करवाएं |

4. बकरियों में पैर एवं मुहं की बीमारी:

जैसा की Hindi में Foot को पैर और Mouth को मुहं कहते हैं | इसलिए हम इस बकरी की बीमारी को पैरो और मुहं का रोग भी कह सकते हैं | यह बीमारी सिर्फ बकरियों को न होकर अन्य घरेलु पशु जैसे गाय, भैंस, भेड़ को भी अपना शिकार बनाती है | इस बीमारी से अन्य पशु की तुलना में गाय अधिक प्रभावित होती है | अर्थात गायों में यह रोग अधिक देखने को मिलता है | इस रोग का कारण Picorna नामक एक वायरस है | इस बकरी की बीमारी की निम्न लक्षणों से पहचान की जा सकती है |

बकरियों में पैर एवं मुहं रोग के लक्षण:

  • इस बीमारी से ग्रसित Bakri को बुखार आने लगता है|
  • बकरी या गाय या अन्य पशु के मुहं में, जीभ में, होठो पर या जबड़ो में छाले दिखाई देते हैं|
  • और खाते समय ये छाले फूट जाते हैं| जिस कारण छाले वाला स्थान में लाल रंग का घाव नज़र आने लगता है |
  • इस बकरी की बीमारी के दौरान पशु के मुहँ से लगातार लार निकलती रहती है|
  • घाव से बहुत गन्दी बदबू आने लगती है|
  • घाव में तरह तरह के कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं|

पैर एवं मुहं रोग की रोकथाम:

  • इस बकरी की बीमारी से पीड़ित Bakri को अन्य Bakriyon से अलग रखें|
  • पीड़ित पशु या bakri को किसी साफ़ सुथरी सूखी जगह पर रखें|
  • पशु के घाव को दिन में तीन बार किसी उपयुक्त लोशन का उपयोग करके साफ़ करें|
  • घाव को उपयुक्त लोशन से साफ़ करने के बाद उसमे एंटीबायोटिक पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है|
  • पीड़ित पशु को ऐसा खाना दें जिसे वह आसानी से निगल सके|
  • जैसे ही आपको लगता है आपके bakri या पशु को कोई रोग है| तुरंत नज़दीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें |
  • समय समय पर टीकाकरण बहुत जरुरी है|
  • हर छ महीने में एक बार अपने पशु को इस बकरी की बीमारी से बचाने वाला टीका अवश्य लगाएं|

5. बकरी की Enterotoxemia बीमारी.

यह बकरी की बीमारी अधिकतर बकरियों को दानेदार खाना खिलाने के कारण होती है | क्योकि दानेदार खाना बकरियों के पेट में विषैले जीवाणु को उत्पन्न करने में सहायता प्रदान करता है | और यह रोग पेट में विषैले जीवाणु उत्पन्न होने के कारण ही होता है |

बीमारी के लक्षण:

  • इस बकरी की बीमारी से पीड़ित बकरी के पेट में बहुत तेज का दर्द उठता है| और उसकी मृत्यु एकदम से हो सकती है |
  • बकरी के शरीर का तापमान 105 तक जा सकता है| और पेट में तेज दर्द होने के कारण bakri जोर जोर से चिल्ला सकती है |
  • बकरी को दस्त होने की शिकायत हो सकती है|
  • पीड़ित बकरी अपने सिर को किसी ठोस वस्तु से भिड़ाने की कोशिश कर सकती है|
  • मुहं से लगातार लार का निकलना भी इस Bakri ki bimari के लक्षण हो सकते हैं|
  • इस रोग से पीड़ित बकरी 4 से 26 घंटो में मर सकती है|
  • इस बकरी की बीमारी से पीड़ित bakri कराह या अजीब अजीब सी आवाजें कर सकती हैं|

उपचार :

हालांकि इस रोग से निबटने या निजात पाने का कोई प्रभावी इलाज है नहीं | फिर भी आप अपने नज़दीकी पशु चिकित्सक से राय परामर्श करके कुछ एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कर सकते हैं |

6. बकरी में  Worm Infestation बीमारी :

सामान्यतः कीड़े बकरियों के लिए बहुत ही खतरनाक परजीवी हैं | इन परजीवी कीड़ों की पूरी प्रजाति को  Gastrointestinal Trichostrongyles कहते हैं | बकरियां इन परजीवी कीड़ों के संपर्क में तब आती हैं | जब वो चरना शुरू करती हैं | चरने के दौरान कीड़े का बच्चा Bakri के मुहं में चले जाता है | और बकरी के पेट को अपने रहने का स्थान बना देता है |

वही पेट के अंदर ही यह कीड़ा बच्चे को जन्म देता है | और धीरे धीरे इन कीड़ों की संख्या पेट के अंदर बढ़ती जाती है | पेट के अंदर ही ये परजीवी कीड़े बकरी का खून चूसते रहते हैं | इस प्रकार का एक मादा कीड़ा एक दिन में 5 से 10 हज़ार अंडे देता है | और ये अंडे बकरी के मल करते समय मलद्वार से बाहर आ जाते हैं | उसके बाद गर्मी में या मिटटी में ये अंडे कीड़े के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं | जो किसी और Bakri के पेट में भी चरने के दौरान जा सकते हैं |

Barber Pole warm Infestation bimari ke Symptoms

  • बकरियों को डायरिया अर्थात दस्त लग जाते हैं |
  • इस बकरी की बीमारी के कारण बकरियों के शरीर में भारी मात्रा में पानी की कमी हो जाती है |
  • बकरी बेहद सुस्त सी नज़र आती है |
  • बकरी को देख के ऐसा लगता है की वह बहुत उदास, और उसके शरीर में कोई ऊर्जा ही नहीं है |
  • लगातार बकरी के वजन में कमी आने लगती है |
  • बकरियों में खून की मात्रा कम होने लगती है |

उपचार :

Barber Worm Infestation के दौरान आप बकरियों को अपने नज़दीकी पशुचिकित्सक की सलाह से निम्न दवाएं दे सकते हैं |

.Fenbendazole BZD

.Morantel/Nicotinic

बकरी को बीमारीयों से दूर रखने के लिए कुछ टिप्स:

  • अपने Goat Farming में प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरणों की सफाई किसी कीटाणुनाशक दवा का उपयोग करके करें | इस कीटाणुनाशक दवा की सलाह अपने नज़दीकी पशु चिकित्सक से अवश्य लें |
  • Bakri के मल मूत्र इत्यादि को नियमित तौर पर बकरियों के रहने के स्थान से दूर रखें |
  • बकरियों को उनकी उम्र के हिसाब से अलग अलग उनके रहने की व्यवस्था करें |
  • बकरियों को हमेशा पौष्टिक आहार दें | सड़ा, गला, बासी खाना देने से बचें |
  • जो बकरियां आपने अभी अभी खरीदी हैं | और जो बकरिया आपके गोआट फार्म में पहले से उपलब्ध हैं | उनके रहने की व्यवस्था अलग अलग करें |
  • नई बकरियाँ खरीदने से पहले यह अवश्य चेक कर लें की कही वो किसी बीमारी से ग्रसित तो नहीं हैं |
  • यदि कोई Bakri किसी बकरी की बीमारी के कारण अस्वस्थ है | तो उसको अन्य बकरियों से अलग ही रखें, और अच्छे ढंग से उसका इलाज कराएं |
  • बीमारियों से बचाने के लिए अपने नज़दीकी पशु चिकित्सक की सलाह पर समय समय पर अपनी बकरियों का टीकाकरण कराते रहें |
  • ठण्ड और बरसात के मौसम में बकरियों का विशेष ध्यान रखें | याद रहे बकरियों को ठण्ड और बरसात पसंद नहीं होती |
  • यदि किसी रोग (Bakri ki Bimari) के कारणवश आपकी कोई बकरी मर जाती है | तो ध्यान रहे उस bakri के शरीर कोया तो जला के खत्म कर दें | या फिर मिटटी के अंदर बहुत गहराई में दबा दें | ताकि और किसी bakri को वह रोग न हो |

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