बकरी पालन बिजनेस कैसे शुरू करें। लाभ, नस्ल, संभावनाएँ, हाउसिंग, भोजन।

Bakri Palan Business Plan in Hindi – यदि बकरी पालन नामक इस व्यवसाय का व्यवस्थित ढंग से क्रियान्वयन किया जाय। तो  यह बकरी पालन का बिज़नेस India में एक अच्छा लाभकारी Business हो सकता है। इंडिया में बहुत सारे लोग किसान, बेरोजगार नौजवान, अपना व्यापर शुरू करने की मह्त्व्कांक्षा रखने वाले नौजवान इत्यादि। इस बकरी पालन व्यवसाय  को करके, Profit अर्थात लाभ कमा कर अपनी सही से कमाई कर सकते हैं। लाभ तो इस Business में निश्चित है।

लेकिन वह लाभ कितना होगा, यह सब निर्भर करता है बकरी पालन करने वाले व्यक्ति पर। की वह अपने बिजनेस का क्रियान्वयन किस तरह से कर रहा है। ग्रामीण इलाको में कुछ लोग 30-35 बकरियाँ रखकर उनका परम्परागत तरीके से ही पालन करते हैं। जिससे उन्हें लाभ तो होता है, लेकिन ज्यादा लाभ नहीं हो पाता। व्यवसायिक तौर पर इसे शुरू करने के लिए बहुत सारी छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। जैसे समय  समय पर टीकाकरण, सफाई, बकरियों को साफ़ पानी पिलाने की उचित व्यवस्था, खाना चारा खिलाने की उचित व्यवस्था, जल्दी बड़ी होने वाली नस्ल का चुनाव इत्यादि।

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भारत में बकरी पालन बिजनेस में संभावनाएँ:

जहां तक इस बकरी पालन बिजनेस की व्यापकता का सवाल है। उसका जवाब हमें सिर्फ इसी बात से मिल जाता है, की बकरे का मीट किसी भी धार्मिक विचारधारा हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इत्यादि से स्वतंत्र है। अर्थात बकरे के मीट को सभी धर्मो, जातियों, सम्प्रदायों द्वारा खाने में प्रयोग में लाया जाता है। किसी तरह की धार्मिक पाबन्दी न होने के कारण बकरे का मीट इंडिया में अन्य मीटों की तुलना में अधिक  पॉपुलर है। दूसरा चाहे बकरी ईद जैसा त्यौहार हो, या फिर किसी की शादी हो या अन्य कोई पार्टी हो।

मांसाहारियों के लिए बकरे का मीट बनता ही बनता है। मेहमान नवाजी के लिए बकरे के मीट का अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है। अभी तो India में घरेलु तौर पर ही Bakri के मीट की बहुत अधिक मांग है। लेकिन बकरी के मीट की मांग विदेशो में भी बराबर बनी रहती है । अर्थात इस व्यवसाय के व्यापकता के द्वार देश से लेके विदेशो तक खुले हुए हैं।

Bakri Palan Business
Image : Bakri Palan Business

बकरी पालन के लाभ (Benefits of Goat Farming in Hindi)

जैसा की आप सबको विदित है Advantage को Hindi में लाभ कहते हैं। इसलिए हम बात करेंगे की इंडिया में इस कृषि से जुड़े बिजनेस को शुरू करने के क्या क्या लाभ हैं।

  • यदि हम बकरी पालन की अन्य पशुपालन जैसे भैंस पालन, गाय पालन से तुलना करें। तो हमें ज्ञात होता है की बकरी पालन करने के लिए आपको इनके मुकाबले काफी कम जगह चाहिए होती है। या यूँ कहें जितनी जगह में आप एक भैंस का पालन करोगे उतनी जगह में आप 5 या 7 बकरियों का पालन आराम से कर सकते हैं।
  • चूँकि बकरियों को आप खुली जगह में चराने अर्थात फीडिंग के लिए ले जा सकते हैं। इसलिए इनके खाने का खर्च बहुत कम होता है।
  • अधिकतर बकरियों की नस्ल किसी भी वातावरण चाहे गर्मी हो या ठण्ड में आराम से ढलने की होती है। इसलिए ये बीमार कम पड़ती हैं। बीमार कम पड़ती हैं तो इलाज में खर्च कम आता है।
  • बकरियां आकार में तो अन्य पशु के मुकाबले छोटी होती हैं। लेकिन ये परिपक्व बहुत जल्दी हो जाती हैं। परिपक्व से हमारा आशय Market Size से है।
  • बकरी एक ऐसा पशु है जिसका केवल एकमात्र उपयोग सम्भव नहीं है। जहाँ इसके मांस का उपयोग लोग खाने में करते हैं। वही इसके दूध का उपयोग पीने में, एवं विभिन्न रोगों में किया जाता है। इसके बालों का उपयोग फाइबर बनाने में तो खाल का उपयोग अनेक वाद्य यंत्र बनाने में किया जाता है।
  • इस व्यवसाय को बहुत कम निवेश करके भी शुरू किया जा सकता है। और चूँकि बकरियों की अनेक नस्ल ऐसी होती हैं। जो साल में दो बार बच्चे पैदा करती हैं। और हर बार दो बच्चे देती हैं। इसलिए इस बिज़नेस के बहुत जल्दी बड़े होने के Chances होते हैं।
  • फार्म को व्यवस्थित ढंग से चलाना अन्य फार्मों की तुलना में बहुत अधिक सरल होता है।
  • यदि आप पहले से कोई पशुपालन कर रहे हैं और बकरी पालन भी करना चाहते हैं। तो आप बकरियों को वही जगह दे सकते हैं। जिस जगह आप पहले से पशुपालन कर रहे हैं।
  • इस व्यवसाय में आपको अपने उत्पाद की मार्केटिंग करने की जरुरत नहीं पड़ती। क्योकि मांग अधिक होने के कारण ग्राहक आपको ढूंढते ढूंढते आपके द्वारे तक आ पहुंचते हैं।

बकरी पालन कैसे शुरू करें?(How to start Goat Farming).

जैसा की हर व्यवसाय को शुरू करने से पहले बिजनेस कहाँ शुरू करें, प्रश्न दिमाग में कौंधता है। फिर हम उस पर थोड़ा और विचार करते हैं। और विचार करते वक़्त यह भी विचार करते हैं की क्या यह बिज़नेस वहां पर चलेगा। इस कृषि व्यवसाय को करने के लिए कम से कम आपको यह विचार तो नहीं करना पड़ेगा। क्योकि बकरियों के मीट को चाहे वह शहर में रहने वाला हो, या ग्रामीण भारत में हर कोई खाता है। इसलिए इस बिज़नेस के लिए चहुँदिशाएं खुली हुई हैं।

हाँ लेकिन यह बकरी पालन का business करने के लिए भी आपको वह सारी चीजे चाहिए होंगी। जो अन्य बिज़नेस करने के लिए चाहिए होती हैं। और कोई भी बिज़नेस शुरू करने से पहले हमें जमीन चाहिए होती है। जो यहाँ भी चाहिए होगी। उसके बाद आपको अपने बकरी पालन व्यवसाय के लिए बकरियों की नस्ल का चुनाव करना होगा। उसके बाद बकरियों के रहने का इंतज़ाम, खाने का इंतज़ाम, इलाज का इंतज़ाम इत्यादि करना होगा।

उत्पाद का चुनाव करें (Product Selection) :

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए भी उत्पाद का चयन बेहद जरुरी है। आपको तय करना होता है की आप बकरी पालन करके अपने ग्राहकों को क्या देना चाहते हैं। क्या आप सिर्फ मांस उत्पादन के लिए बकरी पालन का Business कर रहे हैं, या आप दोनों दूध और मांस हेतु बकरी पालन कर रहे हैं।

आप जो कुछ भी करना चाहते हैं यह आपको बिज़नेस करने से पहले तय करना पड़ेगा। हमने आपकी इसी दुविधा को थोड़ा कम करने की कोशिश की है। और नीचे कुछ बकरियों के नस्लों का जिक्र किया है। इनके बारे में ध्यान से पढ़े और तय करें की आपके बकरी पालन के लिए कौन से नस्ल की बकरी अच्छी रहेंगी।

बकरी की नस्ल का चुनाव करें

Goat Breed Select Kare : India में वैसे तो बकरियों की बहुत सारी नस्ले पाई जाती हैं। लेकिन व्यवसायिक तौर पर बकरी पालन के लिए हर कोई नस्ल फायदेमंद नहीं होती। इसलिए यह बिज़नेस करने से पहले बहुत जरुरी हो जाता है की अपने बिज़नेस के लिए कोई अच्छी नस्ल का ही चुनाव करें। ताकि आपको आपके बिज़नेस में अधिक से अधिक लाभ हो सके।

1. Black Bengal Goat:

ब्लैक बंगाल बकरी सामन्यतः बांग्ला देश में पायी जाती है। लेकिन इंडिया के कुछ उत्तर पूर्वी  राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा में भी इनका पालन किया जाता है। इनका पालन मीट के उत्पादन हेतु किया जाता है। क्योकि दूध उत्पादन करने के मामले में यह नस्ल थोड़ी कमज़ोर होती हैं।

ध्यान रहे ब्लैक बंगाल नाम हो जाने से ये बकरियां केवल काले रंग की नहीं होती, बल्कि इनका रंग भूरा, सफ़ेद इत्यादि भी हो सकता है। इस नस्ल की बकरियों को परिपक्व होने में अन्य बकरियों की तुलना में कम समय लगता है। और परिपक्वता में बकरे का भार 25 से 30 किलो, और बकरी का भार 20 से 25 किलो तक होता है।

Black-Bengal-for Goat Farming
Image: Black Bengal Goat
Black Bengal Goat की विशेषताएँ:
  • एक बार में दो या तीन बकरियों को जन्म देने का सामर्थ्य रखती हैं।
  • किसी भी वातावरण में अपने आप को जल्दी ढाल लेती हैं ।
  • आकार में छोटी होने के कारण, खाना कम खाती हैं । जिससे खाने का खर्चा कम आता है ।
  • आकार छोटा होने के कारण अन्य बकरियों की तुलना में कम जगह लेती हैं । जिससे इनका पालन छोटी सी जगह से भी शुरू किया जा सकता है ।
  • एक साथ दो या तीन बकरियों को जन्म देने के कारण आपका बिजनेस बहुत जल्दी बड़े Farm के रूप में तब्दील हो सकता है।
  • इस नस्ल की बकरियों में एक साल में दो बार प्रजनन करने की क्षमता होती है।

2. Boer Goat

यह बोअर बकरी नस्ल साउथ अफ्रीका में पाई जाने वाली बकरियों की एक नस्ल है। लेकिन चूंकि इनका पालन भी मांस उत्पादन हेतु किया जाता है। इसलिए इंडिया में भी इस नस्ल की बकरियों का पालन किया जाता है। कहते हैं की Boer शब्द को डच भाषा से लिया गया है। जिसका मतलब किसान होता है।

जहाँ 3 महीने के समय में इस नस्ल की बकरियों का भार 12 से 18 किलो तक होता है। वहीँ छह महीने में इनका भार 18 से 30 किलो तक हो जाता है। और पूर्ण रूप से परिपक्व होने पर इस नस्ल के बकरे का भार 75 से 90 किलो, वही बकरी का भार 45 से 55 किलो के बीच रहता है।

Boer-Bakra
Image: Boer-Bakra
Boer Goat की विशेषताएँ:
  • इस नस्ल की बकरियां हर प्रकार के वातावरण ठंडा हो या गरम में आसानी से ढल जाती हैं। अर्थात बकरियों की तबियत ठीक ठाक रहती हैं, वे बीमार नहीं पड़ती।
  • इस नस्ल की बकरियां खाना अच्छा अर्थात अधिक खाती हैं। उसी प्रकार जल्दी से बढ़ती भी हैं।
  • अन्य बकरियों की तुलना में बहुत कम समय में इनका भार बहुत अधिक हो जाता है।
  • चूंकि इस नस्ल की बकरियों में बीमारी रोधक क्षमता अधिक होती है। इसलिए बहुत कम ख्याल रख के भी इनका पालन किया जा सकता है।

3. Goat Farming के लिए जमुना परी बकरी:

बकरियों की इस नस्ल को आप इंडिया उत्पादित नस्ल कह सकते हैं। कहते हैं की इस नस्ल का नाम Jamuna Pari जमुना नदी के नाम से रखा गया है। और इस नस्ल की बकरियों का पालन मांस की आपूर्ति के अलावा दूध की आपूर्ति हेतु भी किया जाता है। अर्थात इस नस्ल की बकरियों की दूध देने की क्षमता भी अच्छी होती है।

इस प्रजाति की बकरियां आपको इंडिया में अधिकतर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रा प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों में देखने को मिल जाएँगी। परिपकवता में इस नस्ल के बकरे का भार 50 से 60 किलो, वही बकरी का भार 40 से 50 किलो होता है।

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Image : Jamuna Pari Bakri
जमुनापरी बकरी की विशेषताएँ:
  • इस नस्ल की बकरियां साल में एक ही बार प्रजनन करने की क्षमता रखती हैं। लगभग 60% बकरियां सिंगल बकरी को ही जन्म देती हैं। जबकि लगभग 40% बकरियां दो बकरियों को जन्म देती हैं।
  • बकरियों में औसतन एक दिन में दूध देने की क्षमता दो लीटर तक होती है। और दूध देने की समय सीमा तीन साढ़े तीन महीने होती है।
  • इस नस्ल की बकरियों का मांस स्वादिष्ट होने के साथ साथ, cholesterol भी कम होता है ।
  • इस नस्ल की बकरियों में लगभग 18 महीने में ही गर्भधारण करने की क्षमता आ जाती है।

4. सिरोही बकरी ( Sirohi Goat):

इस नस्ल का नाम सिरोही राजस्थान राज्य के एक जिले सिरोही के नाम से रखा गया है। इस नस्ल की बकरियों का पालन पहले राजस्थान में ही अधिक मात्रा में किया जाता था। लेकिन अब सम्पूर्ण इंडिया में इस नस्ल की बकरियों का पालन किया जाता है। इस नस्ल की बकरियों का पालन भी मांस की आपूर्ति हेतु ही किया जाता है। हालांकि ये दूध भी देती हैं लेकिन इनकी दूध देने की क्षमता प्रत्येक दिन केवल आधा लीटर तक होती है।

Sirohi-Goat for Goat Farming
Image: Sirohi-Bakra
सिरोही बकरी की विशेषताएँ:
  • इस नस्ल की बकरियां अपनी उम्र के 20 महीने या 22 महीने में पहला गर्भ धारण करती हैं ।
  • इस नस्ल की बकरियां एक साल में दो बार गर्भ धारण कर सकती हैं। लगभग 40% बकरियाँ सिंगल बकरी और लगभग 60% बकरियां दो बकरियों को जन्म देती हैं।
  • परिपकवता में इस नस्ल के बकरे का भार लगभग 30 किलो और बकरी का भार लगभग 32 किलो होता है । इस नस्ल में बकरियों का भार बकरे की तुलना में अधिक होता है ।

5.बीटल गोट (Beetal Goat):

इस नस्ल की बकरियों का पालन इंडिया और पाकिस्तान में किया जाता है। और इनका पालन दूध और मांस दोनों की आपूर्ति हेतु किया जाता है। क्योकि इस नस्ल की बकरिया एक दिन में 1 या दो लीटर दूध देने की क्षमता भी रखती हैं। इस प्रकार की नस्ल की बकरियां अपने आपको किसी भी वातावरण में ढालने की क्षमता रखती हैं।

Beetal-bakri
Image: Beetal Bakri
बीटल बकरी की विशेषताएँ:
  • इस नस्ल की बकरियों का पालन मांस और दूध दोनों की आपूर्ति हेतु किया जा सकता है।
  • यदि हम Jamna Pari से इनकी तुलना करें तो यह उनसे छोटी होती हैं।
  • जन्म के समय इस नस्ल की बकरी का भार लगभग 2.5 किलो होता है।
  • परिपक्व होने पर इस नस्ल के बकरे का भार 50 से 65 किलो और बकरी का भार 40 से 45 किलो होता है।
  • इस नस्ल की बकरियां अपनी उम्र के 23 से 25 महीनो में पहला गर्भधारण करती हैं।
  • इन बकरियों में प्रत्येक दिन औसतन दूध देने की क्षमता 1.5 से 2.5 लीटर के बीच होती है। और दूध देने की समय सीमा लगभग 6 महीने होती है।

बकरी पालन के लिए जगह का चुनाव करें

भारतवर्ष से जुड़ा हर एक क्षेत्र बकरियों को पालने के लिहाज से उपयुक्त क्षेत्र माना गया है। बस आपको अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए आपके घर के आस पास ही कोई ऐसी जगह तलाश करनी है। जहाँ से आप इस बिज़नेस को आसानी से क्रियान्वित कर सको। लेकिन इसके अलावा जमीन का चुनाव करते वक़्त निम्न बातो का ध्यान रखा जाना बेहद आवश्यक है।

  • ऐसी जगह जमीन की तलाश कीजिये जहाँ पर शुद्ध हवा, पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो।
  • जिस जगह पर हरी घास, कुछ अनाज आसानी से पैदा किया जा सके। क्योकि इस जमीन  द्वारा उत्पादित हरी घास, अनाज इत्यादि बकरियों को खिलाकर आप इनके खाने का खर्च कम कर सकते हैं।
  • ध्यान रहे की आपके Goat Farming business करने की जगह के आस पास कोई ऐसी मार्किट हो जहाँ पर आपको आपकी बकरी पालन बिज़नेस से सम्बंधित वस्तुएं और दवाएं आसानी से मिल जाएँ।
  •  ग्रामीण भारत में ही बकरी पालन बिज़नेस की सोचें। क्योकि शहरो के मुकाबले गांवों में जमीन और लबोर बहुत सस्ते दामों में उपलब्ध रहते हैं।
  • ध्यान रहे आपके फार्म का क्षेत्र ऐसा होना चाहिए जहाँ पशु चिकित्सा सम्बन्धी सारी सेवाएं उपलब्ध हों। यदि नहीं है, तो आपको सारी दवाएं और टीके अपने फार्म में ही रखने पड़ेंगे।
  • यातायात की सुविधा का होना जरुरी है ताकि जरुरत पड़ने पर आप अपनी जरुरत की वस्तुएं किसी नज़दीकी मार्किट से खरीद सको। और अपने Goat Farm द्वारा उत्पादित उत्पाद को आसानी से बेच सको ।

बकरियों के रहने का प्रबंध करें (Housing):

Housing को Hindi में घर बनाना कहते हैं। चूँकि यहाँ पर Goat Farming की बात हो रही है, इसलिए इस वाकये में हाउसिंग का अर्थ बकरियों के लिए घर बनाने से लगाया जाना चाहिए। इस बिजनेस को करने के लिए बकरियों के लिए घर बनाना एक बहुत ही महत्व्पूर्ण काम है। लेकिन ग्रामीण भारत में इस क्रिया को महत्व्पूर्ण स्थान शायद नहीं दिया जाता।

क्योकि जो लोग छोटे पैमाने पर यह काम करते हैं। वे बकरियों के लिए कोई अलग सा घर ना बनाकर, उन्हें अन्य पशुओं के साथ ही ठहरा देते हैं। जिससे उनकी उत्पादकता पर इसका असर साफ़ तौर पर दिखाई देता है। व्यवसायिक तौर पर गोट फार्मिंग करने के लिए बेहद जरुरी हो जाता है। की बकरियों के रहने के लिए एक अलग सा स्थान तैयार किया जाय, और निम्न बातों का ध्यान विशेष तौर पर रखा जाय ।

  • अपने बिज़नेस को लाभकारी बनाने हेतु आपको बकरियों के रहने के स्थान का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा। बकरियों के रहने के स्थान पर नमी, सीलन नहीं होनी चाहिए। चूहों, मक्खियों, जूँ इत्यादि कीट पतंगे बकरियों के रहने के स्थान पर बिलकुल नहीं होने चाहिए।
  • बकरियों के लिए घर बनाते समय हवा के आने जाने वाले मार्गो का उचित ध्यान रखे। अर्थात शुद्ध हवा अंदर आने के लिए कोई न कोई स्थान अवश्य छोड़ें।
  • बकरियों के रहने के स्थान से पानी निकास की उचित व्यवस्था पहले से ही कर के रखे । ताकि जब आप अपने Farm की सफाई पानी से करें, पानी आसानी से बाहर चला जाय ।
  • कोशिश करें की बकरियों के रहने का स्थान जमीन से दो तीन फ़ीट ऊँचा हो। इसके लिए आप तख़्त वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योकि गीलेपन और नमी से बकरियों में बीमारी पैदा हो सकती है। इसलिए बकरियों के रहने के स्थान को हमेशा सूखा रखे।
  • ध्यान रहे बकरियों के रहने के स्थान पर किसी प्रकार का पानी चाहे वह बारिश का हो या किसी अन्य वजह से, आने न पाए। यह पानी बकरियों को परेशान करता है।
  • तापमान को नियमित संयमित करने के लिए अच्छे ढंग से तापमान नियंत्रण सिस्टम होना चाहिए। ताकि आप सर्दियों में अपने Farm को गरम और गर्मियों में संयमित रख सको।
  • अपने बिज़नेस से जुड़े सभी उपकरणों, बर्तनों की सफाई का विशेष ध्यान रखें ।

भोजन का प्रबंध करें (Feeding for Goat Farming):

इन सबके अलावा आपको अपने बकरी पालन बिज़नेस के लिए उनके खाने पीने का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा। आप चाहें तो बकरियों के खाने का खर्च कम करने के लिए खुद भी उनका खाना घर में बना सकते हैं। इसके लिए आपको निम्नलिखित सामग्री चाहिए होगी।

चोकर: चोकर अनाज के भूसे में थोडा बहुत आटा मिलाकर बनाया जाता है।

मक्के का दर्रा, बादाम खली, चने का छिलका, मिनरल मिक्सचर, नमक  इत्यादि।

आपको 100 किलो बकरियों का खाना बनाने के लिए 45 किलो चोकर, 25 किलो मक्के का दर्रा, 15 किलो बादाम खली, 12 किलो चने का छिलका, 2 किलो मिनरल मिक्सचर एवं 1 किलो नमक मिलाना होगा।

कुछ अतिरिक्त टिप्स (Extra tips for Goat Farming) :

  • चूँकि इस बिजनेस में आपके बिजनेस की रीढ़ की हड्डी बकरियां हैं। इसलिए बकरियों का हमेशा अच्छे से ध्यान रखें।
  • अपनी बकरियों को पहचानिए, और जो बकरी आपको कमजोर या अस्वस्थ नज़र आती है। उसको तंदुरुस्त करने के लिए जरुरी दवाएं, टीके अवश्य लगायें।
  • अपनी बकरियों को हमेशा तंदुरुस्त रखने और अपने बकरी पालन बिजनेस को सफल बनाने हेतु। बकरियों का समय समय पर टीकाकरण करवाते रहें।
  • ध्यान रहे बकरियों को कभी भी दूषित गन्दा खाना देने से बचें। दूषित खाना खाने से बकरियों की तबियत बिगड़ सकती है।
  • बकरियों के बच्चो का बकरियों की तुलना में अधिक ध्यान रखें।
  • अपने बिजनेस की आय और व्यय दोनों का अच्छे ढंग से रिकॉर्ड मेन्टेन करके रखें।

बकरी पालन की कठिनाइयां (Difficulties in Goat Farming):

  • वास्तव में जो लोग यह काम कर रहे होते हैं। अधिकतर लोगो को इस बिज़नेस की पर्याप्त मात्रा में जानकारी नहीं होती है। जिससे वे इस बिज़नेस को पारम्परिक तरीके से ही कर रहे होते हैं।
  • इंडिया में जिन्दा बकरियों को एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाने हेतु। विशेष तौर पर कोई वाहन नहीं है। अगर कोई बकरियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले भी जाता है, तो वही ट्रक और टेम्पो में ही भरकर ले जाता है। जिससे बकरियों की तबियत खराब भी हो सकती है ।
  • ग्रामीण भारत में Bakri Palan Business करने वाले किसान, एवं अन्य उद्यमियों में बकरियों की बीमारी सम्बन्धी जानकारी के अभाव के कारण, बकरियों की मृत्यु दर काफी उच्च स्तर पर पहुँच जाती है।
  • बकरी पालने वाले व्यक्ति यह बिज़नेस शुरू करने से पहले बकरियों की नस्ल का चुनाव करना भूल जाते हैं। जिससे उनका बिज़नेस बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ता है। और इस बीच अगर बकरियों को कोई जानलेवा रोग जैसे PPR (Pests des petits ruminants) लग गया। तो वह व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी भी बकरी पालने की हिम्मत नहीं कर पाता।अच्छी नस्ल का चयन बिज़नेस को जल्दी आगे बढ़ने में मदद करता है।
  • बकरियों के प्राणघातक रोगों के लिए टीके न होना, और पशुचिकत्सकीय सेवा का हर जगह उपलब्ध न होना, भी इस बिज़नेस में आने वाली एक कठिनाई है।
  • लोगो के पास एक अच्छी आय देने वाला Farm खोलने के लिए वित्त का न होना भी एक कठिनाई है। लोग वित्त न होने के कारण 15-20 बकरियों से शुरुआत करते हैं। जिससे उन्हें लाभ कमाने में बहुत अधिक समय लग जाता है। यदि 100 बकरियों से शुरुआत हो, तो परिणाम जरां जल्दी आने की सम्भावना रहती है।
  • भारतवर्ष में बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं। जहाँ बकरी पालन बिजनेस करने वालो को उनकी अपेक्षा के हिसाब से दाम नहीं मिल पाते। इस कारण उनकी रूचि इस बिज़नेस में खत्म होने लगती है।

यदि आप बकरी पालन व्यवसाय को शुरू करने के प्रति गंभीर हैं, और आपको लगता है की, आपको इसके बारे में और जानकारी हासिल करनी चाहिए, तो बकरी पालन पर लिखे हमारे अन्य पोस्ट भी अवश्य पढ़ें। इसके अलावा आप चाहें तो बकरी पालन पर कोई किताब खरीदकर और ट्रेनिंग लेकर भी Bakri Palan Business के प्रति अपनी जानकारी को बढ़ा सकते हैं।

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