भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) क्या है| Bureau of Indian Standards.

BIS यानिकी Bureau of Indian Standards को हिन्दी में भारतीय मानक ब्यूरो कहा जाता है | इसका मुख्य काम उत्पादों के उत्पादन हेतु मानक निर्धारित करना है ताकि ग्राहकों को गुणवत्तायुक्त उत्पाद बाज़ार में मिल सकें | किसी भी उत्पाद की Manufacturing करने से पहले उद्यमी को इस बात का निरीक्षण जरुर करना चाहिए की क्या भारतीय मानक ब्यूरो ने उस उत्पाद विशेष के लिए कोई मानक निर्धारित किये हैं |

यदि हाँ तो उद्यमी को चाहिए की वह भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा उस उत्पाद हेतु जारी किये जाने वाले प्रमाण पत्र अर्थात Certification के लिए आवेदन करे | जिसके तत्पश्चात उद्यमी के उत्पाद को भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में मानकों के आधार पर निरक्षित कर लिया जाता है, और सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद उद्यमी को BIS License जारी किया जाता है | ताकि उद्यमी अपने उत्पाद पर ISI Mark या BIS द्वारा निर्धारित अन्य Marks का मुद्रण कर सके |

Bureau of Indian Standards-certification

Bureau of Indian Standards (BIS) की उत्पति:

ये कहानी उन दिनों की है जब भारतवर्ष में ब्रिटिश साम्राज्य के समापन के कुछ ही वर्ष बाकी थे अर्थात उस समय देश के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती खड़ी थी वह थी देश में औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की | ऐसे में भारत में इंजीनियर के एक संस्थान द्वारा एक संस्थान का संविधान तैयार किया गया जो राष्ट्रीय मानकों के नियमन में अहम् भूमिका अदा कर सके |

उसके बाद 3 सितम्बर 1946 को उद्योग और आपूर्ति विभाग ने औपचारिक रूप से एक संगठन (Indian Standards Institution) का निर्माण करने हेतु एक ज्ञापन जारी किया | जिसके बाद 6 जनवरी 1947 से Indian Standards Institution प्रभाव में आया और 1947 में डॉक्टर लाल सी. वर्मन के रूप में ISI को पहला निदेशक मिला |  

संगठन शुरू होने के शुरुआती दिनों में इसका मुख्य ध्येय एवं ध्यान मानकों को निर्धारित करने की प्रक्रिया में लगा रहा ताकि सामान्य ग्राहकों तक अच्छे एवं गुणवत्तायुक्त उत्पाद पहुँच सके | तत्पश्चात 1955-56 में Manufactures को लाइसेंस एवं प्रमाण पत्र जारी करने के लिए ISI Act 1952 के अंतर्गत Certification Marks Scheme की शुरुआत की गई |

बाद में प्रमाणित मार्क्स के अनुरूप इनका निरीक्षण अर्थात Testing के लिए 1963 में प्रयोगशाला की स्थापना की गई | यद्यपि उत्पाद प्रमाणीकरण ISI Act 1952 के अंतर्गत किया जाता था लेकिन मानकों के नियमन एवं कार्यों के लिए किसी प्रकार का कोई कानून विद्यमान न होने के कारण 26 नवम्बर 1986 को इसी मद्देनज़र संसद में एक बिल पेश किया गया | उसके बाद इसी अधिनियम के तहत 1 अप्रैल 1987 से Bureau of Indian Standards (BIS) की उत्पति हुई |

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) क्या है

Bureau of Indian Standards (BIS) भारत की एक राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसकी स्थापना 1987 में BIS Act 1986 के अंतर्गत हुई थी | इसकी स्थापना उत्पादों के चिन्हों, मानकों, गुणवत्ता प्रमाणों का सामंजस्यपूर्ण विकास करने एवं उत्पाद सम्बन्धी अन्य मामलों के निस्तारण हेतु हुई है | Bureau of Indian Standards (BIS) देश की इकॉनमी को Traceability एवं Tangibility का लाभ प्रदान करता है |

वर्तमान में Bureau of Indian Standards (BIS) का हेडक्वार्टर नई दिल्ली में स्थित है इसके अलावा पूरे देश में Regional कार्यालय पूर्व में कोलकाता, दक्षिण में चेन्नई, पश्चिम में मुंबई और उत्तर में चंडीगढ़ में स्थित है | इसके अलावा सम्पूर्ण देश में विभिन्न शहरों जैसे अहमदाबाद, बंगलौर, भुवनेश्वर, कोयम्बटूर, भोपाल, देहरादून, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, जयपुर, हैदराबाद, गुवाहटी, पटना, पुणे, लखनऊ, राजकोट, जमशेदपुर , रायपुर इत्यादि में Branch Offices विद्यमान हैं |

जहाँ BIS का लक्ष्य सुरक्षित एवं उपयुक्त गुणवत्तायुक्त उत्पाद बाज़ार में स्थापित करने का होता है वही स्वास्थ्य समबन्धि जोखिमों को भी कम करना, आयात निर्यात से समबन्धित उत्पादों को प्रोत्साहित करना, और विभिन्न मानकों के आधार पर उत्पादों की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना होता है | इसके अलावा BIS के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की लिस्ट निम्नवत है |

  • मानको का निर्माण |
  • उत्पाद प्रमाणीकरण योजना |
  • अनिवार्य पंजीकरण योजना |
  • विदेशी Manufacturers के लिए प्रमाणीकरण योजना |
  • हॉलमार्किंग योजना |
  • प्रयोगशालाओं को मान्यता देने वाली योजना |
  • भारतीय मानकों को Sale करना |
  • उपभोक्ता मामलों की प्रक्रियाएं |
  • प्रोत्साहन प्रक्रियाएं |
  • राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण सेवाएँ |
  • संचार सम्बन्धी सेवाएँ |

BIS Certificate/License कैसे प्राप्त करें :

BIS’ दवारा अलग अलग उत्पादों को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण हेतु अलग अलग योजनाओं का संचालन किया गया है इसलिए कौन से उद्यमी को अपने उत्पाद को किस श्रेणी के अंतर्गत BIS Certificate/License के लिए Apply कराना पड़ेगा इसका उल्लेख हम निम्नवत करेंगे |

1. घरेलु विनिर्माणकर्ता के लिए प्रक्रिया :

Domestic manufactures certification Scheme के अंतर्गत दो प्रक्रियाओं का उल्लेख BIS ने अपनी ऑफिसियल वेबसाइट में किया हुआ है | जिसमे एक प्रक्रिया को Normal Procedure तो दुसरे को Simplified procedure नाम दिया गया है | Normal procedure में Simplified procedure की तुलना में अधिक समय लगता है इसलिए हम यहाँ पर Simplified procedure का उल्लेख कर रहे हैं |

उद्यमी को चाहिए की जिस उत्पाद का उत्पादन उद्यमी कर रहा है उसके सैंपल को BIS से मान्यता प्राप्त या स्वीकृत प्रयोगशाला में Test करवाए | उसके बाद उस रिपोर्ट एवं   Application Form  को BIS की किसी नजदीकी शाखा में जमा कराना होगा | इसके बाद उद्यमी द्वारा जमा किये गए दस्तवेज एवं test report संतुष्टि स्तर को पार कर जाते हैं तो Bureau of Indian Standard द्वारा एक Verification Visit न्र्धरित किया जाता है |

जिसमे BIS के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा उद्यमी की इकाई का भ्रमण किया जाता है | और जब प्राधिकृत अधिकारी सब कुछ संतुष्टि स्तर पर पाता है तो इस प्रक्रिया में लाइसेंस आने में लगभग 1 महीने तक का समय लग सकता है | यह प्रक्रिया करवाने में उद्यमी को Application fee एवं Inspection Charges,Testing Fee इत्यादि  का भुगतान BIS को करना होगा |

भारतीय मानक ब्यूरों की तत्काल स्कीम :

चूँकि जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं की इंडिया में कुछ चयनित उत्पाद ऐसे हैं जिनका निर्माण करने के लिए BIS Certification की अनिवार्य रूप से आवश्यकता होती है | अर्थात उनका निर्माण बिना लाइसेंस के नहीं किया जा सकता | ऐसे ही उद्यमियों एवं उत्पादों को ध्यान में रखकर Bureau of Indian Standard ने Tatkal Scheme की शुरुआत की है |

इस स्कीम के अंतर्गत ऐसे उत्पादों के लिए BIS License के लिए आवेदन किया जायेगा जिनके निर्माण के लिए यह लाइसेंस अनिवार्य है | इस स्कीम के अंतर्गत लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया तेज गति से होती है और एक निश्चित समयावधि के अंतर्गत उद्यमी को लाइसेंस उपलब्ध कराने की पुरजोर कोशिश की जाती है |

2. विदेशी विनिर्माणकर्ता के लिए स्कीम

यह योजना विदेशी निर्माण कर्ताओं के लिए है अर्थात इस स्कीम के अंतर्गत विदेशी निर्माण कर्ताओं को लाइसेंस जारी किये जाते हैं | ऐसे उत्पाद जो भारतीय मानकों पर खरा उतरते हैं उनके लिए BIS विदेशी निर्माण कर्ताओं को लाइसेंस जारी करती है | इस स्कीम के अंतर्गत भी यदि किसी उत्पाद को BIS license स्वीकृत किया गया है तो उद्यमी चाहे विदेशी ही क्यों न हो उसे भी अपने उत्पाद में ISI Mark का मुद्रण कराना आवश्यक है |

ECO Mark Scheme:

भारत सरकार ने पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों अर्थात Environment Friendly Products की Labeling के लिए एक योजना स्थापित की है जिसे Eco Mark Scheme का नाम दिया गया | इस स्कीम को Bureau Of Indian Standards द्वारा शाषित किया जा रहा है | इस स्कीम के अंतर्गत आने वाले कुछ उत्पादों की श्रेणी की लिस्ट निम्नवत है |

  • साबुन एवं डिटर्जेंट
  • पेंट्स
  • पेपर
  • प्लास्टिक
  • प्रसाधन सामग्री/सौन्दर्य प्रसाधन |
  • टेक्सटाइल
  • बैटरीज
  • Wood Substitute
  • Propellants and Aerosols
  • खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल वनस्पति तेलों सहित, चाय, काफी इत्यादि |
  • इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद |
  • पैकिंग एवं पैकेजिंग सामग्री |
  • लुब्रिकेंट्स/ स्पेशल तेल |
  • औषधि
  • खाद्य Preservative/Additives
  • कीटनाशक
  • लैदर |

Eco Mark Scheme को राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत घरेलू उत्पादों एवं उपभोक्ता उत्पादों जो पर्यावर्णीय एवं Indian Standards अर्थात भारतीय मानकों के अनुकूल पाए जाते हैं को प्रमाण पत्र और लेबलिंग जारी करने का काम किया जाता है | इस ECO Mark Scheme के अंतर्गत Bureau of India Standards के मुख्य कार्य निम्नवत हैं |

  • Eco Mark के लिए उत्पादों का आकलन करना Eco Mark Award के लिए उत्पादों का प्रमाणीकरण | ‘
  • लाइसेंस का नवीनीकरण, निलम्बन एवं रद्दीकरण करना |
  • उत्पादों की गुणवत्ता, कार्यशीलता, सुरक्षा हेतु लैदर उत्पादों को छोड़कर जो भी उत्पाद Eco Mark Scheme के अंतर्गत प्रमाणित किये जायेंगे | उन उत्पादों पर भी ISI Mark Carry करना आवश्यक है | उसके बाद एक निश्चित समयावधि के लिए Eco Mark Carry किया जायेगा जिसका बाद में पुनर्मुल्यांकन किया जायेगा |
  • ECO Mark Scheme के अच्छे ढंग से क्रियान्वयन करने के लिए BIS द्वारा उत्पाद या अन्य सामग्री के सैंपल का विश्लेषण एवं इकाई का निरीक्षण किया जाता है | इस उद्देश हेतु ब्यूरो द्वारा जारी किया जाने वाला मार्क ECO Logo एवं ISI Mark का Combination अर्थात एक Single mark होगा |

ऐसे उत्पाद जिनके लिए बीआईएस सर्टिफिकेशन अनिवार्य है :

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की सुरक्षा की दृष्टि से Bureau of Indian standards ने बहुत सारे उत्पादों को Mandatory Certification की श्रेणी में रखा हुआ है | कहने का तात्पर्य यह है की ये ऐसे उत्पाद हैं जिनका निर्माण के लिए BIS License की अनिवार्य रूप से आवश्यकता होती है इसकी लिस्ट भारतीय मानक ब्यूरो की Official website के इस पेज पर देखी जा सकती है |

Electronics & IT उत्पादों के लिए Compulsory Registration Scheme (CRS)

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अधिसूचना के आधार पर Bureau of Indian Standard ने Electronic and IT उत्पादों के लिए CRS की स्थापना की है | इस स्कीम के अंतर्गत Electronic and IT के उत्पादों की कुछ श्रेणी को Compulsory Registration Scheme के अंतर्गत रखा गया है, जिनकी लिस्ट Bureau of India standard की ऑफिसियल वेबसाइट पर देखी जा सकती है  |

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