कर्मचारी राज्य बीमा की जानकारी | ESI Act Rules And Benefits In Hindi.

ESI Act 1948 (कर्मचारी राज्य बीमा एक्ट) को 1948 में अधिनियमित किया गया, लेकिन इसका कार्यान्वयन 24 फरबरी 1952 से शुरू हुआ | सन 1943 में B.P. Adarkar को ब्रिटिश सरकार ने भारतवर्ष में औद्योगिक कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा की रिपोर्ट बनाने हेतु नियुक्त किया, अर्थात मार्च 1943 में प्रोफ़ेसर B.P. Adarkar Committee का गठन किया गया जिसने अगस्त 1944 में अपनी रिपोर्ट सबमिट कराई |

बाद में भारत के आज़ाद होते ही इसी रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारी राज्य बीमा (ESI ACT 1948) को संसद में अधिनियमित किया गया |  शुरुआत में इस ESI ACT 1948 को सिर्फ फैक्ट्रीयों पर लागू किया गया, लेकिन बाद में इसे लगभग सभी इकाइयों पर निम्नलिखित दिशानिर्देशों के आधार पर  लागू कर दिया गया |

  • इस अधिनियम की धारा 2 (12) के अनुसार सभी गैर मौसमी व्यवसाय से सम्बंधित इकाइयाँ जिनमे कर्मचारियों की संख्या 10 या 10 से अधिक हो, उनमे ESI Act 1948 लागू होगा |
  • इसी अधिनियम की अन्य धारा 1 (5) के अनुसार shops, hotel, restaurant, road motor transport, cinemas, preview theaters, निजी चिकत्सकीय एवं शैक्षणिक संस्थानों के लिए कुछ राज्यों में यह Act 20 या 20 से अधिक कर्मचारियों पर लागू होने का प्रावधान है |
  • ESI की Official Website के अनुसार लगभग 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इस सीमा को 20 से घटाकर 10 कर दिया गया है | बाकी राज्य भी इस सीमा को घटाने के लिए कार्यरत है |

कर्मचारी राज्य बीमा (ESI Kya Hai)

साधारण शब्दों में कहें तो Employee’s State Insurance (ESI) अर्थात कर्मचारी राज्य बीमा एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमे सभी प्रकार के कर्मचारी जो किसी ऐसी इकाई में कार्यरत हैं, जिसमे कर्मचारियों की संख्या 10, 20 या 10, 20 से अधिक है, उनके स्वास्थ्य का बीमा कराने की व्यवस्था से है | चूँकि इस व्यवस्था को चलाने के लिए नियोक्ता, कर्मचारी एवं राज्य सरकार सभी का पैसा एकत्रित किया जाता है |

इसलिए इस व्यवस्था को स्वयं वितीय सामजिक सुरक्षा भी कहा जा सकता है |  Employee’s State Insurance (ESI) के अंतर्गत जमा होने वाला वित्त कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा ESI Act 1948 में दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार प्रबंधित किया जाता है | कर्मचारी राज्य बीमा निगम एक स्वायत्त निगम है, जो भारत सरकार के श्रम एवम रोजगार मंत्रालय के अधीनस्थ है |

कर्मचारी राज्य बीमा के लाभ

ESI Act benefits in hindi
  • इस Scheme के तहत पंजीकृत व्यक्ति अपना और उस पर निर्भर व्यक्तियों का चिकित्सा उपचार करने का हकदार है |
  • कुछ निश्चित परिस्थितियों में व्यक्ति इस अधिनियम के तहत बेरोजगारी भत्ते के लिए पात्र होगा |
  • महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ (Maternity Benefits) का लाभ लेने के पात्र होंगे |
    यदि कार्य के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार वालों को पेंशन मिलने का प्रावधान है |
  • यदि कार्य के दौरान किसी कारणवश कोई कर्मचारी विकलांग हो जाता है, तो वह कर्मचारी विकलांगता लाभ पाने का हकदार होगा |
  • चिकित्सा सुविधा हेतु ऐसी Dispensaries का उपलब्ध होना |
  • ESI Hospitals में Cash Benefit और Cash Less सेवा का उपलब्ध होना |
  • Sickness Benefit, Disablement benefit, dependents benefit, Maternity benefit एवं Medical Benefit ESI Scheme के मुख्य benefits हैं |

कर्मचारी राज्य बीमा के नियम (ESI Act Rules in Hindi) :

  • हाल ही में इस Scheme के अंतर्गत नियोक्ता और कर्मचारी के अंशदान हेतु एक नया Rule बनाया गया है, इस नए रूल के अनुसार वे Area जहाँ यह Scheme पहली बार कार्यान्वित होगी , इस स्थिति में नियोक्ता और कर्मचारी का योगदान अगले दो वर्षो अर्थात 24 महीनों के लिए निम्नवत होगा |
    नियोक्ता का अंशदान 3%
    कर्मचारी का अंशदान 1%
  • 24 महीने पूर्ण होने के बाद अंशदान कुछ इस प्रकार से होगा |
    नियोक्ता का अंशदान 4.75%
    कर्मचारी का अंशदान 1.75%
  • इस Scheme के तहत 21000 या 21000 से कम वेतन पाने वाले लोगों का पंजीकरण अनिवार्य है | इसके अलावा वे लोग जिनकी 21000 से अधिक वेतन है, वे यदि चाहें तो इस ESI Act 1948 के तहत स्वेच्छा से पंजीकृत हो सकते हैं |
  • कोई भी स्थापित संस्थान, कंपनी, फैक्ट्री इत्यादि जिनमे कर्मचारियों की संख्या 10 या 10 से अधिक (कुछ राज्यों में 20) हो, ESI Act 948 और EPF Act के तहत पंजीकरण लेना आवश्यक है |

कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत मिलने वाले लाभ

इस योजना के तहत पंजीकृत और पात्र कर्मचारियों को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • इस योजना के तहत पात्र कर्मचारियों और उन पर आश्रित उनके परिवार के सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा लाभ प्रदान किया जाता है।
  • यदि कोई कर्मचारी बीमार है तो उसे इस योजना के तहत बीमारी लाभ के तौर पर एक साल में आधिकतम 91 दिनों का जो उसकी सैलरी है उसका 70% तक वेतन का लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है। हालांकि यदि कर्मचारी को ईएसआई में अंशदान करे हुए केवल छह महीने हुए हैं तो इस स्थिति में अधिकतम 78 दिनों के भुगतान का प्रावधान है।
  • किसी बीमित कर्मचारी की उसके कार्य करने के दौरान मौत हो जाती है तो कर्मचारी राज्य बीमा निगम उस पर आश्रित व्यक्तियों को मासिक पेंशन का भुगतान करेगा।
  • यदि कर्मचारी काम करने के दौरान चोटिल होकर अस्थायी रूप से विकलांग हो जाता है तो जब तक वह चोटिल रहता है तब तक उसको उसके वेतन का 90% दैनिक मजदूरी के हिसाब से भुगतान करने का प्रावधान है।
  • अपने कार्यक्षेत्र से अलग यदि कर्मचारी कहीं अन्य कारणों से स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है तो उसे अगले एक वर्ष तक उसका मासिक भत्ता मिलने का प्रावधान किया गया है।

कर्मचारी राज्य बीमा एक नजर में :

  • 20 August 2015 को Release ESI 2.0 में बचे हुए राज्य मणिपुर, सिक्किम, अरुणांचल प्रदेश एवं मिजोरम को भी इस योजना के तहत जोड़ने का प्रावधान किया गया है |
  • एक आंकड़े के मुताबिक वर्तमान में ESI Act 1948 के अंतर्गत 2 करोड़ 03 लाख लोग बीमित हैं | जिसमे कुल लाभार्थियों की संख्या 7 करोड़ 89 लाख है |
  • 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में वर्तमान में ESI के 830 से अधिक Centers हैं, और इस ESI Act 1948 के अंतर्गत 7 लाख 23 हज़ार से अभी अधिक छोटी बड़ी इकाइयाँ पंजीकृत हैं |
  • ESI Scheme के अंतर्गत भारत सरकार ने हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 1800 11 3839 का परिचालन किया है ताकि बीमित व्यक्ति emergency में direct doctor से बात कर सके |
  • 20 July 2015 से हर ESI Hospitals में 3:00PM से 5:00 PM तक Senior Citizens /निःशक्तजनों के लिए Special OPD का परिचालन किया जा रहा है |
ईएसआई लाभ के लिए सैलरी की क्या लिमिट है?

ऐसे कर्मचारी जिनका मासिक वेतन 21000 रूपये या इससे कम है वे कर्मचारी राज्य बीमा का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र हैं । इसके अलावा शारीरिक रूप से दिव्यांग या अक्षम व्यक्तियों के लिए सैलरी की यह लिमिट 25000 रूपये है ।

ईएसआई में कितना योगदान देना होता है?

ऐसे कर्मचारी जिनका प्रतिदिन औसतन वेतन 137 रूपये या इससे कम है उन्हें योगदान देने की आवश्यकता नहीं होती। अन्य कर्मचारियों को अपनी सैलरी का 1.75%  अंशदान और नियोक्ता द्वारा कर्मचारी की सैलरी का लगभग 4.75% योगदान किया जाता है।

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