जिला उद्योग केंद्र की लोन योजनाएँ, लक्ष्य, कार्य पात्रता और आवेदन प्रक्रिया |

जिला उद्योग केंद्र कार्यक्रम की शुरुआत सन 1978 में केंद्र सरकार द्वारा लघु, छोटे, कुटीर और ग्रामोद्योग को केंद्र बिंदु में रखकर की गई थी | इसका उद्देश्य इन उद्योगों को किसी विशिष्ट क्षेत्र के अंतर्गत प्रोत्साहन और इन उद्योगों की जरूरतों के अनुसार सेवाएं एवम मदद किसी एक जगह से देने का है | यह जिला स्तर पर एक ऐसा Center है | जो उस विशिष्ट जिले में सूक्ष्म, लघु एवम मध्यम उद्योग से जुड़े उद्यमियों की हर प्रकार सहायता करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है |

इसका काम विभिन्न उपयुक्त Schemes की पहचान करना, Feasibility Report बनाना, Credit Facility का प्रबंध करना, मशीनरी एवम Equipments की Purchasing में मार्गदर्शन करना, Industrial क्लस्टर के लिए कच्चे माल एवम डेवलपमेंट का Provision करना इत्यादि है |

इन केन्द्रों को स्थापित करने में राज्य सरकार एवम केंद्र सरकार की वित्त संबंधी सहभागिता बराबर होती है | इस तरह के ये केंद्र उद्योग निदेशालय के अंतर्गत काम करते हैं, और हर केंद्र में लगभग एक जनरल मेनेजर, 4 Functional मेनेजर तीन प्रोजेक्ट मेनेजर होते हैं |

जिला उद्योग केंद्र क्या है (What is District Industries Center):

प्रत्येक जिले में लघु एवं ग्रामोद्योग की आवश्यकताओं से deal करने के लिए एक शाखा/संस्था/एजेंसी होती है, जिसे जिला उद्योग केंद्र अर्थात District Industries center कहा जाता है | इन केन्द्रों द्वारा जिला स्तर पर निवेश को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न आयोजनों, कार्यक्रमों, क्रियाशालाओं का जमीनी स्तर पर शुरुआत की जाती है |

इन कार्यक्रमों में व्यापार मेले, प्रदर्शनियां, सेमिनार इत्यादि का आयोजन विभिन्न उद्योग संघो द्वारा आयोजित किये जाते हैं | इसके अलावा जिले में स्थापित लघु उद्योगों एवं ग्रामोद्योगों से जुड़े कारोबारियों की business की राह में आने वाली हर अटकल में उन्हें तकनिकी, आर्थिक एवं सामाजिक support प्रदान करना भी Jila udyog Kendra का दायित्व होता है |

जिला उद्योग केंद्र की गतिविधियाँ

जिला उद्योग केंद्र में जिले के अंतर्गत विद्यमान उद्योगों पर आधारित निम्नलिखित गतिविधियाँ की जाती हैं |

  • जिले में स्थित उद्योगों की आर्थिक जांच |
  • उद्योगों के लिए कार्यशाला एवं यंत्रो से जुड़ी गतिविधिया |
  • अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण से सम्बंधित गतिविधियाँ |
  • कच्चे माल के प्रबंध से जुड़ी गतिविधियाँ |
  • वित्त एवं ऋण सुविधाएँ संबंधी गतिविधियाँ |
  • विपणन सहायता से जुड़ी गतिविधियाँ |
  • कुटीर उद्योग से समबन्धित गतिविधियाँ |

जिला उद्योग केंद्र के लक्ष्य (Objectives of DIC in Hindi) :

इन केन्द्रों के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं |

  • जिला का औद्योगिक विकास करने के लिए समग्र प्रयासों में तेजी लाना |
  • ग्रामीण उद्योग एवम हस्तशिल्प संबंधी उद्योगों का विकास करना |
  • जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक समानता की प्राप्ति करना ।
  • नए उद्यमियों को सरकारी योजनाओं से अवगत कराना और उन्हें उन योजनाओं का लाभ प्रदान कराना।
  • नई औद्योगिक इकाई शुरू करने की विभिन्न प्रक्रियाओं का केन्द्रीयकरण अर्थात Centralization करवाना |
  • नई औद्योगिक इकाई शुरू करने में लगने वाले प्रयासों जैसे Permission, License, Registration, Subsidies इत्यादि में लगने वाले समय को काम करना |

जिला उद्योग केंद्र के कार्य (Functions of DIC ):

जिला उद्योग केंद्र के कार्य
Functions of DIC in Hindi

जिला उद्योग केंद्र के विभिन्न Functions होते हैं, जिनमें मुख्य functions की लिस्ट निम्नवत है |

  • यह जिले के औद्योगीकरण में केन्द्र बिन्दु के रूप में कार्य करता है।
    जिले में मौजूद सहकारी क्षेत्र एवं छोटे, मध्यम, बड़े औद्योगिक इकाइयों का सांख्यिकी संबंधी जानकारी रखना |
  • उद्यमियों को समय समय पर विभिन्न अवसरों से अवगत कराना, और अवसर मार्गदर्शन करना ।
  • कच्चे माल और उनकी उपलब्धता के स्थानीय स्रोतों के बारे में जानकारी का संकलन करना ।
  • कुशल, अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए सम्मान के साथ जनशक्ति का मूल्यांकन करना ।
    जिले में उद्योगों की गुणवत्ता परीक्षण, अनुसंधान और विकास, परिवहन, प्रोटोटाइप विकास, गोदाम आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता का आकलन एवं विश्लेषण |
  • उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन एवं क्रियान्वयन |
  • विभिन्न सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, अनुदान और सहायता की अन्य निगमों जिन्हें उद्योगों के विकास हेतु स्थापित किया गया हो, से जानकारी उपलब्ध कराना |
  • Small Scale Industries हेतु Registration की व्यवस्था करना |
  • तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करना भी जिला उद्योग केंद्र के Functions की लिस्ट में सम्मिलित है |
  • निवेश कार्यों को पूर्ण करने के लिए उद्यमियों को सलाह देना ।
  • जिला उद्योग केंद्र उद्यमी की ऋण सम्बन्धी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उद्यमियों और जिले के अग्रणी बैंक के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।
  • प्रधान मंत्री मुद्रा योजना , प्रधान मंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम, इत्यादि सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं को शिक्षित बेरोजगार लोगों को अवगत कराना और इन योजनाओं का लाभ कोई उद्यमी कैसे ले सकता उसमे मार्गदर्शन Provide करना भी इन केन्द्रों के Functions की List में शुमार है |
  • जिला उद्योग केंद्र उद्यमियों को विद्युत बोर्ड, जल आपूर्ति बोर्ड, अनापत्ति प्रमाण पत्र इत्यादि License प्राप्त करने में मदद करता है |
  • उद्यमी को आयातित मशीनरी और कच्चे माल की खरीद करने के लिए मदद करना एवं अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ संपर्क करके विपणन आउटलेट को भी संगठित करना इनका ही काम होता है ।

जिला उद्योग केंद्र की लोन योजनाएँ (Loan Schemes of District Industries Center)

केंद्र और राज्य सरकार ने बहुत सारी ऐसी योजनाएँ शुरू की हैं, जो जिला उद्योग केन्द्रों के दायरे में आती हैं। इनमें लोन योजनाएँ भी शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से देश भर में स्थापित जिला उद्योग केंद्र अपने लक्ष्यों को पूरा करने की पूर्ण कोशिश करते हैं। इनमें केंद्र एवं राज्य द्वारा संचालित कोई भी योजना जो उद्योगों के विकास से जुड़ी हो, हो सकती है।

1. प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम (PMEGP):

इस योजना की शुरुआत सूक्ष्म लघु और मध्यम मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2008 में किया था। लेकिन वर्ष 2015 में दो योजनाओं को समाहित करके इसका नाम प्रधानमंत्री रोजगार स्रजन कार्यक्रम कर दिया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इस योजना कार्यन्वयन की जिम्मेदारी खादी और ग्रामोद्योग आयोग को दी गई है। यह जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम में शामिल है। क्योंकि इस योजना के तहत कुल परियोजना लागत का 90-95% ऋण बैंकों द्वारा दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

2. जिला उद्योग केंद्र ऋण योजना    

यह ऋण योजना जिला उद्योग केन्द्रों द्वारा संचालित है। इसके तहत 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों में स्वरोजगार और लघु इकाइयों को बढ़ाने के लिए 2 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर ऋण प्रदान किया जाता है। जिसका मतलब यह है की केवल ऐसी लघु इकाइयों को ऋण दिया जाएगा जिनमें पूँजी निवेश 2 लाख रूपये से कम हो। इन इकाइयों की पहचान लघु उद्योग बोर्ड, ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प, हथकरघा, रेशम और कोयर उद्योग इत्यादि के द्वारा की जाती है ।  

इस योजना के तहत सामान्य वर्ग के उद्यमियों के लिए कुल निवेश का 20% या 40000 रूपये जो भी कम हो का प्रावधान किया गया है।  जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के उद्यमियों के लिए कुल निवेश का का 30% या 60000 रूपये जो भी कम हो, का प्रावधान किया गया है।

3. सीड मनी स्कीम   

इस योजना को उन लोगों को ध्यान में रखकर संचालित किया गया है। जो स्वयं के उपक्रमों में या कुशल मजदूरी रोजगार के जरिये स्वरोजगारित हैं। जिला उद्योग केंद्र की इस योजना के तहत संस्थागत वित्तीय सहायता सॉफ्ट लोन के रूप में दिए जाने का प्रावधान है। इसके तहत रूपये 25 लाख तक की परियोजना लागत पर ऋण सुविधा प्राप्त की जा सकती है।

ऐसी परियोजनाएँ जिनमें 10 लाख रूपये तक का निवेश संभावित है, उनको कुल लागत की 15% तक की पैसों की सहायता करने का प्रावधान है। जबकि आरक्षित वर्ग के लिए कुल परियोजना लागत का 20% सहायता का प्रावधान है, यह सहायता 3.75लाख से ज्यादा नहीं हो सकती।

4. डिस्ट्रिक्ट अवार्ड स्कीम

उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और उनकी उपलब्धियों एवं सफलताओं का उन्हें एहसास कराने और खुशी मनाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा जिला स्तर पर जिला उद्योग केन्द्रों के माध्यम से इस योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत अव्वल उद्यमियों को सम्मानित और पुरस्कृत किये जाने का प्रावधान है। अव्वल उद्यमियों का चयन जिला स्तर पर बनाई गई सलाहकार समिति करती है। इस पुरुस्कार समारोह को विश्वकर्मा जयंती दिवस पर आयोजित किया जाता है।

5. उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम

इस योजना को जिले में उपलब्ध शिक्षित बेरोजगार लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करने और उनमें कौशल बढ़ाने एवं उन्हें स्वरोजगार करने को प्रेरित करना है। क्योंकि बिना कौशल के कोई भी मिलना या खुद का काम शुरू करना कठिन होता है । इसलिए लोगों में उद्यमिता विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन जिला उद्योग केंद्र द्वारा किया जाता है। इनमें दो तरह के प्र्शिक्शंम कार्यक्रम शामिल हैं ।

  1. बारह दिवसीय रेजिडेंसियल उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम।
  2. बारह से दो महीने तक चलने वाला नॉन रेजिडेंसियल उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम।  

लोन अप्लाई करने के लिए पात्रता (Eligibility to apply Loan)   

जिला उद्योग केन्द्रों से लोन उपर्युक्त बताई गई विभिन्न योजनाओं के तहत प्राप्त किया जा सकता है। जहाँ तक पात्रता की बात है, अलग अलग योजना के लिए पात्रता अलग अलग हो सकती है। उपर्युक्त बताई गई योजनाओं को जिला उद्योग केंद्र द्वारा प्रचारित और कार्यान्वित किया जाता है।

लेकिन पात्रता सम्बन्धी मानदंड आप चाहें तो अपनी नजदीकी DIC या फिर योजना की अधिकारिक वेबसाइट में जाकर भी ज्ञात कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया एवं फॉर्म भी प्रत्येक योजना के लिए अलग अलग हो सकता है। वैसे तो प्रत्येक जिले में एक जिला उद्योग केंद्र स्थापित होता है, लेकिन कई राज्यों में प्रत्येक जिले में नहीं, बल्कि कुछ चुनिन्दा जिलों में ही DIC स्थापित हैं।

FAQ (सम्बंधित प्रश्नोत्तर)

जिला उद्योग केंद्र के अतिरिक्त कार्य क्या क्या हैं?

जिला उद्योग केन्द्रों के अतिरिक्त कार्यों में लोन की व्यवस्था करना, प्रशिक्षण का प्रबंध करना, मशीनरी और उपकरण खरीदने में सहायता प्रदान करना, सर्वे आयोजित करना और ग्रामीण कारीगरों को बढ़ावा देना शामिल है।

DIC Certificate प्राप्त करने के लिए क्या क्या दस्तावेज चाहिए?

डीआईसी सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आधार नंबर, व्यवसाय का पता, बैंक खाते का विवरण, बिजनेस का नाम, बिजनेस शुरू करने की तिथि, व्यवसाय की प्रमुख गतिविधि, बिजनेस का प्रकार जैसे प्रोप्राइटरशिप, कंपनी इत्यादि, प्रस्तावित या काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या, बिजनेस की कुल लागत इत्यादि।

जिला उद्योग केंद्र से लोन लेने के लिए कौन कौन पात्र हैं?

कोई भी उम्मीदवार जो अपनी 18 वर्ष की आयु पूरी कर चूका हो। और वह कम से कम आठवीं पास हो, विनिर्माण क्षेत्र की परियोजना लागत 10 लाख से अधिक और सर्विस क्षेत्र की परियोजना लागत 5 लाख से अधिक हो।

जिला उद्योग केंद्र में रजिस्ट्रेशन करने के क्या क्या फायदे हैं?

जिला उद्योग केंद्र में रजिस्ट्रेशन करने से आपको कम 1. ब्याज पर लोन मिल सकता है  2.विद्युत् बिल में छूट और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट  3. सरकार से सब्सिडी मिलने में सहायता 4. लोन का पुनर्भुगतान समय और लिमिट बढ़ाने में सहायक इत्यादि फायदे हो सकते हैं।

निष्कर्ष : जिला उद्योग केन्द्रों (DIC) का प्रमुख काम किसी जिला विशेष में उद्यमिता और रोजगार को प्रोत्साहित करना होता है। इसलिए कोई भी व्यक्ति जो किसी जिले में कोई बिजनेस शुरू करना चाहता है, वह इन केन्द्रों से सलाह, मशवरा ले सकता है। क्योंकि इनका काम जिले में मौजूदा और भावी उद्यमियों की कई मायनों में सहायता करना होता है। इनमें कच्चे माल की उपलब्धता से लेकर, मशीनरी का आधुनिकीकरण, बिजनेस के लोन जैसी सभी प्रक्रियाएं शामिल हैं।   

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