पशुधन बीमा योजना। Livestock Insurance Scheme in Hindi.

Livestock Insurance Scheme से हमारा तात्पर्य पशुधन बीमा योजना से है । औद्योगिक क्षेत्र में हमारा देश भारतवर्ष चाहे किसी भी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा हो लेकिन सच्चाई यही है की आज भी हमारे देश में एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे जनमानस की है जिनका कमाई का या आजीविका चलाने का मुख्य स्रोत कृषि एवं पशुधन है । यही कारण है की भारत सरकार ने दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) के अंतर्गत 2005 से Livestock Insurance Scheme अर्थात पशुधन बीमा योजना की शुरुआत की ।

इसके अलावा यह भी योजना बनाई गई की आने वाली पंचवर्षीय योजना यानिकी ग्यारवहीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) के शुरूआती वर्ष 2007-2008 में चयनित विभिन्न राज्यों के 100 जिलों में इस स्कीम को क्रियान्वयन में लाने की थी । उसके बाद यानिकी 2008-09 के बाद इस Livestock Insurance Scheme को प्रति वर्ष नियमित रूप से 100 जिलों में लागू करने का प्रावधान रखा गया । इस स्कीम को सरकार द्वारा किसानों और पशु पालकों के आजीविका या कमाई को ध्यान में रखते हुए उसकी सुरक्षा हेतु चलाया गया है ।

ताकि यदि किसी पशु की मृत्यु हो जाती है तो किसान या पशु पालक को उसकी कीमत मिल सके । इसके अलावा सरकार का लक्ष्य इस योजना में गुणात्मक सुधार करके इसे किसानों एवं पशुपालकों के बीच प्रसिद्ध बनाने का है । 21 मई 2014 से यह Livestock Insurance Scheme सम्पूर्ण भारत के सभी जिलों में लागू हो चुकी है । वर्तमान में इस स्कीम को Risk Management and Insurance के अंतर्गत शामिल कर दिया है ।

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Livestock Insurance Scheme in Hindi

इस स्कीम में कौन कौन से जानवर कवर हैं ?

Livestock Insurance Scheme के अंतर्गत सभी स्वदेशी दुधारू जानवर एवं भार ढोने वाले पशु जैसे गधा, घोड़ा, खच्चर, ऊंट, छोटा घोड़ा, बैल, भैंसा इत्यादि शामिल हैं इसके अलावा भेड़, बकरी, सूअर, खरगोश, याक, मिथुन  इत्यादि भी इस Livestock Insurance Scheme के दायरे में आते हैं ।

सरकार द्वारा दी जाने वाली मदद :

इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को अधिक से अधिक पांच पशुओं (जिनमे बकरी, भेड़, सूअर, खरगोश इत्यादि सामिलित नहीं होंगे) के बीमे पर सब्सिडी दी जा सकती है । छोटे जानवरों बकरी, भेड़, सूअर, खरगोश इत्यादि की स्थिति में सब्सिडी पशु इकाई पर निर्भर करेगी 10 जानवर पशुओं की एक इकाई के बराबर हो सकते हैं ।

इसलिए छोटे जानवरों की स्थिति में यह संख्या 50 रहेगी । यदि किसी लाभार्थी के पास पांच पशुओं से कम हैं तो वह भी इस Livestock Insurance Scheme के अंतर्गत अपने पशुओं का बीमा कराने के लिए पात्र माना जायेगा । प्रत्येक लाभार्थी अधिक से अधिक तीन वर्षों के लिए सब्सिडी पाने का पात्र माना जायेगा ।

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एक साल के लिए पशुओं का बीमा कराने पर क्षेत्र के आधार पर निम्न दरें लागू होंगी ।

  • सामान्य क्षेत्र में निवासित लाभार्थियों के लिए प्रीमियम की दरें कुल बीमित राशि के 3% है ।
  • उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों/ पहाड़ी क्षेत्रों इत्यादि क्षेत्रों के लिए यह दर5% है ।
  • जटिल क्षेत्रों में निवासित लाभार्थियों के लिए यह दर 4% है ।

तीन सालों के लिए बीमा कराने पर प्रीमियम दरें इस प्रकार से हैं ।

  • Livestock Insurance Scheme के तहत सामान्य क्षेत्र में निवासित लाभार्थियों के लिए प्रीमियम की दरें कुल बीमित राशि के 5% है ।
  • उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों/ पहाड़ी क्षेत्रों इत्यादि क्षेत्रों के लिए यह दर 9% है ।
  • जटिल क्षेत्रों में निवासित लाभार्थियों के लिए यह दर5% है ।

केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं लाभार्थी द्वारा वहन की जाने वाली प्रीमियम का प्रतिशत कुछ इस प्रकार से है ।

  • सामान्य क्षेत्र में निवासित Average Poverty Line से सम्बन्धित लाभार्थी की स्थिति में प्रीमियम का 25% केंद्र सरकार द्वारा, 25% राज्य सरकार द्वारा, एवं 50% लाभार्थी द्वारा वहन किया जायेगा यदि लाभार्थी अनुसूचित जाति/जनजाति/गरीबी रेखा से नीचे इत्यादि श्रेणी से संबध रखता है तो इस स्थिति में केंद्र सरकार की ओर से 40%, राज्य सरकार की ओर से 30% एवं लाभार्थी की ओर से भी 30% प्रीमियम भरने में दिया जायेगा ।
  • उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों/ पहाड़ी क्षेत्रों इत्यादि क्षेत्रों से संबध रखने वाले APL लाभार्थियों के लिए प्रीमियम का 35% केंद्र सरकार द्वारा, 25% राज्य सरकार द्वारा, एवं 40% लाभार्थी द्वारा वहन किया जायेगा यदि लाभार्थी अनुसूचित जाति/जनजाति/गरीबी रेखा से नीचे इत्यादि श्रेणी से संबध रखता है तो इस स्थिति में केंद्र सरकार की ओर से 50%, राज्य सरकार की ओर से 30% एवं लाभार्थी की ओर से भी 20% प्रीमियम भरने में दिया जायेगा ।
  • जटिल क्षेत्रों में निवासित APL लाभार्थियों के लिए प्रीमियम का 45% केंद्र सरकार द्वारा, 25% राज्य सरकार द्वारा, एवं 30% लाभार्थी द्वारा वहन किया जायेगा यदि लाभार्थी अनुसूचित जाति/जनजाति/गरीबी रेखा से नीचे इत्यादि श्रेणी से संबध रखता है तो इस स्थिति में केंद्र सरकार की ओर से 60%, राज्य सरकार की ओर से 30% एवं लाभार्थी की ओर से भी 10% प्रीमियम भरने में दिया जायेगा ।

Livestock Insurance Scheme में बीमा कराने की प्रक्रिया:

कोई भी पशु जिसे किसान या पशुपालक Livestock Insurance Scheme यानिकी पशुधन बीमा योजना के तहत बीमित कराना चाह रहे हों उसका बीमा उसकी बाज़ार में उपलब्ध वर्तमान कीमत के आधार पर किया जायेगा । बाज़ार में उपलब्ध कीमत का निर्धारण insurance कंपनी एवं पशुपालक द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारी या BDO की उपस्थिति में किया जा सकेगा ।

हालांकि पशु की कम से कम कीमत का निर्धारण उसकी प्रतिदिन दूध देने की क्षमता के आधार पर भी किया जा सकता है जैसे यदि किसी गाय द्वारा 1 लीटर दूध प्रतिदिन दिया जाता है तो उसकी कीमत कम से कम 3000 रूपये तो होगी ही । इसके अलावा भैंस के लिए यह कम से कम कीमत 4000 रूपये है । कीमत निर्धारण समबन्धी डिस्प्यूट समबन्धित ग्राम पंचायत या BDO द्वारा सुलझाया जायेगा ।

इसके अलावा ऐसे पशु जिनका उपयोग सामान ढोने इत्यादि एवं मांस हेतु किया जाता है उनकी कीमत का निर्धारण भी पशुपालक एवं बीमा कंपनी के मध्य आपसी रजामंदी के माध्यम से पशु चिकित्सा अधिकारी या BDO की उपस्थिति में ही होगा । जिस पशु को बीमित किया जायेगा उसकी अच्छी तरह से पहचान की जाएगी ताकि बीमा क्लेम करते वक्त उसकी पहचान आसानी से करायी जा सके । इसलिए इस पहचान के लिए पशुओं के काम ने टैगिंग की जा सकती है और इसको करने में पारम्परिक विधि या नई तकनीक का उपयोग किया जा सकता है ।

पहचान चिन्ह स्थापित करने में आने वाला खर्चा बीमा कंपनी द्वारा उठाया जायेगा और इस पहचान चिन्ह की देख रेख का जिम्मा समबन्धित लाभार्थी का होगा । इसके अलावा ऐसे पशु जिन पर पहले से ही टैगिंग की गई हो की पहचान के लिए उन पर अलग अलग नंबर अंकित किये जा सकते हैं । Livestock Insurance Scheme के अंतर्गत बीमा क्लेम सेटलमेंट के लिए केवल चार दस्त्वेजों की आवश्यकता हो सकती है इनमे बीमा कंपनी को सम्बन्धित पशु की मृत्यु की सूचना, बीमा पालिसी पेपर, क्लेम फॉर्म एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट सम्मिलित हैं ।

उपर्युक्त दस्तावेज लाभार्थी द्वारा जमा कराये जाने के 15 दिनों के अन्दर अन्दर बीमा कंपनी को बीमित राशि लाभार्थी को देनी होगी । यदि बीमा कंपनी दस्तावेज मिल जाने के 15 दिनों के अन्दर बीमित राशि रिलीज़ करने में नाकाम हुई तो इस Livestock Insurance Scheme के अंतर्गत उस पर 12% की दर से चक्र वृद्धि ब्याज प्रति वर्ष लगाया जायेगा जिसका लाभ लाभार्थी को दिया जायेगा ।

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