लघु उद्योगों के लिए सिडबी की सब्सिडी योजनाएँ |

इन योजनाओं को हम सिडबी की सब्सिडी योजनाएँ भी कह सकते हैं, क्योंकि भारत सरकार ने लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने हेतु कुछ Subsidy Schemes भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) की देखरेख में चलाई हुई हैं | इनका वर्णन हम संक्षिप्त रूप से एक एक करके नीचे कर रहे हैं |

1. खाद्य प्रसंस्करण के लिए सिडबी की सब्सिडी योजना (FPTUFS):

अप्रैल 2007 से भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग  मंत्रालय  ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) को इस Subsidy Scheme को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया हुआ है |  इस सिडबी की सब्सिडी योजना के तहत पात्रता रखने वाली इकाइयों को बैंक की प्रत्यक्ष ऋण योजना के अंतर्गत कवर किया जायेगा |  इस योजना के अंतर्गत कोई भी Primary leding institution (PLI ) का प्रावधान नहीं किया गया है |  इस सब्सिडी स्कीम के अच्छे ढंग से क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तरीय एजेंसियों का विकेंद्रीकरण 1 अप्रैल 2012 से किया गया है |

योजना के उद्देश्य :

इस Scheme का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) क्षेत्र से जुड़े हुए व्यापारों का उन्नयन और उनकी उत्पादक क्षमता को बढ़ाना है | इस Subsidy Scheme के अंतरगत खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े लगभग सारे क्षेत्रो जैसे फल एवं सब्जियां, दुग्ध उत्पाद, मीट, मछली, मुर्गी, अनाज, तिलहन फसल के उत्पाद, कृषि बागवानी क्षेत्र एवं अन्य उपभोक्ता खाद्य उत्पादों को सम्मिलित किया गया है |

पात्रता और मिलने वाली सब्सिडी:

FPTUFS के तहत समाज के सभी वर्गों को एक समान Subsidy देने का प्रावधान है | सामान्य क्षेत्रो में निवासित उद्यमी यदि अपना Food Processing बिज़नेस का up gradation  करना चाहते हैं | तो उनको पूरी Project cost का 25% तक की Subsidy देने का प्रावधान है | project cost अधिक से अधिक ५० लाख होगी | इसके अलावा पहाड़ी और उत्तर पूर्वी राज्यों जैसे जम्मू और कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अंडमान एंड निकोबार द्वीपसमूह, लक्ष्यदीप, और आदिवासी क्षेत्रो के लिए पूरी Project Cost की 33% Subsidy देय होगी | प्लांट की मशीनरी की project cost अधिक से अधिक 75 लाख होगी |

सिडबी की सब्सिडी योजनाएँ

2. लैदर सेक्टर के लिए सिडबी की सब्सिडी योजना (IDLSS):

भारतवर्ष में Leather से उत्पादित उत्पाद प्रसिद्ध हैं | और अब यही उत्पाद विदेशों में भी विदेशी लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं | इसलिए Leather से उत्पादित उत्पादों को निर्यात करने के अधिक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं | इन्ही सब बातो के मद्देनज़र भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक ने इस सिडबी की सब्सिडी योजना  Integrated Development of Leather Sector Scheme (IDLSS) की अवधारणा रची है |

योजना के उद्देश्य :

रोजगार के अवसरों को बढ़ाने, लैदर क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाने, और उत्पादित उत्पादों की गुणवत्ता को सुधारने, ताकि विश्व के बाज़ारों में भारतीय Leather उद्योग द्वारा उत्पादित उत्पाद को प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके | Leather Udyog के लिए बहुत महत्व्पूर्ण है, की उसे तकनिकी सुधार करने हेतु वित्तीय सहायता आसानी से उपलब्ध हो |

यह सिडबी की सब्सिडी योजना वर्तमान चमड़े के कारखानों, फुटवियर, फुटवियर के घटकों और अन्य Leather उत्पादों को ध्यान में रख के चलाई गई है | ताकि लैदर उद्योगों के उद्यमी अपने उदयोग में नवीन तकनिकी को क्रियान्वित कर उत्पादन क्षमता, डिज़ाइन इत्यादि में सुधार कर सकें |

पात्रता मानदंड :

इस सिडबी की सब्सिडी स्कीम के अंतर्गत निम्न पात्रता रखने वाले उद्योग, लाभ के पात्र होंगे |

  • लैदर और Leather उत्पादों से जुडी हुई सारी मौजूदा इकाई चाहे वह चमड़े का कारखाना, चमड़े का सामान, चमड़े का साजो सामान, चमड़े के फुटवियर, चमड़े के फुटवियर के घटक, इत्यादि बिज़नेस से जुडी हुई इकाई, यदि तकनिकी उन्नयन करना चाहती है | तो उनको इस सिडबी की सब्सिडी स्कीम के अंतर्गत Subsidy लोन मिल सकता है |
  • कोई भी मौजूदा इकाई जो पिछले तीन वर्षो से स्थापित हो | और पिछले दो वर्षो से नगद मुनाफा कमा रही हो, को मौजूदा इकाई के रूप में माना जायेगा |
  • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) एवं अन्य बैंकों द्वारा फण्ड किये हुए आधुनिकीकरण कार्यक्रम, वे कार्यक्रम भी जो मौजूदा इकाई ने अपने संसाधनों के बलबूते किये हों, इस Subsidy Scheme के तहत सहायता के पात्र होंगे |
  • इस स्कीम के तहत सहयता केवल उन इकाइयों को दी जाएगी जिन्होंने अपने प्रोजेक्ट के लिए 3 नवंबर 2005 के बाद लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI), बैंक या फिर अन्य वित्तीय संसथान से लोन प्राप्त किया हुआ हो |
  • यदि आधुनिकीकरण कार्यक्रम में इकाई ने स्वयं पैसा लगाया हो | तो इस स्तिथि में सिर्फ उन इकाइयों को मदद दी जाएगी जिन्होंने अपने प्रोजेक्ट हेतु मशीनरी 3 नवंबर 2005 के बाद खरीदी हो |
  • वे Project जिन्होंने लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI), बैंक द्वारा आधुनिकीकरण प्रोग्राम हेतु लोन लिया हो | वे इकाई भी इस स्कीम के तहत पात्र होंगे |
  • संसोधित स्कीम के अनुसार उन Project को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनको लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI),  बैंक या फिर वित्तीय संसथान ने 29 अगस्त 2008 के बाद लोन दिया हो |
  • यदि आधुनिकीकरण कार्यक्रम में इकाई ने स्वयं पैसा लगाया हो | तो इस स्तिथि में सिर्फ उन इकाइयों को मदद दी जाएगी जिन्होंने अपने प्रोजेक्ट हेतु मशीनरी 29 August 2008 के बाद खरीदी हो |

योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी :

29 August 2008 से पहले :
29 अगस्त 2008 से पहले इस स्कीम के तहत स्माल स्केल इंडस्ट्रीज को प्लांट और मशीनरी की कीमत पर 30% और अन्य उद्योगों को 20% की Subsidy का प्रावधान किया गया था | जिसमे आधुनिकीकरण और उन्नयन पर होने वाला खर्चा 50 लाख से अधिक नहीं होना चाहिए था | अर्थात सब्सिडी अधिक से अधिक 50 लाख का 20% और 30% हो सकती थी |

29 August 2008 के बाद :

29 अगस्त 2008 के बाद भी स्माल स्केल इंडस्ट्रीज के प्लांट एवं मशीनरी के कीमत पर 30% निवेश सब्सिडी और अन्य के लिए 20% निवेश सब्सिडी का प्रावधान है | किन्तु इसमें एक लाभ और जोड़ दिया गया है, की नई इकाई स्थापित करने पर भी यह Subsidy दी जाएगी | जबकि पहले यह केवल तकीनीकी उन्नयन, आधुनिकीकरण,और विस्तृतीकरण पर ही थी |

इसके अलावा 50 लाख से ऊपर के Project पर सभी को, चाहे वह स्माल स्केल इंडस्ट्रीज से जुड़ा हुआ प्रोजेक्ट हो या फिर अन्य, को 20% Subsidy देय होगी | और अधिक से अधिक Project Cost 2 करोड़ होगी | 25 लाख से अधिक की सब्सिडी सिडबी की सब्सिडी स्कीम के तहत 4 बराबर के वार्षिक किस्तों में देय होगी |

3. क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम :

हालांकि एक अधिकारिक दस्तावेज के अनुसार इस सिडबी की सब्सिडी स्कीम की वैधता 31-03-2016 निर्धारित की गई है | लेकिन फिर भी व्यवसायिक रूचि रखने वाले उद्यमी इस स्कीम सम्बन्धी जानकारी लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के कार्यालय में जाके, या फ़ोन करके ले सकते हैं |

इस सिडबी की सब्सिडी स्कीम के अंतर्गत एकल स्वामित्व (Propertorship), भागीदारी फर्म (Partnership), सहकारी समितियां (Co operative Socities), लघु उद्योग से सम्बंधित प्राइवेट और पब्लिक लिमिटेड कंपनियों को ऋण देने का प्रावधान किया गया था | इस Scheme के तहत महिला उद्यमियों को प्राथमिकता दिया जाना सुनिश्चित किया गया था |

पात्रता मानदंड :

  • वे इकाइयाँ जो अपने उद्योग का विस्तार करके, या बिना विस्तार किये up gradation करना चाहती हों |
  • वे नई इकाइयाँ जो Governing and Technology Approval Board (GTAB) द्वारा Approved हों | इस Subsidy Scheme के अंतर्गत ऋण लेने के पात्र होंगी |
  • राज्य उद्योग निदेशालय में Registered इकाइयाँ |
  • इस सिडबी की सब्सिडी स्कीम के तहत Subsidy क्लेम DCMSME द्वारा रचित e portal  के माध्यम से ऑनलाइन किया जा सकता है |

Maximum Subsidy and Loan:

इस Subsidy Scheme के तहत ऋण की अधिकतम सीमा 1 करोड़ तय की गई है | और subsidy की अधिकतम सीमा 15% जो 15 लाख से अधिक नहीं होगी निर्धारित की गई है |

4. टेक्सटाइल सेक्टर के लिए सिडबी की सब्सिडी स्कीम (TUFSTS):

इस कपड़ा उद्योग के क्षेत्र से जुड़ी हुई सिडबी की सब्सिडी स्कीम का शुभारम्भ भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने 1 अप्रैल 1999 को किया था | इस Scheme का फायदा निम्नवत गतिविधियों हेतु मशीनरी उपकरण खरीदने के लिए दिया जायेगा |

  •     कपास की ओटाई और pressing के लिए |
  • रेशम की कताई एवं twisting के लिए |
  • ऊन सफाई, कोम्बिंग और कार्पेट उद्योग |
  • सिंथेटिक फिलामेंट यार्न की texturising, crimping और ट्विस्टिंग के लिए |
  • कताई हेतु |
  • विस्कोज स्टैपल फाइबर (VSF) और विस्कोज फिलामेंट यार्न (VFY) के लिए |
  • बुनाई और कढाई का काम |
  • आधुनिक वस्त्र, जिसमें बिना बुने वस्त्र भी शामिल हैं के लिए |
  • परिधान/डिजाइन स्टूडियो/सिले-सिलाए कपड़ों के निर्माण का काम |
  • रेशों, धागों, वस्त्रों, परिधानों और सिले-सिलाए कपड़ों का प्रसंस्करण इत्यादि का काम |
  • जूट उद्योग से उत्पादित उत्पाद की उत्पादन गतिविधियाँ |

इस सिडबी की सब्सिडी स्कीम के तहत अलग अलग गतिविधयो के लिए अलग अलग Subsidy का प्रावधान किया गया है | इसलिए आप अधिक जानकारी हेतु लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) का पोर्टल चेक कर सकते हैं |

यह भी पढ़ें

Leave a Comment