म्यूचुअल फण्ड के प्रकार। Types of Mutual funds in hindi.

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार की बात करें तो भारतीय म्यूचुअल फण्डों द्वारा विभिन्न प्रकार की स्कीमें लान्च की गई हैं । इसलिए कोई भी निवेशक अपनी सुविधा के अनुसार बेहतर विकल्प का चुनाव करके अपनी मनपसन्द स्कीम में निवेश कर सकते हैं । लेकिन निवेशक अपनी मनपसंद स्कीम या म्यूचुअल फण्ड के प्रकार का चुनाव तभी कर पायेगा जब उसको इन सबकी जानकारी होगी |

यही कारण है की आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से भारतीय म्यूचुअल फण्डों के प्रकारों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे मुख्य रूप से भारतीय म्यूचुअल फण्डों को  निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है ।

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार
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1. ओपन एंडेड म्यूचुअल फण्ड (Open ended Mutual Fund) :

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्डों की कोई निर्धारित अवधि नहीं होती है । यह फण्ड कई-कई वर्षों तक तब तक खुले रहते हैं, जब तक कि फण्ड की स्कीम को समाप्त करने का निर्णय न ले लिया जाए । भारत में लगभग सभी म्यूचुअल फण्ड ओपन एंडेड स्कीमें चलाते हैं । इस स्कीम में निवेशक जब चाहे तब निवेश कर सकता है । प्रारम्भ में जब स्कीम लान्च की जाती है तो इसका प्रारम्भिक समय (Initial Period) घोषित किया जाता है ।

यदि कोई निवेशक इस पीरियड में यूनिट खरीदता है तो उसे अंकित मूल्य (Face Value) पर ही यूनिट मिलती हैं । लेकिन यदि स्कीम शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो गई तो निवेशक को बाजार भाव पर यूनिट खरीदनी होती हैं । इसीलिये इस स्कीम के यूनिटों का NVA जिसे आप बाजार मूल्य कह सकते हैं, प्रतिदिन घोषित किया जाता है ताकि निवेशक अपनी यूनिटों को बेचने या नई यूनिटें क्रय करने का निर्णय ले सकें ।

निवेशक से NVA पर यूनिटें खरीदने और बेचने का कार्य फण्ड हाउस द्वारा किया जाता है । म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इन ओपन इण्ड म्यूचुअल फण्डों द्वारा निवेशकों से इन्ट्रीलोड व एक्जिट लोड लिया जाता है ।

2. क्लोज एंडेड म्यूचुअल फण्ड (Close-ended Mutual Fund):

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्डों की अवधि पूर्व निर्धारित होती है । जिसकी घोषणा स्कीम को लान्च करते समय ही कर दी जाती है । इस स्कीम का इनीशियल पीरियड जब तक खुला रहता है तब तक कोई व्यक्ति अंकित मूल्य पर यूनिट खरीद सकता है । इनीशियल पीरियड खतम होने के बाद इस स्कीम में सीधे निवेश नहीं किया जा सकता है । जो निवेशक लम्बे समय के लिये निवेश की इच्छा रखते हैं वे इस योजना में शामिल होते हैं । चूंकि निवेश की राशि फण्ड मैनेजरों के पास लम्बे समय के लिये आ जाती है ।

अतः वे अच्छी कमाई वाली प्रतिभूतियों में बिना हिचक के निवेशित करते हैं और इस प्रकार निवेशकों को काफी अधिक पूंजी वृद्धि का लाभ मिलता है । यद्यपि म्यूचुअल फण्ड के प्रकार अर्थात इस योजना में काफी लम्बे समय के लिये निवेश की राशि अवरुद्ध हो जाती है लेकिन सेबी ने निवेशकों को यह सुविधा दी है कि यदि वे चाहें तो बीच की अवधि में भी अपने निवेश को वापस ले सकते हैं |

लेकिन इसके लिये उन्हें निकासी शुल्क देना होगा । इस श्रेणी की स्कीमों के यूनिट का NVA साप्ताहिक आधार पर घोषित किया जाता है । इन स्कीमों का लॉक-इन-पीरियड सामान्यतः 03 से 05 वर्ष तक होता है |

3. म्यूचुअल फण्ड के प्रकार ग्रोथ फण्ड (Growth Fund)

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस प्रकार के फण्ड अर्थात इन्हें इक्विटी फण्ड भी कहा जाता है । इस श्रेणी में उन म्यूचुअल फण्डों को शामिल किया जाता है जो अपने पोर्टफोलियो में अधिक से अधिक ग्रोथ शेयर अर्थात ब्लूचिप्स कम्पनियों के शेयर रखते हैं । यह शेयर लम्बी अवधि में भारी पूंजी वृद्धि का लाभ देते हैं । चूंकि यह निवेश सीधे शेयर बाजार से जुड़े होते हैं ।

अतः शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से पूरी तरह से प्रभावित होते हैं । इस निवेश में सबसे अधिक जोखिम होता है । इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार को आक्रामक पोर्टफोलियो में रुचि रखने वाले निवेशक अधिक पसन्द करते हैं ।

4. इनकम फण्ड (Income Fund)

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी में उन म्यूचुअल फण्डों को शामिल किया जाता है जो ऐसी प्रतिभूतियों में धन निवेशित करते हैं जहां से निवेशकों को नियमित रूप से आय प्राप्त होती रहे । चूंकि इन फण्डों में जोखिम कम होती है । अतः ग्रोथ फण्ड की तुलना में कमाई भी कम होती है । इन फण्डों का निवेश सामान्यतः सरकारी प्रतिभूतियों या बाण्डों में होता है । जो लोग अपेक्षाकृत कम जोखिम उठाना चाहते हैं वह लोग इन म्यूचुअल फण्डों में निवेश करते हैं ।

5. बैलेन्सड फण्ड (Balanced Fund):

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्ड अपने निवेश को इस प्रकार से सन्तुलित करते हैं ताकि निवेश का कुछ हिस्सा पूँजी वृद्धि करता रहे और कुछ हिस्सा नियमित रूप से आय कमाये और ओवरआल जोखिम कम हो जाए । यह फण्ड अपने निवेश का लगभग 60% तक हिस्सा इक्विटी शेयरों में तथा शेष 40% हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों और बाण्डों में निवेशित करते हैं । इन म्यूचुअल फण्डों को निवेशकों का एक बड़ा वर्ग पसन्द करता है क्योंकि सभी की इच्छा होती है कि कुछ आय भी प्राप्त हो और कुछ पूँजी वृद्धि भी हो ।

6. मनीमार्केट फण्ड (Money Market Fund)

इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में आने वाले म्यूचुअल फण्ड अपना निवेश उन साधनों में या प्रतिभूतियों में करते हैं जहां से नियमित व पूर्व निर्धारित आय प्राप्त होती है । यह फण्ड उन निवेशकों को लाभ पहुँचाने का काम करते हैं । जो अपना पैसा थोड़े समय के लिये निवेशित करते हैं । और नियमित आय चाहते हैं । इन फण्डों में जोखिम की मात्रा बहुत कम होती है । इनमें ट्रेजरी बिल, सर्टीफिकेट आफ डिपाजिट, कामर्शियल पेपर आदि को शामिल किया जाता है ।

7. इण्डेक्स फण्ड (Index Fund):

इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में फण्ड मैनेजरों द्वारा निवेश के लिये अलग से कोई रणनीति नहीं बनायी जाती वरन इण्डेक्स अर्थात BSE Sensex में शामिल 30 अग्रणी कम्पनियों तथा Nifty में शामिल 50 कम्पनियों के शेयरों में ही निवेशित किया जाता है ताकि उनका निवेश बाजार के साथ-साथ चले । यह निवेश शेयर बाजार के क्रिया कलापों से प्रभावित होते हैं ।

चूंकि इस फण्ड में निवेश के लिये कुल 80 कम्पनियों के शेयर ही उपलब्ध हो पाते हैं । अतः कुछ निवेशक इस निवेश को संकुचित कह कर दूर रहते हैं । इसलिये इसमें जोखिम रहता है ।

8. म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में अगला गिल्ट फण्ड (Gilt Fund)

इस श्रेणी में आने वाले म्यूचुअल फण्ड अपना धन केवल केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों एवं रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत प्रतिभूतियों में ही निवेशित करते हैं । इन प्रतिभूतियों से बहुत कम आय प्राप्त होती है और जोखिम की मात्रा भी लगभग शून्य होती हैं । निवेशकों को यह लाभ होता है कि वे जब चाहें अपने निवेश को नकदी में बदल सकते हैं । इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार के फण्डों से प्राप्त आय सामान्यतः कर मुक्त होती है ।

9. सेक्टर फण्ड (Sector Fund):

इन म्यूचुअल फण्डों की धनराशि भी शेयर बाजार के माध्यम से इक्विटी शेयरों में निवेशित की जाती है, लेकिन फण्ड मैनेजर की विनियोग नीति यह होती है कि वे किसी सेक्टर विशेष के शेयरों में निवेश करते हैं । जैसे पावर सैक्टर, मेटल सैक्टर, रियल इस्टेट सैक्टर आदि । इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में फण्ड मैनेजरों द्वारा ऐसे सैक्टरों का चयन किया जाता है जिनमें ग्रोथ की ज्यादा सम्भावना होती है ।

इस निवेश में विविधता का भी लाभ मिल जाता है । इन्हें स्पेशियलिटी फण्ड, थीमेटिक फण्ड आदि नामों से भी जाना जाता है । इन फण्डों में निवेश का क्षेत्र चूंकि सीमित हो जाता है अतः निवेशक इन फण्डों से बचते रहते हैं । वैसे भी यह फण्ड अधिक जोखिम, अधिक लाभ की श्रेणी के फण्ड माने जाते हैं ।

10. लिक्विड फण्ड (Liquid Fund):

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में यह फण्ड उन निवेशकों के लिए बनाये जाते हैं । जो अपनी बचत का पैसा कुछ महीनों के लिये ऐसे फण्ड में निवेश करना चाहते हैं जहां बैंक की अपेक्षा ज्यादा ब्याज या आय मिले तथा निवेश की पूर्ण तरलता भी बनी रहे ।

इन फण्डों की धनराशि को डेब्ट इन्सट्मेन्ट जैसे कालमनी, ट्रेजरी बिल, गिल्ट प्रतिभूतियों आदि में निवेशित किया जाता है । इस श्रेणी के निवेशक अपना धन अधिकतम 3 माह तक के लिये निवेशित करते हैं । व्यापारी वर्ग इन फण्डों को पसन्द करता है । क्योंकि वे अपनी फलतू बचत को एक प्रकार से पार्किंग में डाल देते हैं ।

11. शार्ट टर्म फण्ड (Short Term Fund) :

जो निवेशक अपना धन 3 माह से 1 वर्ष की अवधि के बीच के समय के लिए निवेशित करना चाहते हैं उनके लिये शार्ट टर्म फण्ड बेहतर विकल्प होते हैं । फण्ड मैनेजर अपना निवेश निवेशकों की निवेश अवधि के अनुरूप ही डेब्ट इन्स्ट्रमेन्ट में करते हैं जिनमें ट्रेजरी बिल, काल मनी और गिल्ट या बाण्ड अधिक होते हैं । इन फण्डों में जोखिम नहीं के बराबर होता है ।

12. लार्ज कैप इक्विटी फण्ड (Large Cap Equity Fund):

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्डों द्वारा अपने निवेश का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा शेयर बाजार में सूचीबद्ध लार्ज कैप वाली कम्पनियों के शेयरों में किया जाता है । शेष हिस्सा अन्य विकल्पों में निवेशित किया जाता है । यह ग्रोथ फण्ड की तरह ही ज्यादा कमाई वाले फण्ड एवं ज्यादा जोखिम वाले होते हैं । यह फण्ड इक्विटी म्यूचुअल फण्ड की श्रेणी के होते हैं ।

13. मिड कैप इक्विटी फण्ड (Mid Cap Equity Fund) :

इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्डों द्वारा अपने निवेश का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा शेयर बाजार में सूचीबद्ध मिड कैप कम्पनियों के शेयरों में किया जाता है । इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में फण्ड मैनजरों के लिए इस निवेश हेतु कोई विशेष रणनीति नहीं बनानी पड़ती है । यह फण्ड भी इक्विटी म्युचअल फण्ड श्रेणी के होते हैं ।

14. फलैक्सी फण्ड (Flexy Fund) :

इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्ड अपनी विनियोग नीति के अनुरूप लार्ज, मिड या स्माल कैप के किसी भी प्रकार के शयेरों से निवेश कर सकते हैं । लचीला पन इन फण्डों की विशेषता होती है । यदि इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में निवेश का निर्णय फण्ड मैनेजरों द्वारा बीच में लिया जाता है तो इन्हें फलैक्सी फण्ड कहा जाता है लेकिन यदि स्कीम लान्च करते समय ही बता दिया जाता है, कि म्यूचुअल फण्ड की कितनी धनराशि लार्ज कैप में, कितनी मिड कैप में या कितनी स्माल कैप में निवेशित की जाएगी तो इसे मल्टी कैप फण्ड के नाम से जाना जाता है ।

15. टैक्स बचत फण्ड (Tax Benefits Fund):

इस श्रेणी में उन म्यूचुअल फण्डों को शामिल किया जाता है जिनके क्रय पर निवेशक को आयकर में छूट मिलती है । इस म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में फण्ड सामान्यतः वित्तीय वर्ष के समापन के कुछ समय पूर्व अपनी स्कीमें लान्च करते हैं । इन्हें इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम भी कहा जाता है । इन योजनाओं से निवेशकों को आयकर में छूट के साथ-साथ आय, पूँजी वृद्धि आदि अर्थात शेयर बाजार से जुड़े सभी लाभ मिलते हैं ।

16. क्षेत्रीय म्यूचुअल फण्ड (Regional Mutual Fund):

इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्ड अपने आप को किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित रखते हैं और उसी क्षेत्र विशेष की प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं । जैसे केवल चाय उद्योग में या केरल राज्य के मसाले के उद्योग में आदि । वैसे इनकी संख्या बहुत कम होती है ।

17. अन्तर्राष्ट्रीय म्यूचुअल फण्ड (International Mutual Fund)

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी के म्यूचुअल फण्ड घरेलू प्रतिभूतियों में निवेश न करके पूरे विश्व में निवेश की नीति अपनाते हैं । इन फण्डों में जोखिम अधिक रहता है । क्योंकि विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश विदेशी मुद्रा की परिवर्तन की दर, विदेशी नियम व कानून तथा विदेशी विनियोग नीति से प्रभावित होते हैं ।

18. लोड फण्ड (Load Fund):

भारत में लोड फण्ड और नो लोड फण्ड दोनों प्रकार के फण्ड पाये जाते हैं । Load Fund वे होते हैं जो यूनिट क्रय के समय या निवेश वापस लेते समय फीस वसूल करते हैं । जबकि No Load Fund क्रय या विक्रय या रिडम्पसन के समय कोई शुल्क नहीं लेते हैं ।

19. फण्डों का फण्ड (Fund of Fund)

म्यूचुअल फण्ड के प्रकार में इस श्रेणी में उन म्युचूअल फण्डों को शामिल किया जाता है जो सीधे शेयर बाजार में निवेश न करके अन्य फण्डों के पोर्टफोलियो में निवेश किये जाते हैं । इस प्रकार के फण्डों को निवेशक अच्छी नजर से नहीं देखते हैं ।

उपर्युक्त वार्तालाप से से स्पष्ट है कि निवेशकों की सुविधा के लिये बेहतर विकल्पों के रूप में म्यूचुअल फण्ड के प्रकार भिन्न भिन्न स्कीमों के रूप में उपलब्ध हैं । इसलिए निवेशक अपनी रुचि, निवेश की राशि, जोखिम सहन करने की क्षमता के अनुरूप निवेश के लिये मनपसन्द म्यूचुअल फण्ड का चुनाव कर सकते हैं ।

यद्यपि उपरोक्त में हम जिन भी म्यूचुअल फण्ड के प्रकार के बारे में वार्तलाप कर चुके हैं यह सभी प्रकार भारत में प्रचलन में नहीं हैं लेकिन इनमे से अधिकतर म्यूचुअल फण्ड जैसे क्लोज एंडेड, ओपन एंडेड, लार्ज कैप, मिड कैप, इक्विटी, बैलेंस्ड, ग्रोथ, इंडेक्स इत्यादि फण्ड प्रचलन में हैं |

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