भारत में आर्किटेक्ट कैसे बनें। How to Become an Architect in India.

आपने जब कहीं पर किसी खूबसूरत बिल्डिंग या भवन को देखा होगा तो अनायास ही आपके मुहँ से वाह किस Architect ने इसका डिजाईन तैयार किया होगा इत्यादि निकला होगा । जी हाँ दोस्तो वास्तुकारों का जिक्र इतिहास में भी पहले से रहा है, क्योंकि आज भी अनेक ऐतिहासिक ईमारत दुनिया में पर्यटकों को लुभाने का केंद्र रही हैं। वर्तमान में भी Architect की भूमिका बिलकुल भी कम नहीं हुई है बल्कि आधुनिक जीवनशैली में इनका महत्व बढ़ा ही है।

इसलिए आज इस प्रकार का यह कार्य भी उद्यमियों या नौकरीपेशा लोगों की कमाई का स्रोत बना हुआ है। यही कारण है की आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से Architect कैसे बनें? नामक विषय पर विस्तृत तौर पर वार्तालाप करने वाले हैं। कहने का आशय यह है की इस लेख की रचना हम ऐसे लोगों के लिए कर रहे हैं जो आर्किटेक्ट बनकर खुद की कमाई करना चाहते हैं ।  इससे पहले की हम इस विषय पर विस्तृत तौर पर वार्तालाप करें आइये जानते हैं की आर्किटेक्ट होता क्या है ।

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आर्किटेक्ट क्या है (What is Architect in Hindi):  

Architect को हिंदी में वास्तुकार कहा जाता है, इनका काम प्लान करना, डिजाईन बनाना एवं इमारतों इत्यादि के निर्माण की समीक्षा करना होता है। एक अभ्यासरत वास्तुकार से आशय ऐसे व्यक्ति से लगाया जाता है जो किसी ईमारत इत्यादि के लिए डिजाईन सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान करता है। साधारण शब्दों में एक Architect वह व्यक्ति होता है जिसे डिजाईन से बेहद प्यार होता है और वह विशेष रूप से इमारतों के निर्माण की योजना एवं डिजाईन बना रहा होता है।

आर्किटेक्चर को एक कला भी कहा जा सकता है जिसका उपयोग किसी स्थान को डिजाईन करने के लिए विज्ञान के साथ किया जाता है। आम तौर पर एक वास्तुकार की आवश्यकता हर प्रकार की ईमारत चाहे वह घर हो, कॉलेज हो, अस्पताल हो या कुछ अन्य के निर्माण से पहले डिजाईन तैयार करने के लिए पड़ती है। इसलिए एक वास्तुकार रचनात्मक विचारों एवं दृष्टीकोण का धनी होता है।

आर्किटेक्ट करते क्या हैं ? 

Architect अर्थात वास्तुकार न केवल ईमारतों के डिजाईन के काम में संलिप्त रहते हैं बल्कि इस काम के अलावा एक लाइसेंसधारी आर्किटेक्ट का काम परियोजनाओं की देखरेख एवं सार्वजनिक सुरक्षा का भी होता है। कहने का अभिप्राय यह है की वास्तुकार द्वारा जो भी नक्शा या डिजाईन किसी ईमारत या अन्य साईट का बनाया जा रहा हो, उसमें सार्वजनिक सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाना अनिवार्य है।

एक वास्तुकार की भूमिका ईमारत निर्माण के हर चरण में उदघाटन से लेकर जब तक बिल्डिंग तैयार नहीं हो जाती होती ही होती है । बिल्डिंग का निर्माण पूरा होने के बाद भी Architect की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि इमारतों में नए परिवेश एवं विचारों को शामिल करने की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसलिए एक वास्तुकार के काम के पहलुओं को प्रमुख रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।

1. डिजाईन:

एक वास्तुकार की पहली भूमिका किसी ईमारत या साईट की डिजाईन करने का होता है इसमें ऐसे बिल्डर जो बिल्डिंग का निर्माण अपनी सोच के मुताबिक करना चाहते हैं डिजाईन बनाने के लिए एक Architect को नियुक्त करते हैं।

इसमें वास्तुकार का काम अपने क्लाइंट के कहे मुताबिक ईमारत या साईट का नक्शा या डिजाईन बनाने का होता है। यह काम करने के लिए वास्तुकार को रचनात्मक डिजाईन के अलावा  तकनिकी ज्ञान इत्यादि की भी आवश्यकता होती है। वास्तुकार को डिजाईन सुरक्षा नियमों, स्थानीय नियोजन नियमों एवं प्रतिबंधों का अनुपालन करते हुए बनाने की आवश्यकता होती है।

2. दस्तावेज तैयार करना:

एक Architect की भूमिका का दूसरा चरण फाइनल डिजाईन को दस्तावेज का रूप देने का होता है अर्थात इस चरण में वास्तुकार को ग्राहक द्वारा बताये गए डिजाईन को पेपर में उतारना होता है। डिजाईन की व्यवहार्यता अर्थात वास्तविकता का परीक्षण करने के लिए विस्तृत चित्रों की उत्पति करनी होगी इसके लिए वास्तुकार CAD जैसी तकनीक का भी उपयोग कर सकता है।

इस चरण में वास्तुकार को ग्राहक की आवश्यकता, बजट, नियमों के मुताबिक दस्तावेज में संसोधन करने की आवश्यकता हो सकती है । जब एक बार डिजाईन के सभी दस्तावेज पूरे कर लिए जाते हैं तो इन्हीं दस्तावेजों का एक दूसरा सेट भी तैयार करने की आवश्यकता हो सकती है।    

3. निर्माण भूमिकाएं (Construction Roles):

इस चरण में निर्माण दस्तावेजों को तैयार करना होता है इसमें डिजाईन को ठेकेदारों एवं निर्माण विशेषज्ञों के लिए निर्देशों एवं तकनिकी विनिर्देशों के रूप में रूपांतरित किया जाता है ताकि वे इनका अनुसरण करके ही भवन या साईट का निर्माण कर सकें। इसके बाद जब परियोजना निर्माण चरण पर पहुँच जाती है तो एक Architect का काम साईट के दौरे एवं बैठकों में शामिल होना, निर्माण की निगरानी करना, हस्ताक्षर करना, ठेकेदारों के साथ बातचीत करना और उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या का समाधान करने का होता है।

आर्किटेक्ट बनने के लिए कोर्स एवं पात्रता:

Architect बनने के इच्छुक विद्यार्थी को B. Arch Course करना होता है जो की पांच साल का एक अंडरग्रेजुएट कोर्स है । इस कोर्स को विद्यार्थी 10+2 के बाद ज्वाइन कर सकता है लेकिन इसके लिए विद्यार्थी का बारहवीं की परीक्षा विज्ञान संकाय यानिकी विज्ञान एवं गणित विषय के साथ कम से कम 50% अंकों के साथ पास होना बेहद आवश्यक है । हालांकि कुछ पात्रता नियम कॉलेज के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं।

इसके अलावा इस कोर्स में एडमिशन NATA Entrance Test के माध्यम से होता है। B. Arch नामक यह कोर्स एक आर्किटेक्चरल डिग्री कोर्स है। जिसमें बिल्डिंग के डिजाईन मॉडल, निर्माण का ब्लूप्रिंट तैयार करना और किसी भी भवन या जमीन के भौतिक ढाँचे का प्रारूप तैयार करना सिखाया जाता है। यही कारण है की वर्तमान में शौपिंग मॉलों के बढ़ते निर्माण, फ्लाईओवर के निर्माण, व्यवसायिक काम्प्लेक्स के निर्माण के चलते Architect की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है।

भारत में आर्किटेक्ट कैसे बनें (How to Become an Architect in India):

वास्तुकारिता भारत में ही नहीं अपितु दुनियाँ में कमाई की दृष्टी से एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बन गया है इसलिए अक्सर लोग यही जानने की कोशिश करते हैं की कैसे वे स्वयं या फिर अपने बच्चों को Architect बनकर कमाई करने की ओर अग्रसित कर सकते हैं। इसलिए इस लेख में हम नीचे कैसे कोई विद्यार्थी भारत में आर्किटेक्ट बन सकता है के बारे में विस्तृत एवं क्रमशः बात करेंगे।

1. बारहवीं साइंस (PCM) विषयों के साथ पास करें:

Architect बनने के इच्छुक विद्यार्थी को पढाई में ध्यान पहले से लगाना होगा, लेकिन इंटरमीडिएट में उसे विज्ञान एवं गणित जैसे विषयों में विशेष ध्यान देना होगा। हालांकि शैक्षणिक पात्रता के तौर पर कॉलेज बारहवीं कुछ निश्चित प्रतिशत के साथ मांगते हैं। लेकिन यदि विद्यार्थी के इंटरमीडिएट में विज्ञान एवं गणित विषय हों तो उसे आगे की पढाई में काफी आसानी होगी ।

पात्रता नियम समय के अनुसार बदलते रहते हैं लेकिन वर्तमान नियमों के मुताबिक ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने बारहवीं की परीक्षा कम से कम 50% अंकों के साथ पास की हो और उनका विषय फिजिक्स,केमिस्ट्री एवं मैथ रहा हो वे B.Arch हेतु NATA Test जैसे एंट्रेंस एग्जाम दे सकते हैं । इसलिए विद्यार्थी को इंटरमीडिएट में PCM विषयों के साथ अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।

2. एंट्रेंस एग्जाम दें और क्लियर करें:  

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की B.Arch में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता हो सकती है यह एग्जाम कॉलेज या संस्थान द्वारा भी आयोजित कराया जा सकता है।

लेकिन आम तौर पर बड़े बड़े आर्किटेक्चर कॉलेज NATA Test  जिसका फुल फॉर्म National Aptitude Test in Architecture होता है एवं JEE test के माध्यम से एडमिशन कराते हैं, इसलिए Architect बनने की चाह रखने वाले विद्यार्थी को बारहवीं के बाद NATA एवं JEE जैसे एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने की आवश्यकता हो सकती है। आम तौर पर NATA Application Form जनवरी से मार्च महीनों में भरे जाते हैं और परीक्षाएं अप्रैल महीने में आयोजित की जाती हैं तथा रिजल्ट जून के महीने में आता है।

3. कॉलेज में एडमिशन लें:

ध्यान रहे प्रख्यात संस्थान अपने कॉलेज में एडमिशन मेरिट के आधार पर कराते हैं इसलिए Architect बनने की चाह रखने वाले विद्यार्थी को एंट्रेंस एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन करना होगा ताकि इस क्षेत्र से जुड़ा कोई भी प्रख्यात कॉलेज एडमिशन देने से मना न करे। ध्यान रहे विद्यार्थी अपने मनमुताबिक कॉलेज का चयन तभी कर पायेगा जब वह एंट्रेंस एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन करेगा अन्यथा जिस कॉलेज में उसे एडमिशन मिलेगा उसे उसी कॉलेज से B. Arch की पढाई करनी होगी।

4. B.Arch का कोर्स पूरा करें

जैसा की अब तक हम सबको विदित हो गया है की Architect बनने के लिए B.Arch नामक कोर्स पूरा करना होता है यह कोर्स पाँच सालों का होता है। कहने का आशय यह है की इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए पांच अकेडमिक वर्षों का निर्धारण किया गया है। इसलिए विद्यार्थी को B.Arch की डिग्री प्राप्त करने के लिए हर साल के अंत में होने वाली मुख्य परीक्षा को पास करना अनिवार्य होता है । इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले विद्यार्थी को B.Arch की  डिग्री से नवाजा जाता है।

5. अपने को काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर के साथ रजिस्टर करें

अब चूँकि Architect बनने वाले विद्यार्थी के पास आर्किटेक्ट की डिग्री आ गई है इसलिए अब यह वह समय है जब उसको अपने आपको काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर (COA) के साथ रजिस्टर करना होगा। भारत में एक पेशेवर वास्तुकार बनने के लिए काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर के साथ रजिस्टर होना अनिवार्य है ।

व्यक्ति यह काम COA की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन भी कर सकता है इसके अलावा रजिस्टर करने वाले व्यक्ति को कुछ शुल्कों का भी भुगतान करना होता है। जिनका जिक्र काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर की अधिकारिक वेबसाइट पर किया गया है। 

उपरोक्त कदम उठाने के बाद विद्यार्थी भारत में एक पेशेवर एवं पंजीकृत Architect बन जाता है
। फिर वह चाहे तो खुद का बिज़नेस करके या फिर किसी कंपनी में नौकरी करके खुद की कमाई कर सकता है।

भारत में आर्किटेक्ट के लिए कमाई के अवसर:

भारत में  Architect बनने के बाद कमाई के बहुत सारे अवसर विद्यमान हैं इसमें व्यक्ति चाहे तो खुद का बिज़नेस स्थापित कर सकता है। और प्राइवेट प्रैक्टिस के जरिए लोगों को अपनी सेवाएँ ऑफर कर सकता है । इसके अलावा एक वास्तुकार चाहे तो बड़े बड़े कॉर्पोरेट हाउस के लिए एक कंसलटेंट के तौर पर भी कार्य करके अपनी कमाई कर सकता है।

एक वास्तुकार चाहे तो वह केवल व्यापारिक प्रतिष्ठानों, घरों इत्यादि के डिजाईन एवं निर्माण का कार्य ही नहीं कर सकता बल्कि वह प्रदर्शनियों, खेल आयोजनों, भू दृश्यों इत्यादि को भी डिजाईन कर सकता है । वह अलग से लाइटिंग सिस्टम बना सकता है और कभी कभी थिएटर एवं संग्रहालय इत्यादि का भी डिजाईन कर सकता है।

यदि Architect के पास शुरू में इतना पैसा नहीं है की वह खुद का कार्यालय बनाकर बिज़नेस स्थापित कर सके तो वह फ्रीलांसर के तौर पर कार्य कर सकता है। इसके लिए वह किसी होटल किसी कॉर्पोरेट हाउस में डिजाईन विभाग में आर्किटेक्ट के पद पर नियुक्त हो सकता है। इसके अलावा वह सरकारी डिजाईन एजेंसी एवं निजी डिजाईन एजेंसीयों में भी नौकरी के लिए कोशिश कर सकता है ।   

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