आर्किटेक्ट फर्म कैसे शुरू करें? How to Start an Architectural Firm in India.

Architectural firm यानिकी एक ऐसी फर्म या कंपनी जो अपने ग्राहकों को वास्तुकला से सम्बंधित सेवाएँ प्रदान करती हों। कहने का अभिप्राय यह है की वास्तुकला का इस्तेमाल बिल्डिंग, घरों, पुल, सड़क एवं अन्य भौतिक संरचनाओं के डिजाईन एवं निर्माण के लिए किया जाता है। एक आर्किटेक्ट की मदद लेकर किसी कम जगह में अधिक से अधिक संसाधनों को स्थापित किया जा सकता है और वह भी सुविधाओं से बिना किसी समझौते के। वैसे इस तरह के पेशे की यदि हम बात करें तो यह तकनिकी, सामाजिक, पर्यावरण, सौन्दर्य एवं कार्यात्मक डोमेन पर निर्भर है ।

और भारत जैसे जनाधिक्य वाले देश में जनसँख्या की बढ़ोत्तरी के कारण प्रति वर्ष करोड़ों लोगों को आवास, रोजगार एवं अन्य बुनियादी साधनों की आवश्यकता होती है, जिनके निर्माण में Architectural firm का अहम् योगदान होता है। इसलिए इस तरह का यह व्यापार भारत में लगातार तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है। और एक विश्वसनीय आंकड़े के मुताबिक भारत जैसे विशालकाय देश में प्रति वर्ष जितने आर्किटेक्ट की आवश्यकता होती है उतने आर्किटेक्ट यहाँ पैदा नहीं हो पाते हैं।

इसलिए इस तरह का यह व्यापार एक ऐसा व्यापार है जिसकी मांग अधिक है और बाजार में उस आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए आर्किटेक्ट कम हैं। इसलिए यहाँ पर इस तरह का यह व्यापार शुरू करना लाभकारी हो सकता है। लेकिन यहाँ पर लोगों को इस जानकारी का अभाव है की वे खुद का इस तरह का व्यापार कैसे शुरू कर सकते हैं? और इसके लिए उन्हें क्या क्या कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है।

हालांकि ऐसे लोग जो पहले से किसी नौकरी में शामिल हों उनके लिए स्वतंत्र रूप से काम करने का सपना कम डरावना नहीं हो सकता, क्योंकि उन पर अनेकों पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों को पूर्ण करने की जिम्मेदारी टिकी होती है। लेकिन सच्चाई यह भी है की यदि आप स्वयं एक आर्किटेक्ट हैं, तो आपको पता होना चाहिए की किसी अन्य के अधीन काम करके कोई भी वास्तुकलाकार प्रसिद्द नहीं हुआ है। इन्हीं सब कारणों के चलते आज हम इस लेख में कोई इच्छुक व्यक्ति स्वयं की Architectural firm कैसे शुरू कर सकता है विषय पर विस्तृत जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे हैं।

Architectural firm kaise shuru kare

आर्किटेक्ट फर्म क्या है (What is an Architectural firm in Hindi):

एक ऐसी कंपनी जो एक या एक से अधिक लाइसेंसी आर्किटेक्ट को रोजगारित या नियुक्त करके उन्हें वास्तुकला से समबन्धित सेवाएँ प्रदान करती हैArchitectural firm कहलाती है। कहने का आशय एक ऐसी कंपनी जो लोगों को वास्तुकला से सम्बंधित सेवाएँ मुहैया कराती हो, उसे आर्किटेक्चर फर्म कहा जा सकता है। इस तरह के व्यापार में उद्यमी अपने ग्राहकों को बिल्डिंग डिजाईन, बिल्डिंग की स्थिति की रिपोर्ट, व्यवहारिक रिपोर्ट, स्पेस प्लानिंग, साईट प्लानिंग, परमिटिंग इत्यादि सर्विसेज प्रदान कर रहा होता है, हालांकि यह भी सब इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी द्वारा किस प्रकार की Architectural firm का संचालन किया जा रहा है।

जैसे मनुष्य का शरीर अनेक अवयवों से मिलकर बना होता है और अलग अलग अवयवों को ठीक करने के लिए अलग अलग विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं। ठीक उसी प्रकार एक बिल्डिंग यानिकी ईमारत के भी अलग अलग हिस्से होते हैं इसलिए अलग अलग आर्किटेक्ट को अलग अलग हिस्सों की वास्तुकला में विशेषज्ञता प्राप्त होती है। जैसे इंटीरियर डिजाइनिंग, लैंडस्केप डिजाइनिंग इत्यादि इसी के उदाहरण हैं।

आर्किटेक्चरल फर्म कैसे शुरू करें (How to Start an Architectural Firm In India):      

हालांकि बहुत सारे लोगों के मन में यह भी प्रश्न उठता होगा की क्या भारत में खुद की Architectural Firm बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी का आर्किटेक्ट होना जरुरी है। या फिर कोई सामान्य व्यक्ति भी इस तरह के व्यापार को शुरू कर सकता है । तो यहाँ पर हम स्पष्ट कर देना चाहेंगे की वैसे देखा जाय तो इस तरह के बिजनेस को हर वह व्यक्ति शुरू कर सकता है जिसमें इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत को वहन करने की क्षमता विद्यमान हो।

लेकिन हमारी राय में इस तरह का यह व्यापार केवल उन्हीं व्यक्तियों को शुरू करना चाहिए जो या तो स्वयं आर्किटेक्ट हों, या फिर उन्हें इसकी बेहतरीन जानकारी प्राप्त हो। क्योंकि जो नॉन आर्किटेक्ट व्यक्ति इस तरह के व्यापार को शुरू करेगा उसे एक या फिर एक से अधिक लाइसेंसधारी आर्किटेक्ट को नियुक्त करना अति आवश्यक होगा जिसके लिए उद्यमी को उन्हें मोटी सैलरी ऑफर करनी पड़ सकती है। तो आइये जानते हैं की कैसे कोई व्यक्ति खुद की Architectural Firm शुरू कर सकता है।

1. फर्म के प्रकार का चयन करें

खुद की Architectural Firm शुरू करने के लिए उद्यमी का सबसे पहला कदम इस बात का पता करने का होना चाहिए की उसकी फर्म किस श्रेणी की सर्विस अपने ग्राहकों को देगी। ताकि वह अपने फर्म के प्रकार का चयन कर सके । कहने का आशय यह है की एक उद्यमी के रूप में व्यापार शुरू करने वाले व्यक्ति को उसकी कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता होती है। उद्यमी द्वारा शुरू की गई फर्म एक इंटीरियर डिजाइनिंग फर्म, लैंडस्केप डिजाईन फर्म, कंजर्वेशन फर्म, अर्बन डिजाईन फर्म इत्यादि कुछ भी हो सकती है।

यह निर्णय लेने से उद्यमी के ईधर उधर भटकने की संभावना नहीं होती और वह अपने डोमेन में विशिष्टता हासिल कर सकता है। इसके अलावा उद्यमी को इस बात का निर्णय भी लेना होगा की शुरूआती दौर में उसके व्यापार का आकार क्या होगा? अर्थात वह अपने व्यापार को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप फर्म या फिर प्रोप्राइटरशिप फर्म के तौर पर रजिस्टर करता है या फिर क्या? वैसे शुरूआती स्तर पर उद्यमी को अपने बिजनेस का आकार छोटा ही रखना चाहिए और वह चाहे तो अपने Architectural Firm कोप्रोप्राइटरशिप फर्म के तौर पर रजिस्टर करा सकता है।

2. आर्किटेक्ट के तौर पर खुद को पंजीकृत करें

यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं की आर्किटेक्ट के तौर पर काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर में खुद को केवल वही व्यक्ति रजिस्टर कर सकता है जिसने आर्किटेक्ट की पढाई की हो। यानिकी आर्किटेक्ट में स्नातक की डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद B. Arch पूर्ण कर लेने के बाद व्यक्ति काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर में रजिस्टर होने के लिए आवेदन कर सकता है। यह रजिस्ट्रेशन आर्किटेक्ट को आर्किटेक्चर प्रैक्टिस करने की इजाजत देता है।

आवेदन की भली भांति जाँच के बाद आर्किटेक्ट को काउंसिल द्वारा पंजीकरण का एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है जिसे समय समय पर नवीनीकरण की आवश्यकता पड़ती है। यदि आप आर्किटेक्ट बनने के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो आप यह लेख पढ़ सकते हैं। यदि व्यक्ति आर्किटेक्ट न हो और उसकी आर्किटेक्ट बनने की कोई संभावना नहीं हो लेकिन उसे इस काम में रूचि हो तो वह एक या एक से अधिक लाइसेंसधारी आर्किटेक्ट की नियुक्ति के माध्यम से भी Architectural Firm का यह व्यापार शुरू कर सकता है।

3. बिजनेस का पंजीकरण कराएँ (Registration of Architectural Firm)

जैसा की हम सब जानते हैं की किसी भी व्यापार को वैधानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए उसे क़ानूनी तौर पर पंजीकृत करने की आवश्यकता होती है। इसलिए उद्यमी को विभिन्न बिजनेस एंटिटी में से किसी एक का चयन करके अपने व्यापार को पंजीकृत कराना होगा। और नियम एवं कानूनों के मुताबिक फर्म का रजिस्ट्रेशन के बाद उद्यमी को अपनी Architectural Firm को भी काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर में पंजीकृत कराने की आवश्यकता होती है।

इन गतिविधयों का सफलतापूर्वक समापन होने के बाद उद्यमी अन्य औपचारिकताओं जैसे व्यापार रणनीति की योजना बनाना, लीगल बैकग्राउंड विकसित करना, टैक्स रजिस्ट्रेशन, बैंक में बिजनेस अकाउंट खोलना, व्यवसाय का बीमा कराना इत्यादि प्रक्रियाएं आसानी से कर सकता है।

4. आर्किटेक्ट कार्यालय स्थापित करना (Office Setup of Architectural Firm)

जहाँ तकArchitectural Firm के कार्यालय स्थापित करने का सवाल है इसे प्रमुख तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया का पहला भाग ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ऑफिस का लेआउट प्लान, गैजेट, संचालित जगह इत्यादि हैं। तो दुसरे भाग में स्टाफ की नियुक्ति एवं उनका काम के आधार पर पद निर्धारण भी है। ध्यान रहे यह एक ऐसा बिजनेस है जिसे घर से शुरू करने पर उद्यमी को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है यूँ कहें की इस तरह की फर्म को घर से शुरू करना संभव नहीं है।

और चूँकि यह इमारतों के निर्माण, डिजाईन इत्यादि से जुड़ा हुआ बिजनेस है इसलिए उद्यमी के ऑफिस का इंफ्रास्ट्रक्चर इसमें बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि उद्यमी के ऑफिस को देखकर उसके क्लाइंट बेहद प्रभावित हो सकते हैं और उसे और अधिक काम मिल सकता है। इसलिए उद्यमी के ऑफिस में सभी कर्मचारियों के लिए उचित वर्कस्टेशन, कांफ्रेंस रूम, पैंट्री, मीटिंग रूम, केबिन इत्यादि उपलब्ध होने चाहिए।

आर्किटेक्ट फर्म के लिए बिजनेस प्लान

एक बिजनेस प्लान की यदि हम बात करें तो इसमें व्यवसाय के भविष्य के लक्ष्यों, उद्देश्यों, लागतें, कमाई इत्यादि सभी का लिखित रूप में संकलन होता है। इसलिए किसी भी व्यापार के सफल संचालन के लिए बिजनेस प्लान बेहद जरुरी होता है। Architectural Firm का बिजनेस प्लान उद्यमी को निम्न बातों में मदद कर सकता है।

  • एक बिजनेस प्लान उद्यमी को उसके व्यवसाय के लिए पूँजी एकत्रित करने में मदद कर सकता है।
  • इसके माध्यम से उद्यमी अपने व्यापार के लिए हानिरहित एवं स्वस्थ निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है।
  • इसका इस्तेमाल उद्यमी अपने फर्म की खामियों एवं कमजोरियों की पहचान करने के लिए एक उपकरण के तौर पर भी कर सकता है।
  • बिजनेस प्लान के माध्यम से ही उद्यमी अन्य हितधारकों को स्पष्ट रूप से उसके लक्ष्यों और विचारों से अवगत करा पाने में सक्षम होता है।

यदि आप भी एक प्रभावी बिजनेस प्लान कैसे बनायें? के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इस लेख को अंत तक पढ़ सकते हैं ।

Architectural Firm शुरू करने में कितना खर्चा आ सकता है?

Architectural Firm शुरू करने में आने वाली लागत उद्यमी के विजन मिशन के आधार पर अलग अलग हो सकती है । कहने का आशय यह है की जो व्यक्ति खुद एक आर्किटेक्ट है और वह यह बिजनेस शुरू करना चाहता है तो वह एक दो ऑफिस असिस्टेंट के साथ भी इस व्यापार को शुरू कर सकता है।

जिससे इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत बेहद कम हो जाती है । इसलिए वास्तविक लागत के आंकड़े देने में काफी कठिनाई हो सकती है यही कारण है की हम यहाँ पर खर्चों की एक लिस्ट पेश कर रहे हैं जिसके आधार पर पाठकगण स्वयं इस बात का अनुमान लगा सकेंगे की भारत में Architectural Firm शुरू करने में लगभग कितना खर्चा हो सकता है।

  • उद्यमी को अपनी फर्म एवं खुद को काउंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर में पंजीकृत शुल्क भरने की आवश्यकता हो सकती है।
  • जहाँ तक ऑफिस के किराये पर लगने वाली लागत है यह स्थान, आकार, सुविधाओं इत्यादि के आधार पर अलग अलग हो सकती है।
  • उद्यमी को अपने व्यापार का रजिस्ट्रेशन एवं टैक्स रजिस्ट्रेशन, बीमा, नेटवर्किंग इत्यादि पर भी खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • उद्यमी को ऑफिस के लिए कंप्यूटर, प्रिंटर, सॉफ्टवेर एवं अन्य उपकरण खरीदने की भी आवश्यकता होती है।
  • इसके अलावा बिजली, पानी, टेलीफ़ोन, कर्मचारियों की सैलरी इत्यादि पर भी खर्च करने की आवश्यकता हो सकती है।        

 उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है की Architectural Firm शुरू करने में आने वाले वास्तविक खर्चे को बताना इसलिए मुश्किल है क्योंकि यह अनेक कारकों पर निर्भर करती है।

आर्किटेक्ट का काम कैसे पायें?

किसी भी व्यवसाय के लिए उसकी सर्विस या उत्पादों को बेचना कमाई करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए ऐसे में सवाल यही उठता है की Architectural Firm शुरू करने वाले उद्यमी को काम कैसे मिलेगा? और वह काम पाने के लिए क्या क्या कदम उठा सकता है? तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही टिप्स के बारे में जो उद्यमी को काम दिलाने में मदद कर सकते हैं।

  • उद्यमी को चाहिए की वह नेटवर्किंग समूह विकसित करे क्योंकि इस बिजनेस में नेटवर्किंग बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • आर्किटेक्ट की यदि हम बात करें तो इन्हें विभिन्न सेमिनार एवं कार्यशालाओं में ग्राहकों एवं विक्रेताओं की मदद करते हुए देखा जा सकता है। इसलिए एक अच्छा वक्ता सेमिनार इत्यादि में अपनी बात रखकर इसका फायदा ले सकता है।
  • उद्यमी को व्यापार मेलों यानिकी ट्रेड शो में शामिल होना चाहिए क्योंकि यहाँ उद्यमी अपने कार्य को प्रदर्शित करके अनेक ग्राहकों को आकर्षित कर सकता है ।
  • प्रायोजित कार्यक्रमों के माध्यम से भी उद्यमी अपने Architectural Firm को प्रमोट कर सकता है।
  • उद्यमी न्यूज़लैटर के माध्यम से भी अपने व्यवसाय को प्रमोट कर सकता है।

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