Cashless Economy क्या है? इसके फायदे एवं नुकसान।

Cashless Economy का अभिप्राय एक ऐसी अर्थव्यवस्था से लगाया जा सकता है जिसमें नकदी का इस्तेमाल नहीं होता है । लेकिन वर्तमान में नकदी विहीन अर्थव्यवस्था से आशय सीधे तौर पर डिजिटल पेमेंट से लगाया जाता है। वह इसलिए क्योंकि यदि हम कोई वस्तु या सामान खरीदते समय नकदी का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो हम उस खरीदारी के अगेंस्ट डिजिटल पेमेंट द्वारा भुगतान करते हैं।

कहने का अभिप्राय यह है की आम तौर पर Cashless Economy का अर्थ ही नकदी से मुक्त अर्थव्यवस्था से लगाया जाता है इस व्यवस्था में लोग कुछ भी खरीदारी इत्यादि के लिए नकदी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। एक नकदी विहीन अर्थव्यवस्था में वित्तीय लेन देन के लिए पैसे का वास्तविक स्वरूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि इसका इस्तेमाल डिजिटल तौर पर किया जाता है जिसे हम महसूस तो कर सकते हैं लेकिन छू नहीं सकते हैं।

यानिकी सिक्कों या नोटों का फिजिकल स्वरूप में इस्तेमाल न करना ही Cashless Economy की पहचान होती है। वर्तमान जीवनशैली में इसके अनेकों फायदे होते हैं जिनका जिक्र हम इस लेख में अवश्य करेंगे। लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं की यह कैशलेस इकॉनमी होती क्या है।

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कैशलेस इकॉनमी क्या है (What Is Cashless Economy in Hindi):

एक Cashless Economy के अंतर्गत सभी प्रकार के वित्तीय लेनदेन बैंक नोटों एवं सिक्कों के बजाय इलेक्ट्रॉनिक रूप से निष्पादित किये जाते हैं। इसके फायदों को देखते हुए दुनियाभर के कई देश पिछले कुछ वर्षों से लगातार Cashless Economy की ओर बढ़ रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक वर्तमान में सबसे अधिक नकदीहीन लेनदेन स्वीडन में होते हैं यहाँ कुल लेनदेन का लगभग 59% लेनदेन कैशलेस होता है। इनमें क्रेडिट, डेबिट एवं मोबाइल बैंकिंग के समाधान शामिल हैं इसलिए कहा जा सकता है की स्वीडन इस बारे में देशों का नेतृत्व कर रहा है।

इसके अलावा कनाडा दूसरा ऐसा देश है जहाँ कुल लेनदेन का लगभग 57% कैशलेस होता है। कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए 2016 में भारत ने लगभग 90% कागज के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इसके अलावा द पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भौतिक नकदी एक दिन पूरी तरह चलन से बाहर हो जाएगी ।

पैसे के इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में इसका लेनदेन डिजिटल जानकारी के हस्तांतरण के माध्यम से किया जाता है। इसमें नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया गया भुगतान, डिजिटल वॉलेट के माध्यम से किया गया भुगतान इत्यादि शामिल है।

भारत में कैशलेस इकॉनमी की स्थिति:

जैसा की हम सबको विदित है की भारत देश विरोधाभासों का एक देश है यहाँ एक तरफ जहाँ लोग तकनीक एवं इन्टरनेट के जानकार हैं। दूसरी तरफ एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी भी है जिन्हें बुनियादी  सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। यहाँ आज भी लोग साइकिल रिक्शा चलाकर आजीविका कमाते हुए देखे जा सकते हैं। भारत में संगठित क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक वर्कफोर्स असंगठित क्षेत्रो से जुड़ी हुई है। यही कारण है की आज भी हमारा देश भारतवर्ष एक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

हालांकि जब से 500 एवं 1000 के नोटों का विमुद्रीकरण हुआ है इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में जबरदस्त इजाफा हुआ है। ओला मनी, पेटीएम जैसे फलते फूलते व्यापार इसी ओर इशारा करते हैं की भारत में Cashless Economy का दायरा पिछले कुछ वर्षों में बहुत ज्यादा बढ़ गया है । इसके अलावा लोगों की ऑनलाइन खरीदारी की बढती आदतों के कारण भी भारत में डिजिटल पेमेंट को काफी प्रोत्साहन मिला है। लेकिन इन सबके बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था को नकदी प्रधान अर्थव्यवस्था ही कहा जा सकता है।

क्योंकि नकदी देकर एवं लेकर सामान खरीदना एवं बेचना इस देश के लोगों की आदतों में शुमार हो गया है। हालांकि सरकार भी देश में Cashless Economy को प्रोत्साहित करने के लिए अनेकों डिस्काउंट योजनायें तक चला रही हैं। लेकिन चूँकि हम पहले भी कह चुके हैं की भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है इसलिए यहाँ पर कोई भी चीज सबके लिए अच्छी एवं बुरी नहीं हो सकती है।

कैशलेस इकॉनमी की ओर क्यों बढ़ना चाहिए (Why Cashless Economy is Important)?:

Cashless Economy को अपने देश में प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया का हर देश प्रयासरत है वह इसलिए क्योंकि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में कैशलेस लेनदेन का महत्वपूर्ण स्थान होता है। कैशलेस इकॉनमी नकद इकॉनमी की तुलना में बेहद कम भ्रष्ट होती हैं और यही कारण है की देश में काला धन कम पैदा होता है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए कैशलेस लेन देन क्यों महत्वपूर्ण है इसके अन्य भी बहुत सारे कारण हैं।

जैसा की हम सबको विदित है की जिन नोटों या सिक्कों का इस्तेमाल हम मुद्रा के तौर पर वित्तीय लेनदेन में करते हैं। भारत में उनको मुद्रित करने की जिम्मेदारी भारतीय रिज़र्व बैंक की है और इन नोटों या सिक्कों को छापने में देश का बहुत अधिक पैसा खर्च होता है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में अभी जितनी भी मुद्रा चलन में है उनकी छपाई में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने लगभग 32.1 बिलियन रूपये खर्च किये हैं।

इसके अलावा Cashless Economy न होने के कारण देश भर में एटीएम इत्यादि लगाने की आवश्यकता होती है जिन्हें लगाने में भी देश का पैसा एवं समय दोनों खर्च होते हैं। कागजी मुद्रा की भी एक लाइफ होती है जिसके बाद इसे नवीनीकृत किया जाना बेहद जरुरी होता है इसमें भी खर्चा होता है। एक आंकड़े के मुताबिक नकद अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कुल जीडीपी का 0.25% हिस्सा खर्च करने की आवश्यकता होती है।

नकद लेनदेन को ट्रैक कर पाना मुश्किल हो जाता है इसलिए यह अनेकों बुराइयाँ जैसे टैक्स चोरी, काला धन इत्यादि को जन्म देता है। और इस धन का इस्तेमाल आंतकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण, चुनावों के लिए अवैध धन, राजनितिक निर्णयों को खरीदने, सट्टेबाजी, तस्करी एवं लोकतंत्र को हाईजैक करने के लिए किया जाता है। इसलिए देश को आगे बढाने में Cashless Economy सहायक हो सकती है ।

कैशलेस इकॉनमी के फायदे (Advantages of Cashless Economy):

  • Cashless Economy का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है की किसी भी व्यक्ति को हर जगह अपने साथ नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होती है । यदि नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी तो उसके चोरी होने की भी संभावना नहीं होगी। इससे नकदी ले जाने में जो असुविधा होती है वह भी नहीं होती है। और जाली मुद्रा इत्यादि खतरे भी नहीं होते हैं।
  • Cashless Economy के माध्यम से काले धन एवं अवैध लेनदेन को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है । जबकि नकदी के लेनदेन को ट्रैक करना आसान नहीं होता है क्योंकि नकदी वाला पैसा बैंकिंग सिस्टम में नहीं आता है। डिजिटल लेनदेन को ट्रैक करना इसलिए आसान है क्योंकि इसके सारे रिकॉर्ड बैंकों के पास होते हैं जिसके परिणामस्वरूप अधिक पारदर्शी लेनदेन होते हैं और देश में भ्रष्टाचार कम होता है।
  • चूँकि Cashless Economy के अंतर्गत सभी लेनदेन संगठित चैनलों के माध्यम से किये जाते हैं जिससे कर चोरी कर पाना असंभव होता है। और परिणामस्वरूप सरकार को अधिक कर राजस्व की प्राप्ति होती है जो देश के विकास के कार्यों को अंजाम देने में इस्तेमाल में लाया जाता है।
  • Cashless Economy में देश नोटों एवं सिक्कों को छापने में आने वाले खर्चे से बच जाता है इसलिए सरकार इस बचे हुए पैसे को विकास कार्यों में खर्च करके देश की जनता के जीवन को बेहतर बना सकती है ।
  • Cashless Economy के तहत हर नागरिक के पास बैंक खाता होना नितांत आवश्यक है इसलिए देश में प्रचलित सभी मुद्रा, बैंकिंग प्रणाली में आ जाती है। जिससे उच्च वित्तीय समावेशी दर को प्रोत्साहन मिलता है ।
  • कैशलेस इकॉनमी में कोई भी व्यक्ति किसी को भी बड़ी तीव्र गति से भुगतान कर सकता है जिससे भुगतान करने एवं रिसीव करने की गतिविधियों में तेजी आती है।

कैशलेस इकॉनमी के नुकसान (Disadvantages of Cashless Economy):

  • हमारा देश भारतवर्ष विविधताओं से परिपूर्ण है इसलिए यहाँ डिजिटल पेमेंट करने का ज्ञान हर किसी को नहीं है और यही कारण है की आज भी Cashless Economy केवल शहरी एवं अर्धशहरी केन्द्रों तक सिमित हैं। इसलिए भारत जैसे विशालकाय देश में कैशलेस इकॉनमी को सम्पूर्ण देश में लागू कर पाना बेहद कठिन है। चूँकि ग्रामीण भारत में आज भी आपको एक बड़ी आबादी अनपढ़ समुदाय की मिल जाएगी जिन्हें Cashless Economy की ओर परिवर्तित करना बेहद कठिन है।
  • Cashless Economy का एक नुकसान यह भी है की अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोगों के लिए डिजिटल लेनदेन करना आसान नहीं होता है। इसलिए जब वे किसी अंजान व्यक्ति से सहायता लेने का प्रयत्न करते हैं तो वे धोखे का शिकार होकर अपनी कमाई खो सकते हैं। कहने का अभिप्राय यह है की डिजिटल भुगतान का आधा ज्ञान रखने वाले लोग साइबर धोखाधड़ी, ऑनलाइन घोटाले, बैंक खातों की हैकिंग इत्यादि के कारण अपनी मेहनत से कमाई हुई गाढ़ी कमाई को खो सकते हैं। इसलिए ऑनलाइन लेनदेन की पूरी जानकारी नहीं होने पर कैशलेस लेनदेन करने की बजाय नकद लेनदेन करना बेहतर होता है।
  • Cashless Economy का एक और अवगुण यह है की क्रेडिट कार्ड, वॉलेट पेमेंट, इन्टरनेट बैंकिंग जैसे भुगतानों के डिजिटल मोड में कुछ लेनदेन शुल्क शामिल हैं। इसलिए लोगों को न चाहते हुए भी इनका भुगतान करना पड़ता है जबकि नकद भुगतान करते समय इस तरह का कोई शुल्क नहीं होता है । यही कारण है की कुछ लोग इन शुल्कों से बचने के लिए भी कैशलेस लेनदेन का उपयोग नहीं करते हैं।

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