दोहरे उपयोग वाली गायों की नस्लें| Dual Purpose Breeds of cow.

Cow अर्थात गाय की Dual Purpose breeds यानिकी दोहरे उपयोग में लायी जाने वाली नस्लों के बारे में बात करना इसलिए बेहद जरुरी हो जाता है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में लोगों की कमाई का मुख्य जरिया कृषि एवं पशुधन होता है | कृषि एवं फार्मिंग की इसी श्रेणी में हमने पिछली पोस्ट में गायों की दुधारू नस्लों के बारे में जानने की कोशिश की थी, उसी क्रम को जारी रखते हुए आज हम गायों की Dual Purpose breeds के बारे में जानने की कोशिश करेंगे |  दोहरे उपयोग में लायी जाने वाली कुछ प्रमुख गायों की नस्ल निम्नवत है |

Dual purpose breeds of cow-in-India

1. Dual Purpose breed Kankrej Cow:

Dual purpose breeds में पहला नंबर Kankrej नामक गाय का है, गाय की Kankrej नामक इस नस्ल को अन्य नामों जैसे Wadad, waged, वगाडिया, तलाब्दा, नगर, बोनई इत्यादि नामों से भी जाना जाता है | माना जाता है की इस नस्ल को Kankrej नामक नाम इसके भगौलिक क्षेत्र गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले में स्थित कांकरेज तालुका के नाम से मिला |

Kankrej Cow  गुजरात के विभिन्न जिलों जैसे मेहसाना, कच्छ, अहमदाबाद, खेडा, साबरकांठा, बनासकांठा एवं राजस्थान के जोधपुर एवं बारमेर जिलों में पायी जाती हैं | ब्राज़ील में इस नस्ल की गाय को Guzerat के नाम से भी जाना जाता है | Kankrej Cow में ज्वर, उष्मागत तनाव प्रतिरोधी क्षमता एवं संक्रामक गर्भपात एवं क्षय रोग बहुत कम होने के कारण यह नस्ल विभिन्न देशों में काफी प्रचलित नस्ल है |

इस नस्ल की गाय/बैलों का रंग सिल्वर ग्रे, आयरन ग्रे एवं स्टील ब्लैक होता है | Dual purpose breeds के इस नस्ल के सांडों का रंग इस नस्ल की गायों एवं बैलों से गहरा होता है | इनका माथा चौड़ा मुख छोटा एवं नाक थोड़ी ऊपर की ओर उभरी होती है इनके कान बड़े एवं सींग वीणा आकार के होते हैं | Kankrej Cow प्रति Lactation औसतन 1738 किलोग्राम तक दूध देने का सामर्थ्य रखती है |

2. Hariana Cow:

Dual purpose breeds में दूसरे नंबर की इस गाय की नस्ल का प्रजनन क्षेत्र हरियाणा राज्य है यही कारण है की इस नस्ल का नाम Hariana पड़ा | यह नस्ल दोहरे उपयोग में लायी जाने वाली गायों की नस्ल में एक प्रमुख नस्ल है | चूँकि इस नस्ल की उत्पति हरियाणा के हिसार एवं हांसी से हुई थी इसलिए इस नस्ल की गायों को पहले Hisar या Hansi भी कहा जाता था | इस नस्ल की गाय हरियाणा के विभिन्न जिलों जैसे हिसार, रोहतक, सोनीपत, जींद, झज्जर एवं गुडगाँव में पाई जाती हैं |

सामान्य तौर पर Hariana Cow का रंग सफ़ेद एवं हल्का भूरा सफ़ेद होता है | इनका मुख पतला एवं लम्बा तथा सींग छोटे होते हैं | इस नस्ल का पालन मुख्य रूप से बैलों का उत्पादन करने के लिए किया जाता है | जैसा की इनके द्वारा उत्पादित बैल शक्तिवान होते हैं जिनसे विभिन्न कार्यों को अंजाम दिया जाता है |

यही कारण है की नर बछड़ों को पालने एवं उनके प्रबंधन में विशेष ध्यान दिया जाता है | यद्यपि Hariana Cow उचित मात्रा में दूध देने का भी सामर्थ्य रखती है यही कारण है की यह एक ऐसी नस्ल है जो Dual Purpose के लिए उपयोग में लायी जाती है | इस नस्ल की अच्छी गाय प्रति Lactation 1700 किलोग्राम तक दूध देने का सामर्थ्य रखती है | यद्यपि एक औसत गाय 1000 किलोग्राम तक प्रति Lactation दूध देती है |

3. Rathi Cow Dual Purpose breed:

Rathi भी राजस्थान के बंजर क्षेत्र में पायी जाने वाली Dual Purposes में उपयोग में लायी जाने वाली गायों की एक महत्वपूर्ण नस्ल है | राजस्थान के इस क्षेत्र में निवासित किसानो की आजीविका चलाने में Rathi नस्ल का अहम् योगदान है | माना जाता है की इस नस्ल का नाम Rathi देहाती जनजाति Raths के नाम से जो राजपूतों की निकासी के बाद उस क्षेत्र में खानाबदोश जिंदगी व्यतीत कर रहे थे के नाम से पड़ा |

इस नस्ल की गायों का प्रजनन क्षेत्र राजस्थान के विभिन्न जिले जैसे बीकानेर, गंगानगर एवं जैसलमेर इत्यादि हैं | सामान्यतया इस नस्ल के पशुओं का रंग भूरा जिनमे सफ़ेद चकते होते हैं | Rathi Cow की दूध देने की क्षमता भी बहुत अच्छी होती है इस नस्ल की एक अच्छी गाय 2810 किलोग्राम प्रति Lactation दूध देने का सामर्थ्य रखती है | जबकि एक औसत गाय प्रति Lactation 1560 किलोग्राम तक दूध दे सकती है |

4. Ongole Cow:

Ongole आन्ध्र प्रदेश राज्य की Dual Purposes अर्थात दूध उत्पादन एवं बोझा ढोने हेतु उपयोग में लायी जाने वाली एक प्रमुख नस्ल है | इस नस्ल का नाम इसकी उत्पति के भौगौलिक क्षेत्र Ongole के नाम पर पड़ा | चूँकि Ongole क्षेत्र पहले नेल्लोर जिले में स्थित था इसलिए इस नस्ल को Nellore भी कहा जाता है | इस प्रजाति की गाय आंध्र प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, ओंगोले, नेल्लोरे एवं कुरनूल इत्यादि में पायी जाती हैं |

गाय की यह नस्ल अपनी मजबूती, बीमारी प्रतिरोधक क्षमता एवं बहुत कम संसाधनों पर पनपने के लिए विख्यात है | इस नस्ल के जानवरों को विभिन्न उपयोग के लिए बाहरी देशों की तरफ निर्यात किया जाता रहा है | इस नस्ल के जानवरों का रंग ग्लॉसी सफ़ेद होता है बैलों एवं सांडों के सिर पर गहरे चिन्ह दिखाई दे सकते हैं | कूबड़, गर्दन, घुटनों इत्यादि में काले धब्बे देखे जा सकते हैं | Ongole Cow के सींग छोटे एवं गठीले एवं गायों के सींग बैलों की तुलना में अधिक पतले होते हैं |

इस नस्ल के पशुओं की पहचान उनकी प्रभावशाली चाल, छोटे एवं गठीले सींग एवं मांसल Dewlap (गले के नीचे लटकता हुआ झालरदार मांस ) से आसानी से की जा सकती है | इस नस्ल की गायों की दूध देने की क्षमता बहुत अच्छी न होकर बहुत कम भी नहीं होती है ये औसतन प्रति Lactation 800 किलोग्राम तक दूध देने का सामर्थ्य रखती हैं |

5. Mewati Cow:

Mewati नस्ल को अन्य नामों जैसे Kosi एवं Mehwati नामों से भी जाना जाता है | इस नस्ल की गायों को dual purpose के उपयोग में लाया जाता है | इस नस्ल के गायों का पालन भारत के विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा के गुडगाँव एवं फरीदाबाद जिले, राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले एवं उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में किया जाता है | Mewti Cow बेहद विनम्र एवं शक्तिशाली होती हैं यही कारण है की इस नस्ल का उपयोग हल जोतने एवं गहरे कुओं से पानी निकालने के लिए भी किया जाता है |

सामान्य तौर पर इस नस्ल के मवेशी गर्दन, कंधे इत्यादि में सफ़ेद रंग के होते हैं और इनके सींग छोटे एवं मध्यम होते हैं लम्बा एवं पतला मुहं बिलकुल सीधा होता है | इस नस्ल की गायों की औसतन प्रति Lactation दूध देने की क्षमता 960 किलोग्राम तक होती है |

6. Dual Purpose Breed Dangi Cow:

Dangi नामक इस नस्ल का पालन गुजरात के डांग जिले एवं महाराष्ट्र के ठाणे, नासिक एवं अहमदनगर जिलों में किया जाता है | इस नस्ल को Kandadi के नाम से भी जाना जाता है | इस प्रजाति के बैलों को बहुतायत तौर पर जोतने एवं अन्य काम में उपयोग किया जाता है | यह नस्ल ऐसे इलाकों जहाँ अत्यधिक बारिश होती है में अच्छे काम करने वाली नस्ल के रूप में जानी जाती है |

कहा जाता है की इस नस्ल के मवेशियों की त्वचा से एक तैलीय स्राव होता है जो इन्हें जबरदस्त बारिश के नुकसान से हमेशा बचाता है | Dangi Cow का सामान्य तौर पर सफ़ेद रंग होता है जिसमे काले या लाल रंग के धब्बे जगह जगह विद्यमान रहते हैं | जहाँ तक इनके सींगो का सवाल है ये छोटे एवं मोटे होते हैं इनका सिर भी छोटा होता है | इस नस्ल की गायों की दूध देने की क्षमता औसतन प्रति Lactation 600 किलोग्राम होता है |

उपर्युक्त Cow Breed के अलावा Dual Purpose हेतु उपयोग में लायी जाने वाली नस्लें Deoni, Nimari इत्यादि हैं |

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