इलेक्ट्रिक स्विच [Electrical Switches] सॉकेट, प्लग बनाने का बिजनेस |

Electrical Switches, Sockets, Plug से अभिप्राय बिजली के सॉकेट, प्लग एवं बटनों से है जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में बिजली की पहुँच देश के कोने कोने तक हो गई है | इसके अलावा बिजली का उपयोग हर व्यवसाय के लगभग हर एक क्षेत्र में किया जाता है क्योंकि बिना बिजली के किसी भी प्रकार के व्यवसाय की कल्पना करना भी व्यर्थ है |

कहने का आशय यह है की चाहे कोई व्यवसायिक संस्थान हो, सार्वजनिक स्थान हो या फिर घर हो वर्तमान में मनुष्य को बिजली की आवश्यकता हर जगह होती है और इसी बिजली को एक स्थान से दुसरे स्थान को स्थानांतरित एवं इस पर नियंत्रण अर्थात काबू पाने के लिए विभिन्न Electrical Switches, Sockets, Plug इत्यादि की आवश्यकता होती है | आज हम अपने इस लेख के माध्यम से बिजली के सॉकेट, प्लग एवं बटनों को बनाने के काम की जानकारी देने की कोशिश करेंगे |

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Electrical Switches सॉकेट, प्लग बनाने का बिजनेस क्या है :

जनसँख्या बढ़ने के साथ साथ घरों का निर्माण होता है, व्यवसायिक संस्थानों का निर्माण होता है, सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्रों में इनके निर्माण की प्रक्रिया साल हर साल चलती रहती है | इन सभी क्रियाओं को करने के दौरान या इनके निर्माण के दौरान और किसी की आवश्यकता होती हो या नहीं होती हो लेकिन बिजली के सॉकेट, प्लग और बटनों की आवश्यकता होती ही होती है |

कहने का आशय यह है की इस दुनियां में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ बिजली का उपयोग न होता हो और जहाँ भी बिजली का उपयोग होता है वही इन Electrical Switches, Sockets, Plug इत्यादि की आवश्यकता होती ही होती है |  मनुष्य की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर जब किसी उद्यमी द्वारा बिजली के बटन, सॉकेट, प्लग इत्यादि बनाने का काम किया जाता है तो उसके द्वारा किया जाने वाला यह बिज़नेस Electrical Switches, Sockets, Plug Making Business कहलाता है |

इलेक्ट्रिक स्विच, प्लग, सॉकेट की बिक्री संभावना

बदलते वक्त के साथ कहें या फिर जनसँख्या में हो रही वृद्धि के साथ कहें या फिर दिन प्रतिदिन हो रहे व्यवसायिक एवं घरेलू उपयोग के लिए बिल्डिंगों के निर्माण के कारण कहें कारण जो भी हों लेकिन सच्चाई यह है की दिन प्रतिदिन देश विदेश में बिजली की मांग बढती जा रही है | इसलिए यह जाहिर सी बात है की यदि बिजली की मांग बढ़ रही है तो इसको ट्रान्सफर करने एवं ऑन ऑफ करने के उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं की भी डिमांड बढ़ेगी ही बढ़ेगी |

भारत सरकार का लक्ष्य है की भारत के किसी भी कोने में कोई भी एक गाँव भी ऐसा न हो जहाँ बिजली न पहुंची हुई हो कुछ राज्यों ने इस लक्ष्य की प्राप्ति कर भी ली है और कुछ इस लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसित हैं | अब ज्यों ज्यों राज्य सरकारें इस लक्ष्य की प्राप्ति करती जाएँगी वैसे वैसे बिजली उपकरणों जैसे स्विच, प्लग, सॉकेट्स इत्यादि की भी डिमांड बढती जायेगी यह निश्चित है |

बिजली के सॉकेट, प्लग को पॉवर इनपुट अर्थात एक ख़ास वोल्टेज के आधार पर डिजाईन किया जाता है और जब कभी वोल्टेज उस निर्धारित वोल्टेज से अधिक हो जाती है तो ये सॉकेट एवं प्लग स्थायी रूप से खराब हो सकते हैं इसलिए इनकी रिप्लेसमेंट की संभावना भी बनी रहती है | जहाँ तक इस उत्पाद के उपयोग होने का सवाल है यह हर क्षेत्र चाहे वह औद्योगिक क्षेत्र हो, घरेलू क्षेत्र हो, कार्यालय हों, या कृषि इत्यादि क्षेत्र हों सबमें उपयोग किया जाता है |

किसी भी घरेलू या व्यवसायिक उपकरण जैसे लाइट, फ्रिज, टेलीविज़न, पंखे, कूलर इत्यादि को चलाने के लिए Electrical Switches, Sockets, Plug जरुरी होते हैं |

आवश्यक मशीनरी और कच्चा माल

Electrical Switches, Sockets, Plug Manufacturing Business में प्रयुक्त होने वाला मुख्य कच्चा माल phenol formaldehyde molding powder, स्क्रू पिन, टर्मिनल, फ्लेप और स्प्रिंग, पैकिंग मटेरियल इत्यादि है, इस बिज़नेस में प्रयुक्त होने वाली मशीनरी एवं उपकरणों की लिस्ट निम्नवत है |

  • कंप्रेसर मोल्डिंग मशीन
  • मोल्ड्स
  • बफर मशीन
  • टेस्टिंग उपकरण

कच्चे माल की लिस्ट इस प्रकार से है |

  • Formaldehyde molding powder
  • स्क्रू पिन
  • टर्मिनल
  • फ्लेप और स्प्रिंग
  • पैकेजिंग मटेरियल

निर्माण प्रक्रिया [Manufacturing Process of Electrical Switches Sockets Plugs]

बिजली के सॉकेट, स्विच और प्लग की Manufacturing Process में सर्वप्रथम मौल्डिंग के यौगिक को विधिवत तौल लिया जाता है | उसके बाद मौल्डिंग तापमान को पहले से गर्म करना होगा उसके बाद इसे गरम मोल्ड के अन्दर प्रविष्ट कराया जाता है जहाँ इसे हाइड्रोलिक प्रेस के माध्यम से दबा दिया जाता है | और इसे तब तक दबाव में रखा जाता है जब तक की यह कठोर न हो जाय संपीड़न मोल्डिंग प्रक्रिया (इंजेक्शन मोल्डिंग प्रोसेस) में एक या एक से अधिक Cavities का उपयोग किया जा  सकता है |

उसके बाद दबे हुए उत्पाद को प्रेस से बाहर निकाल लिया जाता है उसके बाद उत्पाद से काटेदार अर्थात (Burs) को हटा दिया जाता है और Buffing Machine की मदद से पोलिश की जाती है | उसके बाद उत्पाद को फिन्शिंग विभाग में ट्रान्सफर किया जाता है जहाँ उत्पाद के अन्दर पिन फिट की जाती हैं |

उसके बाद तैयार माल की टेस्टिंग करके उसे पैक एवं भंडारित कर लिया जाता है या मार्किट में बेचकर कमाई करना शुरू कर दिया जाता है | ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड  ने Electrical Switches Sockets Plugs की गुणवत्ता के लिए IS:3854:1988 इत्यादि मानकों का निर्धारण किया है इसलिए इनका उत्पादन इन्हीं मानकों के अनुरूप होना अति आवश्यक है |

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