Entrepreneurship क्या है? उद्यमिता के प्रकार, विशेषताएँ और महत्व।

Entrepreneurship का हिंदी में शाब्दिक अर्थ उद्यमिता होता है । उद्यमिता वैसे देखा जाय तो खुद को स्वयं ही परिभाषित करता है। उद्यमिता सुनकर साफ़ पता चलता है की यह शब्द उद्यम से सम्बंधित है। लेकिन लोग इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं।

इसलिए यहाँ पर बता देना चाहेंगे की उद्यमिता किसी व्यवसायिक उद्यम को लाभ कमाने के उद्देश्य से स्थापित करने, विकसित करने, व्यवस्थित करने और अच्छे ढंग से उस उद्यम या बिजनेस का संचालन करने की क्षमता या तत्परता है। Entrepreneurship यानिकी उद्यमिता के उदाहरणों के तौर पर स्टार्टअप और नए बिजनेस की शुरुआत को देखा जा सकता है।

कहने का आशय यह है की जब किसी व्यक्ति के भीतर खुद का व्यवसाय करने का विचार आता है, और वह उसे धरातल के पटल पर उतारता है, तो उसके द्वारा की जाने वाली इस गतिविधि को Entrepreneurship कहा जा सकता है। हालांकि यह हमने साधारण बोलचाल की भाषा में उद्यमिता के बारे में बात की, अब अर्थशास्त्र उद्यमिता के बारे में क्या कहता है, वह जान लेते हैं।

Entrepreneurship kya hai
लेख की विषय वस्तु दिखाएँ

उद्यमिता क्या है (What is Entrepreneurship in hindi)  

अर्थशास्त्र में भूमि, श्रम, प्राकृतिक संसाधनों, एवं पूँजी से सम्बंधित उद्यमिता लाभ प्राप्त करने का जरिया बन सकती है। लेकिन जरुरी नहीं है की Entrepreneurship उद्यमी को सिर्फ लाभ ही कमा के दे। हो सकता है उद्यमिता में उसे नुकसान भी उठाना पड़े। इसलिए उद्यमिता लाभ कमाना और गँवाना दोनों है। उद्यमिता में अनिश्चितता और जोखिम होता है, जिसका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है। यही कारण है की, इसमें लाभ एवं नुकसान दोनों हो सकता है। लेकिन किसी भी राष्ट्र के अर्थतंत्र के लिए उद्यमिता बेहद जरुरी है। यह व्यवसाय का शुरूआती रूप हो सकती है जैसे स्टार्टअप ।

उद्यमी कौन होते हैं

एक उद्यमी वह व्यक्ति होता है जो किसी स्टार्टअप उद्यम को स्थापित करता है। और वह उस उद्यम को संचालित करने, सफल बनाने के लिए प्रयासरत रहता है। उस उद्यम से होने वाले जोखिमों और लाभों का हक़दार होता है, उसकी मूल इच्छा उस उद्यम से लाभ कमाने की होती है। उद्यमियों को आम तौर पर नए विचारों और नवाचारों का जनक कहा जाता है, जिन्हें वे बाजार में लांच करके लाभ कमाना चाहते हैं। अर्थशास्त्र में एक उद्यमी भूमि, प्राकृतिक संसाधनों , श्रम और पूँजी के संयोजन से लाभ कमाने में सक्षम होता है।

संक्षेप में यदि हम उद्यमी को समझें तो कोई भी एक व्यक्ति जो खुद की नई कंपनी शुरू करना चाहता है और इसके लिए वह दृढ़ संकल्पित है। और वह उस व्यवसाय विशेष में आने वाले जोखिमों से निपटने के लिए तैयार है, एक उद्यमी बन सकता है।

उद्यमिता के प्रकार (Types of Entrepreneurship in Hindi):

उद्यमिता यानिकी Entrepreneurship को निम्लिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. लघु व्यवसाय उद्यमिता (Small Business Entrepreneurship)

इस तरह के व्यवसाय को लोगो व्यतिगत स्वामित्व के तौर पर करते हैं, वे अपने बिजनेस को खुद या परिवार के सदस्यों की मदद से चलाते हैं। यानिकी लघु व्यवसायों में उद्यमी अपने परिवार के सदस्यों या स्थानीय लोगों को कर्मचारी के तौर पर रखते हैं। इन्हें व्यक्ति केवल अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए करता है और इस तरह के उद्यम बहुत बड़ा रूप नहीं ले पाते हैं ।

वे अपनी वित्त सम्बन्धी जरूरतें भी अनौपचारिक तरीकों जैसे मित्रों, परिवार के सदस्यों इत्यादि से ऋण लेकर करते हैं। हेयरड्रेसर, किराना स्टोर, ट्रैवल एजेंट, सलाहकार, बढ़ई, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन इत्यादि इस प्रकार की Entrepreneurship के उदाहरण हैं।

2. स्केलेबल स्टार्टअप उद्यमिता (Scalable Startup Entrepreneurship):  

इस प्रकार की यहEntrepreneurship को उद्यमी यह सोचकर शुरू करता है की, उसका बिजनेस आईडिया और विजन एक दिन पूरी दुनिया ही बदल देगा। मतलब ऐसे उद्यमियों के पास कोई ऐसा आईडिया होता है, जो उन्हें लगता है की वह लोगों के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है। इसलिए उसे धरातल के पटल पर उतारने के लिए बहुत अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।

ऐसे उद्यमी ऐसे निवेशकों की तलाश में रहते हैं, जो हटकर सोचने वाले, और नए एवं इनोवेटिव आईडिया को प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे स्टार्टअप कर्मचारी के तौर पर भी अच्छे और प्रतिभाशाली लोगों को नियुक्त करते हैं।

3. बड़ी कंपनी उद्यमिता (Large Company Entrepreneurship):

बड़ी कंपनी जो पहले से चल रही है, वह प्रौद्योगिकी में परिवर्तन, ग्राहक प्राथमिकताएं, नई प्रतिस्पर्धा, इत्यादि चुनौतियों से निपटने के लिए नए उत्पाद बनाते हैं । इस प्रकार की Entrepreneurship को बड़ी कंपनी उद्यमिता कहा जाता है। तेजी से हो रहे तकनिकी में परिवर्तनों के कारण कई स्थापित उद्यम नए नवाचार उद्यमों को खरीदते भी हैं । या फिर कुछ कम्पनियां अपने मुख्य उत्पादों के इर्द गिर्द घुमने वाले नवीन उत्पादों को बनाकर भी बेचती हैं।       

4. सामाजिक उद्यमिता (Social Entrepreneurship)

इस प्रकार की Entrepreneurship में उद्यमी का मकसद लाभ कमाना न होकर समाज सेवा होती है। इसलिए इसमें उद्यमी ऐसे उत्पाद और सेवाओं का उत्पादन करने में ध्यान केन्द्रित करता है, जो समाज की जरूरतों और समस्याओं का समाधान करते हों। उनका एकमात्र उद्देश्य समाज के लिए काम करना होता है।

उद्यमिता की विशेषताएँ (Characteristics of Entrepreneurship):

यह तो सर्वविदित है की हर कोई उद्यम सफल नहीं होता है। कुछ ही ऐसे उद्यम होते हैं जो सफल होते हैं, इनकी कुछ निश्चित विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

1. जोखिम लेने की क्षमता

एक उद्यमी जोEntrepreneurship की राह पर आगे बढ़ रहा है, भले ही कितनी ही अच्छी प्लानिंग क्यों न कर ले। लेकिन यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता की वह उद्यम लाभ ही कमाएगा। इसलिए एक उद्यमी को जोखिम का अनुमान लगाने और उन्हें सहन करने में सक्षम होना चाहिए। जोखिम उद्यमिता का अनिवार्य हिस्सा है।

2. इनोवेशन

समय के साथ परिवर्तन होता रहता है, और इन परिवर्तनों के साथ मनुष्य की समस्याओं, आवश्यकताओं में भी परिवर्तन होता रहता है। इसलिए Entrepreneurship की राह में आगे बढ़ने के लिए इनोवेशन का होना अत्यंत आवश्यक है। नए विचार नए उत्पाद को जन्म दे सकते हैं।

3. दूरदर्शी और नेतृत्व की गुणवत्ता

Entrepreneurship शुरू कर रहे उद्यमी को दूरदर्शी होने के साथ साथ एक अच्छा नेता भी होना चाहिए। दूरदर्शिता उद्यमी को उसके विचार की आने वाली झलक दिखाने में मदद कर सकती है। जबकि नेतृत्व की गुणवत्ता उसे कर्मचारियों को संगठन के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।

4. खुले विचारों वाला होना चाहिए  

Entrepreneurship शुरू कर रहे उद्यमी को खुले विचारों वाला होना चाहिए। संकीर्ण विचारधारा उसे कुछ नया सोचने से बाधित कर सकती है। वह इसलिए क्योंकि एक बिजनेस में कोई भी परिस्थिति कब अवसर बन जाय कोई नहीं जानता।

5. उद्यमी में लचीलापन जरुरी

उद्यमी को किसी एक चीज पर अडिग न रहकर स्थितियों, परिस्थितयों, समय के आधार पर बदलने वाला होना चाहिए। क्योंकि यदि बिजनेस में कोई शीर्ष पर पहुँचना चाहता है तो उसे समय समय पर लोगों की जरूरतों, समस्याओं के आधार पर अपने प्रोडक्ट या सेवा में परिवर्तन करने की आवश्यकता हो सकती है।

6. उत्पाद को जानना बेहद जरुरी

Entrepreneurship में किसी भी उद्यमी को अपने उत्पाद के बारे में विशेषज्ञ होना चाहिए। अपने प्रोडक्ट के बारे में मात्र जानकारी रखना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उद्यमी को इसमें विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए। और उसे बाद उसका वर्तमान बाजार मांगों के आधार पर मूल्यांकन करना चाहिए, और जरुरी हो तो उसमें बदलाव भी करते रहने चाहिए ।

उद्यमिता का महत्व (Importance of Entrepreneurship)

उद्यमिता के गुणों या महत्व में निम्नलिखित बातें शामिल हो सकती हैं।

1. उद्यमिता रोजगार का सृजन करती है

उद्यमिता नए नए अकुशल श्रमिकों को नौकरी में प्रवेश दिलाने का काम करती है, और उन्हें प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त करने में भी मदद करती हैं। Entrepreneurship रोजगार पैदा करती है।

2. इनोवेशन का जन्म होता है

उद्यमिता के माध्यम से उद्यमी नए नए उत्पादों और सेवाओं को लोगों को बेचने के लिए बाजार तक लाते हैं। इसलिए इसे इनोवेशन का हब भी कहा जा सकता है।    

3. समाज और सामुदायिक विकास के लिए जरुरी

 Entrepreneurship रोजगार पैदा करती है, और रोजगार अकेले कई समस्याओं का निराकरण कर देता है। रोजगार का आधार बड़ा होने से समाज स्वयं भी बड़ा हो जाता है। लोगों को रोजगार मिलता है तो वे शिक्षा, स्वच्छता, रहन सहन इत्यादि पर खर्चा कर पाते हैं। जिससे देश में गरीबी में कमी, झुग्गी झोपड़ियों में कमी और जीवन स्तर में बढ़ोत्तरी होती है।

4. जीवन स्तर को बेहतर बनाता है

हालांकि यह बात हम उपर्युक्त वाक्य में भी कह चुके हैं कीEntrepreneurship रोजगार पैदा करती है , और रोजगार लोगों के जीवन स्तर में सुधार करता है। लोगों द्वारा अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने की क्षमता ही जीवन स्तर कहलाती है।

5. रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलता है

नए उत्पाद या नई सेवाएँ कोई रातोंरात अपने आप जन्म नहीं ले लेती। बल्कि इन्हें लांच करने के लिए गहन शोध और परीक्षणों की आवश्यकता होती है। इसलिए जब कोई व्यक्ति/इकाई Entrepreneurship की ओर जाने की सोचते हैं, तो वे सम्बंधित अनुसन्धान संस्थानों/विश्वविद्यालयों इत्यादि को रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए वित्त भी प्रदान करते हैं । जिससे अर्थव्यवस्था में रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

  1. प्रश्न – उद्यमिता का जानक किसे कहा जाता है ?

    उत्तर – जोसेफ एलोइस शुम्पीटर को उद्यमिता का जनक कहा जाता है। इन्होनें Entrepreneurship की अवधारणा पेश की थी

  2. प्रश्न – उद्यमिता के प्रमुख दो प्रकार कौन कौन से हैं?

    उत्तर – हालांकि इसके बारे में हमने बताया हुआ है लेकिन चूँकि यह कई प्रकार की होती है, इसलिए इसके दो मुख्य उदाहरण निम्नलिखित हैं।
    लघु व्यवसाय उद्यमिता
    बड़ी कंपनी उद्यमिता

  3. प्रश्न – उद्यमिता की मुख्य अवधारणाएँ कौन कौन सी हैं ?

    उत्तर – उद्यमिता (Entrepreneurship) की मुख्य अवधारणायें निम्नलिखित हैं।
    नवाचार
    जोखिम लेने
    दृष्टि
    संगठन

  4. प्रश्न – उद्यमी के क्या क्या लक्षण होते हैं?

    उत्तर – वैसे तो उद्यमी के कई लक्षण हो सकते हैं, इनमें से कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार से हैं। 
    जुनून
    जोखिम लेने की क्षमता
    स्थायी प्रकृति
    अभिनव
    सामने से खेलने वाला
    नैतिकता वाली प्रकृति

यह भी पढ़ें