इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन कैसे खोलें? E V Charging Station Business.

EV Charging Station की आवश्यकता आज भले ही हो न हो लेकिन आने वाले कुछ ही सालों में देश में इनकी भारी आवश्यकता होने वाली है। वह इसलिए क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन तो आपने सुना होगा जी हाँ यदि नहीं सुना है तो आपको बता देना चाहेंगे की आने वाले समय में हमें भारत की सड़कों पर ऐसे ही वाहन दौड़ते दिखाई देंगे । ऐसा कहना हमारी सिर्फ कल्पना नहीं है बल्कि हम यह सब इसलिए कह रहे हैं। क्योंकि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन को भारत सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इसकी झलक 5 जुलाई को संसद में पेश हुए बजट में मिल गई है।

आम बजट में देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5% कर दी गई। इसके अलावा इनकी खरीदारी पर लिए गए लोन के ब्याज पर भी 1.5 लाख रूपये तक की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माणकर्ताओं को गाड़ियों एवं उनमें इस्तेमाल होने वाली बैटरी पर इंसेंटिव देने की भी घोषणा की है।

कहने का आशय यह है की एक तरफ जहाँ भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों को प्रोत्साहित कर रही है तो वहीँ दूसरी तरफ ऐसी गाड़ियों का निर्माण करने वाले निर्माणकर्ताओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। और वहीँ देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की योजना भी सरकार बना रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकार सड़कों पर जगह जगह Charging Station खोलना चाहती है ताकि इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ यहाँ पर अपनी बैटरी चार्ज कर सकें।

और चूँकि आने वाले समय में यह भी कमाई की दृष्टि से एक लाभकारी बिजनेस हो सकता है। इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से यही जानने की कोशिश करेंगे की भारत में कैसे कोई Electric Vehicle Charging Station खोल सकता है।

Electric-Vehicle-charging-station
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EV Charging Station क्या है

जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले महानगरों में प्रदूषण की स्थिति दिन प्रतिदिन बेहद भयावह होती जा रही है। इस प्रदूषण को बढ़ाने में कहीं न कहीं सड़कों पर चलने वाली डीजल एवं पेट्रोल की गाड़ियाँ जिम्मेदार हैं। इसलिए वातावरण को बचाने एवं प्रदूषण को कम करने की दृष्टी से सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चलन को बढावा दे रही है। यही कारण है की सरकार 2030 तक देश की सड़कों पर अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों को दौड़ाना चाहती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों में किसी प्रकार के ईधन की आवश्यकता तो नहीं होती लेकिन एक ऐसी बैटरी की आवश्यकता अवश्य होती है। जिसे बार बार चार्ज किया जा सके। और सड़क पर इस प्रकार की गाड़ियों को जहाँ पर चार्ज किया जाता है उसे EV Charging Station कहा जाता है। वर्तमान में भी कुछ प्रसिद्ध महानगरों में इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ चलती हुई देखी जा सकती है यही कारण है की कुछ शहरों में अभी भी EV Charging Station देखे जा सकते हैं।

EV Charging Station खोलने सम्बन्धी नियम:

भारत सरकार ने कुछ महीने पूर्व ही इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सम्बन्धी दिशानिर्देश एवं मानकों के लिए एक अधिसूचना जारी की है। इसमें सरकार ने माना है की देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन के लिए Charging Station की संरचना एवं निर्माण अनिवार्य है। इस अधिसूचना के मुताबिक किसी भी व्यक्ति या संस्थान को इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग स्टेशन खोलने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी अर्थात इस तरह का बिजनेस कोई भी व्यक्ति या संस्थान बिना किसी लाइसेंस के स्वतंत्रतापूर्वक शुरू कर सकता है।

बशर्ते Charging Station निर्धारित तकनिकी एवं प्रदर्शन मानकों को पूरा करते हों। सरकारी अधिसूचना के मुताबिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए कम से कम निम्नलिखित इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता हो सकती है।

  • एक विशेष ट्रांसफार्मर के साथ सभी सबस्टेशन उपकरण एवं सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता एक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए होती है।
  • 33/11 KV लाइन के साथ सम्बंधित उपकरण एवं लाइन टर्मिनेशन के लिए उपकरण।
  • Charging Station में उचित सिविल वर्क किया हुआ होना चाहिए।
  • चार्जिंग, वाहनों के प्रवेश एवं निकास के लिए उपयुक्त जगह का होना अति आवश्यक है।
  • इस क्षेत्र में वर्तमान में जो अंतराष्ट्रीय मानक प्रचलित हैं और जिनका उपयोग अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अधिकतर वाहन निर्माताओं द्वारा किया जाता है वे CCS एवं CHAdeMO हैं । इसलिए एक Charging Station के पास एक या एक से अधिक बोर्ड होंगे जिनका अनुसरण निम्न मॉडल के तौर पर किया जा सकता है।
चार्जर के प्रकार चार्जर कनेक्टर निर्धारित वोल्टेज चार्जिंग पॉइंट की संख्या
  CCS (Minimum 50 Kw) 200-1000 1/1 CG
तेज फास्ट CHAdeMO (Minimum 50 Kw) 200-1000 1/1 CG
  Type- 2 AC (Minimum 22 kw) 380-480 1/1 CG
धीमा मध्यम भारत DC-001 (15kw) 72-200 1/1 CG
  भारत AC – 001 (10 kw) 230 3/3 CG

उपर्युक्त सारणी से स्पष्ट है की प्रत्येक चार्जिंग स्टेशन के लिए कम से कम तीन फास्ट चार्जर की आवश्यकता होगी। जिसमें एक CCS (Combine Charging Station), एक CHAdeMO और एक Type- 2 AC शामिल है। पहले दो चार्जर को कम से कम 50 Kw और 200-1000V पर संचालित करने की आवश्यकता होगी। तो वहीँ तीसरे के लिए 22 kw और 380-480 V की आवश्यकता होगी। इसके अलावा चार्जिंग स्टेशन में दो धीमे चार्जिंग पॉइंट भी होंगे।

एक जानकारी के मुताबिक 50 Kwh Direct Curent Fast Charging (DCFC)  की कीमत भारत में 15 लाख से भी अधिक हो सकती है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों के जो मॉडल वर्तमान में बिक रहे हैं उनके आधार पर कहा जा सकता है की भारत में इनकी बैटरी को 1C Rate से अधिक में चार्ज नहीं किया जा सकता और बैटरी की क्षमता 11 Kwh से 25 Kwh के बीच रखी जाती है।

लेकिन इसके बावजूद भी 25 KWh से अधिक के Direct Current Fast Charging (DCFC) में निवेश करने पर अनअपेक्षित रिटर्न हासिल होने की अपेक्षा की जा सकती है। यह तब तक जब तक की इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माता वाहनों पर लगने वाली किसी ऐसी बैटरी को नहीं खोज लेते हैं जो DC Output के साथ भी फास्ट चार्जिंग करने में सक्षम हों।

चार्जिंग मानक:

ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड (BIS) द्वारा अगस्त 2018 में IS: 17017-1 नामक मानक प्रकाशित किया गया जो CCS 2 एवं CHAdeMO दोनों की सिफारिश करता है। 2017 में डिपार्टमेंट ऑफ़ हैवी इंडस्ट्रीज द्वारा गठित एक समिति ने AC और DC Charger के लिए भारत चार्जर विनिर्देश जारी किये। इन्हें भारत AC 001 और DC 001 चार्जर कहा जाता है। ये चार्जर 120 वोल्ट से नीचे डीसी आउटपुट वाले धीमे चार्जर हैं।

वर्तमान में ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड भारत में वर्तमान में चल रहे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को सपोर्ट करने के मद्देनजर इन मानकों को बनाये रखने के लिए सहमत हो गया है। लेकिन आने वाले समय में इनका इस्तेमाल होने की उम्मीद कम लगाई जा सकती है।

क्योंकि आने वाले समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ बनाने वाली कम्पनियाँ बैटरी की क्षमता बढाने एवं फास्ट चार्जिंग के लिए बैटरी में सुधार कर सकती है और DC Output को 400-100V तक बढ़ा सकती हैं। कहने का अभिप्राय यह है की इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माता गाड़ी में नई क्षमता, गुणवत्ता की बैटरी लगा सकते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद सभी मानक भारत में सह अस्तित्व में रहेंगे ऐसी उम्मीद की जा सकती है।

Charging Station Business सम्बन्धी प्रमुख बातें:

यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं की आने वाले समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ डीजल एवं पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों का अच्छा विकल्प हो सकती हैं। इसलिए यदि देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी होगी तो स्वभाविक है की उन्हें चार्ज करने के लिए Charging Station की भी आवश्यकता होगी। लेकिन इसके बावजूद इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातें निम्नवत हैं।

  • दो पहिया वाहन आम तौर पर छोटे आकार एवं क्षमता की बैटरी के साथ आते हैं और इन्हें घरों, कार्यालयों एवं दुकानों के दीवारों तक जहाँ सॉकेट लगा हो आसानी से ले जाया जा सकता है। इसलिए लोग जरुरी नहीं है की दुपहिया वाहन को Charging Station में ही चार्ज करें। बल्कि वे नार्मल स्विच से भी अपने दुपहिये वाहन को चार्ज कर सकते हैं।
  • तिपहिये वाहन बैटरी स्वैपिंग के लिए आदर्श उम्मीदवार माने जाते हैं इस तरह का बिजनेस करने के लिए उद्यमी को ऐसे वाहनों की बैटरी को पहले से चार्ज करके रखना होगा। ताकि तिपहिया वाहन चालक खाली बैटरी को निकालकर चार्ज हुई बैटरी को लगा सके और वह चार्जिंग में लगने वाले समय से बच सके। इसलिए उद्यमी चाहे तो चार्जिंग स्टेशन के साथ साथ स्वैप स्टेशन भी शुरू कर सकता है।
  • चूंकि बसों की बैटरी का आकार बहुत बड़ा होगा और ये 100Kw की बैटरी से भी बड़ी हो सकती हैं इसलिए इनकी कीमत भी लाखों रूपये में हो सकती है इसलिए  इन्हें Public Charging Station पर चार्ज करने की सलाह नहीं दी जाती है । बल्कि इनको सुरक्षित ढंग से चार्ज करने के लिए उपकरण एवं दिशानिर्देश बस ऑपरेटर या बस निर्माताओं द्वारा जारी किये जा सकते हैं।
  • यद्यपि वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों के जितने भी मॉडल भारतीय बाजार में आते हैं इन्हें चार्ज करने के लिए Direct Current Fast Charging (DCFC)की ही आवश्यकता होती है।                                                     

अब तक भारत में केवल महिंद्रा इलेक्ट्रिक एवं टाटा मोटर्स ने ही इलेक्ट्रिक कारें लांच की हैं और इन कारों में लगी बैटरी 1C के रेट से ऊपर चार्जिंग के लिए उपयुक्त नहीं हैं। व्यक्तिगत खरीदारी के लिहाज से उतार चढ़ाव धीमा हो सकता है। क्योंकि व्यक्तिगत खरीदार जगह देखकर अन्य भौगौलिक में सावधानी से आगे बढ़ सकते हैं। इलेक्ट्रिक कारों की खरीदारी में टैक्सी ऑपरेटरों, सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का योगदान अपेक्षित है।     

Charging Station स्थापित करने में आने वाला खर्चा:

सरकारी अधिसूचना के मुताबिक किसी व्यक्तिगत व्यक्ति या संस्थान को EV Charging Station शुरू करने में निम्नलिखित मदों पर खर्च करने की आवश्यकता हो सकती है।

  • Combine Charging Station (CCS) एवं CHAdeMO को खरीदने में लगभग 14 लाख का खर्चा संभावित है।
  • Type 2 AC खरीदने में 1.3 लाख का खर्चा संभावित है।
  • Bharat DC-001 में 2.4 लाख का खर्चा संभावित है।
  • Bharat AC-001 में 70 हजार का खर्चा संभावित है।
  • इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन, ट्रांसफार्मर, केबलिंग, पेनल्स, ब्रेकेट्स, एनर्जी मीटर में लगभग 750000 तक का खर्चा आ सकता है।
  • सिविल वर्क जैसे फ्लोरिंग, बोर्ड्स, पेन्टिंग, ब्रांडिंग, शेड इत्यादि में 250000 तक का खर्चा आ सकता है।
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल सप्लाई इक्विपमेंट सॉफ्टवेर जो चार्जेज एवं पेमेंट गेटवे के साथ इन्टीग्रेट हो। का खर्चा 40000 रूपये हो सकता है।
  • CCTV Cameras सेट अप करने में लगभग 30000 रूपये का खर्चा आ सकता है।
  • एक तकनीशियन जिसकी प्रति माह सैलरी 25 हजार रूपये मान के चल सकते हैं।
  • एक साईट मेंटेनेंस स्टाफ जिसकी सैलरी प्रति माह 15 हजार मान के चल सकते हैं।
  • विज्ञापन पर प्रति माह 3000 का खर्चा मान के चल सकते हैं।
  • जगह का किराया 50000 रूपये प्रति महीने मान के चल सकते हैं।  

उपर्युक्त आकड़ों से स्पष्ट है की किसी भी व्यक्ति या संस्थान को EV Charging Station स्थापित करने के लिए 25-35 लाख रूपये निवेश करने की आवश्यकता हो सकती है।

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