वेयरहाउस बिजनेस कैसे शुरू करें? How to Start a Warehouse Business In India.

Warehouse Business शुरू करने में भले ही अच्छे खासे निवेश की आवश्यकता होती है लेकिन यह एक ऐसा बिजनेस है जिसकी आवश्यकता लगभग हर भौगौलिक क्षेत्र में है । जैसा की हम सबको विदित है की भारत में लगभग हर व्यक्ति का सपना एक सफल उद्यमी बनना होता है हालांकि एक सफल उद्यमी बनने के लिए कड़ी मेहनत, जिम्मेदारी, लम्बे समय तक काम एवं तनाव झेलने पड़ते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद अपना बिजनेस शुरू करने के अनेकों फायदे भी होते हैं इसलिए अधिकतर लोग बिजनेस करने की सोचते हैं।

इसलिए आज इसी कड़ी में हम Warehouse business शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में बात करेंगे । वर्तमान में भारतवर्ष में कृषि एवं विनिर्माण उत्पादों का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। और एक आंकड़े के मुताबिक कृषि एवं मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से उत्पादित उत्पादों के भण्डारण के लिए वेयरहाउस की संख्या देश में 20% से भी कम है। इसलिए देश में इनकी संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा नाबार्ड के माध्यम से उन उद्यमियों को सब्सिडी ऋण प्रदान किया जाता है जो भारत में Warehouse Business शुरू करना चाहते हैं।

यह इसलिए ताकि इच्छुक उद्यमी विशेष रूप से इस व्यापार में रूचि ले सकें। हालांकि वेयरहाउस को मुख्य तौर पर दो प्रकार से चित्रित किया जा सकता है पहले कोल्ड स्टोरेज प्रकार के वेयरहाउस होते हैं जिनमें दूध, मछली, फल एवं सब्जियों को एक नियंत्रित वातावरण में स्टोर किया जाता है तो दूसरी तरफ अन्य पदार्थों जिनको ठन्डे तापमान की आवश्यकता नहीं होती उन्हें स्टोर किया जाता है। इन्हें आम तौर पर वेयरहाउस के साथ साथ गोडाउन भी कहा जाता है।

warehouse business kaise start kare

स्वामित्व के आधार पर Warehouse के प्रकार

स्वामित्व के आधार पर warehouse के प्रकार की बात करें तो इन्हें मुख्य तौर पर निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।

प्राइवेट वेयरहाउस:  ये वेयरहाउस वे होते हैं जिनका स्वामित्व किसी निजी कंपनी, व्यक्ति के पास होता है इन्हें विनिर्माणकर्ता या व्यापारी द्वारा अपने उत्पादों को स्टोर करने के लिए खोला जाता है।   

पब्लिक वेयरहाउस: इनका भी स्वामित्व किसी के पास यानिकी व्यक्ति, कंपनी, ट्रस्ट इत्यादि के पास हो सकता है लेकिन इस तरह के वेयरहाउस की सर्विस किराया देकर सभी ले सकते हैं।

सरकारी वेयरहाउस: इस तरह के वेयरहाउस का प्रबंधन एवं संचालन राज्य या केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।  

बोंडेड वेयरहाउस: इस तरह के वेयरहाउस का संचालन एवं प्रबन्धन सरकार एवं प्राइवेट एजेंसी द्वारा किया जाता है।

को ऑपरेटिव वेयरहाउस: इस प्रकार के वेयरहाउस का स्वामित्व, संचालन, प्रबंधन एवं नियंत्रण किसी सहकारी समिति के पास होता है।

वेयरहाउस बिजनेस कैसे शुरू करें (How t start warehouse business in India)

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की Warehouse business शुरू करने के लिए एक बड़ी जमीन एवं बड़े स्तर पर कंस्ट्रक्शन की आवश्यकता होती है। इसलिए इस व्यापार को शुरू करने के लिए अच्छे खासे निवेश की आवश्यकता होती है। हालांकि निवेश कितना लगेगा वह इस बात पर भी निर्भर करता है की उद्यमी कितना बड़ा एवं किस प्रकार के वेयरहाउस का निर्माण करता है।          

1 वित्त का प्रबंध करें:

हालांकि बिजनेस चाहे कोई भी हो उसे शुरू करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है वह है वित्त यानिकी पैसा यदि आपके पास पैसा है तो आप कोई भी बिजनेस आसानी से शुरू कर सकते हो। वह इसलिए क्योंकि पैसों से बिजनेस शुरू करने सम्बन्धी हर सर्विस आसानी से ली जा सकती है। भारत में Warehouse business शुरू करने मने आने वाली लागत शहर एवं राज्य के आधार पर अलग अलग हो सकती है।

अर्थात चूँकि इस बिजनेस में सबसे बड़ा निवेश जमीन एवं कंस्ट्रक्शन पर करना पड़ता है इसलिए जहाँ मजदूरी, रेता, बजरी, लोहा, सीमेंट, जमीन इत्यादि सस्ती होगी वहाँ इस तरह का बिजनेस शुरू करने में अन्य जगहों की तुलना में कम लागत आएगी। इसके अलावा उद्यमी कौन से उत्पादों को स्टोर करने के लिए वेयरहाउस का निर्माण करा रहा है, कितने रूम बना रहा है, कौन कौन सी सर्विस अपने ग्राहकों को देना चाह रहा है इत्यादि बातें भी निवेश को प्रभावित करती हैं।

इसलिए Warehouse Business शुरू करने के इच्छुक उद्यमी को उपर्युक्त बताये गए सभी बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित करने के बाद ही वित्त का प्रबंध करना चाहिए। वित्त का प्रबंध करने के लिए उद्यमी सरकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी लोन के लिए आवेदन भी कर सकता है।       

2. लोकेशन का चुनाव करें (Select Location for Warehouse Business)

यदि उद्यमी बना बनाया Warehouse किराये पर ले रहा हो तो उसे एक बात का ध्यान रखना होगा की जहाँ पर यह स्थित हो वहां की सड़कें चौड़ी हों ताकि कोई भी बड़ा वाहन वहां आसानी से आ जा सके। लेकिन यदि उद्यमी स्वयं की जमीन खरीदकर वहां पर वेयरहाउस स्थापित करना चाहता है तो उसे लोकेशन का चयन करते समय विभिन्न सावधानियाँ बरतनी होती हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख सावधानियों की लिस्ट निम्नवत है।

  • जहाँ पर उद्यमी वेयरहाउस बनाने के लिए जमीन खरीद रहा हो उसे एक बात का निरीक्षण अवश्य करना चाहिए की वह जमीन सड़क तक समतल होनी आवश्यक है ताकि उद्यमी को अतिरिक्त भराई करने की आवश्यकता नहीं हो।
  • जमीन तक वाहनों के लिए उत्कृष्ट सड़क होनी चाहिए।
  • सड़क की चौड़ाई भी काफी होनी चाहिए क्योंकि माल ढुलाई के लिए बड़े से बड़े वाहन को वहां आना पड़ सकता है। इसलिए वाहनों की अच्छी आवाजाही के लिए रोड का चौड़ा होना अति आवश्यक है।
  • चूँकि जमीन के आकार पर ही Warehouse का लेआउट निर्भर करता है इसलिए कोशिश करें की इसके लिए ली जाने वाली जमीन वर्गाकार या आयताकार हो बाकी आकार में जमीन का सदुपयोग नहीं हो पायेगा।
  • जमीन या प्लाट में पानी एवं बिजली की फैसिलिटी होनी चाहिए कहने का आशय यह है की आस पास यह फैसिलिटी होनी अति आवश्यक है। नई लाइनें बिछाने में सरकार को समय लग सकता है।          

3. कंस्ट्रक्शन का काम करें

यद्यपि  यदि उद्यमी के पास पर्याप्त मात्रा में पैसा हो तो Warehouse का कंस्ट्रक्शन कराना कोई चुनौतीपूर्ण कार्य नहीं है। वह इसलिए क्योंकि कंस्ट्रक्शन के लिए उद्यमी किसी एक्सपर्ट टीम को नियुक्त करके यह कार्य आसानी से करा सकता है। लेकिन इन सबके बावजूद वेयरहाउस का कंस्ट्रक्शन कराते समय भी उद्यमी को कुछ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

  • ईमारत का चबूतरा कम से कम 2.5 फीट से तीन फीट तक होना चाहिए।
  • आरसीसी फर्श की लोडिंग क्षमता कम से कम 5 टन प्रति वर्ग मीटर होनी चाहिए।
  • इसके अलावा वेयरहाउस की कम से कम ऊंचाई 22 फीट या इससे अधिक की होनी चाहिए वैसे आम तौर 28-30 फीट की ऊंचाई को आदर्श माना जाता है। यद्यपि वेयरहाउस की ऊंचाई जितनी अधिक होगी उतना ही अच्छा होगा।
  • ध्यान रहे वेयरहाउस में पर्याप्त डॉकिंग बे होनी चाहिए ताकि सामग्री को आसानी से इधर उधर स्थानांतरित एवं व्यवस्थित किया जा सके। और गोदाम के पूरे क्षेत्र का इस्तेमाल आसानी से किया जा सके।
  • वेयरहाउस को प्राकृतिक लाइट अर्थात सूर्य की रौशनी से प्रकाशवान एवं हवादार भी होना चाहिए आम तौर पर 10-15% प्राकृतिक लाइट पर्याप्त रहती है।

टर्बो वेंट्स प्राकृतिक वायु परिसंचरण एवं वेंटिलेशन के लिए सहायक होते हैं उद्यमी को Warehouse Construction में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।

  • चूँकि काफी सारे वेयरहाउस में सामग्री को स्थानांतरित करने के लिए क्रेन की भी आवश्यकता होती है इसलिए इसमें क्रेन को माउंट करने की फैसिलिटी भी होनी चाहिए।
  • फोर्कलिफ्ट को गोदाम के अन्दर ले जाने के लिए ढलान का होना भी अति आवश्यक है कंस्ट्रक्शन के समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।            

4. सही कर्मचारियों की नियुक्ति करें

कंपनी की सफलता असफलता में उस कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों का भी अहम् योगदान होता है चूँकि यह Warehouse Business है। इसलिए इसमें उद्यमी को काफी मेहनती एवं पेशेवर लोगों को काम पर रखने की आवश्यकता होती है । यह बात केवल मजदूरी से जुड़े कर्मचारियों पर लागू नहीं होती अपितु लोजिस्टिक से जुड़े कर्मचारियों पर भी लागू होती है।

सामग्री या उत्पादों की ट्रैकिंग एवं शिपिंग कोई आसान काम बिलकुल भी नहीं है इसलिए वेयरहाउस का लोजिस्टिक सँभालने वाले कर्मचारियों को वेयरहाउस के तंत्रिका तंत्र के तौर पर देखा जाता है। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह अच्छी बैकग्राउंड के साथ शिक्षित लोगों को कर्मचारी के तौर पर नियुक्त करे।

ये मत सोचे की नया बिजनेस शुरू किया है तो किसी को भी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त कर लें भले ही योग्य एवं शिक्षित लोगों पर आपको थोड़ा अधिक खर्च करने की आवश्यकता होगी लेकिन यह एक बेहद फायदेमंद निवेश होगा जो भविष्य में आपके बिजनेस को लाभकारी बनाने में अहम् किरदार निभाएगा।  

5. सही लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन कराएँ

हालांकि warehouse Business शुरू करने के लिए उद्यमी को कंस्ट्रक्शन का काम कराने की आवश्यकता होती है इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह स्थानीय नियमों एवं कानूनों के मुताबिक स्थानीय प्राधिकरण इत्यादि से जो भी परमिशन लेनी हो वह लेकर ही काम शुरू करे। इन सबके अलावा उद्यमी को किस किस तरह के लाइसेंस की आवश्यकता होगी वह इस बात पर निर्भर करेगा की उद्यमी अपने वेयरहाउस में किन किन उत्पादों, पदार्थों का भण्डारण करेगा ।

अलग अलग उत्पादों, पदार्थों का भण्डारण के लिए अलग अलग विभागों से लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है। जैसे माना यदि उद्यमी वेयरहाउस में बायोहजार्ड एवं रसायन भंडारित करता है तो उसे राज्य सरकार या स्थानीय नगरपालिका से अनुमति एवं लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।    

 6. वेयरहाउस की मार्केटिंग करें (Market Your Warehouse Business)

यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं है की भारत में Warehouse Business में अन्य बिजनेस की तुलना में प्रतिस्पर्धा बेहद कम है जिसका अभिप्राय यह है की जितने वेयरहाउस की आवश्यकता इस देश में है। उतने वेयरहाउस इस देश में उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी बिलकुल नहीं है की उद्यमी चुपचाप बैठकर ग्राहकों का इंतजार करता रहे और ग्राहक बनाने के लिए किसी भी मार्केटिंग तकनीक को न अपनाये। 

सच तो यह है की इस Warehouse Business के लिए भी उद्यमी को एक प्रभावी मार्केटिंग प्लान बनाकर उस पर अमल करना चाहिए। और किसानों एवं विनिर्माणकर्ताओं के बीच जाकर अपने वेयरहाउस की मार्केटिंग करनी चाहिए। उद्यमी चाहे तो लोकल सोसाइटी एवं स्थानीय सरकार के साथ मिलकर कार्य करके भी अपने इस बिजनेस से कमाई कर सकता है। ई कॉमर्स, फार्मास्युटिकल्स एवं फूड कारपोरेशन के लिए अलग से रेट लिस्ट तैयार करनी चाहिए ताकि उद्यमी को इस तरह के ये ग्राहक आसानी से मिल सकें। 

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