ITR Filling : इनकम टैक्स रिटर्न भरने के 10 बड़े फायदे |

इनकम टैक्स रिटर्न भरने एवं टैक्स का भुगतान करने में फर्क है, वर्तमान में सिर्फ वे लोग जिनकी सालाना आमदनी कम से कम 2.5 लाख से ऊपर है वे ही इनकम टैक्स भरने के लिए पात्र हैं | कहने का आशय यह है की हर वो आम नागरिक (वरिष्ठ नागरिक एवं अति वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर) जिसकी भी सालाना कमाई रूपये ढाई लाख से ऊपर है उसे उस अतिरिक्त कमाई पर आयकर देना होगा |

इसलिए हमारे समाज में आयकर से जुड़ी हुई एक गलतफहमी यह व्याप्त है की आयकर रिटर्न भी सिर्फ उन्हीं को फाइल करना होता है जिनकी कमाई टैक्स के दायरे में आती है | जबकि यह केवल एक मिथक है, सच्चाई यह है की इनकम टैक्स रिटर्न भरने सम्बन्धी नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति चाहे उसकी आमदनी इनकम टैक्स के दायरे में आती हो की नहीं वह भी अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है | हाँ इतना जरुर है की ऐसा करने के लिए केवल वही व्यक्ति बाध्य है जिसकी सालाना आमदनी पांच लाख से अधिक है |

कहने का आशय यह है की टैक्स के दायरे में न आने वाला व्यक्ति रिटर्न फाइल करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य तो नहीं है, लेकिन चूँकि इनकम टैक्स रिटर्न भरने के अनेकों फायदे होते हैं इसलिए वह चाहे तो अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करके इन फायदों का लाभ ले सकता है | लोगों में इस प्रकार की जानकारी एवं जागरूकता के अभाव के चलते वे इस प्रकार के फायदों से वंचित रह जाते हैं इसलिए आज हम अपने इस लेख के माध्यम से इनकम टैक्स रिटर्न भरने के कुछ बड़े फायदों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे |

इनकम टैक्स रिटर्न भरने के फायदे

1. ITR भरके जुर्माना, मुकद्दमा से बचा जा सकता है :

हालांकि इनकम टैक्स भरने का यह फायदा टैक्स के दायरे में आने वाले लोगों से जुड़ा हुआ है क्योंकि ऐसे लोग जिनकी आमदनी आयकर के दायरे में आती है लेकिन वे टैक्स देनदारी को चुकता करके या बिना चुकते किये इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरते हैं तो ऐसे में उन्हें अनेकों मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन आयकर रिटर्न फाइल करके इन सब मुसीबतों से बचा जा सकता है |

  • इनकम टैक्स रिटर्न भरने से आप आयकर विभाग द्वारा भेजे जाने वाले नोटिस, लगाये जाने वाली पेनल्टी इत्यादि से बच सकते हैं |
  • आयकर रिटर्न फाइल करने से आघोषित आय रखने के जुर्म में चलने वाले मुकद्दमे से भी बचा जा सकता है |

2. टैक्स रिफंड मिलने में आसानी :

नौकरीपेशा लोग अर्थात वेतनधारी लोग जिनका वेतन आयकर के दायरे में आता है उनका टैक्स टीडीएस के रूप में उनकी कंपनी या नियोक्ता द्वारा काट लिया जाता है | और ऐसे लोग जिनकी कमाई वेतन से नहीं बल्कि अन्य स्रोतों से होती है उन्हें अपनी कर योग्य आमदनी पर एडवांस टैक्स के रूप में टैक्स देना होता है |

कमाई का स्रोत वेतन हो या कोई अन्य दोनों ही स्थितियों में टैक्स पहले कट जाता है इसलिए यह संभव है की कटने वाला टैक्स उस वित्तीय वर्ष में हुई वास्तविक आमदनी पर लगने वाले टैक्स से अधिक हो | ऐसी स्थिति होने पर आयकरदाता टैक्स रिफंड के लिए अप्लाई कर सकता है लेकिन इसके लिए भी इनकम टैक्स रिटर्न भरना बेहद जरुरी है | कहने का आशय यह है की यदि आपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया होगा तो आप टैक्स रिफंड के लिए अप्लाई कर पाएंगे अन्यथा नहीं |

3. सम्पति की खरीद फरोख्त में हुए नुकसान का एडजस्टमेंट:

 इस प्रकार की सम्पतियों में जमीन, मकान, शेयर, जेवर, दुकान इत्यादि सम्मिलित हैं वास्तविक दुनिया में हर रोज इनकी खरीद फरोख्त का काम चलता रहता है | इस प्रकार की सम्पतियों को बेचकर होने वाले लाभ को कैपिटल गेन कहा जाता है | टैक्स योग्य आमदनी में उस वित्तीय वर्ष विशेष के लिए इस प्रकार के लाभ को भी शामिल किया जाता है |

लेकिन जहाँ लाभ पर आपको नियमों के मुताबिक टैक्स देना होता है, वहीँ इससे हुई हानि को आप अपने आने वाले समय में कैपिटल गेन के साथ एडजस्ट या फिर इसको कैर्री फॉरवर्ड कर सकते हैं | लेकिन यह फायदा आप तभी ले पाएंगे जब आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरा होगा |

4. इनकम टैक्स रिटर्न भरके आसानी से लोन मिल जाता है:

इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले व्यक्ति की इमेज लोन देने वाले वित्तीय संस्थानों की नज़र में एक जिम्मेदार व्यक्ति की बनती है इसलिए जिन मामलों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की गई कॉपी की आवश्यकता नहीं भी होती है उनमे भी इसकी प्रति लगाने से लोन की प्रक्रिया में तेजी आती है और लोन आसानी से एवं जल्दी मिल जाता है | भारत सरकार की मुद्रा योजना के अंतर्गत भी दो लाख से अधिक का लोन लेने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी जमा करने का प्रावधान है |   

5. ITR भरकर वीजा मिलने में आसानी होती है :

यदि आप किसी कारणवश विदेश जाने की सोच रहे हैं तो ठहरिये और चेक करिए की क्या आप बराबर इनकम टैक्स रिटर्न भरते आये हैं | यदि नहीं तो कुछ देशों के लिए जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा एवं यूरोप जाने के लिए आपको वीजा मिलने में परेशानी हो सकती है | क्योंकि वीजा साक्षात्कार के दौरान कुछ देशों के वाणज्यिक दूतावास आपसे एक साल से लेकर तीन साल तक की इनकम टैक्स रिटर्न रिसीप्ट मांग सकते हैं और नहीं देने पर आपको वीजा देने से मना कर सकते हैं |

6. सरकारी टेंडर लेने में मददगार होती है :

सरकारी टेंडर लेने के इच्छुक व्यक्ति को उसकी सालाना कमाई क्या है या उसकी वित्तीय स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न की रिसीप्ट मांगी जा सकती है | अर्थात वह व्यक्ति जो सरकारी ठेका लेने की सोच रहा हो को अपने आय प्रमाण पत्र के तौर पर इनकम टैक्स रिटर्न की रसीद जमा करनी पड़ सकती है |

आम तौर पर लेटेस्ट तीन से पांच सालों की रिसीप्ट मांगी जाती है | यहाँ यह रसीद सरकारी ठेके के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को बयान करती है जिससे उस टेंडर से जुड़े अधिकारी यह फैसला ले पाने में सक्षम होते हैं की टेंडर के अनुकूल आवेदनकर्ता की वित्तीय स्थिति है या नहीं |

7. क्रेडिट कार्ड आसानी से मिल सकता है :

हालांकि नौकरीपेशा लोगों से क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते समय उनकी सैलरी स्लिप मांगी जाती है ताकि उनकी वित्तीय स्थिति का पता लगाया जा सके | लेकिन यदि व्यक्ति नौकरीपेशा नहीं है तो इस स्थिति में उसकी वित्तीय स्थिति जांचने के लिए उससे इनकम टैक्स रिटर्न की रसीद मांगी जा सकती है |

8. बड़ी बीमा पालिसी लेने में फायदेमंद:

क्या आप उनमे से हैं जो बड़ी बीमा पालिसी जैसे पचास लाख या एक करोड़ की लेना चाहते हैं यदि हाँ तो क्या आप इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं यदि हाँ तो आप इस तरह की बीमा पालिसी के लिए आवेदन कर सकते हैं | लेकिन यदि नहीं तो ठहरिये हो सकता है बीमा कंपनी इतनी बड़ी रकम का बीमा कराने से पहले आपसे आपकी इनकम टेक्स रिटर्न रसीद मांगे | ताकि वे आपकी वित्तीय स्थिति का जायजा लेकर यह पता लगाने में सक्षम हों की आपकी वित्तीय स्थिति इतनी बड़ी बीमा पालिसी लेने के योग्य है भी की नहीं |

9. आवासीय प्रमाण पत्र के तौर पर उपयोग:

ऐसे व्यक्ति जो लगातार इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे हैं उनके नाम से टैक्स असेसमेंट आर्डर पास हो सकता है और इस असेसमेंट आर्डर को व्यक्ति आधार कार्ड, पासपोर्ट इत्यादि बनवाने के लिए आवासीय प्रमाण पत्र के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है |

10. ITR आमदनी का रिकॉर्ड रखने में सहायक होती है

यदि आप प्रत्येक वर्ष आयकर विभाग को अपनी कमाई की जानकारी देते हैं तो इससे सरकार को तो आपकी आमदनी का पता चलता ही है साथ में आप भी अपनी आमदनी का रिकॉर्ड रख पाने में सक्षम होते हैं | ऐसे लोग जिनकी आमदनी पहले आयकर के दायरे में आती थी लेकिन अब नहीं आती है उन्हें भी इनकम टैक्स रिटर्न भरना छोड़ना नहीं चाहिए | ताकि वे उपर्युक्त दिए गए फायदों से वंचित न हो सकें |

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