खुद का बिजनेस शुरू करने के फायदे एवं नुकसान ।

हालांकि भारत में ही नहीं अपितु दुनियाभर के लोगों का सपना एक सफल बिजनेस चलाकर पैसे कमाई करने का होता है। क्योंकि जहाँ वेतन से मनुष्य को एक निश्चित मात्रा में ही आमदनी हो पाती है वहीँ बिजनेस से कमाई की कोई सीमा नहीं होती है। इसलिए अक्सर कहा जाता है की नौकरी से आप अपना पेट तो भर सकते हो लेकिन सपने पूरे नहीं कर सकते यदि आपको सपने पूरे करने हैं तो बिजनेस करना होगा।

यद्यपि वर्तमान परिदृश्य में यह कहावत पूरी तरह से लागू नहीं होती क्योंकि वर्तमान में ऐसी ऐसी नौकरी भी विद्यमान हैं जिससे मनुष्य अपने सारे सपने पूरे कर सकता है।

खैर हमारा यह लेख नौकरी एवं बिजनेस की तुलना पर आधारित नहीं है इसलिए अब हम सीधे विषय पर आने की कोशिश करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं की खुद का बिजनेस करने के क्या फायदे होते हैं ? और क्या नुकसान होते हैं । यद्यपि अधिकतर लोग यही मानते हैं की बिजनेस करने के फायदे ही फायदे होते हैं जबकि सच्चाई इसके उलट है बल्कि सच्चाई यह है की बिजनेस करने के जितने फाडे होते हैं उतने नुकसान भी होते हैं जिनका जिक्र हम आगे इस लेख में करने वाले हैं।

khud ka business shuru karne ke fayde aur nuksan

बिजनेस शुरू करने के फायदे (Advantage of Starting Up a own Business):

यद्यपि देखा जाय तो नौकरीपेशा लोगों से यदि पूछा जाय की उनकी सबसे बड़ी समस्या क्या है तो वे यही कहेंगे की कितना भी अच्छा काम कर लो यार बॉस की तरफ से कोई रिवॉर्ड, शाबाशी मिलती ही नहीं है। और उन्हें किसी के अधीन कार्य करने में मजा नहीं आता है। कहने का आशय यह है की बिजनेस करने का जो सबसे बड़ा फायदा हर किसी को नजर आता है वह यह है की बिजनेस शुरू करके उद्यमी को किसी के अधीन काम नहीं करना पड़ता है।

1. काम करने की स्वतंत्रता

खुद का बिजनेस शुरू करने का सबसे पहला फायदा यही होता है की व्यक्ति को किसी की चेतवानी या आदेश के हिसाब से नहीं चलना पड़ता है। बल्कि अपना मालिक खुद ही बनकर अपने बिजनेस को आगे बढ़ाना होता है । इसमें बिजनेस एवं काम से जुड़े हुए निर्णय सभी कुछ व्यक्ति को खुद ही लेने की स्वतंत्रता होती है। कहने का आशय यह है की खुद का बिजनेस करने पर अनेकों निर्णय जैसे वे किसके साथ बिजनेस करेंगे, क्या काम करेंगे, किस समय तक काम करेंगे सभी प्रकार के निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है।

2. असीमित कमाई की संभावना:

जैसा की हम सब जानते हैं की नौकरी करके मनुष्य केवल एक निश्चित अमाउंट में ही वेतन पाने का अधिकारी होता है। कहने का अभिप्राय यह है की जब व्यक्ति दूसरों के लिए काम करता है तो उसका नियोक्ता उसे एक निश्चित मात्रा में यानिकी जितना वह दे पाने में सक्षम है वेतन देता है।

लेकिन जब व्यक्ति खुद का बिजनेस शुरू करता है तो उसके पास कमाने के बहुत सारे विकल्प होते हैं जिनसे वह असीमित तौर पर कमाई कर सकता है। यानिकी कोई भी उद्यमी अपने बिजनेस से अपने ज्ञान, मेहनत, क्षमता, कौशल इत्यादि का उपयोग करके असीमित धन की प्राप्ति कर सकता है।

3. रचनात्मक अभिव्यक्ति की आज़ादी

किसी व्यक्ति के विचार कितने भी रचनात्मक क्यों न हों लेकिन यदि वह व्यक्ति किसी दुसरे के लिए काम करता है तो उसे अपने रचनात्मक विचारों को धरातल के पटल पर उतारने के लिए अपने नियोक्ता से इजाजत या स्वीकृति लेने की आवश्यकता होती है। लेकिन यदि वही व्यक्ति खुद का बिजनेस कर रहा हो तो वह अपने रचनात्मक विचारों को अभिव्यक्त भी कर सकता है और उन्हें अमल में लाने का निर्णय भी ले सकता है।

4. कर्मचारियों एवं अन्य बिजनेस गतिविधियों पर नियंत्रण

चूँकि उद्यमी जो बिजनेस कर रहा होता है उसका सर्वे सर्वा होता है इसलिए कार्य के घंटों के दौरान उसका सभी कर्मचारियों एवं बिजनेस गतिविधियों पर नियंत्रण होता है। कहने का आशय यह है की सपूर्ण बिजनेस संचालन में उद्यमी का अहम् योगदान होता है। उत्पाद की डिजाईन से लेकर बिक्री तक के सारे निर्णय उद्यमी की स्वीकृति के बिना नहीं होते हैं।

ऐसे उद्यमी जो अपने व्यवसाय में पूरी तरह से खो जाते हैं और जो बिजनेस में कुछ हासिल करने के लिए अपना विजन सेट करते हैं। वे अपने ग्राहकों को भी कुछ न कुछ ऐसा दे जाते हैं जिन्हें वाकई में उसकी आवश्यकता होती है। यही कारण है की जब उद्यमी अपने पूरे बिजनेस साम्राज्य पर नियंत्रण बनाये रखता है तो उसे अपने आप पर गौरव महसूस होता है की वह ऐसा कर पा रहा है। जो उसे उसके बिजनेस को विस्तृत करने की ओर प्रेरित करता है।

5. नौकरी से निकाले जाने का डर नहीं

जब व्यक्ति दूसरों के लिए काम करता है तो नौकरी को लेकर उसके मन में हमेशा असुरक्षा की भावना होती है की क्या पता कब उसे किसी गलती पर या बिना गलती के भी नौकरी से निकाल दिया जाय। हालांकि सरकारी नौकरी करने वालों के मन में असुरक्षा की भावना नहीं रहती है। लेकिन जब व्यक्ति खुद का बिजनेस कर रहा होता है तो उसमें काम के प्रति यह असुरक्षा की भावना नहीं होती है।

अर्थात उसे नौकरी से निकाले जाने का डर नहीं रहता है। जब उद्यमी को लग रहा है की उसका मौजूदा बिजनेस मॉडल नहीं चल रहा है तो वह उस मॉडल में बदलाव कर सकता है और बाजार में अपनी उपलब्धता बनाये रख सकता है।

बिजनेस शुरू करने के नुकसान (Disadvantages of Starting up own Business)

कोई भी व्यक्ति जो खुद का बिजनेस शुरू करने की सोचता है वह सबसे पह्क्ले यही सोचता है की क्या पता उसका बिजनेस चलेगा भी की नहीं? अर्थात उद्यमी को डर रहता है की ढेर सारा निवेश करने के बावजूद भी उसका बिजनेस चलेगा की नहीं क्योंकि इस बात को कोई सुनिश्चित नहीं कर सकता है की हर बिजनेस करने वाले व्यक्ति का बिजनेस चल ही पड़ेगा। इसलिए बिजनेस शुरू करने के कई नुकसान भी हैं जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

1. जोखिम (Risk):

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की भले ही उद्यमी ने अपने बिजनेस को शुरू करने के लिए कितनी ही अच्छी योजना क्यों न बनाई हो। अर्थात उसने भले ही अपनी बिजनेस योजना को जोखिम से मुक्त रखने की पूर्ण कोशिश क्यों न की हो, लेकिन बिजनेस से जोखिम को पूरी तरह से अलग नहीं किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने बिजनेस शुरू करने के चक्कर में एक सुरक्षित नौकरी को छोड़ देता है और बाद में उसका बिजनेस नहीं चलता है या असफल हो जाता है। तो उद्यमी के लिए उस वित्तीय नुकसान की भरपाई कर पाना और उससे उबर पाना काफी मुश्किल हो सकता है।

2. लम्बे समय तक काम:

किसी भी व्यक्ति द्वारा जब बिजनेस शुरू किया जाता है तो उसके शुरूआती दौर में व्यक्ति के पास न ही उतने अधिक कर्मचारी होते हैं और न ही उतने अधिक अन्य रिसोर्स इसलिए उद्यमी को अपने बिजनेस को चलाने के लिए लम्बे समय तक काम करने की आवश्यकता होती है।

कहने का आशय यह है की बिजनेस के शुरूआती दौर में उद्यमी का बजट उसे बहुत अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति करने की इजाजत नहीं देता जिसका नतीजा यह होता है की सारे कर्तव्य एवं ज़िम्मेदारियाँ उद्यमी के कंधो पर आ जाती हैं जिनके निर्वहन के लिए उसे लम्बे समय तक काम करने की आवश्यकता होती है। जिससे उद्यमी अपने परिवार एवं मित्रजनों को समय दे पाने में असमर्थ रहता है ।

3. अनिश्चितता का बने रहना:

भले ही उद्यमी का बिजनेस शुरूआती दौर में अच्छा क्यों न चलाने लगे लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं होता की उसका काम हमेशा ही ऐसा चलता रहेगा बल्कि बिजनेस में हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है। बाहरी कारक जैसे अर्थव्यवस्था का अच्छा न होना, किसी प्रतिस्पर्धी का बाजार में आ जाना, ग्राहकों की मांग का शिफ्ट हो जाना इत्यादि ऐसे कारक हैं जो बिजनेस में अनिश्चिता को बनाये रहते हैं । इसलिए बिजनेस शुरू करने का यह भी एक प्रमुख नुकसान या दोष है।

4. वित्तीय प्रतिबद्धता:

बिजनेस चाहे कोई कितना भी छोटा क्यों न हो उसे शुरू करने में कुछ न कुछ निवेश की आवश्यकता तो होती ही है। और आम तौर पर अक्सर देखा गया है की जिस बिजनेस में निवेश कम हो उस बिजनेस को शुरू करने में आने वाले निवेश का प्रबंध उद्यमी अपनी निजी बचत के लिए रखे गए पैसों से करता है।

जिसके कारण परिवार की जिन आवश्यकताओं या दायित्वों की पूर्ती के लिए उस पैसे की बचत की गई थी वह पूरा नहीं हो पाती हैं। और इसके अलावा जब व्यक्ति बैंक या वित्तीय संस्थानों से ऋण के लिए आवेदन करता है तब भी उसे अपनी निजी बचत या सम्पति सुरक्षा के तौर पर गिरवी रखनी पड़ती है।

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