भारत में लाइब्रेरी बिज़नेस कैसे शुरू करें? How to start Library Business in India.

विकसित देशों में Library Business बहुत पहले से फल फूल रहा है | लेकिन इंडिया में इस तरह के बिज़नेस को बहुत ज्यादा फायदेमंद की लिस्ट में इसलिए नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि भारतीय लोगों की आदतें इस तरह के बिज़नेस से मेल नहीं खाती हैं | हालांकि किराये पर किताब देने का बिज़नेस यहाँ के लोगों की आवश्यकता एवं खर्च करने की क्षमता से मेल खाता है, लेकिन इसमें भी उद्यमी इस रिस्क में रहता है की पढने वाला व्यक्ति किताब वापस करेगा या नहीं |

इसलिए उद्यमी को Library Business की शुरुआत अलग से मॉडल जिसमें पाठकगण लाइब्रेरी की सदस्यता प्राप्त करके उसी के रीडिंग रूम में किताबें पढ़ सकते हैं | या फिर यदि कोई पाठकगण किताब को घर ले जाने की रिक्वेस्ट करता है तो वह किताब की वास्तविक कीमत भरकर एक निश्चित समय के लिए किताब पढने के लिए ले जा सकता है | और किताब वापस मिलने पर उद्यमी किताब का किराया काटकर बाकी पैसे पाठकगण को वापस कर सकता है |

यद्यपि इंडिया में सफलतापूर्वक Library Business चलाने एवं इससे कमाई करने के लिए अन्य बेहद प्रभावी रणनीति एवं निवेश की आवश्यकता हो सकती है | लेकिन चूँकि हमारे आदरणीय पाठकगणों ने इस व्यापार के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की हुई है, इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से Library Business  शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में जानने का भरसक प्रयत्न करेंगे | लेकिन इससे पहले की हम आगे बढ़ें आइये जानते हैं यह लाइब्रेरी बिज़नेस होता क्या है |

Library-business starting process

लाइब्रेरी बिज़नेस क्या है (What is Library Business in Hindi):

स्कूल, कॉलेज इत्यादि जाने वाले विद्यार्थी लाइब्रेरी नामक इस शब्द से अच्छी तरह परिचित होंगे | जी हाँ यह स्कूल, कॉलेज इत्यादि में उपलब्ध वही जगह होती है जहाँ विद्यार्थियों को पढने के लिए किताबें मिल जाती हैं | वर्तमान में कुछ कम्पनियाँ भी अपने कर्मचारियों को उनमें कौशल विकास करने के उद्देश्य से लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध कराते हैं |

किसी कंपनी की लाइब्रेरी में उस कंपनी के व्यापार से सम्बंधित किताबें ही उपलब्ध होती हैं और कंपनी की तरफ से कर्मचारियों को दी जाने वाली यह सुविधा आम तौर पर मुफ्त होती है | कहने का अभिप्राय यह है की एक ऐसा स्थान जहाँ से कोई व्यक्ति किसी किताब को पढ़ने के लिए किराये पर या मुफ्त में ले सकता है लाइब्रेरी कहलाती है | लेकिन ध्यान रहे हर पाठककर्ता द्वारा ली गई किताब को एक निश्चित समय के बाद वापस लाइब्रेरी में ही रखना होता है | आम तौर पर देखा जाय तो Library Business विद्यार्थियों एवं पढ़ने के शौक़ीन लोगों से जुड़ा हुआ बिज़नेस है |

लाइब्रेरी बिज़नेस कैसे शुरू करें? (How to start Library Business in Hindi):

आम तौर पर लोग कुछ किताबें खरीदकर उन्हें पढने के लिए किराये पर देने को ही Library Business शुरू करना समझ लेते हैं | लेकिन सच्चाई यह है की लाइब्रेरी बिज़नेस को शुरू करने के लिए भी एक अच्छी योजना की आवश्यकता होती है | जिसमे उद्यमी को सबसे पहले इस बात का निर्णय लेना होता है की वह किस प्रकार के ग्राहकों को ध्यान में रखकर Library Business शुरू करना चाहता है |

अर्थात वे ऐसे विद्यार्थियों या लोगों को लक्ष्य करना चाहता है जो भी इस तरह की सुविधा से वंचित है या फिर किसी विशेष श्रेणी जैसे कंप्यूटर कौशल इत्यादि हासिल करने के लिए लोगों को किताबें उपलब्ध कराना चाहता है | अपने लक्ष्य को पहचानने के बाद ही उद्यमी को आगे के कदम उठाने चाहिए जिनका संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से है |

1. किसी स्थानीय लाइब्रेरी का भ्रमण करें

यदि आप Library Business शुरू करना चाहते हैं तो आपका सबसे पहला कदम किसी स्थानीय लाइब्रेरी का भ्रमण करने का होना चाहिए | यह इसलिए जरुरी हो जाता है क्योंकि इससे उद्यमी उनके लाइब्रेरी का सेटअप देख सकता है और यह भी पता कर सकता है की वे ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए किस प्रकार की विशेष स्कीम का इस्तेमाल कर रहे हैं |

इन सबके अलावा यदि उद्यमी उस लाइब्रेरी को अपनी प्रतिस्पर्धा के तौर पर देख रहा है तो वह यह भी पता कर सकता है की उनके पास कौन सी किताबें उपलब्ध हैं और कौन सी नहीं, ताकि वह अपने Library Business का हिस्सा उन किताबों को भी बना सके जो पहले से चल रही लाइब्रेरी के पास उपलब्ध न हों |

2. लोकेशन का चयन एवं ढांचा :

लोकेशन का चयन करने में उद्यमी को इस बात का बेहद ध्यान रखना होगा की किसी प्रचलित शिक्षण संस्थान, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी के आस पास इस तरह का बिज़नेस अच्छा चल सकता है | क्योंकि इंडिया में पढने का शौक रखने वाले व्यक्ति भी अपना यह शौक अपने घर में ही पूरा कर लेते हैं अर्थात वे लाइब्रेरी में जाकर पढना पसंद नहीं करते हैं | ऐसे में शिक्षण संस्थाओं से जुड़े व्यवसायिक व्यक्ति एवं विद्यार्थी जिनका किताबें पढना एक तरह से मजबूरी होती है वही अधिकतर तौर पर लाइब्रेरी का रुख करते हैं |

इसलिए Library Business के लिए ऐसी लोकेशन का चुनाव करना मह्य्व्पूर्ण हो जाता है जहाँ उसके आंशिक ग्राहक पहले से मौजूद हों | लोकेशन पर जगह का चयन करते समय उद्यमी को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होता है की उसे न सिर्फ किताबें रखने के लिए जगह चाहिए होगी |

बल्कि Reading Room विकसित करने के लिए भी जगह चाहिए होगी | इसके अलावा लाइब्रेरी का ढांचा उद्यमी को इस तरह से विकसित करना होगा की अलग अलग उम्र के लोगों के इस्तेमाल में लायी जाने वाली किताबें अलग अलग हों | जैसे उद्यमी चाहे तो बच्चों के उपयोग में लायी जाने वाली किताबों को अन्य किताबों से अलग रख सकता है |

3. फर्नीचर एवं फर्निशिंग:

Library Business के लिए लोकेशन एवं जगह का चयन कर लेने के बाद उद्यमी को उसमे फर्नीचर एवं फर्निशिंग का कार्य पूर्ण कराना होगा | जैसा की हम सबको विदित है की लाइब्रेरी में किताबें रखने के लिए अलमारियों की आवश्यकता हो सकती है | उद्यमी को ऐसी अलमारियाँ लगानी चाहिए जिनके दरवाजे शीशे के हों या फिर बिना दरवाजों की अलमारियाँ भी किताबें रखने के लिए उपयुक्त होती हैं | इन सबके अलावा उद्यमी को कुछ कुर्सी, बेंच, मेज इत्यादि खरीदने की आवश्यकता हो सकती है |

ध्यान रहे लाइब्रेरी में फर्नीचर एवं फर्निशिंग का काम कराते वक्त उद्यमी को सहजता का विशेष ध्यान रखना होगा ताकि लाइब्रेरी में काम करने वाले कर्मचारियों को ग्राहकों को सँभालने में किसी तरह की कोई असुविधा न हो | चूँकि लोग यहाँ किताबे पढने के लिए आयेंगे इसलिए लाइब्रेरी में अच्छी लाइटिंग के साथ उनके बैठने के लिए सुविधाजनक प्रबंध का होना अनिवार्य है | इसके अलावा उद्यमी को मेम्बरशिप शुल्क एवं मेम्बरशिप नियम भी निर्धारित करने की आवश्यकता होती है |

4. किताबें खरीदें (Purchase the books):

अपने Library Business के लिए कौन कौन सी किताबे खरीदें इसका निर्णय ग्राहकों की श्रेणी पर निर्भर करता है जैसे यदि उद्यमी विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर यह व्यापार शुरू कर रहा हो तो उसे विषयक पुस्तकें अधिक रखनी होंगी | यद्यपि एक समय के पश्चात उद्यमी यह निर्णय ले पाने में स्वत: सक्षम हो जाता है की उस विशेष लोकेशन पर किस तरह की किताबों की मांग अधिक है |

उद्यमी चाहे तो किसी सप्लायर का चुनाव किताब सप्लाई करने के लिए कर सकता है लेकिन वर्तमान में किताबें ऑनलाइन भी डिस्काउंट रेट पर आसानी से मिल जाते हैं | इसलिए उद्यमी चाहे तो ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से भी अपने Library Business के लिए किताबें खरीद सकता है |

5. कर्मचारियों की नियुक्ति:

हालांकि शुरूआती दौर में उद्यमी Library Business को बेहद छोटे स्तर पर शुरू करके अकेले भी चला सकता है अर्थात उसे किसी अन्य व्यक्ति को कर्मचारी के तौर पर नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं होती है | लेकिन यदि उद्यमी का विचार शुरुआत में ही बड़ी लाइब्रेरी खोलने का हो तो उसे अपनी आवश्यकतानुसार कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी |

6. लाइसेंस एवं पंजीकरण:

यद्यपि छोटे स्तर पर इस तरह का व्यापार शुरू करने अर्थात Library Business शुरू करने के लिए किसी प्रकार के लाइसेंस एवं पंजीकरण की आवश्यकता अनिवार्य रूप से नहीं होती है | लेकिन यदि उद्यमी का सालाना टर्नओवर छूट प्राप्त की सीमा से अधिक होता है तो उद्यमी को जीएसटी पंजीकरण कराना पड़ सकता है | इसके अलावा उद्यमी को स्थानीय नियमों के बारे में भी पता कर लेना चाहिए और नियम के मुताबिक आवश्यक लाइसेंस ले लेने चाहिए | आम तौर पर भारत में Library registration के लिए उद्यमी इसकी ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करा सकता है |

लाइब्रेरी बिज़नेस की कठिनाइयाँ (Difficulties of Library Business):

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्यों में भी बता चुके हैं की Library Business मनुष्य की नितांत आवश्यकता से जुड़ा हुआ बिज़नेस नहीं है | इसलिए इस बिज़नेस से कमाई करने में उद्यमी को अनेकों कठिनाइयाँ आ सकती हैं | जिनका संक्षिप्त वर्णन हम नीचे कर रहे हैं |

  • Library Business एक ऐसा बिज़नेस है जिसे कम जगह के साथ शुरू नहीं किया जा सकता अर्थात इस तरह का यह व्यापार शुरू करने के लिए काफी जगह की आवश्यकता होती है | इसलिए इस तरह के बिज़नेस के लिए चयन की गई जगह का किराया अधिक हो सकता है | किराया अधिक होने के कारण उद्यमी Library Business से कम लाभ प्राप्त कर पाता है |
  • चूँकि लाइब्रेरी में लोग पढ़ने के लिए आते हैं इसलिए उन्हें सुविधाजनक महसूस कराने के लिए उद्यमी को एयर कंडीशन इत्यादि लगाने पड़ सकते हैं | लेकिन समस्या यह है की इस तरह की सुविधा से ऑपरेटिंग कास्ट बढ़ जाती है और अधिक ग्राहक न मिलने की स्थिति में लाभ कमाना बेहद मुश्किल हो जाता है |
  • Library Business को शुरू करने में लागत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इस तरह का बिज़नेस शुरू करने के लिए उद्यमी को बहुत ज्यादा फर्नीचर की आवश्यकता होती है | यदि किसी कारणवश उद्यमी का बिज़नेस नहीं भी चला तो इस महंगे फर्नीचर का अवमूल्यन बड़ी तीव्र गति से होता है | इसलिए उद्यमी को यह कौड़ियों के दाम बेचना पड़ सकता है |
  • Library Business को अप टू डेट एवं ग्राहकों का विश्वास बढ़ाने के लिए उद्यमी को समय समय पर नई किताबें खरीदने की आवश्यकता हो सकती है जिससे उद्यमी द्वारा कमाए हुए लाभ में कमी आती है |
  • भारतीय लोगों की मानसिकता इस तरह के बिज़नेस से कतई मेल नहीं खाती है, इसलिए भले ही उद्यमी कितनी भी सस्ती मेम्बरशिप फी के साथ लोगों को आकर्षित करने की कोशिश करे लेकिन उन्हें पढने के बदले पैसे देना महंगा ही लगेगा |
  • देश में ऐसी अनेक लाइब्रेरी हैं जो सार्वजनिक दान से चलती हैं और ये लोगों को मुफ्त की सुविधाएँ उपलब्ध कराती हैं | Library Business से पैसे कमाने में इसलिए भी कठिनाइयाँ आती हैं क्योंकि अक्सर लोग अपने शहर में फ्री लाइब्रेरी की खोज में रहते हैं |

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