मातृत्व लाभ अधिनियम | Maternity Benefits Act Information in Hindi.

Maternity benefits कामकाजी महिलाओं के मातृत्व सुख और कमाई से जुड़ा हुआ विषय है, इसलिए Maternity act 1961 के बारे में जानकारी प्रदान करना बेहद जरुरी हो जाता है, यही कारण है की आज हम इस लेख में मातृत्व लाभ की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में देने का प्रयास कर रहे हैं | यह Act सम्पूर्ण भारतवर्ष में महिलाओं के रोजगार को नियंत्रित करने के रूप में सहायक होता है |

क्योंकि यदि यह Maternity Act 1961 नहीं होता, तो हो सकता था की कोई भी नियोक्ता महिलाओं को 26 सप्ताह यानिकी लगभग 6 महीने का समय मातृत्व कार्यों को निभाने हेतु नहीं देता, हो सकता था की नियोक्ता उस छह महीने के समय के दौरान उस महिला कर्मचारी की जगह किसी अन्य कर्मचारी को काम पर रख लेता |

Maternity benefits act-1961-in-hindi

इसलिए यह Maternity Act 1961 सुनिश्चित करता है, की यदि कोई महिला कर्मचारी गर्भ से है, तो उसे बच्चे के लिए पूरा समय दिया जाय ताकि अधिक से अधिक महिलाएं कामकाज की ओर अपना रुख कर सकें |

यदि कोई कर्मचारी ESI Scheme के अंतर्गत पंजीकृत है, तो ठीक है नहीं तो यह एक्ट केवल उन इकाइयों पर लागू होता है, जिनमे कर्मचारियों की संख्या 10 से अधिक हो |

मातृत्व लाभ अधिनियम कहाँ कहाँ लागू होता है :

  • हर कारखाना वृक्षारोपण से खदान तक (सरकारी इकाइयों को मिलाकर ).
  • घुड़सवारी, कलाबाजी और अन्य प्रदर्शन की प्रदर्शनी में लगे प्रतिष्ठान,
  • प्रत्येक दुकान या प्रतिष्ठान जहाँ पिछले 12 महीनों में किसी एक दिन भी 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हों |

मातृत्व लाभ क्या है

प्रत्येक कामकाजी महिला Maternity Benefit का लाभ लेने के योग्य है, और प्रत्येक नियोक्ता अपनी महिला कर्मचारी को Maternity Benifits देने के लिए इस अधिनियम के तहत बाध्य है | Maternity Benefit के रूप में नियोक्ता द्वारा महिला कर्मचारी को औसतन दैनिक वेतन के आधार पर पूरी छुट्टियों अधिक से अधिक 12 सप्ताह का वेतन दिए जाने का प्रावधान है |

मातृत्व लाभ के नियम (Maternity Benefit rules in Hindi).

  • कोई भी महिला कर्मचारी बच्चे के जन्म के बाद या बच्चे के जन्म से पहले अधिक से अधिक 12 सप्ताह के लिए Maternity Leave ले सकती हैं | हालाँकि प्रसव तिथि के 6 सप्ताह से पहले Maternity Leave नहीं ली जा सकती |
  • Maternity Benefits 1989 में संसोधन से पहले अधिक से अधिक Maternity Leave की सीमा 6 सप्ताह थी | जिसे बाद में 12 सप्ताह कर दिया गया, अब हाल ही में वर्ष 2017से इसे वर्तमान सरकार ने संसोधन करके 26 सप्ताह कर दिया है |
  • प्रत्येक महिला कर्मचारी जो पिछले 80 दिनों से किसी प्रतिष्ठान में कार्यरत हो, चाहे वह प्रतिष्ठान की तरफ से प्रत्यक्ष रूप से रोजगारित हो, या किसी ठेकेदार के माध्यम से Maternity Benefits पाने के लिए योग्य मानी जाएँगी |
  • यदि कोई महिला किसी और राज्य से आकर असम में अप्रवासी के रूप में बसती है, और वह उस समय गर्भ से है तो 80 दिनों वाला Rule उस महिला पर लागू नहीं होगा |
  • दिनों की संख्या की गणना के लिए पिछले 12 महीने में महिला द्वारा ली गई छुट्टी इत्यादि की भी गणना की जाएगी |
  • Maternity Benefits Act के अंतर्गत किसी प्रकार की वेतन संबंधी सीमा तय नहीं की गई है, इसके अलावा महिला प्रतिष्ठान में क्या काम करती थी इसका भी कोई जिक्र नहीं है, जिसका मतलब है की हर कामकाजी महिला Maternity Benefits के अंतर्गत योग्य है |

छुट्टियों के लिए आवेदन कब कर सकते हैं :

Maternity Leave rules in Hindi : जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं कोई भी महिला कर्मचारी अपनी डिलीवरी के अनुमानित तिथि से 8 हफ़्तों के अंदर अंदर कभी भी Maternity Leave के लिए apply कर सकती हैं, लेकिन 8 हफ़्तों से पहले नहीं | वर्ष 2017 से पहले यह 6 हफ्ते थी, जिसे Maternity Amendment bill 2016 में 8 हफ्ते कर दिया गया |

महिला कर्मचारी को चाहिए की वह अपने नियोक्ता को Maternity Leave पर जाने से पहले या बच्चे के जन्म के बाद निम्न विषयों  पर लिखित में सूचना दे |

  • उसका Maternity benefits उसको खुद को या किसी नामांकित व्यक्ति को, यदि नामांकित व्यक्ति को देने का इरादा हो तो सूचना में उसकी पूरी details होनी चाहिए |
  • जिस समयकाल का उसे Maternity Benefits दिया जायेगा उसको निश्चित करना होगा की उस समय के दौरान वह किसी अन्य प्रतिष्ठान में काम नहीं करेगी |
  • इसमें महिला कर्मचारी को अपनी Maternity Leave details की Starting तिथि और समाप्ति तिथि का ब्यौरा देना होगा, लेकिन ध्यान रहे की Starting तिथि अनुमानित Delivery तिथि के 8 हफ्ते से पहले की तिथि न हो |

मातृत्व लाभ की लिस्ट (Maternity benefits in Hindi) :

Maternity benefits की List में कामकाजी महिलाओं को जो सबसे बड़ा लाभ है, वह यह है की 26 सप्ताह की Paid Maternity leave, 2017 से पहले जो 12 हफ्ते थी | वर्ष 2017 में Maternity benefits act में कुछ और संसोधन किये गए ताकि देश में महिलाओं को शादी के बाद अपनी जॉब न छोड़नी पड़े | और अधिक से अधिक महिलाएं घर से बाहर कामकाज करने के लिए अपने कदम बढ़ाएं | इस अधिनियम में वर्ष 2017 में हुए बदलावों की लिस्ट निम्न है |

हालांकि मातृत्व लाभ अधिनियम से जुड़ा यह संसोधित बिल (Amended bill ) 2016 में ही राज्य सभा में पारित हो गया था | इस Maternity benefits bill 2016 को तत्कालीन श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने 11 अगस्त 2016 को राज्य सभा में पेश किया था |

लेकिन इसको और वैधानिक मंचो पर पास कराने में सरकार को समय लग गया | और इस संसोधित बिल को नए वित्त वर्ष 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया गया, इसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं |

  • यदि किसी कारणवश किसी महिला के गर्भ का मिसकैरिज या मेडिकल टर्मिनेशन हो गया हो तो इस स्थिति में Maternity Benefits act 1961 के अंतर्गत महिला नियोक्ता को इसका सुबूत देकर 6 हफ़्तों की छुट्टी के लिए योग्य मानी जाएगी |
  • यदि किसी महिला कर्मचारी ने नसबन्दी आपरेशन कराया हो तो, इस स्थिति में भी नियोक्ता को इसका सुबूत देकर महिला 2 हफ़्तों की छुट्टी लेने के योग्य मानी जाएगी |
  • यदि किसी महिला को बच्चे के जन्म के बाद, जैसे बच्चे का समय से पूर्व हो जाना , मिसकैरिज या अन्य किसी कारणवश कमजोरी का आभास होता है तो इस स्थिति में महिला को एक महीने की अतिरिक्त छुट्टी देने का प्रावधान किया गया है |
  • Maternity Benefits के अंतर्गत योग्यता रखने वाली हर महिला अपने नियोक्ता से 1000 रूपये मेडिकल बोनस के रूप में पाने की हकदार है |
  • इस बिल में Maternity Leave को 12 हफ़्तों से 26 हफ्ते कर दिया गया है | जो महीनों में लगभग छह महीने बनते हैं|
  • पिछले नियम के अनुसार कोई भी महिला कर्मचारी अनुमानित delivery तिथि के 6 हफ्ते से पहले Maternity Leave नहीं ले सकती थी, लेकिन अब पात्र महिला 8 हफ्ते पहले मेटरनिटी लीव ले सकती हैं |
  • यदि किसी महिला की दो या दो से अधिक संताने हैं, तो इस स्थिति में महिला केवल 12 हफ़्तों की छुट्टी के लिए ही योग्य मानी जाएगी और उसे अनुमानित डिलीवरी date के 6 हफ़्तों से पहले छुट्टी नहीं मिलेगी |
  • यदि कोई महिला कानूनी रूप से किसी तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है, तो इस स्थिति में, और यदि कोई महिला संतानोत्पति के लिए अपने अण्डों को किसी दूसरी महिला के भ्रूण में कानूनी रूप से प्रत्यारोपित कराती है तो ऐसी माँ को Commissioning Mother कहा जाता है | Commissioning Mother भी 12 हफ़्तों की Maternity Leave के लिए योग्य मानी जाएगी |
  • उपर्युक्त स्तिथि में Maternity Leave का समयकाल तब शुरू होगा, जब दत्तक माँ बच्चे को Commissioning Mother को सौंप देगी |
  • इस Maternity benefits Amendment bill 2017 के अंतर्गत महिला को Maternity Leave पूरी होने के पश्चात् Employer की रजामंदी से Work From Home का विकल्प देने का प्रावधान है | और इसका समयकाल महिला और नियोक्ता के आपसी रजामंदी पर निर्भर करेगा |
  • Creche Facility का अर्थ Day care Center या ऐसे संगठन से लगाया जा सकता है, जो माँ, बाप के बदले बच्चों की देखभाल करते हैं, Maternity benefits bill 2016 में यह भी प्रावधान किया गया है, की जिन प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की संख्या 50 या 50 से अधिक है उनको महिला कर्मचारियों को एक निर्धारित दूरी पर Creche Facility भी देनी होगी | और महिला अपने Rest के Interval को मिलाकर उस Center का एक दिन में 4 बार विजिट कर सकती है |
  • नए नियम के मुताबिक कोई भी नियोक्ता किसी महिला कर्मचारी को नियुक्त करते वक्त उसको लिखित में या इलेक्ट्रॉनिक रूप से Maternity Benefits यानिकी मातृत्व लाभ से अवगत कराएगा |

मैटरनिटी बेनिफिट बिल 2016 को 1 अप्रैल 2017 से देश भर में लागू कर दिया गया है | जिसकी अहम बातों का उल्लेख हम उपर्युक्त वाक्यों में कर चुके हैं |

मातृत्व लाभ अधिनियम की कमियाँ

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की अधिकतर कामकाजी महिलाएं शादी के बाद बच्चा होने पर अपनी नौकरी छोड़ देती हैं । वह इसलिए नहीं क्योंकि वह आगे नौकरी करना नहीं चाहती, बल्कि इसलिए क्योंकि वह जॉब के साथ अपने छोटे से शिशु को समय नहीं दे पाती ।

यही कारण है की भारत में हमेशा से नौकरीपेशा महिलाओं को शादी के बाद अपनी नौकरी छूटने का डर लगा रहता था । इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने Maternity Benefits Act, 1961 बनाया और इसमें समय समय पर संसोधन भी किये । लेकिन आज भी इसमें कई कमियाँ हैं, जिनकी लिस्ट इस प्रकार से है।

  • असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को इस अधिनियम के दायरे में नहीं आती हैं । जबकि एक आंकड़े के मुताबिक देश में लगभग 90% महिलाएं अंसगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं ।
  • नए नियम के मुताबिक 26 हफ्ते मैटरनिटी लीव का लाभ केवल दो बार यानिकी दो बच्चों पर ही मिलेगा। दो बच्चों के बाद केवल 12 हफ़्तों की छुट्टी प्रदान की जाएगी।

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