जैविक खेती कैसे शुरू करें । How to start Organic Farming in India.

जैविक (Organic Farming) खेती का महत्व भारत एवम चीन के किसानों से कोई अधिक इसलिए नहीं समझ सकता, क्योंकि इन देशों में पिछले 4000 वर्षों से इस खेती ने यहाँ के किसानों को बनाये रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

लेकिन इन देशों में पिछले 4000 वर्षों से चली आ रही जैविक खेती को तब धक्का लगा जब विश्व में बढ़ती हुई जनसँख्या, मौसम में आकस्मिक परिवर्तन के चलते लोगों ने खाद्य पदार्थो की आपूर्ति हेतु खेतों में समय से पहले फसल तैयार करने के लिए तरह तरह के रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, हार्मोन, Feed Additives इत्यादि का उपयोग शुरू कर दिया । इन कृत्रिम रसायनों से जहाँ मृदा की सेहत ख़राब होने लगी, वही इन रसायनों से उत्पादित खाद्य पदार्थों को खाने के कारण मनुष्य में तरह तरह की बीमारियों का जन्म होने लगा ।

आर्गेनिक फार्मिंग न होने से सिर्फ मनुष्य की सेहत का ही नुकसान नहीं हो रहा, बल्कि मृदा की सेहत और वातावरण भी दूषित हो रहा है। इन्ही सब बातों के मद्देनज़र देश विदेशों में निवासित लोगों और सरकार का ध्यान भी जैविक खेती की ओर आकर्षित हुआ है। और विभिन्न देशों की सरकारों ने जनता के बीच चेतना जगाने हेतु अनेक कार्यक्रमो की शुरुआत भी की है, ताकि अधिक से अधिक किसान Organic Farming का रास्ता इख़्तियार कर सकें ।

Organic Farming products

जैविक खेती क्या है (What is Organic Farming) :

साधारण शब्दों में कहें तो Organic farming अर्थात जैविक खेती से आशय कृत्रिम रसायनों, कीटनाशको इत्यादि  का नाममात्र उपयोग करना, या फिर इनका बिलकुल भी उपयोग न करके खेती करने से है | खेती करने की इस विधि में जानवरों से जनित खाद जैसे डेयरी फार्मिंग  से उत्पादित गोबर, बकरी पालन  से उत्पादित Manure, पोल्ट्री फार्मिंग से उत्पादित Manure, हरी खाद इत्यादि का उपयोग किया जाता है, ताकि भूमि की उपजाऊ करने की क्षमता बनी रहे |  और पर्यावरण या मनुष्य की सेहत पर भी इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े |

भारत में जैविक खेती (Organic Farming in India) :

2003-2004 में India में जहाँ प्रमाणित जैविक खेती 42000 हेक्टयर भूमि पर की जा रही थी, वहां 2010 आते आते यह 45 लाख हेक्टयर भूमि पर की जाने लगी। अपने देश भारतवर्ष  में अभी भी इस खेती को तीन श्रेणियों में देखा जा सकता है। पहली श्रेणी में वे किसान आते हैं, जो पहले से ही प्राचीनकाल की विधि को अपनाकर खेती कर रहे हैं |

अर्थात रासायनिक खेती की विधि इन इलाकों तक पहुंची ही नहीं या इसमें हो सकता है की उन किसानों के पास संसाधनों का अभाव हो इसलिए वे रासायनिक खेती को नहीं अपना सके। दूसरी श्रेणी में वे किसान आते हैं जो रासायनिक खेती  करके उससे होने वाले नुक्सान का अनुभव ले चुके हैं अर्थात या तो उनकी भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो गई है, या उनके उत्पादन करने की लागत में बढोत्त्तरी हुई है, इसलिए अब वे चाहते हैं की वे भी जैविक खेती अपनाकर खेती करेंगे।

तीसरी श्रेणी में थोड़े बड़े व्यवसायिक किसान या फिर कृषि से सम्बंधित इकाईयां आती हैं, जिन्होंने जान बूझकर बाज़ार की दशोदिशा का विश्लेषण करके आर्गेनिक फार्मिंग का रास्ता चुना है, क्योंकि इन्हें पता है अधिकतर लोग मिलावटी अर्थात रासायनिक खाना पसंद नहीं करते।

जैविक खेती के लाभ (Advantages of Organic Farming in hindi) :

  • जैविक खेती से न सिर्फ कृषको को लाभ होता है, अपितु सम्पूर्ण मनुष्यप्राणी से लेकर मृदा तक को लाभ होता हैं।
  • जैविक खेती में पशुजन्य या नैसर्गिक खाद का उपयोग किया जाता है, इसलिए भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है।
  • रासायनिक खाद का उपयोग होने पर भूमि अपने अंदर पानी को समाहित रखने की शक्ति खो देती है जिससे फसलों की सिंचाई बहुत काम समय के अंतराल में करनी पड़ती है। लेकिन जैविक खेती करने से मृदा में यह गन विद्यमान रहते हैं इसलिए फसलों को रासायनिक खेती की तुलना में लंबे समय बाद सिंचाई की जा सकती है।
  • अब यदि किसान रासायनिक खाद खरीदेगा तो उसकी कृषि संबंधी उत्पाद पैदा करने में लागत बढ़ जाएगी। चूँकि जैविक खेती में नैसर्गिक या पशुजन्य खाद का उपयोग किया जाता है, जिसका किसान स्वयं भी उत्पादन कर सकता है। इसलिए जैविक खेती में उत्पादन लागत रासायनिक खेती के मुकाबले कम आती है।
  • जैविक खेती में रासायनिक खाद का उपयोग न होने के कारण मृदा की सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। और नैसर्गिक खाद के उपयोग से भूमि की उपजाऊ बढ़ जाती है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
  • मृदा में जल संरक्षण करने की शक्ति का विकास होता है, जिससे सिंचाई के अंतराल में बढ़ोत्तरी होती है।
  • रासायनिक खेती की तुलना में Organic Farming में मृदा से पानी भाप के रूप में कम परिवर्तित होता है।
  • वर्तमान में 90% से अधिक बीमारियां मनुष्य के खान पान से जुड़ीं होती हैं, जैविक खेती से उत्पादित उत्पाद Chemical Free होते हैं, इसलिए खाद्य पदार्थो के कारण होने वाली बीमारियों में कमी आती है।
  • इस खेती से उत्पादित उत्पाद Chemical Free होने के कारण अंतराष्ट्रीय बाजार में सारे मानदंडों पर खरे उतरते हैं। जिससे इनकी कीमत रासायनिक खेती से उत्पादित उत्पाद के मुकाबले अधिक होती है। इसलिए जैविक खेती किसानों की आय में वृद्धि के लिए भी सहायक है।

जैविक खेती कैसे शुरू करें (How to start organic farming in India):

जैविक खेती से उत्पादित उत्पाद बाजारों में महंगे दामों में बिकते हैं। इसलिए वर्तमान में इस बिजनेस को शुरू करने के लिए लोग लालायित हो उठते हैं । लेकिन क्या सभी लोग इस तरह का यह बिजनेस (Organic farming business) कर सकते हैं। कर तो सकते हैं लेकिन सफल होने की उम्मीद सिर्फ उन्हीं की होती है जिन्हें कृषि एवं आधुनिक खेती की अच्छी जानकारी हो । तो आइये जानते हैं की यदि कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का यह बिजनेस शुरू करना चाहता है, तो उसे इसके लिए क्या क्या करना होगा।

प्रमोटर कैसे होना चाहिए  

यह साबित हो चुका है की पारम्परिक तरीकों से कृषि करने पर उतनी भी कमाई नहीं हो पाती जितना उसकी लागत होती है। इसलिए यह जरुरी नहीं है की जो ग्रामीण गांवों में पारम्परिक तरीकों से कृषि कर रहे हैं, वही इस तरह का यह बिजनेस या जैविक खेती करने के लिए पात्र हैं। बल्कि ऐसे युवा जिन्होंने कृषि विज्ञान में पढाई की हो और उन्हें आधुनिक कृषि में रूचि हो वे इस बिजनेस के लिए सबसे आदर्श प्रमोटर हैं। लेकिन ऐसे युवा जिन्होंने कृषि विज्ञान में पढाई न भी की हो, और उन्हें आधुनिक कृषि में न सिर्फ रूचि हो बल्कि उन्होंने यह बात साबित भी की हो वे भी इस तरह की खेती करके अपने सपनो को सच कर सकते हैं ।

जमीन का प्रबंध जरुरी (Required Land for Organic Farming)

खेती कोई भी हो चाहे जैविक खेती हो या सामान्य उसके लिए आपको जमीन की आवश्यकता तो होती ही होती है। इसलिए यदि आप जैविक खेती करना चाह रहे हैं तो सबसे पहले आपको जमीन का प्रबंध करने की आवश्यकता होती है । क्या आपके पास इस तरह की खेती करने के लिए उपयुक्त जमीन है। और जमीन भी इतनी होनी चाहिए की जो आपको आपकी मेहनताना देने में सक्षम हो।

यदि आप इस बिजनेस (Organic Farming Business) को फुल टाइम व्यापार के तौर पर शुरू करना चाहते हैं तो आपके पास कम से कम १ हेक्टेयर यानिकी कम से कम लगभग ४ बीघा जमीन तो होनी ही चाहिए। यदि आपके पास इतनी जमीन नहीं है तो आप किसी अन्य से जमीन को लम्बे समय तक के लिए लीज पर ले सकते हैं।

फसल का चुनाव करें (Select product for organic farming):

इस बिजनेस को शुरू करने के लिए इच्छुक उद्यमी का अगला कदम उस उत्पाद का चुनाव करने का होना चाहिए जिसका उत्पादन उद्यमी जैविक खेती के माध्यम से करना चाहता है। हालांकि पूरी जमीन पर एक ही उत्पाद का उत्पादन करना भी सही नहीं है, लेकिन उद्यमी को हर मौसम के अनुसार दो से अधिक फसलों का चुनाव करना चाहिए जो उसे अधिक लाभ कमाने में मदद कर सकें। भारत में जविक खेती के लाभदायक उत्पादों में मसाले, कॉफ़ी के बीज, चाय, प्याज, गेहूँ, चावल, सब्जियाँ इत्यादि हैं। उद्यमी इन श्रेणियों में से अधिक लाभ प्रदान करने वाले उत्पादों का चयन अपने बिजनेस के लिए कर सकता है।

जैविक खेती के लिए वर्मीकम्पोस्ट का निर्माण करें

आर्गेनिक फार्मिंग में उद्यमी को सिर्फ जैविक खाद का इस्तेमाल करना होता है, जहरीले कीटनाशक एवं अन्य रसायनों का उपयोग इसमें वर्जित होता है। लेकिन फसलों की समय से प्रगति करने के लिए उद्यमी को खाद की आवश्यकता तो होती ही होती है। इसलिए बेहतर होगा की उद्यमी जैविक खेती के लिए पहले ही वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दे । यदि उद्यमी इस खाद का उत्पादन अपनी आवश्यकता से अधिक कर देता है, तो वह इसे अन्य किसानों को बेच भी सकता है ।

खेत को तैयार करें (Field Preparation for organic farming):

जैविक खेती के लिए भी खेत को वैसे ही तैयार किया जाता है जैसे सामान्य खेती के लिए, लेकिन इसमें रासायनिक खाद की जगह खेत को तैयार करते समय गोबर का इस्तेमाल किया जाता है। हल या ट्रेक्टर से जुताई की जाती है, गोबर इत्यादि प्राकृतिक खाद छिड़का जाता है। उसके बाद इस खाद को मिटटी के साथ अच्छी तरह मिलाया जाता है। कुछ लोग इस दौरान प्राकृतिक रूप से तैयार की गई वर्मीकम्पोस्ट का भी इस्तेमाल करते हैं।

जैविक खेती के लिए राज्य सरकार से सर्टिफिकेट प्राप्त करें

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की जविक खेती से उत्पादित फसलों या उत्पादों की कीमतें सामान्य खेती से उत्पादित उत्पादों की तुलना में अधिक होती है। लेकिन कोई भी ग्राहक या आपके उत्पाद खरीदने वाला व्यापारी सिर्फ आपके कहने से तो नहीं मान जाएगा की, जो उत्पाद या फसल आपने पैदा की है वह जैविक खेती करके की है। इसलिए बेहतर यह है की आप राज्य सरकार के कृषि विभाग से इसका प्रमाणीकरण कराएँ, ताकि आप अपने जैविक खेती से उत्पादित उत्पादों को उनकी सही कीमतों पर बेचकर इस बिजनेस (Organic Farming Business) से लाभ कमाने में सफल हो पायें।

जैविक खेती के लिए लोन (Loan for organic Farming):

भारत एक कृषि प्रधान देश है और सरकार की कोशिश हमेशा से कृषि से सम्बंधित व्यवसायों को प्रोत्साहित करने की रही है। इसलिए यदि आप जैविक खेती (Organic Farming Business) शुरू करना चाहते हैं, लेकिन इसे शुरू करने के लिए आपके पास पैसे नहीं है, तो लगभग हर राज्य में कोई न कोई ऐसी योजना अवश्य है जो इस काम को करने के लिए सब्सिडी लोन प्रदान करती है। जैसे उत्तराखंड में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई है, जिसके तहत कई तरह की कृषि गतिविधियाँ करने के लिए सब्सिडी ऋण प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। अन्य राज्यों में भी ऐसी लोन सुविधाएँ खासकर कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमों के लिए उपलब्ध हैं।  

जैविक खेती से उत्पादित उत्पादों की गुणवत्ता (Quality of food in Organic Farming):

रासायनिक खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थों में विषाक्त स्तर काफी उच्च होता है, यदि हम इस संकट का गहराई से विश्लेषण करेंगे तो हम पाएंगे की इस विधि से खेती करने में कोई दोष नहीं है बल्कि दोष कीटनाशक, और रसायनों का अधिक इस्तेमाल में है। और इसमें कहीं न कहीं किसानों द्वारा कम समय में अधिक फसल का उत्पादन करके अधिक आय अर्जित करना भी एक कारण हो सकता है।

वही जहाँ जैविक खेती की बात आती है, तो इसके माध्यम से उगाये गए खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हैं, क्योकि इनमे किसी प्रकार का विषाक्त स्तर नहीं होता है। हालांकि इस खेती से उत्पादित खाद्य  पदार्थों के स्वाद की तुलना करना थोड़ा कठिन है, और स्वाद अच्छा है इसके कोई तथ्य भी नहीं हैं, क्योकि भिन्न भिन्न व्यक्तियों को अपनी आदत और पसंद के आधार पर  भिन्न भिन्न स्वाद अच्छा लगता है।

लेकिन Organic Farming से उत्पादित कुछ खाद्य पदार्थो में अधिक स्वाद को महसूस किया जा सकता है। और जहाँ तक जैविक खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थो के आकार, रंग, मात्रा और दृढ़ता का सवाल है, यह अपनाई गई कृषि पद्यतियों, पर्यावरण का तापमान एवम जलवायु पर निर्भर करता है।

इस तरह जैविक खेती करके उगाई गई फसलों, सब्जियों, फलों इत्यादि में विटामिन C, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम इत्यादि प्रचुर मात्रा में होते हैं, इस पद्यति से खेती करने से उत्पादित खाद्य पदार्थों में 90% से अधिक उत्पादों को Nitrate से मुक्त पाया गया, इसलिए यह कहा जा सकता है की जैविक खेती (Organic Farming) से उत्पादित उत्पादों में अधिक पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं।

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