फार्मासिस्ट कैसे बनें? पात्रता, कोर्स, परीक्षा सहित पूरी जानकारी।

Pharmacist Kaise Bane : दवाइयों के उद्योग की यदि हम बात करें तो इस इंडस्ट्री में फार्मासिस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। वैसे देखा जाय तो इन्हें कई मामलों में डॉक्टर एवं मरीज के बीच की कड़ी भी कहा जा सकता है, क्योंकि बहुत सारे मामलों में ये डॉक्टर एवं मरीज के बीच एक लिंक के तौर पर कार्य करते हैं। एक फार्मासिस्ट के पास कार्य करने के कई बेहतरीन विकल्प रहते हैं वह चाहे तो किसी डॉक्टर के साथ काम कर सकता है और मरीजों को दवाई एवं डॉक्टर द्वारा लिखी हुई प्रिस्क्रिप्शन के बारे में समझा सकता है।

और वह चाहे तो मेडिसिन रिसर्च फिल्ड में भी कार्य कर सकता है जिसमें उसे किसी मेडिसिन या उसके लवणों के अच्छे एवं बुरे प्रभावों के बारे में पता करना होता है। इसके अलावा फार्मासिस्ट खुद की केमिस्ट शॉप शुरू करके खुद का बिजनेस भी शुरू कर सकता है। कहने का आशय यह है की एक फार्मासिस्ट के बाद सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में नौकरी करने के विकल्प तो रहते ही हैं इनके अलावा खुद का व्यापार शुरू करने का भी विकल्प रहता है।

वैसे देखा जाय तो फार्मासिस्ट मरीज या मरीज के रिश्तेदारों के साथ डॉक्टर से अधिक समय व्यतीत करते हैं और मरीज उनसे अपेक्षा रखता है की वे उन्हें दवाइयों के बारे में अच्छी तरह से समझा दें। मरीज या मरीज के रिश्तेदार दवाइयों सम्बन्धी जो बात डॉक्टर से पूछना भूल जाते हैं या जल्दबाजी में पूछ नहीं पाते। वे उसी बात को फार्मासिस्ट से बड़े इत्मीनान से पूछते हैं और मरीज उन पर विश्वास भी करते हैं। इसलिए फार्मासिस्ट को अपना काम बेहद सावधानी एवं ईमानदारी के साथ करने की आवश्यकता होती है।

कहने का आशय यह है की फार्मासिस्ट पर मरीज एवं उनके रिश्तेदार डॉक्टर की भांति ही विश्वास करते हैं, इसलिए उन्हें अपना कार्य बेहद सावधानी एवं जिम्मेदारी के साथ करने की आवश्यकता होती है। यदि आप भी फार्मासिस्ट बनने के बारे में सोच रहे हैं या फिर अपने बच्चे या अन्य किसी को यह कैरियर विकल्प चुनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। तो यह लेख आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है क्योंकि इस लेख में आगे हम इसी बारे में विस्तृत तौर पर वार्तालाप करने वाले हैं।

फार्मासिस्ट केमिस्ट शॉप में

कौन होते हैं फार्मासिस्ट

यह एक पदवी होती है जो एक विशेष प्रकार का कोर्स पूर्ण करने के बाद एवं अधिकारिक परिषद् में पंजीकृत होने के बाद किसी व्यक्ति को मिलती है । एक पंजीकृत फार्मासिस्ट दवाइयों के वितरण एवं प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है इनका काम मरीजों को दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों एवं फायदों के बारे में जानकारी देने के साथ साथ, सही मात्रा एवं समय के बारे में जागरूक करने का भी होता है ।

यही कारण है की एक फार्मासिस्ट औषधालयों एवं फार्मेसीयों में रोगियों की दवाई सम्बन्धी शंकाओं एवं प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी संभाले रहता है। एक Pharmacist को न सिर्फ डॉक्टर द्वारा लिखित प्रिस्क्रिप्शन को पढना आना चाहिए बल्कि दवा के फायदों, दुष्प्रभावों, किस रोगी के लिए सही खुराक क्या है? इत्यादि की जानकारी भी होनी चाहिए।

क्योंकि अक्सर फार्मासिस्ट की मरीजों या उनके रिश्तेदारों के साथ बातचीत होना आम बात है इसलिए वे फार्मासिस्ट से दवाओं सम्बन्धी शंकाओं को दूर करने के लिए तरह तरह के प्रश्न पूछ सकते हैं। इन प्रश्नों का जवाब केवल वही फार्मासिस्ट दे पायेगा जिसे उपयुक्त जानकारी होगी।

फार्मासिस्ट बनने के लिए पात्रता

Eligibility to become Pharmacist in Hindi : फार्मासिस्ट बनने के लिए पात्रता की बात करें तो इन पेशेवर पाठ्यक्रमों में बारहवीं यानिकी 10+2 के बाद प्रवेश लिया जा सकता है। लेकिन सिर्फ वे विद्यार्थी जिन्होंने बारहवीं परीक्षा फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या गणित विषयों के साथ एक निश्चित प्रतिशत के साथ पास की हो वे ही इस तरह की पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए पात्र माने जाते हैं। कहने का आशय यह है की इच्छुक उम्मीदवार को कम से कम PCB या PCM विषयों के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना अति आवश्यक है।          

फार्मासिस्ट बनने के लिए कोर्स (Courses)

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्यों में पहले भी बता चुके हैं की Pharmacist बनने के लिए उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से इस क्षेत्र से जुड़े हुए कोर्स पूर्ण करने होते हैं। यदि हम फार्मासिस्ट बनने के लिए कम से कम पात्रता की बात करें तो यदि कोई उम्मीदवार दो साल का डिप्लोमा कोर्स फार्मेसी का कर लेता है, तो वह फार्मासिस्ट बन जायेगा। इसका अभिप्राय यह है की फार्मासिस्ट बनने के लिए जो सबसे पहला कोर्स है वह Diploma in Pharmacy (D. Pharma) है।

यह दो साल का कोर्स होता है। दूसरा फार्मेसी में एक डिग्री कोर्स Bachelor in Pharmacy (B. Pharma) भी है जिसमें 10+2 के बाद प्रवेश लिया जा सकता है और यह कार्यक्रम चार सालो का होता है। इसके अलावा उम्मीदवार चाहे तो B. Pharma के बाद भी अपनी पढाई जारी रखते हुए Master in Pharmacy (M. Pharma) में प्रवेश ले सकता है या फिर Doctor of Pharmacy (Pharma D.) नामक कोर्स भी ज्वाइन कर सकता है।

लेकिन ध्यान रहे इस प्रकार की डिग्री की आवश्यकता मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च कार्यों को निष्पादित करने के लिए होती है। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की उम्मीदवार D. Pharma के बाद B. Pharma के सीधे द्वीतीय वर्ष में प्रवेश ले सकता है।

फार्मासिस्ट कैसे बनें? (How to become Pharmacist in India):

Pharmacist Kaise Bane : फार्मास्युटिकल शिक्षा की यदि हम बात करें तो इसके पाठ्यक्रम में अलग अलग समय के सिद्धांत, व्यवहारिक कक्षाएं और अनिवार्य रूप से अनुसरण किये जाने वाले इंडस्ट्रियल/हॉस्पिटल/ कम्युनिटी ट्रेनिंग इत्यादि शामिल हैं। शायद यही कारण है की इस तरह के ये पेशेवर कोर्स डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से नहीं किये जा सकते हैं। फार्मेसी में कैरियर बनाने के लिए दवाओं के बारे में जानना एवं उनकी जानकारी के साथ खुद को अपडेट रखना अति आवश्यक है।

इसलिए यदि आप खुद भी इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की सोच रहे हैं तो आगे हम इस लेख में फार्मासिस्ट बनने की स्टेप बाई स्टेप जानकारी देने वाले हैं।

1. बारहवीं में साइंस स्ट्रीम का चयन करें

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की फार्मेसी में करियर बनाने के लिए जितने भी पाठ्यक्रम मौजूद हैं उनमें प्रवेश पाने के लिए बारहवीं में साइंस स्ट्रीम का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि 10+2 आपने Physics, Chemistry, Biology (PCB), या Physics, Chemistry, Math (PCM) विषयों के साथ उतीर्ण की है तो ही आप इन पेशेवर कोर्स में प्रवेश पाने के लिए पात्र होंगे। इसलिए यदि आप फार्मासिस्ट बनना चाहते हैं तो आपको दसवीं पास करने के बाद साइंस स्ट्रीम का चुनाव करना होगा।    

2. कोर्स का चयन करें ( Select Course ):

उपयुक्त विषयों के साथ 10+2 उत्तीर्ण करने के बाद उम्मीदवार को फार्मासिस्ट बनने के लिए कोर्स का चयन करना होगा। क्योंकि बारहवीं के बाद Pharmacist बनने के लिए एक नहीं बल्कि अनेकों कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें डिप्लोमा, डिग्री एवं डॉक्टरेट कोर्स भी उपलब्ध हैं और ये तीनों कोर्स उम्मीदवार 10+2 के बाद कर सकता है।

डिप्लोमा इन फार्मेसी दो साल का कोर्स होता है वही बैचलर इन फार्मेसी चार सालों का डिग्री कोर्स होता है और डॉक्टर इन फार्मेसी बारहवीं के बाद छह सालों का कोर्स होता है। इसलिए यह पूर्ण रूप से फार्मासिस्ट बनने के इच्छुक उम्मीदवार पर निर्भर करता है की वह अपनी सुविधानुसार कौन से कोर्स का चयन करता है।     

3. एंट्रेंस एग्जाम इत्यादि उत्तीर्ण करें

जहाँ तक बात डिप्लोमा इन फार्मेसी की है इस तरह का यह पेशेवर कोर्स अनेकों सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों द्वारा ऑफर किया जाता है। जहाँ तक बात सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों की है इनमें इस कोर्स में प्रवेश दिलाने के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित किये जाते हैं। ये एंट्रेंस परीक्षाएं अमूमन अप्रैल मई में आयोजित की जाती है और इनके लिए आवेदन फरबरी मार्च महीनों में मांगे जाते हैं।

कहने का आशय यह है की यदि फार्मेसी में करियर बनाने का इच्छुक उम्मीद्वार D. Pharma करना चाहता है तो वह राज्य के पॉलिटेक्निक कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए प्रयास कर सकता है इसके लिए उसे एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने की आवश्यकता होगी। जहाँ तक निजी यानिकी प्राइवेट संस्थानों का सवाल है इनमें कई संस्थान एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कराते हैं तो कई संस्थान ‘’पहले आओ पहले पाओ’’ सिद्धांत पर भी काम करते नज़र आते हैं।    

4. चयनित कोर्स पूर्ण करें (Complete Pharmacist Course)

अब ध्यान देने वाली बात यह है की फार्मासिस्ट बनने के इच्छुक उम्मीदवार ने जिस कोर्स का चयन किया हो अब उसे पूर्ण रूप से पूरा करने के लिए गहन अध्यन करने की आवश्यकता होगी। और कोर्स के अंत में छह महीने की इंटर्नशिप पूर्ण करने की भी आवश्यकता होगी। यदि उद्यमी ने D. Pharma चयन किया हो तो सब कुछ सामान्य होने पर उसका कोर्स दो साल में पूर्ण हो जायेगा।

B. Pharma चार सालों में और Pharma D. छह सालों में पूरा हो जायेगा। लेकिन ध्यान रहे उम्मीदवार को इन पाठ्यक्रमों को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान जो फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा अनुमोदित हों उन्हीं से पूर्ण करना चाहिए तभी उम्मीदवार एक पंजीकृत फार्मासिस्ट बनने में सफल हो पायेगा।

5. तीन महीने या 500 घंटों की ट्रेनिंग पूरी करें

यदि आप भारत में एक Registered Pharmacist बनना चाहते हैं, तो जैसे ही आपके डी फार्मा या बी फार्मा के फाइनल इयर की परीक्षाएं पूर्ण हो जाती हैं। उसके तुरंत बाद रिजल्ट का इंतजार किये बिना आप ट्रेनिंग के लिए किसी सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में आवेदन कर सकते हैं। किसी भी राज्य में एक पंजीकृत फार्मासिस्ट बनने के लिए डी फार्मा या बी फार्मा के बाद किसी रजिस्टर्ड Pharmacist के अधीन तीन महीने या 500 घंटों की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है।

इस प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को पूर्ण करने के बाद ही आप फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया (PCI) में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। चलिए जानते हैं की आपको किसी सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ट्रेनिंग लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्या क्या करना पड़ सकता है।

  • जैसे ही आपके फाइनल इयर के एग्जाम ख़त्म होते हैं कॉलेज द्वारा आपको एक लैटर एवं अन्य दस्तावेज प्रदान किये जाएँगे। ध्यान रहे यह दस्तावेज और लैटर आपको CMO Office, अस्पताल और PCI Office में भी देने होते हैं, इसलिए कॉलेज से दस्तावेजों के कम से कम तीन सेट अवश्य लें।
  • इन दस्तावेजों और कॉलेज द्वारा जारी पत्र के साथ आपको CMO Office में जाना होता है। और जिस अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में आप ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, वहाँ पर उनको बताना होता है । उसके बाद CMO Office द्वारा उस अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत Registered Pharmacist को ट्रेनिंग सम्बन्धी लैटर जारी किया जाता है।
  • उसके बाद आपको इस लैटर और कॉलेज द्वारा प्रदान किये गए अन्य दस्तावेजों के साथ उस अस्पताल में जाना होता है जहाँ से आप ट्रेनिंग लेना चाहते हैं ।
  • चूँकि हर अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में सिमित सीटें होती हैं, इसलिए यदि उस समय वहाँ पर सीटें उपलब्ध नहीं हैं तो आप तीन महीने बाद उस अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र से ट्रेनिंग ले सकते हैं।    

 6. फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया में रजिस्टर करें

भारत में फार्मेसी शिक्षा को विनियमित एवं नियंत्रित करने वाली अधिकारिक परिषद् फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया (PCI) है।इसलिए उम्मीदवार को भारत में पंजीकृत फार्मासिस्ट बनने के लिए फार्मेसी कोर्स पूर्ण करने के पश्चात फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया में रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है।  

7. जॉब तलाशें या खुद का बिजनेस करें   

एक पंजीकृत Pharmacist बनने के बाद उम्मीदवार के पास नौकरी करने एवं खुद का व्यवसाय करने के दोनों विकल्प विद्यमान होते हैं। उम्मीदवार चाहे तो किस डॉक्टर की क्लिनिक, हॉस्पिटल इत्यादि में नौकरी कर सकता है और यदि उम्मीदवार ने फार्मेसी में मास्टर डिग्री या डॉक्टर इन फार्मेसी की हो तो वह रिसर्च और डेवलपमेंट, एनालिसिस एंड मार्केटिंग, रेगुलाट्री बॉडीज में भी नौकरी कर सकता है।

जहाँ हॉस्पिटल में एक फार्मासिस्ट को किसी डॉक्टर के तहत कार्य करना पड़ेगा, वही रिसर्च और डेवलपमेंट में दवाओं के प्रभावों, दुष्प्रभावों, फायदों इत्यादि का विश्लेषण करने की आवश्यकता हो सकती है। और यदि आप स्वयं का व्यवसाय शुरू करना चाहता है तो वह खुद की केमिस्ट शॉप भी शुरू कर सकता है।

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