12वीं के बाद कमर्शियल पायलट कैसे बनें | योग्यता, कोर्स, फीस सहित जानकारी |

पायलट शब्द से तो लगभग सभी लोग अच्छी तरह से परिचित होंगे वह इसलिए क्योंकि लगभग सभी बच्चों में बचपन से ही आसमान में उड़ने की बड़ी तमन्ना होती है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना होता है की कोई यात्री बनकर उड़ना चाहता है तो कोई पायलट बनकर खुद और दूसरों को भी उड़ाना चाहता है । जैसा की हम सब देखते आये हैं की लगभग सभी बच्चों ने अपने बचपन में एयरोप्लेन को खिलौने के तौर पर इस्तेमाल अवश्य किया होगा । वहीँ से बच्चों के अन्दर आसमान में उड़ने की इच्छा जाग्रत होने लगती है और ऐसे में उनका ध्यान Pilot बनने की ओर अग्रसित होता है।

बच्चों की पायलट बनकर आसमान में बादलों के बीच उड़ने की कल्पना मात्र ही बच्चों में एक नया रोमांच भर देती है। यह भी सच है की नई नई उचाईयों को मापना, बादलों के बीच यात्रा करना हर मनुष्य प्राणी को बेहद सुकून देने वाला पल हो सकता है। और इस ओर सदियों से पक्षियों का अनुकरण करते हुए अनेकों बार अनेकों प्रयोगों के माध्यम से उड़ान भरने की कोशिश की भी गई है। धार्मिक नाटकों में देवी देवताओं को पंखों के साथ वर्णित या चित्रित किया जाता है ।

यही कारण है की मनुष्य के अन्दर भी उड़ने की प्रवृत्ति जगी और पिछले पांच शताब्दियों में मनुष्य ने गरम गुब्बारे, पतंगों, आधुनिक यात्री विमानों से लेकर सुपरसोनिक फाइटर जेट्स तक को विकसित कर दिया है। यही कारण है की वर्तमान में अनेकों तरह के विमान एवं हेलीकाप्टर इत्यादि चलाने के लिए तरह तरह के Pilot की आवश्यकता होती है। और यह पेशा भी न सिर्फ कमाई के लिहाज से बेहतरीन है बल्कि कोई भी व्यक्ति पायलट बनकर खुद के सपने भी पूरे कर सकता है और अपनी पारिवारिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों का सरलता से निर्वहन कर सकता है।

Pilot-kaise-bane
लेख की विषय वस्तु दिखाएँ

पायलट के प्रकार (Types of Pilot):   

आम तौर पर हवाई जहाज चालक को ही Pilot कहा जाता है लेकिन जब बात इनके प्रकार की होती है तो विमानों के प्रकार के आधार पर इन्हें भी अनेक भागों में विभाजित किया जा सकता है।

हेलीकाप्टर पायलट: ये वे पायलट होते हैं जो आम नागरिकों या सेना के हेलीकाप्टर चलाते हैं ।

फाइटर पायलट: ये वे पायलट होते हैं जो फाइटर प्लेन को सुपरसोनिक स्पीड पर उड़ाते हैं।

कमर्शियल पायलट: ये वे अनुभवी पायलट होते हैं जो यात्रियों से भरे विमान को उड़ाते हैं ।

स्पोर्ट पायलट: ये वे पायलट होते हैं जो पानी के ऊपर से हाइड्रोप्लेन उड़ाने एवं उनकी लैंडिंग कराने में समर्थ हों।

स्पेस पायलट: आम तौर पर पूर्व सैन्य पायलटों को स्पेस शटल उड़ाने का प्रशिक्षण देकर इस तरह का पायलट बनाया जाता है।

टेस्ट पायलट:  ये वे Pilot होते हैं जो नए मॉडल के विमानों को उड़ाने का काम करते हैं।

पायलट बनने के फायदे (advantages to becoming a pilot In Hindi):

पायलट बनने के कुछ प्रमुख फायदों की लिस्ट निम्नवत है।

  • शायद ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जो पूरी दुनिया को अपनी आँखों से नहीं देखना चाहता हो लेकिन पूरी दुनिया देखने में आने वाले खर्चे को अर्थात वर्ल्ड टूर के खर्चे को वहन कर पाना हर किसी की बस की बात नहीं होती। Pilot एक ऐसा व्यक्ति होता है जो पूरी दुनिया मुफ्त में घूम सकता है।
  • Pilot का काम हवाई जहाज उड़ाने का होता है जो की एक रोमांचक काम है आम तौर पर लोगों के अन्दर आसमान में उड़ने भर की बात से रोमांच पैदा हो जाता है । इसलिए कहा जा सकता है की पायलट का काम रोमांच पैदा करने वाला काम होता है। जबकि अक्सर लोग पूरे वर्ष भर एक ही रस्ते से अपने ऑफिस जाते हैं और एक ही वर्क स्टेशन पर बैठकर काम करते हैं । जबकि एक पायलट अपनी जिन्दगी में बहुत सारे रूटों पर हवाई जहाज चलाता है जो उसके अन्दर रोमांच पैदा करता है।
  • Pilot बनने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है की पायलट अपने काम को घर पर नहीं ला सकते। जिससे वे अपनी फैमिली को अपना पूरा समय दे सकते हैं। वरना वर्तमान में ऑफिस इत्यादि में काम करने वाले लोगों को घर से भी काम करना पड़ता है।
  • पायलट बनने का अगला फायदा यह है की इन्हें आकर्षक वेतन एवं भत्ते एयरलाइन कंपनी की तरफ से दिए जाते हैं । जब पायलट घर से बाहर रहते हैं तो इन्हें कंपनी द्वारा मुफ्त में होटल में ठहराया जाता है जहाँ इन्हें सब कुछ एअरपोर्ट ट्रान्सफर, भोजन इत्यादि मुफ्त में मिलता है।
  • इसके अलावा Pilot को उसके दोस्तों एवं परिवार के साथ मुफ्त में ट्रेवल करने का भी अवसर प्रदान किया जाता है ।        

पायलट बनने के लिए योग्यता (Eligibility to become pilot in India):

  • Pilot बनने के लिए कम से कम शैक्षणिक योग्यता बारहवीं PCM विषयों के साथ कम से कम 55% अंकों के साथ पास होनी चाहिए।
  • उम्मीदवार की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • इंग्लिश में पकड बहुत बढ़िया होनी चाहिए ।
  • मेंटल फिटनेस एवं लेवल 2, लेवल 1 मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है।
  • फ्लाइंग स्कूल द्वारा आयोजित एंट्रेंस एग्जाम पास करने की आवश्यकता हो सकती है।          

पायलट कैसे बनें ? (How to become a pilot in India):

Pilot Kaise Bane : भारत में पायलट बनने के लिए व्यक्ति या विद्यार्थी को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं फिट रहना बेहद जरुरी है। क्योंकि Pilot बनने के इच्छुक व्यक्ति को लेवल 2, लेवल 1 मेडिकल एवं मेंटल फिटनेस सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है।

इसके अलावा उम्मीदवार को पढाई में भी होशियार होना बेहद जरुरी है क्योंकि Pilot बनने के लिए सिर्फ वही विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। जिन्होंने बारहवीं की परीक्षा PCM विषयों के साथ कम से कम 55% अंकों के साथ पास की हो। तो आइये जानते हैं की भारत में कैसे कोई पायलट बनकर न सिर्फ अपनी कमाई कर सकता है बल्कि अपनी आसमान छूने की तमन्ना को भी पूर्ण कर सकता है ।

1. दसवीं के बाद विज्ञान संकाय का चुनाव करें (Select (PCM)after10 th):

Pilot बनने की तैयारी विद्यार्थी जीवन से होनी बेहद जरुरी है इसलिए पायलट बनने के इच्छुक विद्यार्थी को दसवीं पास करने के बाद इंटरमीडिएट में विज्ञानं संकाय का चुनाव करके PCM विषयों का चयन करना चाहिए। क्योंकि पायलट बनने के लिए फिजिक्स एवं मैथ जैसे विषय बेहद जरुरी हैं। ध्यान रहे यदि विद्यार्थी दसवीं के बाद विज्ञानं संकाय एवं पीसीएम विषयों का चुनाव नहीं करेगा तो उसका पायलट बनने का सपना केवल एक सपना ही हो सकता है जो हकीकत का रूप धारण नहीं कर पायेगा। इसलिए Pilot बनना है तो सबसे पहले सही संकाय एवं विषयों का चयन बेहद जरुरी है।

2. बारहवीं अधिक अंकों के साथ पास करें (Get more marks in 12th):  

पायलट बनने के इच्छुक विद्यार्थियों को अपनी बारहवीं की परीक्षाएं कम से कम एक निर्धारित प्रतिशत के साथ पास करनी बेहद जरुरी होती है। वर्तमान में अधिकतर फ्लाइंग कॉलेज द्वारा यह प्रतिशत 55% निर्धारित किया है । लेकिन प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ साथ यह निर्धारित प्रतिशत भी बढ़ सकता है इसलिए Pilot बनने के इच्छुक विद्यार्थी को बारहवीं में अधिक से अधिक अंक लाने की कोशिश करनी चाहिए। ताकि कम अंकों के कारण उसके पायलट बनने के सपने को विरामं न लग पाए ।

3. पढाई के दौरान ही लेवल 2 मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करें (Apply for DGCA Level 2  Certificate)

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की Pilot बनने के लिए मेडिकली एवं मेंटली फिट होने की आवश्यकता होती है। कोई विद्यार्थी मेडिकली एवं मेंटली फिट है इसके प्रमाण के तौर पर उसे DGCA Class 2 मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए बारहवीं की पढाई के दौरान ही विद्यार्थी को इस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर देना चाहिए । इस सर्टिफिकेट को नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा स्वीकृत डॉक्टर द्वारा जारी किया जाता है ।

इसलिए इच्छुक विद्यार्थी चाहे तो DGCA की अधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से यह चेक कर सकता है की कौन कौन से ऐसे डॉक्टर हैं जो इस तरह का सर्टिफिकेट जारी करने के लिए DGCA द्वारा अधिकृत हैं। चूँकि इस तरह के सर्टिफिकेट को जारी करने में कुछ महीनों का समय लग सकता है इसलिए विद्यार्थी को इसके लिए पहले ही आवेदन कर देना बेहतर होता है।

हालांकि Pilot बनने के इच्छुक विद्यार्थी को DGCA Class 1 सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है लेकिन इस सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए पहले Class 2 सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है। दोनों तरह के सर्टिफिकेट हासिल करने में लगभग एक साल तक का समय लग सकता है। इसके अलावा उम्मीदवार को DGCA कंप्यूटर नंबर एवं पुलिस वेरिफिकेशन कराने की भी आवश्यकता हो सकती है।  

4. एंट्रेंस एग्जाम के लिए अप्लाई करें (Apply for entrance exam)  

विभिन्न फ्लाइंग स्कूल द्वारा एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कराये जाते हैं डीजीसीए द्वारा अप्रूवड ट्रेनिंग सेंटर की लिस्ट आप इसके ऑफिसियल वेबसाइट पर देख सकते हैं।  एंट्रेंस एग्जाम के लिए अप्लाई करने हेतु आप विभिन्न फ्लाइंग स्कूल की वेबसाइट पर जा सकते हैं। इस एंट्रेंस एग्जाम में उम्मीदवार को लिखित, साक्षात्कार एवं एप्टीट्यूड टेस्ट से होकर गुजरना होता है।

इसलिए Pilot बनने के इच्छुक उम्मीदवार को जितने फ्लाइंग स्कूल में वह एंट्रेंस एग्जाम के लिए आवेदन कर सकता है करना चाहिए बशर्ते की दो स्कूल के एग्जाम एक ही दिन न हों। इन एंट्रेंस एग्जाम में NCERT पाठ्यक्रम से नवी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा के विज्ञान एवं गणित के सवाल आ सकते हैं इसलिए उम्मीदवार को तैयारी करते समय इनका विशेष अध्यन करना चाहिए ।

गणित एवं विज्ञान के अलावा अंग्रेजी में भी विशेष सुधार की आवश्यकता हो सकती है । पायलट एप्टीट्यूड टेस्ट में उम्मीदवार के हाथ एवं आँखों के समन्वय का परिक्षण और मल्टी टास्किंग कौशल का परीक्षण करने पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इन सबको सँभालने के लिए उम्मीदवार के पास लचीले मष्तिष्क का होना बेहद जरुरी है।

5. DGCA द्वारा आधिकृत फ्लाइंग स्कूल में ही एडमिशन लें (Get admission in DGCA Authorized flying School):

Pilot बनने के लिए जब उम्मीदवार एंट्रेंस एग्जाम या एडमिशन के लिए विभिन्न फ्लाइंग स्कूल में आवेदन कर रहा हो तो उसे इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की वह यह पता कर ले की क्या वह स्कूल या ट्रेनिंग सेण्टर DGCA द्वारा अप्रूवड है या नहीं। उम्मीदवार को ऐसे किसी भी फ्लाइंग स्कूल में एडमिशन नहीं लेना चाहिए जो DGCA द्वारा अप्रूवड नहीं हो । कौन कौन से स्कूल एवं ट्रेनिंग सेण्टर DGCA द्वारा अप्रूवड हैं इसकी लिस्ट उम्मीदवार इसकी अधिकारिक वेबसाइट पर चेक कर सकता है।

6. प्रशिक्षण पूरा करें (Complete your pilot Training):

Pilot बनने के लिए उम्मीदवार को लगभग अट्ठारह महीनों के लम्बे प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होता है जहाँ उम्मीदवार को कमर्शियल पायलट बनने के लिए लगभग 14 विषय अनिवार्य रूप से पढने होते हैं। इन विषयों में एयर लॉ, विमानों के सिस्टम, मानव कारक, नेविगेशन एवं मौसम विज्ञान शामिल है। प्रैक्टिकल की ओर आगे बढ़ने के लिए उम्मीदवार को परीक्षा पास करना अति आवश्यक है।

प्रैक्टिकल में उम्मीदवार को फ्लाइंग स्कूल द्वारा लगभग 200 घंटे प्रदान किये जायेंगे। प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के शुरूआती दिनों में उम्मीदवार को एक अनुभवी Pilot के साथ विमान उड़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा और बाद में उम्मीदवार को अकेले ही विमान उड़ाना होगा। जब उम्मीदवार पूर्ण रूप से विमान उड़ाना सीख जायेगा तो उसे कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) जारी किया जायेगा ।  

7. जॉब के लिए अप्लाई करें (Apply for Job):

Pilot बनने के इच्छुक व्यक्ति को जब कमर्शियल पायलट लाइसेंस मिल जाता है तो उसके बाद उसका अगला कदम अपने लिए जॉब ढूँढने का होना चाहिए। ध्यान रहे शुरुआत में ही अच्छी सैलरी पाने के प्रलोभन में न आयें और शुरुआत कम वेतन से भी कर सकते हैं। इसके लिए आप छोटी एयरलाइन कम्पनियों जैसे इंडिगो, स्पाइस जेट, एयर एशिया, गो एयर इत्यादि में आवेदन कर सकते हैं। क्योंकि शुरूआती दौर में इन कंपनियों में आसानी से नौकरी मिल सकती है और प्रमोशन भी आसानी से हो सकता है ।

8. टाइप रेटिंग ट्रेनिंग प्राप्त करें (Complete Type Rating Training ):

जैसे ही Pilot बन चुके उम्मीदवार को नौकरी मिल जाएगी उसके बाद उसका नियोक्ता या कंपनी उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए भेज सकती है । इसे हम टाइप रेटिंग ट्रेनिंग भी कह सकते हैं यह एक स्व प्रायोजक कार्यक्रम होता है । सीपीएल ट्रेनिगं के दौरान उम्मीदवार छोटे प्लेन उड़ाना सीख चूका होता है। इसलिए टाइप रेटिंग ट्रेनिंग में उम्मीदवार को बड़े प्लेन उड़ाना सीखाया जाता है। कहने का अभिप्राय यह है की यह एक ऐसा प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है जिसमें Pilot को भारी एवं बड़े प्लेन जो लगभग सात टन से बड़े हों उड़ाना सीखाया जाता है। और पायलट बनने के लिए टाइप रेटिंग ट्रेनिंग भी अत्यंत जरुरी होती है ।

पायलट बनने में कितना खर्चा आ सकता है

हालांकि Pilot बनने में आने वाला खर्चा फ्लाइंग स्कूल के आधार पर अलग अलग हो सकता है लेकिन एक आंकड़े के मुताबिक भारत में पायलट बनने के लिए कम से कम 80-85 लाख रुपयों का प्रबन्ध कर लेना बेहतर होता है। हालांकि यह जरुरी नहीं है की पायलट बनने में इतना ही खर्चा आएगा हो सकता है की कुछ कम आय, और यह भी हो सकता है की कुछ ज्यादा आय। लेकिन आम तौर पर सीपीएल ट्रेनिंग करने में लगभग चालीस लाख एवं टाइप रेटिंग ट्रेनिंग में लगभग पच्चीस लाख का खर्चा संभावित है।

उपर्युक्त तरीके के अलावा Pilot बनने के और भी तरीके हो सकते हैं लेकिन वे उपर्युक्त बताये गए तरीके से काफी खर्चीले एवं महंगे हो सकते हैं । इनमें एक अन्य तरीका एयरलाइन कंपनीयों के कैडेट प्रोग्राम के माध्यम से पायलट बनने का भी है जो उपर्युक्त बताये गये तरीके से काफी महंगा है । जेट एयरवेज, इंडिगो इत्यादि ऐसी एयरलाइन कंपनीयां हैं जो फ्लाइंग स्कूल के साथ मिलकर खुद का कैडेट प्रोग्राम भी संचालित करती हैं।    

यह भी पढ़ें: