पोहा निर्माण [Poha Manufacturing] व्यापार की जानकारी |

Poha Manufacturing business पर वार्तालाप करने से पहले हम यह जान लेते हैं की पोहा को चिवड़ा भी कहा जाता है | इसलिए अपने इस लेख में हम चिवड़ा/पोहा बनाने के काम के विभिन्न बिन्दुओं जैसे पोहा बनाने का काम अर्थात बिज़नेस क्या होता है, लोगों द्वारा पोहा को कब और कैसे उपयोग किया जाता है इत्यादि पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे |

पोहा बनाने के व्यवसाय में उपयोग होने वाले कच्चे माल की यदि हम बात करें तो धान इस बिज़नेस में प्रयुक्त होने वाला मुख्य कच्चा माल अर्थात Raw Material है |

भारत जैसे विशालकाय देश में हर प्रकार के खान पान में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं की डिमांड बनी रहती है जहाँ तक पोहा की बात है यह मुख्य रूप से नाश्ते अर्थात ब्रेकफास्ट में उपयोग में लाया जाने वाला पदार्थ होता है, क्योंकि यह खाने में स्वास्थ्यकर एवं पाचन करने में आसान होता है | इसके अलावा यह अन्य भोजन के मुकाबले बनाने में भी आसान होता है जिससे इसे कम समय में भी तैयार किया जा सकता है |

Poha Manufacturing business

Poha Manufacturing बिजनेस क्या है :

पोहा धान से निर्मित एक ऐसा उत्पाद है जिसके बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ होते हैं चूँकि यह ग्लूटेन से मुक्त होता है, इसलिए ऐसे लोगों के लिए अति उत्तम खाद्य होता है जिन्हें गेहूं एवं गेहूं के उत्पादों से एलर्जी होती है | इसके अलावा पोहा में विटामिन बी, आयरन, कार्बोहायड्रेट एवं प्रोटीन की मात्रा भी उचित मात्रा में पायी जाती है इसलिए इसे लोगों द्वारा ब्रेकफास्ट के अलावा स्नैक्स के लिए भी उपयोग में लाया जाता है |

और चूँकि वर्तमान में लोगों का अपने स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक एवं सतर्क होने की वजह से, और शहरी जीवन में व्यवसायिक व्यस्तता के कारण लोगों के पास समय की कमी की वजह से एवं लोगों के बीच शारीरिक कामों की तुलना में मानसिक कामों की वृद्धि के कारण अक्सर लोग ऐसे भोजन की तलाश में रहते हैं जिन्हें वह आसानी से पचा पाने में सक्षम हों |

ऐसे में पोहा नामक यह पदार्थ बेहद उपयोगी होता है, क्योंकि यह पचाने में बेहद आसान होता है अर्थात यह सरलता से पच जाता है, जब किसी उद्यमी द्वारा लोगों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर पोहा बनाने का काम किया जाता है तो वह Poha Manufacturing business  कहलाता है |

पोहा के बिकने की संभावनाएँ

जहाँ तक Poha Manufacturing business में बाज़ार में उपलब्ध अवसरों अर्थात मांग की बात है उसका अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है की वर्तमान में पोहा भारतीय आहार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और शहरी, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है ।

हालांकि वर्तमान में यह भी आँका गया है की शहरी क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता पहले के मुकाबले धीरे-धीरे लोगों के बदलते स्वाद और भोजन की आदतों के कारण घटती जा रही है, लेकिन फिर भी इसको बनाने में कम समय लगने, एवं जल्दी पाचन हो जाने के गुण के कारण बहुत सारे घरों में अभी भी इसे नियमित रूप से उपयोग में लाया जाता है |

इस प्रकार,  इस उत्पाद अर्थात पोहा एवं चिवड़ा के लिए बाजार पूरे देश में फैला हुआ है । घरों के अलावा इसका उपयोग रेस्तरां, सड़क के किनारे उपलब्ध ढाबों, रेहड़ी पटरियों पर खाद्य सामग्री बेचने वाले विक्रेताओं,  हॉस्टल, कैंटीन इत्यादि में भी पूरे साल किया जाता है ।इसलिए कहा जा सकता है की भारतवर्ष में  इस उत्पाद के लिए एक बड़ा बाजार विद्यमान है, जिसे मार्केटिंग के विभिन्न तरीकों एवं अन्य पर्याप्त प्रयासों के बदौलत कब्जा कर लिया जा सकता है |

आवश्यक कच्चा माल मशीनरी एवं उपकरण:

पोहा का निर्माण करने के लिए जहाँ तक आवश्यक कच्चे माल का सवाल है, वह धान है | कहने का आशय यह है की पोहा बनाने के बिज़नेस के लिए प्रयुक्त होने वाला मुख्य कच्चा माल (Raw Material) धान होता है |

जहाँ तक मशीनरी एवं उपकरणों का सवाल है पोहा बनाने के लिए Poha Making Machine आती है जो 1.3 लाख से 1.5 लाख में आसानी से मिल जाती है | इसके अलावा अन्य उपकरण जैसे छलनी, भट्टी, पैकिंग मशीन एवं ड्रम इत्यादि की भी आवश्यकता हो सकती है |

Poha Manufacturing की अनुमानित लागत:

Poha Manufacturing unit को स्थापित करने में किसी भी उद्यमी को 3-4 लाख रूपये की लागत तब आ सकती है, जब उद्यमी के पास लगभग 55 गज जमीन यानिकी 490 Square feet जमीन अपनी हो और वह उस पर Sheding इत्यादि कराये | इसके अलावा उद्यमी को कार्यशील पूंजी के तौर पर भी लगभग 1 लाख रूपये की आवश्यकता हो सकती है |

कहने का आशय यह है की शुरूआती दौर में Poha Manufacturing unit स्थापित करने के लिए 4-5 लाख रूपये तक का खर्चा आ सकता है, हालांकि परिवर्तनशील लागत ईकाई की क्षमता के आधार पर अंतरित हो सकती  है |

निर्माण प्रक्रिया (Manufacturing process of Poha in Hindi):

Poha Manufacturing process की यदि हम बात करें तो इसकी प्रक्रिया पारम्परिक एवं बेहद अच्छी तरह से मानकीकृत है | इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम धान की सफाई करने अर्थात उसमे से अशुद्धता हटाने के लिए धान को वर्गीकृत किया जाता है और फिर साफ़ किये हुए वर्गीकृत धान को लगभग 45-50 मिनट तक गरम पानी में भिगोया जाता है |

उसके बाद इस धान को सूखा लिया जाता है और फ्लैक बनाने के लिए इन्हें रोस्टर मशीन या भट्टी के माध्यम से भून लिया जाता है, उसके बाद धान के छिलके धान से अलग किये जाते हैं, और इनमे से अवांछित सामग्री हटाने के लिए इन्हें छलनी की ओर पास कराया जाता है |

उसके बाद इस सामग्री को फ्लेकिंग मशीन यानिकी Poha Making Machine में डाला जाता है | चूँकि पोहा बनाना खाद्य सामग्री से जुड़ा हुआ बिज़नेस है इसलिए उद्यमी को अन्य लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन के अलावा FSSAI लाइसेंस की भी आवश्यकता हो सकती है |

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