क्या होता है Portfolio? इसके प्रकार एवं संतुलित पोर्टफोलियो कैसे बनायें |

Portfolio नामक यह शब्द आपने अक्सर शेयर मार्केट या म्यूचुअल फण्ड सम्बन्धी समाचार या लोगों को इनके बारे में बात करते वक्त सुना होगा | लेकिन शायद हर व्यक्ति पोर्टफोलियो नामक इस शब्द का क्या अभिप्राय है से अवगत नहीं होगा | शेयर मार्केट एवं म्यूचुअल फण्ड से कमाई करने के लिए एक अच्छे संतुलित पोर्टफोलियो की आवश्यकता हो सकती है |

इसलिए आज हम हमारे इस लेख में Portfolio Kya hai? इसके प्रकार एवं एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरुरी है नामक विषयों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे | ध्यान रहे निवेशक ही वह व्यक्ति है जो अपना खुद का जिताऊ पोर्टफोलियो बना सकता है इसके लिए निवेशक को इस लेख में बताई जा रही बातों का अनुसरण करना होगा | तो आइये  जानते हैं पोर्टफोलियो किसे कहते हैं |

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Portfolio kya hai (What is portfolio in hindi):

Portfolio से हमारा आशय खरीदी गई अनेकों प्रकार की यूनिटों, शेयरों एवं प्रतिभूतियों के समूह से है | कहने का आशय यह है की विभिन्न प्रकार की क्रय की गई यूनिटों, शेयरों या प्रतिभूतियों के समूह को पोर्टफोलियो कहा जाता है । साधारण बोलचाल की भाषा में पोर्टफोलियो की बात करें तो इसे एक टोकरी या बॉक्स भी कहा जा सकता है, जिसमें खरीदी गई विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियां रखी जाती हैं । ध्यान रहे Portfolio का मैनेजमेन्ट जितना अच्छा होगा उतना ही वह लाभदायक अर्थात कमाई कराने वाला होगा ।

पोर्टफोलियो के प्रकार (Types of Portfolio in hindi):

अलग अलग पोर्टफोलियो की अलग अलग खास बातें होती हैं | इसलिए पोर्टफोलियो की खास बातों के साथ विभिन्न प्रकार के पोर्टफोलियो का विवरण निम्नलिखित प्रकार से है |

1. कमाई प्रमुखता वाले पोर्टफोलियो (Income Preservation Portfolio):

कमाई प्रमुखता वाले पोर्टफोलियो उन निवेशकों के लिये अच्छा माना जाता है जिन्हें कम समय में ही कमाई अर्थात आय की आवश्यकता होती है । भले ही यह आवश्यकता कम मात्रा में हो । इस श्रेणी के निवेशक बहुत कम जोखिम सहन करने वाले होते हैं तथा यह चंचल प्रतिभूतियों से दूर रहते हैं ।

इस प्रकार के Portfolio में निश्चित आय कमाने वाली प्रतिभूतियों की संख्या अधिक होती है । जैसे बाण्डस, डिवेन्चर, मनीमार्केट इन्स्टूमेन्ट इत्यादि । विविधता के उद्देश्य से इस पोर्टफोलियो में भी थोड़ी संख्या में कुछ ब्लूचिप्स शेयर शामिल कर लिये जाते हैं |

2. परम्परावादी पोर्टफोलियो (Conservative Portfolio)

इस श्रेणी के पोर्टफोलियो भी नियमित आय प्राप्त करने के इच्छुक निवेशकों के लिये होते हैं कहने का आशय यह है की यह Portfolio सेवानिवृत्त या बुजुर्ग नागरिकों के लिए ठीक रहता है । इस श्रेणी के निवेशक अपनी बचत का अधिकांश हिस्सा नियमित आय प्रदान करने वाली प्रतिभूतियों में तथा कुछ हिस्सा पूँजी वृद्धि वाली प्रतिभूतियों में लगाते हैं । इस श्रेणी के निवेशक जीवन यापन के लिये आय नहीं चाहते लेकिन 2 से 4 वर्ष के मध्य वाले अपने दायित्वों के निपटारे के लिये अपनी कमाई चाहते हैं । यह निवेशक कुछ मात्रा में जोखिम भी उठाने को तैयार रहते हैं ।

3. पूँजी वृद्धि एवं आय पोर्टफोलियो (Growth & Income Portfolio):

यह पोर्टफोलियो उन निवेशकों के लिये होता है । जो तत्काल आय नहीं चाहते लेकिन भविष्य के लिए वे चाहते हैं कि उनकी पूँजी में वृद्धि हो । ऐसे निवेशकों की जोखिम सहन करने की क्षमता भी सन्तुतिल होती है । इस श्रेणी के निवेशक पूँजी वृद्धि के लिये 4 से 7 वर्ष तक की प्रतीक्षा कर सकते हैं । इस Portfolio का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा ग्रोथ शेयरों में लगाया जाता है तथा लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा शार्ट टर्म प्रतिभूतियों में निवेशित किया जाता है ।

4. धन कमाऊ पोर्टफोलियो (Wealth Builder Portfolio)

पोर्टफोलियो  का यह प्रकार उन निवेशकों के लिये होता है । जो अधिक मात्रा में जोखिम सहन कर सकते हैं और निवेश के प्रति धैर्य रखने का सामर्थ्य रखते हैं । इनका निवेश समय 10 वर्षों तक के लिये होता है । इस श्रेणी के निवेशक तत्काल आय कमाने में विश्वास नहीं रखते वरन चाहते हैं कि उनकी पूंजी कई गुनी बढ़कर वापस हो । इसलिए इस Portfolio में अच्छी कम्पनियों के शेयरों का कब्जा होता है ।

5. आक्रामक पोर्टफोलियो (Aggressive Portfolio):

पोर्टफोलियो का यह प्रकार उन निवेशकों के लिये होता है । जो ज्यादा से ज्यादा जोखिम लेने को तैयार रहते हैं । क्योंकि इस Portfolio में लगभग 70 प्रतिशत हिस्से पर ब्ल्यूचिप्स कम्पनियों के शेयरों का कब्जा होता है । शेष 30 प्रतिशत हिस्से में नियमित आय वाले तथा शार्ट टर्म मनी मार्केट फण्ड की हिस्सेदारी होती है । इस श्रेणी के निवेशक पूंजी वृद्धि में विश्वास रखते हैं । तथा लम्बे समय (कम से कम 15 वर्ष) के लिये निवेश करते हैं । कहा यह भी जाता है कि किसी भी अच्छे निवेश पोर्ट फोलियो में Real Estate अवश्य शामिल होता है ।

एक अच्छा पोर्टफोलियो कैसे बनायें

यदि आप अधिक लाभ कमाने के लिए अपना जिताऊ पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो अपने निवेश की धनराशि के बंटवारे (Asset Allocations) पर ध्यान दीजिये अर्थात निवेश के विभिन्न विकल्पों के मध्य अपने निवेश की धनराशि का बँटवारा सुनिश्चित कीजिये । दूसरे शब्दों में हम इसे इस प्रकार से भी कह सकते हैं कि विभिन्न म्यचुअल फण्डों और उनकी स्कीमों के मध्य अपने धन का बटवारा सुनिश्चित कीजिये ।

एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाने के लिए अपने निवेश मिश्रण (Investment Mix) को पहचानो । किस स्कीम में कितना धन लगाना है? निवेश को लगातार रिव्यू करते रहो, बदलते रहो । एक दिन एकदम फिट पोर्टफोलियो के मालिक बन जाओगे । रिसर्च बताती है कि किसी पोर्टफोलियो में 90% आय Asset Allocation पर निर्भर करती है ।

शेष 10% आय फण्ड या उसकी स्कीम के चुनाव पर निर्भर करती है । ध्यान रखें All Size Fit Portfolio का कोई मॉडल नहीं हो सकता है । क्योंकि सभी की रुचिया समान नहीं हो सकती हैं । अतः अपनी आय, जोखिम सहन करने की क्षमता, नकदी की आवश्यकता और निवेश की बारम्बारता आदि को ध्यान में रखकर एक अच्छा Portfolio बनाया जा सकता है |

अच्छे Portfolio के लिए संतुलन है जरुरी :

यदि निवेशक लम्बे समय से विनियोग करते चले आ रहा है तो उसके पास एक अच्छा सा पोर्टफोलियो हो गया होगा यानिकी उसका एक अच्छा सा Portfolio बन गया होगा ।

अतः अब उसको जरूरत है कि वह अपने पोर्टफोलियो का नियमित रूप से मूल्यांकन करें और उसमें सन्तुलन बनाये रखें । ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पोर्टफोलियो से जो उम्मीदे थीं वह पूरी हो रही हैं या नहीं । यदि निवेशक द्वारा अपने पोर्टफोलियो की जांच करते समय एवं उसे सन्तुलित करते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो परिणाम कमाई की दृष्टी से बेहतर हो सकते हैं |

  • यदि निवेशक के पास समय का अभाव है, तो मूल्यांकन एवं सन्तुलन का कार्य वार्षिक आधार पर करना अच्छा हो सकता है ।
  • यदि निवेशक को मूल्यांकन के समय कुछ यूनिट या शेयर हटाने पड़ें तो हटाने से हिचकना नहीं चाहिए फिर चाहे वे ऊंचे मूल्यों के कारण बेचने पड़ रहे हों या औंधे मुहं पड़े शेयरों को हटाने के लिए । निवेशक को चाहिए की ऐसे यूनिटों को बेच कर तुरन्त कम कीमत के यूनिट खरीदकर अपने Portfolio को सन्तुलित करने का प्रयास करे ।
  • वार्षिक इनकम टैक्स को भी ध्यान में रखकर शेयरों या यूनिटों में इस प्रकार से हेरफेर करना चाहिए ताकि इनकम टैक्स का दायित्व कम से कम हो सके ।
  • ध्यान रहे निवेशक को अपना Portfolio संतुलित करने के लिए किसी यूनिट या शेयर से मोह नहीं करना चाहिए |
  • इसके अलावा यदि निवेशक की निवेश नीति या उद्देश्य में बदलाव आया हो तो निवेशक को उसी के अनुरूप अपने Portfolio को सन्तुलित करना होगा ।
  • निवेश से विशेष तौर पर म्यूचुअल फण्डों से कमाई करनी हो तो लम्बे समय के लिए सोचो अर्थात दीर्घकालिक प्लान बनाने की आवश्यकता है |

ऐसे निवेशक जो डायरेक्ट शेयर बाजार में निवेश नहीं करना चाहते उन्हें ऐसे म्यूचुअल फंडों से संचालित Portfolio का सदस्य बनना होगा जो उपर्युक्त प्रकार की विशेषता रखते हों | इससे निवेशक अपनी मनपसंद जगहों पर निवेश करने में सक्षम होगा |

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