प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना की जानकारी ।

Prdhan Mantri Gramin Awas Yojana in Hindi : प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना का अधिकारिक नाम प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण यानिकी (PMAYG) है । यद्यपि यह योजना पूर्व में चल रही इंदिरा आवास योजना का ही पुर्नोथातित रूप है, जिसे 23 March 2016 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय कैबिनेट से स्वीकृति प्राप्त हुई । इस योजना का लक्ष्य बेघर एवं जीर्ण शीर्ण घरों में रहने वाले लोगों को पक्का घर बनाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है ।

भारत में ग्रामीण इलाकों में घरों से बंचित जीर्ण शीर्ण मकानों में रह रहे एवं खास तौर पर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को मकान बनाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 1996 में इंदिरा आवास योजना नामक एक कार्यक्रम चलाया गया । जो ग्रामीण क्षेत्रों में आवास सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तटस्थ योजना थी ।

लेकिन वर्ष 2014 में CAG (comptroller and auditor general India)  के audit के दौरान इसमें बहुत सारी कमियों जैसे लाभार्थियों के चयन में पारदर्शिता की कमी, घरों की गुणवत्ता में कमी, किस क्षेत्र में कितने मकानों की आवश्यकता है का निर्धारण न कर पाना, लाभार्थियों को समय पर ऋण उपलब्ध न हो पाना, कमजोर निगरानी प्रणाली इत्यादि पायी गई । इन्ही सब कमियों को दूर करने एवं वर्ष 2022 तक सभी को आवास दिलाने के मद्देनज़र 1, April 2016 से इस योजना को प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण में पुनर्गठित कर दिया गया है।

प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना

प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना क्या है ।

Pradhan Mantri Gramin Awas Yojana Kya hai : जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं इस योजना का नाम प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण है, यह 1996 से चल रही इंदिरा आवास योजना का पुनर्गठित स्वरूप है । जिसको 23 March 2016 को केन्द्रीय कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद 1, April 2016 से क्रियान्वयन में लाया गया है। या हम कह सकते हैं की यह योजना 2022 तक सभी भारतीय नागरिको को मकान उपलब्ध कराने के लक्ष्य से भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है।

ग्रामीण आवास योजना के लक्ष्य:

PMAYG योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में जीर्ण शीर्ण, बेघर लोगों को मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। ताकि कच्चे एवं टूटे फूटे घरों में रह रहे लोगों को बुनियादी सुविधाओं से पूर्ण 2022 तक पक्के मकान उपलब्ध कराये जा सकें। यदि हम इस योजना के पिछले लक्ष्यों की बात करें तो इसका लक्ष्य वर्ष 2016 से 2019 इन तीन वर्षों में लगभग 1 करोड़ लाभार्थियों तक इसका लाभ पहुँचाना था ।

जहाँ पहले मकान का कम से कम आकार 20 वर्गमीटर तय था। इसे 5 वर्गमीटर बढ़ाकर 25 वर्गमीटर कर दिया गया है अर्थात इस योजना के अंतर्गत बनने वाले आवासों का आकार रसोई घर इत्यादि को मिलाकर 25 वर्गमीटर से कम नहीं होना चाहिए। इस योजना के अंतर्गत मैदानी भागों में बनने वाले प्रति घर के आधार पर रूपये 120000 तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जो पहले 70000 रूपये थी।

और पर्वतीय या पहाड़ी इलाकों में बनने वाले घरों के लिए प्रति घर रूपये 130000 तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जो पहले 75000 थी। इसके अलावा लाभार्थी 90-95 दिन का मनेरेगा के अंतर्गत अकुशल मजदूरी पाने का भी अधिकारी होगा।

इस योजना के अंतर्गत बनने वाले घरों में शौंचालय के लिए अलग से मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण या फिर किसी अन्य योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। पेयजल, बिजली, LPG जैसी आधारभूत एवं महत्वपूर्ण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत तालमेल करने के प्रयास भी किये जायेंगे।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की विशेषताएं:

इस योजना की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं।

  • वर्ष 2016 से 2019 इन तीन वर्षों में 1 करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुँचाना।
  • योजना के अंतर्गत बनने वाले घरों के लिए कम से कम आवश्यक जगह को बढ़ाकर 25 वर्गमीटर करना, जिससे घर बनाने वाले रसोईघर का भी निर्माण कर सकें।
  • मैदानी क्षेत्रो में बनने वाले आवासों के लिए वित्तीय सहायता को 70000 रूपये से बढ़ाकर 120000 रूपये और पर्वतीय या दुर्गम क्षेत्रों के लिए 75000 रूपये से बढ़ाकर 130000 रूपये करना।
  • दी जाने वाली वित्तीय सहायता का खर्चा केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों द्वारा वहन किया जायेगा । जो मैदानी क्षेत्रो में 60:40 के अनुपात में और दुर्गम एवं पर्वतीय क्षेत्रों में 90:10 के अनुपात में होगा।
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत बनने वाले घरों के शौचालय के लिए अलग से वित्तीय सहायता का प्रावधान जो अधिक से अधिक 12000 रूपये तक होगा।
  • मनरेगा के अंतर्गत 90-95 दिनों की अकुशल मजदूरी का प्रावधान।
  • 2011 में की गई सामजिक आर्थिक जाति जनगणना, अन्य सामाजिक अपवादों के मानदंडो एवं ग्राम सभा द्वारा निर्धारित सूची के आधार पर लाभार्थियों का चयन।
  • लाभार्थियों को तकनिकी सहायता उपलब्ध कराने हेतु राष्ट्रीय तकनिकी सहायता एजेंसी की स्थापना जिनका काम लाभार्थी को वित्तीय सहायता मुहैया कराने के अलावा घर बनाने में उपयोग होने वाली तकनिकी सहायता प्रदान करना भी होगा।
  • यदि लाभार्थी दी गई वित्तीय सहायता में मकान बनाने में असमर्थ है तो लाभार्थी के आवेदन पर उसे वित्तीय संस्थाओं जैसे बैंकों इत्यादि से 70000 रूपये तक का ऋण दिलाने में मदद का प्रावधान।
  • इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली वित्तीय सहायता को लाभार्थी के उस बैंक/डाकघर खाते में भेजा जायेगा जिसमे लाभार्थी का आधार कार्ड लिंक हो।

योजना के लिए पात्रता (Eligibility)

इस योजना के लिए लाभार्थियों का चयन ग्राम सभा एवं Social Economic Caste census 2011 के आंकड़ों के अनुसार किया जायेगा। इनमे वे सभी परिवार जो बेघर, कच्चे मकानों में रह रहे हैं, (जरुरी नहीं है की वे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार (BPL) ही हों ) उनको सम्मिलित किया जायेगा। लेकिन इन सबके बावजूद लाभार्थियों के चयन में सरकार ने कुछ प्राथमिकतायें तय की हैं, जिनका विवरण निम्न है।

  • प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत ऐसे परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनमे 16 से 59 उम्र का कोई वयस्क सदस्य न हो।
  • जिन परिवारों में मुखिया महिला हो और उसमे भी 16 से 59 वर्ष के बीच का कोई वयस्क सदस्य न हो।
  • जिन परिवारों में 25 वर्ष से अधिक उम्र का कोई साक्षर वयस्क न हो।
  • जिन परिवारों में कोई एक सदस्य विकलांग/ निशक्त हो या परिवार का एक भी सदस्य शारीरिक सक्षम न हो।
  • जिन परिवारों में मुख्यतः दिहाड़ी मजदूरी करके जीविकापार्जन होता हो।

आवास योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता:

इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली वित्तीय सहायता का जिक्र हम उपर्युक्त वाक्य में भी कर चुके हैं की दुर्गम, आईएपी जिलों एवं पर्वतीय क्षेत्रों के लिए दी जाने वाली वित्तीय राशि रूपये 130000 तक और मैदानी क्षेत्रो के लिए 120000 रूपये तक हो सकती है।

दुर्गम क्षेत्रों से आशय ऐसे क्षेत्रो से है जहाँ आवास बनाने हेतु उपयोग में लायी जाने वाली सामग्री की कम उपलब्धता, परिवहन व्यवस्था में कमी, विषम भौगौलिक परिस्थतियाँ हों जिनसे घर बनाने में आने वाली लागत प्रभावित होती हो। कौन सा दुर्गम क्षेत्र है कौन सा नहीं इसकी पुष्टी करना राज्य सरकार का दायित्व होगा । पर्वतीय या हिमालयन राज्यों की श्रेणी में जम्मू एवं कश्मीर, हिमांचल प्रदेश एवं उत्तराखंड को शामिल किया गया है। आईएपी जिलों से आशय ऐसे जिलो से है जो गृह मंत्रालय के Integrated Action Plan के अंतर्गत आते हैं।

इस योजना के अंतर्गत बनने वाले पक्के मकान से तात्पर्य ऐसे आवास से है, जिसकी उचित देखभाल करने पर मौसमी परिस्थितियों,प्राक्रतिक आपदाओं एवं मकान का निरन्तर उपयोग होने के कारण छोटी मोटी टूट फूट को सहन करने का सामर्थ्य हो और जो कम से कम 30 वर्षो तक टिका रहे।

ग्रामीण आवास योजना में नाम कैसे चेक करें

इसकी अधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से इस प्रक्रिया को आसानी से पूर्ण किया जा सकता है।

  • सबसे पहले इसकी अधिकारिक वेबसाइट के इस दिए गए लिंक pmayg.nic.in  पर जाएँ
  • उसके बाद मेनू से स्टैक होल्डर पर कर्सर ले जाएँ और IAY/PMAYG Beneficiary पर क्लिक करें।
  • अब जो पेज खुलेगा उसमें अपना रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करें।
  • उसके बाद दर्ज रजिस्ट्रेशन नंबर को चेक करके सबमिट पर क्लिक करें । और यदि आपने गलती से गलत रजिस्ट्रेशन नंबर डाल दिया हो तो Reset पर क्लिक करें ।   

PMAYG की अधिकारीक डिटेल्स

अधिकारिक वेबसाइटpmayg.nic.in / iay.nic.in
हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर1800-11-6446 / 1800-11-8111
अधिकारिक ईमेल आईडीsupport-pmayg@gov.in / helpdesk-pfms@gov.in
ऑनलाइन आवेदन करने के लिए अधिकारिक वेबसाइटhttps://pmayg.nic.in/netiayHome/home.aspx

यह भी पढ़ें

Leave a Comment