घर से राखी बनाने [Rakhi Making] का बिजनेस कैसे शुरू करें |

राखी बनाने का काम यानिकी Rakhi Making अधिकांश तौर पर घर अर्थात Home पर ही की जाती है इसका मुख्य कारण यह है की राखी का त्यौहार सिर्फ एक दिन का होता है और उसी एक दिन के लिए इन राखियों की अहमियत होती है | इसलिए किसी भी व्यक्ति के लिए सिर्फ एक दिन की जरुरत पर आधारित काम के लिए फैक्ट्री इत्यादि लगाना लाभकारी नहीं हो सकता है इसलिए अक्सर होता क्या है की Rakhi Making अर्थात राखी बनाने का काम घरों पर ही किया जाता रहा है |

भारतवर्ष में रक्षाबंधन का नाम सिर्फ उन बच्चों ने नहीं सुना होगा जिनकी उम्र एक साल से कम है अर्थात जिन्होंने अभी एक बार भी इस त्यौहार को मनाते हुए नहीं देखा होगा | अन्यथा भारतवर्ष में रह रहा व्यक्ति चाहे किसी भी जाति, सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता हो, बेसक वह इस त्यौहार को नहीं मनाता हो लेकिन रक्षाबंधन का नाम तो उसने अवश्य सुना ही होगा |

जी हाँ दोस्तो रक्षाबंधन पर उपयोग में लायी जाने वाली यह राखी भाई- बहिन के प्यार का प्रतीक होती हैं खैर इसकी बात हम सिलसिलेवार तरीके से नीचे करेंगे लेकिन उससे पहले हमें यह जान लेना चाहिए की Rakhi Making Business यानिकी राखी बनाने का काम सिर्फ कुछ दिनों का होता है इस बात से नकारा नहीं जा सकता लेकिन साथ में इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता है की यह घर पर राखी बनाने का काम एक ऐसा बिज़नेस है जिसे कोई भी व्यक्ति 6-12 हज़ार के निवेश में आसानी से शुरू कर सकता है और इन राखियों को बेचकर अपनी अच्छी कमाई कर सकता है |

राखी बनाने का काम या Rakhi Making Business क्या है

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में स्पष्ट कर चुके हैं की रक्षाबंधन नामक इस त्यौहार से भारत का बच्चा बच्चा वाकिफ है इस दिन बहिन अपने भाई के हाथ अर्थात कलाई में प्यार एवं विश्वास का प्रतीक एक धागा बांधती है इस धागे को रक्षा सूत्र कहा जाता है जिसे बांधकर बहिन अपने भाई से उसकी रक्षा करने का वचन लेती है और भाई की लम्बी उम्र की कामना भी करती है | वर्तमान में बहिन द्वारा कलाई पर राखी बाँधने के बाद भाइयों द्वारा बहिनों को उपहार या पैसे दिए जाते हैं |

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है इसके पीछे काफी लोकोक्तियाँ एवं भ्रांतियां समाज में व्याप्त हैं उनका जिक्र हम यहाँ पर इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि इस लेख के माध्यम से हम राखी बनाने के काम अर्थात Rakhi making Business की बात कर रहे हैं न की उसके इतिहास की |

कहने का आशय यह है की रक्षाबंधन के दिन बहनों को अपने भाइयों की कलाई पर बाँधने के लिए राखी की आवश्यकता होती है और इसलिए बाज़ार में राखी बिकनी रक्षाबंधन के 10-15 दिन पहले से शुरू हो जाती है | भारतवर्ष के बहनों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर जब किसी व्यक्ति द्वारा राखी बनाने का काम किया जाता है तो वह Rakhi Making Business कहलाता है |

राखी बनाने का व्यापार शुरू करने के फायदे:

अक्सर होता क्या है की अपना बिज़नेस करने की लालसा लगभग हर व्यक्ति में होती है लेकिन जब बात इन्वेस्टमेंट अर्थात निवेश की आती है तो बिज़नेस करने की ओर केवल कुछ ही व्यक्ति आगे बढ़ पाते हैं | इस Rakhi Making Business यानिकी राखी बनाने के काम का यही फायदा है की यह  बहुत कम अर्थात Low Investment के साथ शुरू किया जाने वाला बिज़नेस है |

क्योकि घर पर राखी बनाने के लिए व्यक्ति को किसी प्रकार की मशीन की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि राखियों को कुछ घरेलू उपकरण जैसे सुई, धागे, पेपर, रंग इत्यादि की मदद से आसानी से तैयार किया जा सकता है | हालांकि यह सत्य है की राखियाँ बहुत प्रकार की होती हैं इसलिए अलग अलग प्रकार की राखी बनाने के लिए अलग अलग सामग्री की आवश्यकता हो सकती है |

घर पर राखी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:

यद्यपि जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं की राखी के प्रकार के आधार पर इसको बनाने में उपयुक्त होने वाली सामग्री अंतरित हो सकती है | लेकिन भिन्न भिन्न राखियों में जिस प्रकार का मटेरियल उपयोग में लाया जाता है उसकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है |

  • रुद्राक्ष
  • रेशम का धागा
  • कार्डबोर्ड
  • चमकीला धागा
  • रंग बिरंगे कागज़
  • रंग बिरंगी डोरी
  • Satin Ribbon
  • स्पंज फोम
  • गोंद
  • रंगीन मार्कर
  • रंगीन स्टीकर
  • विभिन्न रंग की ऊन
  • ज़री रूपांकन जैसे फूल, पक्षी एवं अन्य डिजाईन |
  • कैंची, सुई
  • मोती

अधिकतर तौर पर उपर्युक्त सामग्री ही Rakhi Making Business में उपयोग में लाई जाती है लेकिन राखी के प्रकार एवं डिजाईन के आधार पर सामग्री अंतरित भी हो सकती है इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह सबसे पहले राखी के प्रकार एवं डिजाईन का चयन करे ताकि उसी के आधार पर वह क्राफ्ट की दुकानों या स्थानीय बाज़ार से राखी बनाने की सामग्री खरीद सके |

घर पर राखी कैसे बनाएँ:

उपर्युक्त वाक्य में हम बता चुके हैं की राखी के प्रकार एवं डिजाईन के आधार पर इसमें उपयोग में लायी जाने वाली सामग्री अंतरित हो सकती है | इसलिए यहाँ पर हम रेशम के धागे की राखी बनाने की प्रक्रिया के बारे में समझेंगे और जानेंगे की कैसे कोई इस राखी को घर पर बना सकता है | रेशम के धागे की राखी अर्थात Silk Thread Rakhi Making के लिए उद्यमी को निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता हो सकती है |

Rakhi-making at home
  • विभिन्न रंगों का रेशम का धागा
  • Rakhi Making के लिए फैब्रिक को चिपकाने हेतु गोंद
  • बॉल चैन
  • स्टोन चैन
  • स्फटिक (कपड़ों को डेकोरेट करने के उपयोग में लाया जाता है )
  • मोती चैन
  • Rakhi Making के लिए कार्डबोर्ड पेपर
  • एक चूड़ी धागे को लपेटने के लिए (अगर चूड़ी न हो तो यह काम हाथ से भी किया जा सकता है)
  • कैंची धागे को काटने के लिए
  • चैन को काटने का औजार

घर पर राखी बनाने की विधि:

  • Silk Thread Rakhi Making के लिए सबसे पहले उद्यमी को एक चूड़ी लेनी होती है यदि चूड़ी नहीं है तो उद्यमी धागे को अपनी हथेली पर भी लपेट के यह काम कर सकता है |
  • चूड़ी में रंगीन रेशम के धागे को लपटते रहना है जब लगभग 60-70 या इससे भी अधिक लपेटे हो जाय तो धागे को वहां से काट देना है और उसे जो चूड़ी पर लपेटा हुआ धागे का गुच्छा है उस पर चिपका फैब्रिक गोंद की मदद से चिपका देना है |
  • जब यह चिपक जाय तो इसे बीचों बीच से उसी धागे से टाइट करके बाँध देना होता है और उसके बाद चूड़ी से धागे को अलग कर लिया जाता है |
  • चूड़ी से अलग होने के बाद इस धागे के गुच्छे का आकार डमरू जैसा हो जाता है अर्थात बीच से पतला एवं आगे पीछे के सिरों से मोटा अब कैंची से इसे आगे पीछे के सिरों को इस तरह काटा जाता है की यह डमरू आकृति के साथ एक फूल सा भी नज़र आय |
  • यह प्रक्रिया कर लेने के बाद अब दूसरे रंग का रेशम का धागा लेना होता है और ज्यों के त्यों उपर्युक्त प्रक्रिया करनी होती है | अब Silk Thread Rakhi Makingकरने वाले व्यक्ति के पास दो रंगों में डमरू की आकृति के धागे के फूल हो गए होंगे अब एक फूल के बीचों बीच फैब्रिक को चिपकाने वाली गोंद लगाई जाती है और उसके ऊपर दूसरे फूल को ऐसे रखा जाता है की दोनों के मिलन से गोलाकृति बने |
  • उसके बाद एक पतला कार्डबोर्ड कलर पेपर लिया जाता है और उस पर गोंद लगा के गोल आकृति का स्फटिक चिपकाया जाता है | फिर उस कार्डबोर्ड को गोलाकृति में काट लिया जाता है और केवल उतना ही कार्डबोर्ड पेपर उस पर छोड़ा जाता है जितना स्फटिक का आकार हो, यह इसलिए किया जाता है क्योंकि स्फटिक धागों पर चिपकने में परेशानी खड़ा कर सकता है |
  • इसमें कार्डबोर्ड पेपर की दो लेयर होती हैं इसलिए जितना कार्डबोर्ड पेपर स्फटिक पर चिपकाया जाता है उतना ही उसी गोलाकृति का पेपर राखी के नीचे चिपकाने के लिए भी बचा या काट लिया जाता है |
  • Rakhi Making में उसके बाद रेशम के धागों से निर्मित जो गोलाकृति थी उसके बीचों बीच स्फटिक चिपका दिया जाता है और उसके चारों तरफ फैब्रिक गोंद की मदद से तीन लेयर में बाल चैन, स्टोन चैन एवं मोती चैन चिपका ली जाती हैं |
  • उसके बाद राखी की गोलाकृति की फिनिशिंग की जाती है अर्थात यह देखा जाता है की धागे के बाल चरों तरफ बराबर फैले हुए हैं या नहीं यदि कोई धागे लम्बे हों तो उन्हें कैची की मदद से काट लिया जाता है |

उसके बाद दो तीन रंग के रेशम के धागों को हाथ में लिया जाता है और फैब्रिक गोंद की मदद से उन्हें चिपका लिया जाता है यह प्रक्रिया राखी को हाथ में बाँधने वाली डोरी को बनाने के लिए की जाती है जब ये कुछ धागों का समूह चिपकाने की वजह से एकमुश्त हो जाता है उसके बाद Rakhi Making Business में राखी को उलट कर उस पर छोटा सा गोलाकृति आकार का पेपर चिपकाकर बाँधने वाली डोरी को राखी पर चिपका दिया जाता है इस तरह से रेशम के धागे से निर्मित राखी बेचने के लिए तैयार हो जाती है |

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