स्कूल कैसे खोलें । नियम, प्रक्रिया, रजिस्ट्रेशन की जानकारी ।

स्कूल कैसे खोलें? नामक इस प्रश्न का जवाब देने हेतु शब्दों को विस्तारित करने से पहले यह जान लेना जरुरी है की किसी भी व्यक्ति के विकास में शिक्षा का अहम योगदान होता है। यही कारण है की बच्चों के विद्यारम्भ को अपने देश भारत में माता पिता द्वारा बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। कहने का आशय यह है की हर कोई माता पिता यही चाहते हैं की उनके बच्चे ऐसे स्कूल में पढ़ें जहाँ उनका चहुंमुखी विकास संभव हो सके।

लेकिन जब माता पिता सरकारी स्कूलों को अपनी अपेक्षाओं के तराजू पर तौलते हैं तो वे सरकारी स्कूलो को अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरा नहीं पाते और यही कारण है की वे प्राइवेट स्कूलों अर्थात निजी विद्यालयों का रुख करते हैं। माता पिता की यही आवश्यकता अन्य व्यक्तियों के लिए बिज़नेस के द्वार खोलती है।

और यही कारण है की अपने देश भारत में बहुत सारे लोग इन्टरनेट के माध्यम से स्कूल कैसे खोलें, How to open School In India in hindi, प्राइवेट स्कूल कैसे खोलें? स्कूल खोलने के नियम, स्कूल खोलने की प्रक्रिया, स्कूल का रजिस्ट्रेशन कैसे करें इत्यादि कीवर्ड का प्रयोग करके सर्च कर रहे होते हैं, ताकि वे उपयुक्त जानकारी पाकर एक साधारण व्यक्ति से उद्यमी बन सकें और अपनी कमाई कर पाने में सक्षम हो सकें।

हालांकि स्कूल चलाने का मतलब केवल लाभ कमाना बिलकुल नहीं होता है बल्कि स्कूल बिज़नेस को भारत में नॉन प्रॉफिट वेंचर के रूप में देखा जाता है। इसलिए स्कूल खोलने वाले व्यक्ति में अपनी कमाई करने से ज्यादा समाजसेवा का भाव होना जरुरी है। आज का हमारा यह लेख उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो स्वयं का स्कूल खोलना चाहते हैं, और वे जो इन्टरनेट पर स्कूल खोलने से सम्बंधित जानकारी ढूंढ रहे हैं।

स्कूल कैसे खोलें
Image : School Kaise Khole

भारत में स्कूल कैसे खोलें (how to open school in India in Hindi):

जहाँ तक भारत में स्कूल कैसे खोलें नामक इस प्रश्न का सवाल है। यदि व्यक्ति पूर्ण रूप से स्कूल खोलने का विचार बना चूका है तो उसे यह समझना होगा की इंडिया में स्कूल खोलना नॉन प्रॉफिट वेंचर के अंतर्गत शामिल है। इसलिए व्यक्ति का ध्यान सिर्फ लाभ कमाने की ओर नहीं, समाजसेवा की ओर होना भी जरुरी है।

इंडिया में स्कूल खोलने के बहुत सारे नियम एवं प्रक्रियाएं होती हैं कहने का आशय यह है की केवल अपनी बिल्डिंग होना, क्लासरूम रूम होना, लैबोरेट्रीज और लाइब्रेरी होना या किराये पर बिल्डिंग ले लेना ही एक स्कूल खोलने या स्कूल स्थापित करने के लिए काफी नहीं है। बल्कि एक स्कूल खोलने के लिए उद्यमी को अनेकों लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है।

हम जानते हैं की जब भी किसी व्यक्ति द्वारा इन्टरनेट पर स्कूल कैसे खोलें नामक कीवर्ड का उपयोग किया जाता है तो उसका लक्ष्य स्कूल खोलने के लिए आवश्यक लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की जानकारी प्राप्त करना होता है।

लेकिन इससे पहले की हम भारत में स्कूल खोलने के नियमों एवं प्रक्रियाओं पर विस्तारपूर्वक वार्तालाप करें हम संक्षेप में स्कूल खोलने की प्रक्रियाओं के बारे में जान लेते हैं। इंडिया में अपना स्कूल खोलने के लिए निम्न प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ सकता है।

  • स्कूल खोलने के लिए या रजिस्ट्रेशन करने के लिए सबसे पहले उद्यमी को एक सोसाइटी या ट्रस्ट स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
  • उसके बाद स्कूल को स्थापित करने में लगने वाले फण्ड का प्रबंध करना होता है, कौन से स्कूल में कितना फण्ड लगेगा यह स्कूल द्वारा दी जाने वाली फैसिलिटी एवं उसके आकार पर निर्भर करता है।
  • नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए निर्धारित मानदंडों एवं विनियमों का पालन करना । चूँकि निर्धारित मानदंड और विनियम निश्चित भूभाग या राज्य के आधार पर अंतरित हो सकते हैं, इसलिए उद्यमी को यह ध्यान देना अति आवश्यक है की वह सही मानदंड और विनियम का पालन करे।
  • जब उद्यमी को राज्य के शिक्षा विभाग एवं अन्य समबन्धित विभागों से मंजूरी प्राप्त हो जाती है। तो उद्यमी स्कूल खोलने की दिशा में अगला कदम जैसे स्कूल का निर्माण, स्टाफ भर्ती इत्यादि शुरू कर सकता है।

स्कूल खोलने के लिए रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी नियम:

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्यों में भी बता चुके हैं की इंडिया में जब भी स्कूल कैसे खोलें नामक विषय पर वार्तलाप होती है। तो सबसे पहले यह जानकारी ढूंढ रहे व्यक्ति के अंतर्मन में स्कूल खोलने के लिए आवश्यक रजिस्ट्रेशन एवं लाइसेंस सम्बन्धी शंकाएं ही हिचकोले ले रही होती हैं। अर्थात उस व्यक्ति का स्कूल कैसे खोलें नामक कीवर्ड टाइप करने का ध्येय स्कूल खोलने सम्बन्धी रजिस्ट्रेशन एवं लाइसेंस की जानकारी जुटाना होता है।

वरना शायद यह हर व्यक्ति जानता होगा की स्कूल के लिए एक बिल्डिंग उसमे कुछ कमरे जिनमे क्लासरूम इत्यादि स्थापित किये जा सकें की आवश्यकता होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम यहाँ पर स्कूल के रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी नियमों का उल्लेख कर रहे हैं।

  • भारत में उपलब्ध नियम एवं कानून के मुताबिक कोई भी निजी संगठन स्कूल नहीं खोल सकता है । इसलिए विद्यालय किसी सोसाइटी या ट्रस्ट द्वारा संचालित किये जा सकते हैं ।
  • यदि कोई निजी संस्था भारत में स्कूल स्थापित करना चाहती है तो कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के अनुसार कंपनी स्थापित कर सकती है। लेकिन यह स्कूल गैर लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित होना चाहिए।
  • कानून के अनुसार स्कूल खोलने के इच्छुक संस्था या व्यक्ति को सबसे पहले सोसाइटी या ट्रस्ट बनाना होता है जिसमें पांच से छह सदस्य होते हैं। इनमे अधिकारिक तौर पर घोषित बोर्ड का अध्यक्ष, एक सचिव, एवं एक अध्यक्ष होना चाहिए।

स्कूल खोलने के लिए एनओसी प्रक्रिया (NOC Process ):

स्कूल कैसे खोलें नामक सवाल का जवाब पाने के आंकांक्षी लोगों या संस्थाओं को यह समझ लेना बेहद जरुरी है। की स्कूल खोलने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त करना, उस क्षेत्र में उपलब्ध प्रचलित अन्य स्कूलों से टकराव की स्थिति से निबटने के लिए अत्यंत जरुरी है। एनओसी को Essentially Certificate (EC) भी कहा जाता है।

यहाँ पर ध्यान देने वाली विशेष बात यह है की EC या NOC प्राप्त करने के तीन सालों के अन्दर स्कूल के निर्माण का कार्य शुरू होना जरुरी है। अन्यथा सरकार से एनओसी के लिए दुबारा आवेदन करने की आवश्यकता हो सकती है।

स्कूल खोलने के लिए लोकेशन का चुनाव:

स्कूल खोलने के लिए एक आदर्श लोकेशन का चयन इसलिए जरुरी हो जाता है। क्योंकि इसके माध्यम से आप अपने प्रतिस्पर्धी स्कूलों को हराने में कामयाब हो पाएंगे और स्कूल कैसे खोलें जानने में भी यह कारक मददगार साबित हो सकता है।

जहाँ तक स्कूल की लोकेशन का सवाल है वर्तमान में स्कूल हर जगह चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी सभी जगह चाहिए होते हैं इसलिए इन्हें कहीं भी खोला जा सकता है। कहा यह जाता है की इस बिज़नेस से अधिक कमाई करने के लिए व्यक्ति या संस्था को थोड़ा बहुत प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र का चयन करना आवश्यक है। बिज़नेस लोकेशन का चुनाव कैसे करें?

स्कूल खोलने के लिए जमीन की खरीदारी:

स्कूल कैसे खोलें का जवाब देने की दिशा में अगला जवाब स्कूल खोलने के लिए जमीन की खरीदारी से सम्बंधित है। कहने का अभिप्राय यह है की स्कूल खोलने के लिए जमीन की आवश्यकता तो अनिवार्य रूप से होती है।

इसलिए यदि स्कूल खोलने में शामिल सदस्यों में से किसी भी सदस्य के पास अपनी जमीन है और वह उसी में स्कूल का निर्माण करने की सोच रहा हो तो उसे सम्बंधित राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से NO Objection Certificate की आवश्यकता होगी।

और यदि ट्रस्ट या सोसाइटी सरकार से स्कूल खरीदने के लिए जमीन खरीदना चाहते हैं तो शिक्षा विभाग से एनओसी लेने के बाद सोसाइटी या ट्रस्ट को नगर निगम इत्यादि से संपर्क करना होगा। इस प्रक्रिया में जमीन की लागत भारतीय कानून के अनुसार नीलामियों के माध्यम से तय की जाती है, और ट्रस्ट या सोसाइटी को नगरपालिका की नीलामी के माध्यम से जमीन मिलती है।

स्कूल खोल रही ट्रस्ट या सोसाइटी को विभिन्न शिक्षा बोर्डों जैसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE),  स्टेट बोर्ड, काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) इत्यादि के सख्त नियमों का अनुपालन करना होता है। इन सख्त नियमों में से एक नियम यह है की स्कूल में खेल का मैदान होना जरुरी है।

स्कूल खोलने सम्बन्धी कुछ अन्य नियम:

अब हम स्कूल कैसे खोलें नामक इस लेख के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुके हैं। इसलिए इस अंतिम पड़ाव में हम भारत में स्कूल खोलने सम्बन्धी कुछ अन्य नियमों के बारे में संक्षेप में वार्तालाप करेंगे।

  • स्कूल कैसे खोलें के अंतर्गत लोगों द्वारा अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता रहा है की स्कूल को मान्यता प्राप्त स्कूल का दर्जा देने के लिए क्या करना पड़ता है। जहाँ तक कक्षा पांच तक के स्कूल की बात है इसमें नगर निगम या नगर पालिका की मंजूरी अर्थात अप्रूवल भी स्कूल को मान्यता प्राप्त का दर्जा दे देती है। और कक्षा 6th से 8th तक के स्कूल को मान्यता प्राप्त (Recognized) का दर्जा देने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग से अप्रूवल या मंजूरी लेनी आवश्यक है।
  • स्कूल को हायर सेकेंडरी कक्षा की अनुमति स्कूल चलाने के दो वर्षों बाद ही दी जाती है।
  • जब स्कूल निर्माण इत्यादि सम्बन्धी सभी काम पूर्ण हो जाते हैं तो permanent affiliation के लिए affiliation authority द्वारा निरीक्षक भेजा जाता है जिसकी संतुष्टी के बाद ही स्कूल को permanent affiliation प्रदान किया जाता है।

स्कूल खोलने में कितना खर्चा आएगा (Investment)

भारत में खुद का स्कूल खोलने में आने वाला खर्चा ₹5 लाख से ₹3 करोड़ तक कुछ भी हो सकता है । जी हाँ मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसे बहुत सारे लोगों को जानता हूँ, जिन्होंने शुरूआती दौर में केवल नर्सरी स्कूल से शुरू करके, जिसमें उन्होंने शुरूआती दौर में अपने घर के खाली कमरों या कोई मकान किराये पर लेकर बहुत कम निवेश यहाँ तक की ₹5 लाख रूपये तक के निवेश के साथ शुरू किया।

कहने का आशय यह है की स्कूल खोलने में आने वाला खर्चा इस बात पर निर्भर करता है की आप कितनी कक्षा तक का स्कूल खोलना चाहते हैं।

जहाँ एक नर्सरी स्कूल खोलने में आपको लगभग ₹5 लाख रूपये, प्राइमरी यानिकी पांचवीं तक का स्कूल खोलने में ₹20 लाख रूपये, कक्षा आठवीं तक का स्कूल खोलने में ₹40  लाख रूपये, और बारहवीं तक का स्कूल खोलने में लगभग ₹3 करोड़ रूपये तक खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है।

ऐसे में यदि आप खुद का स्कूल खोलना चाहते हैं तो पहले नर्सरी स्कूल खोल सकते हैं, उसके बाद उसे साल दर साल धीरे धीरे अपग्रेड कर सकते हैं। इससे पहला फायदा यह होगा की आपको एक साथ बड़े फण्ड का प्रबंध नहीं करना पड़ेगा, दूसरा यह की इस बिजनेस में आपका अनुभव बढ़ता जायेगा।

आपके अनुभव के हिसाब से ही आपका दिमाग आपको निर्णय लेने को प्रेरित करेगा, यानिकी जब आपको लगेगा की आपके पास बच्चे बढ़ते जा रहे हैं, तो फिर आप अपने स्कूल की बिल्डिंग और कक्षाओं का विस्तार कर सकते हैं ।

स्कूल की मार्केटिंग कैसे करें (Marketing Tips)

यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं की वर्तमान में माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति बहुत संवेदनशील है। यही कारण है की वे अच्छे से अच्छे स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, इसके लिए भले ही उन्हें ज्यादा फीस ही क्यों न देनी पड़े।

लेकिन दूसरी तरफ हमें यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए, की हर एरिया में अलग अलग आय वर्ग के लोग निवास करते हैं। जिस प्रकार सबकी कमाई एक जैसी नहीं होती है, ठीक उसी प्रकार सबकी खर्चा करने की क्षमता भी एक जैसी नहीं रहती।

ऐसे में यदि आप अपने स्कूल की मार्केटिंग करना चाहते हैं तो उसके लिए आप निम्नलिखित बातों का अनुसरण कर सकते हैं।

  • अपनी टारगेट कस्टमर को पहचानें क्योंकि एक एरिया में कई आय वर्ग के लोग रह सकते हैं, आप उस आय वर्ग को टारगेट करें, जिसकी जनसँख्या उस क्षेत्र विशेष में अधिक हो। और उसी हिसाब से अपने स्कूल सुविधाएँ और फीस का निर्धारण करें।  
  • अपने टारगेट एरिया में पोस्टर फ्लायर्स छपवाकर बंटवाएँ, खास तौर पर तब जब एडमिशन शुरू होते हों।
  • छात्र /छात्राओं को एनुअल फीस या ट्यूशन फीस में डिस्काउंट प्रदान करें, ताकि कोई अन्य स्कूल से आपके स्कूल में शिफ्ट हो सके।
  • अपने स्कूल का सोशल मीडिया पेज/यूट्यूब चैनल और वेबसाइट/मोबाइल एप्प इत्यादि बनाएँ और स्कूल से सम्बंधित गतिविधियों को नियमित तौर पर इनमें पब्लिश करें। ये प्लेटफोर्म आपको एक सशक्त ऑनलाइन कम्युनिटी बनाने में मदद करेंगे।  
  • अपने स्कूल में अव्वल आने वाले छात्र/छात्राओं की लिस्ट बनाएँ और उनकी फोटो अपने स्कूल के बाहर प्रदर्शित करें । इससे आपके स्कूल के आस पास से गुजरने वाले विद्यार्थियों और उनके माता पिता की नज़र में आपके स्कूल की साख बनती है। और जो छात्र छात्राएँ आपके स्कूल में पढ़ रहे होते हैं, वे भी पढाई में और अधिक ध्यान देते हैं ताकि उनकी फोटो भी स्कूल के बाहर प्रदर्शित हो सके।
  • एडमिशन के समय संभव हो तो टारगेट एरिया में PPC एड चलाएँ यह आपको अच्छा रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट दे सकते हैं ।
  • अपने स्कूल को सभी जरुरी लाइसेंस और मान्यताओं से सुसज्जित कराएँ, और शुरूआती दौर में लाभ कमाने की बजाय नाम कमाने में विश्वास करें।      

निष्कर्ष (Conclusion) :

भारत में स्कूल खोलने के बिजनेस को सामाजिक कल्याण से जोड़कर देखा जाता है। यही कारण है की स्कूल ओपन करने के लिए ट्रस्ट या सोसाइटी बनाने की आवश्यकता होती है । लेकिन आज के समय में हकीकत यह है की स्कूल चलाना एक बेहद लाभकारी और कमाऊ बिजनेस के तौर पर जाना जाता है।

शायद यही कारण है की वर्तमान में कई लोग दिन भर में इन्टरनेट पर यही जानने की कोशिश करते हैं की वे भारत में स्कूल कैसे खोल सकते हैं? यदि आप भी उनमें से एक हैं, तो हम इस लेख में इस विषय पर पूर्ण और विस्तृत जानकारी प्रदान कर चुके हैं।

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