Sensex क्या है? क्यों घटता, बढ़ता है | गणना और बढ़ने के फायदे |

Sensex नामक यह शब्द बेहद प्रचलित शब्द है क्योंकि आम तौर पर शेयर मार्केट के गिरने एवं बढ़ने का अनुमान इसी से लगाया जाता है | कहने का अभिप्राय यह है की जब Sensex बढ़ता है तब शेयरों की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी होती है | और सामान्य तौर पर इस अवस्था को अर्थव्यवस्था की अच्छी स्थिति के तौर पर भी देखा जाता है लेकिन यह जरुरी नहीं है की जब Sensex बढ़ रहा हो या शेयर मार्केट में तेजी हो तो अर्थव्यवस्था की स्थिति भी अच्छी ही हो |

कभी कभी देश की अर्थव्यवस्था में घोर मंदी के होने के बावजूद भी शेयर मार्केट में तेजी हो सकती है | जैसा की हम सबको पता है की वर्तमान में अधिकतर लोग शेयर मार्केट को पैसे कमाई करने का एक जरिया समझते हैं, हालांकि सच्चाई यह है की यहाँ विवेकपूर्ण निर्णय न लेने पर निवेशक के पैसे डूब भी जाते हैं | लेकिन शेयर मार्केट की बदौलत बहुत सारे लोगों ने अकूत सम्पति कमाई भी है |

इसलिए आज हम इस श्रेणी में यह जानने की कोशिश करेंगे की शेयर मार्केट में सूचकांक के तौर पर कार्य करने वाला सेंसेक्स होता क्या है? इसकी गणना कैसे होती है?यह कैसे घटता बढ़ता है ? वर्तमान में कौन कौन सी कम्पनियां सेंसेक्स निर्धारण में सहायक हैं? इत्यादि |

sensex information in hindi

सेंसेक्स क्या है (What is Sensex in Hindi):

Sensex नामक इस प्रचलित शब्द की यदि हम बात करें तो कहा यह जाता है की सन 1990 से पहले इसे सेंसेटिव इंडेक्स के नाम से जाना जाता था | कहने का अभिप्राय यह है की इसके आधारित वर्ष की शुरुआत के समय यानिकी 1 अप्रेल 1979 और इसके पहली बार प्रकाशित वर्ष 1986 में भी इसका नाम Sensex न होकर Sensitive Index था ऐसा कहा जा सकता है | क्योंकि माना यह जाता है की Sensex नामक इस शब्द को पहली बार 1990 में दीपक मोहोनी नामक पत्रकार द्वारा इस्तेमाल में लाया गया था जो बाद में बेहद प्रचलित हो गया |

जैसा की हम सबको विदित है की Bombay Stock Exchange (BSE) में देश की हजारों कंपनियां सूचीबद्ध हैं इसलिए Sensex बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध तीस सबसे बड़ी कंपनीयों जिनके शेयरों को निवेशकों ने सबसे ज्यादा ख़रीदा या बेचा हो, का एक सूचकांक है | यही कारण है की इन तीस कंपनियों में शामिल कंपनियों की लिस्ट उनकी परफॉरमेंस के आधार पर बदलती रहती है | मतलब यह की जो कंपनी आज तीस सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल हो, हो सकता है की कल उसकी जगह कोई अन्य कंपनी ले ले |

लेकिन Sensex की गणना के लिए कंपनियों की संख्या हमेशा तीस ही रहती है |  यहाँ पर बता देना चाहेंगे की इस तरह का यह सूचकांक पहली बार 1986 में अस्तित्व में आया था | अब यदि साधारण शब्दों में हम सेंसेक्स को समझने की कोशिश करें तो हम पाएंगे की यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार कर रही कंपनियों की स्थिति दर्शाने हेतु एक सूचकांक है |

सेंसेक्स की गणना (Calculation Of Sensex in Hindi):

Sensex की गणना के बारे में जानने से पहले यह जानना बेहद जरुरी हो जाता है की इस आधार वर्ष 1978-79 और आधार मूल्य 100 है | इसकी गणना के लिए फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन (यानिकी जिसमें प्रमोटर्स के शेयर, सरकार के शेयर इत्यादि शामिल न हों) की विधि द्वारा किया जाता है | इस विधि के माध्यम से सेंसेक्स की गणना के लिए इसमें शामिल तीस कंपनियों का फ्री फ्लोट मार्केट कैप निकाला जाता है |

और इसके पश्चात सभी कंपनियों के मार्केट कैप को जोड़कर कुल गणना की जाती है और इसके पश्चात इसकी गणना आधारित वर्ष के अनुरूप की जाती है | और यह सब प्रक्रियाएं करके जो भी परिणाम आता है वही Sensex का अंक होता है | सेंसेक्स की गणना के लिए फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को समझना नितांत आवश्यक है इसलिए आइये जानते हैं यह है क्या?

फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन(What is free float Market Capitalization in Hindi):

किसी भी कंपनी की फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना करते वक्त कंपनी के सिर्फ उन्हीं शेयरों को शामिल किया जाता है जो मार्केट में ट्रेड अर्थात व्यापार के लिए उपलब्ध हैं यानिकी जिन शेयरों को आम निवेशक भी खरीद सकता है | फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना में कंपनी के शेयरहोल्डर, कंपनी के प्रमोटर्स के पास उपलब्ध शेयरों को नहीं गिना जाता है | अर्थात इस विधि में शेयरहोल्डर एवं प्रमोटर्स के पास उपलब्ध शेयरों को गणना में शामिल नहीं किया जाता है |

उदाहरणार्थ : माना D नामक कंपनी के पास कुल शेयरों की संख्या 5000 है इनमें से 2000 शेयर प्रमोटर एवं शेयरहोल्डर के हैं तो इस स्थिति में कंपनी के पास Free float Shares की संख्या 3000 होगी | फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना में साधारण से सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है जो इस प्रकार से है |

फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन = ट्रेड के लिए उपलब्ध शेयर × शेयर की वर्तमान कीमत |

सेंसेक्स की गणना का उदाहरण(Example of Sensex calculation in Hindi):

माना की सूचकांक में केवल दो कंपनियों अ और ब का स्टॉक उपलब्ध है | इस स्थिति में सेंसेक्स की गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है |

  • माना पहली कंपनी अ के पास कुल मिलाकर 1200 Shares हैं जिसमे से 400 शेयर कंपनी के प्रमोटर एवं शेयर होल्डर के हैं इस स्थिति में कंपनी के पास ट्रेड करने के लिए शेयरों की संख्या 1200-400=800 होगी | ये 800 शेयर फ्री फ्लोटिंग शेयर कहे जायेंगे |
  • ठीक इसी प्रकार माना ब कंपनी के पास कुल 1500 शेयर हैं जिनमे से 500 शेयर प्रमोटर एवं शेयर होल्डर के हैं इस स्थिति में ब कंपनी के 1500-500=1000 शेयर फ्री फ्लोटिंग होंगे |
  • अब माना अ कंपनी के एक शेयर का मूल्य रूपये 300 है तो इस स्थिति में अ कंपनी की कुल मार्केट कैप 1200×300=360000होगी लेकिन कंपनी की फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन 800×300=240000 होगी |
  • ठीक इसी तरह माना कंपनी ब का शेयर का मूल्य 400 रूपये है तो इस स्थिति में कंपनी का कुल मार्केट कैप 1500×400=600000 होगा | जबकि फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन 1000×400=400000 होगा |
  • दोनों कंपनियों के इंडेक्स का मार्केट कैप 360000+600000=960000 होगा जबकि दोनों स्टॉक का फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन 240000+400000=640000 होगा |
  • अब उपर्युक्त स्टॉक के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को इंडेक्स डीवाईजर से विभाजित किया जाता है | Index Devisor आधार वर्ष में उपलब्ध मार्केट कैप में हुई बढ़ोत्तरी पर निर्भर करता है | इसका अभिप्राय यह है की माना आधार वर्ष में स्टॉक का मार्केट कैप 55000 था | हालांकि हो सकता है की उस समय उसमे कई अन्य स्टॉक भी शामिल हों लेकिन इससे गणना में कोई फर्क नहीं पड़ेगा | तो इसमें हम यह मान के चलते हैं की 55000 इंडेक्स मार्केट कैप 100 के इंडेक्स मूल्य के बराबर है तो |

वर्तमान में इंडेक्स मूल्य =640000×100/55000=1163.636 होगा |

उपर्युक्त वार्तलाप से स्पष्ट है की Sensex की गणना किस तरह से की जाती है अब आगे हम सेंसेक्स कैसे घटता बढ़ता है? इत्यादि विषयों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे |

सेंसेक्स क्यों घटता बढ़ता है (Why does Sensex goes up and Down):

जैसा की अब तक हम समझ चुके हैं की Sensex calculation में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध अलग अलग क्षेत्रों में कारोबार करने वाली 30 बड़ी कंपनियों का फ्री फ्लोट मार्केट कैप निकाला जाता है | उसके बाद उसे Index Divisor (उपर्युक्त उदहारण में 100/5500 Index Divisor है) से विभाजित करके सेंसेक्स की गणना की जाती है | चूँकि कंपनियों के शेयरों की कीमत में उतार चढ़ाव आता रहता है जिससे उनके मार्केट कैप एवं फ्री फ्लोट मार्केट कैप में भी उतार चढ़ाव आ जाता है और इसी कारण Sensex में भी उतार चढ़ाव आ जाता है |

और इन सबके अलावा सेंसेक्स ऊपर नीचे होने के पीछे राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय राजनैतिक, आर्थिक कारण होते हैं | जैसे यदि किसी नई सरकार से लोगों एवं मार्केट को आशा हो की यह कुछ नए सुधार करेगी तो इस स्थिति में सेंसेक्स में उछाल देखने को मिलता है | इन सबके अलावा मौद्रिक नीतियों में बदलाव के कारण भी सेंसेक्स ऊपर नीचे हो सकता है |

वैसे आम तौर पर देखा जाय तो सेंसेक्स की गणना में शामिल तीस कंपनियों के शेयरों के मूल्य में उतार चढ़ाव Sensex को प्रभावित करते हैं | इन तीस कंपनियों के शेयरों के मूल्य बढ़ने पर यह बढ़ जाता है और घटने पर घट जाता है कंपनी के शेयरों की कीमतों को कंपनी द्वारा लिए गए निर्णय तो प्रभावित करते ही हैं, साथ में सरकारों  द्वारा किये गए अनेक आर्थिक, राजनैतिक निर्णय भी प्रभावित करते हैं |

सेंसेक्स के लिए कंपनियों का चुनाव किस आधार पर किया जाता है?

Sensex की गणना के लिए जिन 30 कंपनियों का चयन इंडेक्स समिति द्वारा किया जाता है उन्हें निम्न मानदंडों में खरा उतरना होता है और सभी निर्धारित नियमों का पालन करना होता है |

  • कंपनी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की सौ बड़ी मार्केट कैप वाली कंपनियों की लिस्ट में शामिल होनी चाहिए और कंपनी का कुल मार्केट कैप बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के कुल मार्केट कैप का 0.5% से अधिक होना चाहिए | कंपनी का मार्केट कैप पिछले छह महीनों का औसत मार्केट कैप होगा |
  • कंपनी द्वारा पिछले एक वर्ष से व्यापार के प्रत्येक दिवस पर व्यापार अर्थात ट्रेडिंग किया जाना बेहद जरुरी है | हालांकि निलंबन इत्यादि एक अपवाद हो सकता है |
  • दैनिक औसत ट्रेडिंग की बात करें तो Sensex में शामिल कंपनी पिछले एक वर्ष से प्रतिदिन औसत ट्रेडिंग कर रही शीर्ष 150 कंपनियों की लिस्ट में शामिल होनी चाहिए |
  • इसके अलावा दैनिक औसत टर्नओवर के मामले में भी कंपनी शीर्ष 150 कंपनियों की लिस्ट में शामिल होनी चाहिए |
  • कंपनी को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुए एक साल से अधिक का समय हुआ हो |

उपर्युक्त मानदंडों के मुताबिक ही इंडेक्स समिति द्वारा Sensex में अलग अलग क्षेत्रों की 30 बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाता है |

सेंसेक्स बढ़ने के फायदे (Benefits of Increased Sensex):

Sensex बढ़ने के अनेक फायदे होते हैं लेकिन इनमे से कुछ प्रमुख फायदों की लिस्ट निम्नवत है |

  • मध्यम वर्ग से कई लोग शेयर बाज़ारों में निवेश करते हैं इसलिए जब भी सेंसेक्स में वृद्धि होती है वे अपनी सम्पति में प्रत्यक्ष रूप से वृद्धि का अनुभव करते हैं | यही कारण है की अक्सर स्टॉक में निवेश करने वाले लोगों की सेंसेक्स पर नज़र बनी रहती है |
  • Sensex के बढ़ने से जब स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले निवेशक अपनी सम्पति में वृद्धि महसूस करते हैं तो उनकी खर्च करने की क्षमता बढती है और वे ज्यादा खर्च करते हैं | जिससे अर्थव्यवस्था में गुणक प्रभाव देखे जा सकते हैं | और धन चारों ओर फैलता है |
  • Sensex बढ़ने से कंपनियों की नजर में शेयर बाजार की अच्छी तस्वीर उभरकर सामने आती है उन्हें लगता है की वे शेयर बाजार से और अधिक कमाई कर सकती हैं | इसलिए वे और अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं जिससे देश में रोजगार बढ़ता है |
  • Sensex के बढे होने का अभिप्राय यह है की स्टॉक मार्केट अच्छी स्थिति में है और जब स्टॉक मार्केट अच्छी स्थिति में होता है तो विदेशी पैसा ज्यादा आने की संभावना होती है | जिसके कारण रूपये के मूल्य में वृद्धि होती है और लोगों को आयातित माल जैसे तेल, मशीनरी इत्यादि सस्ते दामों पर मिलते हैं |
  • Sensex के बढ़ने से हर क्षेत्रों चाहे वह विनिर्माण सेक्टर हो या सेवा सेक्टर में निवेश बढ़ता है | और इस बढे हुए निवेश को कंपनियाँ या औद्योगिक इकाइयाँ व्यापार को विस्तृत करने में लगाती है जिससे लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं |
  • देश में रोजगार के ज्यादा अवसर होने पर माल एवं सेवाओं की उपलब्धता में भी वृद्धि होगी | और इनकी अधिक उपलब्धता के कारण लोगों को माल एवं सेवाएँ सस्ते दामों पर मिलने की संभावना होती है |

उपर्युक्त विवेचना के आधार पर कहा जा सकता है की Sensex के बढ़ने से स्टॉक मार्केट की स्थिति मजबूत होती है | मजबूत स्थिति होने के कारण स्टॉक में निवेश बढ़ते हैं |

निवेश बढ़ने से व्यापारिक इकाइयाँ या कंपनियां अपने व्यापार को विस्तृत करती हैं | जिससे देश में रोजगार बढ़ते हैं | इसलिए कहा जा सकता है की Sensex के बढ़ने से न सिर्फ स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने वालो को फायदा होता है बल्कि ऐसे लोग जिन्होंने शेयर बाजार में निवेश न भी किया हो उन्हें भी फायदा होता है |

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