शेयर मार्किट क्या होती है | What is share marketing in Hindi.

भारतीय बाज़ार में जब भी कमाई की बात होती है, तो यह निश्चित है की वहां पर Share Market की बात तो होगी ही होगी | इसी बात के मद्देनज़र हमने अपने इस पोस्ट को लिखने के लिए एक Share Market expert अर्जुन सिंह जी को आमंत्रित किया हुआ है, इन्हें इस Fields का लगभग 12 वर्षों का अनुभव है |

आने वाले दिनों में भी हम इन महाशय को अपने पाठकों की शंकाओं के आधार पर शेयर बाज़ार से सम्बंधित और आर्टिकल लिखने के लिए आमंत्रित करते रहेंगे | चूँकि शेयर बाज़ार पर यह हमारा पहला आर्टिकल है, इसलिए आज हम शेयर मार्किट की इस श्रेणी में शेयरों के प्रकार और यह किस तरीके से काम करते हैं की बेसिक जानकारी देने की कोशिश करेंगे |

भविष्य में शेयर बाज़ार पर लिखे हमारे आर्टिकल पाठकों की शंकाओं पर आधारित आर्टिकल होंगे, इसलिए हमारा पाठकों से अनुरोध है की यदि शेयर बाज़ार संबंधी उनके मन में कोई संशय हो तो वह कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें उससे जरुर अवगत कराएँ |

यदि हम शेयर बाज़ार के इतिहास की बात करें तो 1875 में स्थापित हुआ Bombay stock exchange सिर्फ भारत का ही नहीं अपितु सम्पूर्ण एशिया का पहला Stock exchange था | जो 2015 के एक आंकड़े के अनुसार विश्व का ग्यारहवें नंबर का सबसे बड़ा stock exchange है, जिसमे 5500 से अधिक कंपनियां Publicly listed हैं |

how Share Market works
How Share Market Works?

शेयर मार्किट क्या है (What is share market) :

चूँकि Share एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका Hindi में शाब्दिक अर्थ बांटना या हिस्सा होता है, उसी प्रकार Market का अर्थ बाज़ार होता है | वैसे यदि हम Hindi में Share Market को बांटने का बाज़ार कहें तो कुछ गलत नहीं होगा | क्योकि वास्तविकता तो यही है की यह क्रिया बांटने की क्रिया है, किसी कंपनी का शेयर लेने वाले व्यक्ति की उस कंपनी पर आंशिक तौर पर भागीदारी हो जाती है |

यह भागीदारी व्यक्ति की Kamai और नुकसान दोनों करवा सकती है, लेकिन जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के Share खरीदता है तो वह अपनी Kamai करने के उद्देश्य से खरीदता है, न की अपनी पूंजी गंवाने के | जिस व्यक्ति ने कंपनी के शेयर ख़रीदे हुए होते हैं वह उस कंपनी का Share holder कहलाता है | इसके अलावा शेयर खरीदने को इक्विटी खरीदना और शेयर होल्डर को इक्विटी होल्डर भी कहा जाता है |

Share market में कंपनिया कैसे लिस्टिंग होती हैं यह एक अलग प्रक्रिया है इसलिए इस विषय पर हम एक अलग सा विषय लेकर बात करेंगे | लेकिन इस वक्त यह समझ लेना बेहद जरुरी है की जब कोई कंपनी अपने शेयर जारी करती है किसी व्यक्ति विशेष या समूह में कितने शेयर बांटने हैं यह कंपनी का अपना निर्णय होता है | शेयर मार्किट के इस business से बहुत सारे छोटे बड़े ब्रोकर्स जुड़े होते हैं जो कमिसन के आधार पर अपनी सेवा लोगों को मुहैया कराते हैं |

कंपनियों द्वारा जब पहली बार आम निवेशकों हेतु अपने शेयर जारी किये जाते हैं, तो इस ऑफर को Initial Public offer (IPO) कहा जाता है | और उसके बाद के जारी किये जाने वाले Follow-on public offer (FPO) कहलाते हैं | किसी भी कंपनी द्वारा आम निवेशकों के लिए शेयर जारी करना अपने बिज़नेस सम्बन्धी लक्ष्यों की पूर्ति हेतु की जाने वाली एक प्रक्रिया है, क्योंकि किसी भी कंपनी को अपने Business expansion हेतु बहुत बड़े फण्ड की आवश्यकता होती है, जिसको कुछ गिने चुने लोगों द्वारा पूर्ण किया जाना नामुमकिन सा होता है |

यही कारण है की कंपनियां अपना IPO निकालकर आम लोगों को भी अपने Business का हिस्सा बनाती हैं, ताकि वे अपनी वित्त संबंधी आवश्यकता की पूर्ति कर सकें | वर्तमान में शेयरों का मूल्य Bombay stock exchange (BSE) और National Stock Exchange (NSE)  में दर्ज होता है, और सम्पूर्ण Share Market पर The Securities and Exchange Board of India (SEBI) नियंत्रण रखता है |

शेयरों से कमाई कैसे होती है (How people earn from Share Market):

जहाँ तक शेयर बाज़ार से व्यक्ति की कमाई होने का सवाल है, वह विभिन्न बातों जैसे कौन सी कंपनी के शेयर ख़रीदे, बाज़ार में कंपनी की क्या साख है इत्यादि बातों पर निर्भर करती है | लेकिन Kamai या नुकसान की दृष्टि से यह प्रक्रिया एक सामान्य प्रक्रिया है जो एक आम आदमी को भी आसानी से समझ में आ सकता है | शेयर बाज़ार से कमाई करने के लिए व्यक्ति किसी कंपनी का शेयर कम दाम में खरीद के उन्हें अधिक दाम में किसी और को बेच देता है |

उदाहरणार्थ: माना A नामक व्यक्ति ने ABC नामक कंपनी के 50 रूपये प्रति शेयर के हिसाब से 200 शेयर 10000 रूपये में ख़रीदे और वही Shares 60 रूपये प्रति शेयर के हिसाब से B नामक व्यक्ति को 12000रूपये में बेच दिए | इस स्थिति में A नामक व्यक्ति की Share Market से होने वाली Kamai 2000 रूपये होगी | इसके विपरीत यदि शेयर बाज़ार में गिरावट आ गई और A को अपने ख़रीदे गए Share 60 की जगह 50 रूपये प्रति Share बेचना पड़े तो उसको 2000 रूपये का नुकसान हो सकता है |

बहुत बार Share Market में लम्बी अवधि के निवेश पर अच्छी खासी कमाई हो जाती हैं वही अनेकों बार कंपनी के दिवालिया या बंद हो जाने पर Share holders को अपने सारे के सारे पैसे गंवाने भी पड़ते हैं | क्योंकि किसी कंपनी के बंद होने पर ऐसा प्रावधान किया गया है की कंपनियां पहले अपनी अन्य देनदारियों को चुकता करेगी और उसके बाद यदि कुछ पैसा बचता है तो उसको अपने Share holders में वितरित करेगी |

लेकिन ऐसी स्थिति में अधिकांशत: कंपनियों के पास अन्य देनदारियों में ही वित्त समाप्त हो जाता है जिससे Share holders के पैसे डूबने का खतरा रहता है | इस बाज़ार से कमाई करने के लिए निवेशकों द्वारा मुख्यत: दो तरीको से निवेश किया जाता है |

दीर्घ अवधि से आशय ऐसे निवेश से है जिसे व्यक्ति लम्बे समय के लिए निवेश करता है, और बीच बीच में उस कंपनी के शेयरों की कीमत पर नज़र बनाये रखता है ताकि कीमत बढ़ जाने पर वह उन्हें ऊँची कीमत पर बेचकर अपनी कमाई कर सके | दूसरा कुछ लोग दैनिक निवेश भी करते हैं अर्थात उसी दिन शेयर खरीदकर उन्हें उसी दिन बेच भी देते हैं |

शेयरों के प्रकार (Types of shares in Hindi):

Share Market रुपी इस बाज़ार में मुख्य रूप से दो Types के shares विद्यमान हैं | जिनका वर्णन संक्षेप में हम नीचे कर रहे हैं |

1. सामान्य शेयर ( Ordinary Shares):

Ordinary shares से अभिप्राय साधारण शेयर से लगाया जा सकता है | ये वे शेयर हैं जिन्हें कंपनियां सामान्य जनमानस में भी वितरित करती हैं | इन शेयरों को निवेशक द्वारा प्राथमिक या द्वितीयक बाज़ारों से ख़रीदा जाता है | इस तरह का शेयर खरीदने वाला शेयर होल्डर कंपनी की हिस्सेदारी में आंशिक रूप से सम्मिलित होता है, एवं कंपनी की Kamai एवं नुकसान से जुड़ा हुआ रहता है | इस Type के share को equity share भी कहा जाता है |

क्योकि इस प्रकार के निवेशक पर कंपनी के तकदीर का प्रत्यक्ष रूप से असर दिखाई दे सकता है | इसलिए कंपनी की परिस्थतियों के आधार पर ordinary shares का मूल्य कभी भी अंतरित हो सकता है |

किसी भी निवेशक का शेयरों की संख्या के आधार पर कंपनी पर मालिकाना अधिकार होता है, यही कारण है की कंपनी की नीतियाँ एवं मीटिंग के माध्यम से किये जाने वाले निर्णयों के दौरान ऐसे निवेशक को वोट देने का अधिकार होता है, और वह कंपनी की Kamai और लाभ में अपने ख़रीदे गए शेयर के मुताबिक हिस्सेदार होता है | कंपनी दिवालिया या बंद होने पर इसमें बहुत सारे मौके ऐसी भी आते है जब शेयर धारकों को अपने सारे शेयर गंवाने पड़ते हैं |

2. वरीयता शेयर ( Preference Share):

Preference share को कंपनियां कंपनी नीतियों के अनुरूप कुछ चयनित निवेशकों, बिज़नेस प्रमोटर्स, मित्र भाव रखने वाले निवेशकों को जारी करती है | इस प्रकार के शेयर धारकों को कंपनी की Kamai और नुकशान से अधिक प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि इन्हें एक तय मात्रा में लाभांश का हिस्सा दिया जाता है | Preference shareholders निवेश की दृष्टि से ordinary shareholders के मुकाबले अधिक सुरक्षित होते हैं कंपनी बंद होने की स्थिति में भी इनके पैसे डूब जाने की संभावना कम रहती है |

इस प्रकार के Shareholders को वोट देने का अधिकार नहीं होता है | बाज़ार में कमाई या लाभ के आधार पर Preference Share को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया जा सकता है |

  • Non Cumulative preference share: इस प्रकार के शेयर होल्डर को Unpaid या छोड़े गए लाभांश पर pay नहीं किया जाता है | इसलिए यदि कंपनी किसी कारणवश प्रथम वर्ष में लाभ की Kamai नहीं कर पाती है तो निवेशक दूसरे वर्ष लाभ के लिए Claim नहीं कर सकता |
  • Cumulative preference share: इस प्रकार के शेयर होल्डर को Unpaid या छोड़े गए लाभांश पर pay किया जाता है | इसलिए यदि कंपनी किसी कारणवश प्रथम वर्ष में लाभ की Kamai नहीं कर पाती है तो निवेशक दूसरे वर्ष लाभ के लिए Claim कर सकता है |
  • Redeemed Cumulative preference share:इस प्रकार के Shareholder का जुड़ाव कंपनी के साथ जब तक कंपनी चाहे तभी तक होता है | क्योंकि कंपनी द्वारा इस प्रकार के निवेशक द्वारा निवेश की गई पूंजी एक निश्चित समयावधि के बाद लौटा दी जाती है |
  • Convertible preference share:इस प्रकार के शेयर होल्डर ख़रीदे गए शेयरों को कंपनी के किसी अन्य वित्तीय यंत्रों में तब्दील कर सकते हैं | चूँकि इन्हें एक निश्चित अवधि के पश्चात् convert किया जा सकता है, इसलिए इन्हें Convertible preference share कहा जाता है |

Share market सम्बन्धी दी गई यह Information एक बेसिक अर्थात आधारभूत Information है | इसलिए यह शेयर बाज़ार से कमाई करने की चाह रखने वाले व्यक्तियों को इस बाज़ार को समझने में अवश्य मदद करेगी |

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