सोया दूध बनाने का व्यापार | Soya Milk Making Business.

Soya Milk Making business पर वार्तालाप करने से पहले सोया के दूध से समबन्धित कुछ जरुरी जानकारी पर वार्तालाप कर लेते हैं | सोया दूध यानिकी सोयाबीन से निर्मित दूध सोयाबीन से बनने वाले विभिन्न उत्पादों जैसे सोयाबीन के तेल, सोया Nuggets, सोया पनीर इत्यादि में से एक प्रमुख उत्पाद है | Soya Milk और इससे समबन्धित उत्पाद दिनोदिन इसलिए प्रचलित होते जा रहे हैं क्योंकि इनमे उचित मात्रा में पोषक तत्वों के विद्यमान होने के साथ साथ  इन उत्पादों में औषधीय गुण भी विद्यमान रहते हैं |

सोया दूध में उचित मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है  तथा  Fat एवं कार्बोहायड्रेट बेहद ही  कम मात्रा में पाया जाता है इसके अलावा सोयाबीन से निर्मित दूध कोलेस्ट्रोल फ्री दूध होता है | सोयाबीन से निर्मित दूध को बच्चों का पौष्टिक आहार माना जाता है इसके अलावा वयस्क लोग एवं गर्भवती महिलाओं एवं ऐसी महिलाएं जिनके छोटे बच्चे हैं सोयाबीन को सब्जी के रूप में ग्रहण करती हैं |

क्योंकि यह पोषण युक्त होने के साथ साथ पाचन करने में भी आसान होता है | ऐसे लोग जो डायबिटीज़ से ग्रसित एवं जिनको गाय भैंस का दूध पचता नहीं है उनके लिए Soya Milk एक अच्छा विकल्प है |

Soya Milk Making business
सोया दूध

Soya Milk बनाने का व्यापार क्या है :

सोयाबीन भी भारतीय कृषि में उत्पादित होने वाली प्रमुख फसलों की लिस्ट में शुमार है | सोयाबीन से Soya Milk के अलावा अन्य भी बहुत सारे उत्पादों का निर्माण किया जाता है | जहाँ तक Soya Milk की बात है यह सफ़ेद रंग का एक तरल पदार्थ होता है जिसमे लगभग चिकन के बराबर प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है Low Calorie होने के कारण इसका उपयोग उन लोगों द्वारा भी किया जाता है जो डाइटिंग करते हैं |

Soya Milk और इससे उत्पादित होने वाले अन्य उत्पाद जैसे सोया पनीर इत्यादि प्रोटीन की कमी को दूर करने का सबसे सस्ता रास्ता है यही कारण है की जिन क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या होती हैं उन क्षेत्रों में भारत सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से Soya Milk नियमित तौर पर  मध्याहन भोजन में या फिर अन्य किसी कार्यक्रम के जरिये बच्चों के बीच पीने हेतु वितरित कराया जाता है | Soya Milk Making business से हमारा अभिप्राय व्यापार की उस प्रक्रिया से है जिसमे उद्यमी इसका व्यवसायिक तौर पर निर्माण करके इसे बेचकर अपनी कमाई कर रहा होता है |

सोया दूध की बिक्री संभाव्यता (Market Potential) :

सामान्य जन में अपने स्वास्थ्य के प्रति बढती जागरूकता के कारण Soya Milk और सोयाबीन से उत्पादित अन्य उत्पाद जैसे सोया बड़ी, सोया पनीर, सोया दही इत्यादि का उपयोग में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है | क्योंकि देश में कुपोषण को कम करने हेतु सरकार भी सोयाबीन से निर्मित उत्पादों को अनेक प्रकार से प्रोत्साहित करती है |

इसलिए वास्तविकता तो यही है की इंडिया में सोया दूध और इससे उत्पादित होने वाले सह उत्पाद जैसे पनीर, एवं दही की मांग में तेजी बनी रहेगी | विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में Soya Food Industry 20% की Annually Growth rate के साथ आगे बढ़ेगी |सोया दूध कोलेस्ट्रोल फ्री होने के कारण और नाम मात्र की वसा (Fat) होने के कारण इसे गाय के दूध का अच्छा विकल्प माना जाता है | एक आंकड़े के मुताबिक 2015 में Soya Milk की मांग 1721277 लीटर थी जिसकी 2022 तक 2265083 लीटर होने की संभावना है |

Soya Milk बनाने के लये मशीनरी और कच्चा माल

यद्यपि Soya Milk Making business में काम आने वाले कच्चे माल की लिस्ट में खाद्य ग्रेड सोयाबीन अर्थात सोयाबीन के बीजों का नाम शुमार है इसके अलावा कुछ सहायक Raw materials जैसे अपमार्जक, नमक, चीनी, सोडियम बाई कार्बोनेट इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है | Soya Milk Making Business में काम आने वाली मशीनरी एवं उपकरणों की लिस्ट निम्नवत है |

  • Soyabean Grinder (ग्राइंडिंग मशीन)
  • Boiler (बायलर)
  • Mechanical Filter Press (फ़िल्टर प्रेस)
  • Tofu Box (पनीर बॉक्स वैकल्पिक)
  • Soaking Tank
  • Packer sealer machine
  • Vacuum Packing Machine
  • Weighing Balance

Soya Milk Making business में काम आने वाली Raw Materials की लिस्ट इस प्रकार है |

  • Food-grade Soya bean (सोयाबीन के बीज)
  • Artificial flavor (कृत्रिम गंध)
  • Sugar (चीनी)
  • Salt (नमक)
  • Sodium bicarbonate
  • Packaging Materials जैसे Plastic bags

सोया दूध बनाने की प्रक्रिया (Manufacturing Process of Soya Milk):

Soya Milk Manufacturing Process में सर्वप्रथम सोया बीन के बीजों को पानी में अच्छी तरह धो लिया जाता है | उसके बाद सोयाबीन के बीजों को 6-8 घंटे पानी में भिगोया जाता है पानी की मात्रा सोयाबीन के बीजों की मात्रा के तीन गुनी होनी चाहिए जैसे 1 किलो सोयाबीन के बीजों को 3 लीटर पानी में भिगोया जा सकता है | लगभग 8 घंटे बाद भिगोये हुए सोयाबीन से पानी को निकाल दिया जाता है |

उसके बाद Soyabean Grinding Machine की मदद से इन बीजो को ग्राइंड किया जाता है, ग्राइंड करते वक्त इसमें पानी मिलाया जाता है ग्राइंड करते वक्त पानी की मात्रा 6-7 गुना होनी चाहिए | ग्राइंडिंग प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद इसे बायलर की मदद से लगभग 110 C तापमान में लगभग 12-15 मिनट तक गरम किया जाता है |

जब Soya Milk पूरी तरह से तैयार हो जाता है Mechanical Filter press  के माध्यम से इस दूध को छान लिया जाता है | उसके बाद आवश्यकतानुसार Preservative Add करके दूध को ठंडा करके इसे प्लास्टिक की थैलियों में Vacuum Packing Machine की सहायता लेकर पैक करके बाज़ार में बेचकर कमाई की जा सकती है | चूँकि यह खाद्य से जुड़ा हुआ बिज़नेस है इसलिए इसका उत्पादन PFA act के अनुरूप होना चाहिए और उद्यमी को FSSAI से लाइसेंस लेना नितांत आवश्यक है |

व्यवसायिक तौर पर Soya Milk Plant लगाने के लिए Pollution Department से NOC की भी आवश्यकता हो सकती है | इसके अलावा उद्यमी को चाहिए की वह इस बात का भी निरीक्षण कर लें की कहीं BIS ने Soya Milk Making Business के लिए अलग से ISI मानक तो निर्धारित नहीं किये हैं |

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