2023 में मेडिकल स्टोर कैसे खोलें? कोर्स, लाइसेंस, नियम, खर्चा, कमाई।

Medical Shop Business Plan in India in Hindi – इंडिया में फार्मेसी बिजनेस किफायती और सदाबहार business है | क्योकि देश की अर्थव्यवस्था में ऊंच नीच का इस business पर कुछ ज्यादा प्रभाव पड़ता नहीं है | वह इसलिए की दवाई या Medicine का सीधा लेना देना मनुष्य के स्वास्थ से होता है | आदमी भले ही अपनी अन्य आवश्यकताओं में समय के अनुरूप कटौती कर सकता है | किन्तु मेडिकल के मामले में नहीं | यही कारण है की इस बिजनेस में मंदी के दिनों में भी कमाई करने के सारे अवसर उपलब्ध रहते हैं |

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मेडिकल स्टोर के लिए कोर्स (Complete Pharmacy Course)

यदि आप अपना मेडिकल स्टोर शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आप यही जानने को इच्छुक होंगे की इसके लिए कौन सा कोर्स करना पड़ता है। हालांकि यह भी सत्य है की आप किसी पंजीकृत फार्मासिस्ट को नियुक्त करके भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं। लेकिन यदि आप बिना किसी को नियुक्त किये मेडिकल स्टोर खोलना चाहते हैं, तो फिर आपको स्वयं को एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट बनने की प्रक्रिया को पूर्ण करना होगा।

वर्तमान में फार्मेसी शिक्षा के लिए भी सभी प्रकार के कोर्स जैसे डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर डिग्री विद्यमान हैं। इनमें से मुख्य दो कोर्स जिन्हें कोई इच्छुक विद्यार्थी इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करके कर सकता है उनकी डिटेल्स निम्न है।

डिप्लोमा इन फार्मेसी (D. Pharma) :

ऐसे लोग जो बाद में अपना मेडिकल स्टोर खोलना चाहते हैं वे आम तौर पर इसी दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स का चयन बारहवीं के बाद करते हैं। लेकिन ध्यान रहे डी फार्मा कोर्स में प्रवेश के लिए विद्यार्थी का विज्ञान संकाय के PCM या PCB विषयों से पास होना अनिवार्य है। कला संकाय से जुड़े विद्यार्थी इस कोर्स में प्रवेश के लिए पात्र नहीं है।

यह दो सालों का कोर्स होता है, और आम तौर पर यह सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों द्वारा भी ऑफर किया जाता है। सरकारी कॉलेज में प्राइवेट कॉलेज के मुकाबले फीस बेहद कम होती है, और डी फार्मा में प्रवेश के लिए एक एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कराया जाता है। जिसमें प्राप्त रैंक के अनुसार ही सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।

कहने का आशय यह है की यदि आप भविष्य में अपना Pharmacy Business शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इसकी तैयारी आप अपने विद्यार्थी जीवन से ही कर सकते हैं। इसके लिए आपको दसवीं पास करके विज्ञान संकाय का चुनाव करना होगा और उसे PCB या PCM विषयों के साथ उत्तीर्ण करना होगा। उसके बाद एंट्रेंस एग्जाम देना होगा, और काउंसलिंग के जरिये अपने पसंदीदा कॉलेज का चयन करना होगा।

दो वर्षों का पाठ्यक्रम पूर्ण कर लेने के बाद विद्यार्थी को 500 घंटों की या तीन महीनों की ट्रेनिंग किसी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के तहत करनी होती है। आम तौर पर सरकारी अस्पतालों और चिकित्सालयों में कार्यरत पंजीकृत फार्मासिस्टो के अधीन ही यह प्रशिक्षण लिया जाता है ।

इसलिए जब आपके डी फार्मा फाइनल इयर के एग्जाम ख़त्म हो जाते हैं, तो कॉलेज द्वारा आपको कुछ डाक्यूमेंट्स प्रदान किये जाते हैं। जिनकी मदद से आप जिले के CMO Office में जाकर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। CMO Office द्वारा जहाँ आप ट्रेनिंग प्रदान करना चाहते हैं वहां पर नियुक्त रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट को संबोधित करते हुए, एक लैटर जारी किया जाता है।

और जब आप तीन महीनों या 500 घंटों की ट्रेनिंग पूरी कर लेते हैं, तो उसके बाद ही आप फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया में एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं। और यह तो आप सब अच्छी तरह जानते हैं की एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट आसानी से अपना मेडिकल स्टोर का बिजनेस स्थापित कर सकता है।      

बैचलर इन फार्मेसी (B. Pharma)

दूसरा कोर्स जो आप बारहवीं के बाद कर सकते हैं, वह है बी. फार्मा । इस कोर्स में प्रवेश करने के लिए भी आपको विज्ञान संकाय के PCM या PCB विषयों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण करनी होती है। बारहवीं के बाद बी फार्मा चार सालों का एक डिग्री कोर्स होता है। लेकिन ऐसे विद्य्राठी जिन्होंने डी फार्मा किया हो वे इसके दुसरे वर्ष में सीधे प्रवेश पा सकते हैं। इसलिए ऐसे विद्यार्थियों के लिए यह पाठ्यक्रम 3 वर्षों का हो जाता है।

इस पाठ्यक्रम को भी कई सरकारी और निजी कॉलेज द्वारा ऑफर किया जा रहा है, लेकिन इसमें प्रवेश देने के लिए भी एंट्रेंस एग्जाम आयोजित किया जाता है, और उसमें आई रैंक के आधार पर ही कॉलेजों में एडमिशन भी मिलता है।

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Image : Medical Shop Business Plan in India in Hindi

मेडिकल स्टोर का पंजीकरण (Registration of Medical Shop)

इंडिया में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए business registration दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है | इस बिज़नेस के Registration Process को निम्न चार भागों में विभाजित किया जा सकता है |

1. हस्पताल फार्मेसी (Hospital Pharmacy):

Hospital Pharmacy से हमारा आशय उस Medical shop से है | जो किसी हॉस्पिटल के अंदर होती है | और हॉस्पिटल के मरीजों के आवश्यकतानुसार, उन्हें दवाइयों की बिक्री करता है |

2. नगरीय फार्मेसी (Township Pharmacy):

Township Pharmacy के अंतर्गत वह व्यक्ति अपने Business को Register कराता है |  जो किसी बस्ती में अपनी Medical Shop खोलना चाहता है | और बस्ती में निवासित लोगों की दवाई सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूर्ण करना चाहता है |

3. श्रृंखला फार्मेसी (Chain Pharmacy) :

Chain Pharmacy का मतलब उस Medical shop से होता है | जिसका स्टोर किसी एक जगह न होकर विभिन्न शहरों, इलाकों में फैला होता है | जैसे अप्पोलो फार्मेसी इत्यादि |

4. व्यक्तिगत फार्मेसी (Stand Alone Pharmacy):

Stand alone pharmacy के अंतरगत उन व्यक्तियों के business को register किया जाता है |  जो रिहायशी इलाकों में Medical shop खोलना चाहते हैं | गली मोहल्लों में स्थापित अधिकतर मेडिकल की दुकानें इसी श्रेणी के अंतर्गत register होते हैं |

कर पंजीकरण (Tax Registration):

इस व्यवसाय के लिए India के किसी भी राज्य में Value added tax (VAT) के अंतर्गत Tax Registration करा सकते हैं | चूँकि VAT नामक tax राज्य सरकार के अधीन आता है | इसलिए अपने बिज़नेस का VAT Registration करने के लिए राज्य के VAT या Sales Tax department से संपर्क किया जा सकता है |

ड्रग लाइसेंस (drug license for Medical Shop)

खुद का फार्मेसी बिजनेस शुरू करने के लिए drug license लेना सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है | अगर हम यह कहें तो गलत न होगा की इस business को start करने की चाबी ही drug license है | और यह license केंद्रीय और राज्य स्तरीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा जारी किया जाता है | जारी किये जाने वाले लाइसेंस दो प्रकार के होते हैं |  Retail drug license (RDL) और Wholesale drug license (WDL) | दवाइयों के फुटकर विक्रेताओं को RDL License और थोक विक्रेताओं को WDL License जारी किया जाता है | 

और यह लाइसेंस उन व्यक्तियों के नाम से जारी किया जाता है | जिन्होंने Pharmacy में कोई डिग्री या डिप्लोमा किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से ली हों | मान्यता प्राप्त संस्थान की लिस्ट फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया की अधिकारिक वेबसाइट की Approved College Section पर देखी जा सकती है| अगर हम नैतिकता की बात करें, तो इंडिया में केवल वही व्यक्ति मेडिकल स्टोर अर्थात फार्मेसी शुरू कर सकता है |

जिसने फार्मेसी में डिग्री या डिप्लोमा ली हों | लेकिन वास्तविक भारत में ऐसा होता नहीं है | यदि किसी के रिस्तेदार ने, या फिर जानकार ने यह कोर्स किया होता है, तो वह अपने नाम से लाइसेंस लेकर पैसों के बदले या फिर भलाई हेतु किसी और को दे देता है |

मेडिकल स्टोर खोलने के नियम (Rules to start Medical Shop in India) :

  • यदि कोई व्यक्ति मेडिकल शॉप खोलना चाहता हो तो उसके पास कम से कम 10 स्क्वायर मीटर जगह होनी चाहिए | जबकि यदि वह फूटकर और थोक दोनों के माध्यम से दवाइयां बेचना चाहता हो तो जगह कम से कम 15 स्क्वायर मीटर होनी चाहिए |
  • Medical Shop में एक Store होना चाहिए, और स्टोर में रेफ्रीजिरेटर, एयर कंडीशनर इत्यादि सामान अवश्य होने चाहिए | क्योकि बहुत सारी दवाइयां, इंजेक्शन, इन्सुलिन इत्यादि ऐसे होते हैं | जिन्हे फ्रिज में रखना जरुरी होता है |
  • किसी Certified Pharmacist के सम्मुख ही थोक में दवाइयां बेचीं जा सकती हैं | या इसके अलावा वह व्यक्ति जो Graduate हो, और उसे कम से कम दवाइयों के क्षेत्र में एक साल का अनुभव हो |
  • फूटकर में दवाइयां बेचते समय भी Certified Pharmacist का होना जरुरी है | कार्यशील घंटो में फार्मासिस्ट का मेडिकल की दुकान पर उपलब्ध होना जरुरी है |

ड्रग लाइसेंस के लिए दस्तावेज :

  • आवेदन पत्र
  • आवेदक का नाम, पद और हस्ताक्षर किया हुआ कवर लेटर |
  • ड्रग लाइसेंस हेतु फीस जमा किया हुआ चालान |
  • बिज़नेस प्लान की कॉपी
  • जगह पर मालिकाना अधिकार का आधार |
  • यदि जगह किराए में है तो स्वमितव का प्रमाण पत्र |
  • रजिस्टरड फार्मासिस्ट का शपथ पत्र |
  • यदि कोई फार्मासिस्ट नौकरी पर रखा हुआ है | तो नियुक्ति पत्र |

चूँकि फार्मेसी बिजनेस करने हेतु drug license लेने के लिए एक विशेष प्रकार की योग्यता चाहिए होती है | इसलिए इंडिया में अक्सर लोग करते क्या हैं की अपने सगे संबंधियों, या जान पहचान में से कोई ऐसा व्यक्ति ढूंढते हैं | जिसने Pharmacy क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा ली हों | फिर उसके नाम से license लेकर मेडिकल स्टोर चलाते हैं |

जो की व्यावहारिक दृष्टिकोण के हिसाब से तब सही है, जब व्यक्ति को Pharmacy sector का कोई अनुभव हो | लेकिन degree या डिप्लोमा न होने से वह अपना बिज़नेस स्टार्ट नहीं कर पा रहा हो | यदि नैतिकता की बात करें तो नैतिकता के दृष्टिकोण से तो यह गलत ही है | और इस स्तिथि पर हमारा दृष्टिकोण यह है की व्यक्ति चाहे किसी के नाम से लाइसेंस ले |

लेकिन उसको दवाइयों की जानकारी तो होनी ही होनी चाहिए | वरना कभी कभी हो सकता है की उसको अपने ग्राहकों के सामने शर्मिंदा होना पड़े | जो उसके बिजनेस के लिए बिलकुल ठीक नहीं होगा |

मेडिकल स्टोर कैसे खोलें? (How to Start Pharmacy Business in India) :

यद्यपि बहुत सारे लोगों को लगता है की भारत में मेडिकल स्टोर का बिजनेस शुरू करना काफी जटिल काम है । जबकि ऐसा नहीं है हाँ इतना जरुर है की एक मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आपको मेडिकल स्टोर में एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की नियुक्ति जरुर करनी होती है। यही कारण है की अधिकतर ऐसे ही लोग एक मेडिकल स्टोर खोलते हैं, जो स्वयं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होते हैं।

दवाइयों का बिजनेस बहुत ही लाभकारी बिजनेस हो सकता है क्योंकि इसमें कभी भी मंदी नहीं आती है। तो आइये जानते हैं की कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का मेडिकल स्टोर खोलने के लिए क्या क्या कदम उठा सकता है।

फार्मेसी का कोर्स करें

हालांकि कोई ऐसा व्यक्ति जिसने फार्मेसी का कोई कोर्स नहीं किया हो वह भी किसी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की नियुक्ति करके अपना मेडिकल स्टोर खोल सकता है। लेकिन यहाँ पर हम एक इच्छुक व्यक्ति रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट बनकर खुद का मेडिकल स्टोर बिजनेस कैसे शुरू कर सकता है उसके बारे में बता रहे हैं।

इसलिए स्वयं का मेडिकल स्टोर खोलने के इच्छुक उद्यमी को सबसे पहले बारहवीं के बाद कोई फार्मेसी कोर्स जैसे डी फार्मा, बी फार्मा इत्यादि करने की आवश्यकता होती है। लेकिन ध्यान रहे इस तरह का कोर्स करने के लिए इंटरमीडिएट में PCB विषयों से उत्तीर्ण होना जरुरी होता है।

डी फार्मा आप सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से भी कर सकते हैं, जिसमें एक साल में हॉस्टल सहित आपको लगभग ₹40000 रूपये खर्च करने की आवश्यकता होती है। जबकि प्राइवेट कॉलेजों में एक साल की फीस ₹70 हज़ार से ऊपर कुछ भी हो सकती है। इसमें भी हॉस्टल इत्यादि का खर्चा शामिल नहीं है ।

सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए आपको राज्य स्तर पर एक एंट्रेंस एग्जाम पास करना होता है। उस एग्जाम में प्राप्त रैंक के हिसाब से ही आपको पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन मिलता है । लेकिन इसके लिए काउन्सलिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसमें आपको पसंदीदा कॉलेजों का चयन करना होता है ।  

प्रवेश एग्जाम में अच्छी रैंक लाने के बाद भी काउन्सलिंग प्रक्रिया में लगभग सभी संभावित कॉलेज का चयन करें अन्यथा हो सकता है की अच्छी रैंक लाने के बाद भी आपको किसी कॉलेज में जगह न प्राप्त हो। यह काउन्सलिंग तीन चार राउंड की होती है । बारहवी के बाद डी फार्मा का कोर्स दो साल का और बी फार्मा का कोर्स चार सालों का होता है ।     

तीन महीने या 500 घंटों की व्यवहारिक ट्रेनिंग प्राप्त करें

जब आप फार्मेसी का कोर्स पूरा कर लेते हैं तो उसके तुरंत बाद आपको किसी सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के अधीन तीन महीने यानिकी 500 घंटों की ट्रेनिंग लेनी होती है । यह ट्रेनिंग लैटर जिले के CMO Office से बनाया जा सकता है ।

जहाँ भी आप ट्रेनिंग लेना चाहते हैं आपको उस जिले के सीएमओ ऑफिस में जाकर एक लैटर जारी करवाना होता है । उसके बाद उस लैटर को सम्बंधित अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत फार्मासिस्ट को देकर उनके अधीन ट्रेनिंग शुरू करनी होती है।

राज्य की फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करें

जब तीन महीने की ट्रेनिंग पूरी हो जाती है तो जहाँ से आपने ट्रेनिंग ली है उनके द्वारा आपके कॉलेज से जारी किये गए ट्रेनिंग लैटर पर मुहर और हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं। जिसकी एक कॉपी जहाँ से आपने ट्रेनिंग ली है, वहाँ जमा होती है, एक कॉपी जहाँ से आपने फार्मेसी का कोर्स किया है, उस कॉलेज में जमा होती है। और एक कॉपी लेकर आपको राज्य के फार्मेसी काउंसिल के ऑफिस में जाकर रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होता है।

अलग अलग राज्य में अलग अलग प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन उत्तराखंड में पहले आपको ऑनलाइन आवेदन करना होता है । जिस दौरान आपको लगभग ₹700 की फीस भी जमा करनी होती है उसके बाद सारे ओरिजिनल डाक्यूमेंट्स और एक एफिडेविट बनाकर फार्मेसी काउंसिल के ऑफिस में जाना होता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी आपको ऑनलाइन लगभग इतनी ही फीस फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ उत्तराखंड के नाम से जमा करनी होती है।

जब सफलतापूर्वक रजिस्ट्रेशन हो जाता है तो फिर उम्मीद जताई जा सकती है की उसके 4-5 महीनों के अन्दर रजिस्ट्रेशन की कॉपी आपके द्वारा दिए गए एड्रेस पर भिजवा दी जाती है ।    

जगह का चयन करें

अब जब मेडिकल स्टोर खोलने के इच्छुक उद्यमी के पास खुद का रजिस्ट्रेशन आ गया हो तो उसके बाद उसे यह तय करना होता है की वह अपना मेडिकल स्टोर कहाँ पर खोले।  और एक मेडिकल स्टोर खोलने के लिए सबसे उपयुक्त जगह की सरकारी या प्राइवेट अस्पताल का परिसर या एक ऐसा क्षेत्र जहाँ पर कई हॉस्पिटल और क्लिनिक विद्यमान हों, आदर्श माना जाता है।

यही नहीं, यदि हॉस्पिटल या क्लिनिक बहुल क्षेत्र में उद्यमी को मेडिकल स्टोर खोलने के लिए जगह नहीं मिल पा रही हो, तो वह किसी भीड़ भाड़ वाले बाज़ार में भी खुद का मेडिकल स्टोर खोल सकता है। क्योंकि वहाँ पर भी लोगों को कई तरह की दवाइयां खरीदने की आवश्यकता होती है।     

ड्रग लाइसेंस के लिए अप्लाई करें

जब जगह का चुनाव कर लिया जाता है तो उद्यमी को एक ऐसा पता मिल जाता है जिसे वह अपने बिजनेस के लिए लाइसेंस इत्यादि लेने में इस्तेमाल कर सकता है । हालांकि यदि दुकान उद्यमी की है तो उद्यमी के पास उसकी रजिस्ट्री, बिजली बिल इत्यादि पता प्रमाण के तौर पर होना चाहिए।

लेकिन यदि दुकान किराये की है तो किराये का रेंट एग्रीमेंट बनाया जाना अति आवश्यक है । क्योंकि इस रेंट एग्रीमेंट को उद्यमी लाइसेंस लेते वक्त पता प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल में ला सकता है । एरिया के ड्रग इंस्पेक्टर के ऑफिस से ड्रग लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है।

नजदीकी थोक विक्रेता या सप्लायर से संपर्क करें

अब उद्यमी का अगला कदम उस एरिया में स्थित दवाइयों के थोक विक्रेता से संपर्क करने का होना चाहिए। आम तौर पर दवाइयों का थोक विक्रेता या सप्लायर ढूँढने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। क्योंकि उस एरिया में पहले से भी मेडिकल स्टोर की दुकानें चल रही होती हैं। इसलिए यदि मेडिकल स्टोर खोलने के इच्छुक उद्यमी को सप्लायर या थोक विक्रेता का संपर्क सूत्र चाहिए तो वह उस एरिया में पहले से चल रहे मेडिकल स्टोर से संपर्क कर सकता है।

सप्लायर ऐसा होना चाहिए जो हर रोज आपकी दुकान पर सप्लाई करने में सक्षम हो, क्योंकि कभी कभी ऐसा होता है आपको आपातकाल में भी कुछ दवाइयां मंगानी पड़ सकती हैं।     

दवाई बेचें और कमाएँ   

सप्लायर को पहले उन्हीं दवाइयों का आर्डर दें जो आपको लगता है की उस एरिया में बिक जाएँगी। हालांकि यदि आपकी मेडिकल शॉप किसी अस्पताल इत्यादि के परिसर में या उसके आस पास है तो आपको बहुत कम समय में पता चल जाएगा की वहां के डॉक्टर किस कंपनी की दवाइयां लिखते हैं ।

अपने मेडिकल स्टोर के बिजनेस को ग्रो करने के लिए उद्यमी चाहे तो आस पास के डॉक्टरों से टाई अप भी कर सकता है । अन्यथा होता क्या है की दवाई बनाने व;इ कंपनियाँ ही सीधे डॉक्टरों से संपर्क करती हैं। दवाइयों में मार्जिन अच्छा मिलता है इसलिए यदि आपका मेडिकल स्टोर चल गया तो यह आपकी अच्छी कमाई करा सकता है।      

मेडिकल स्टोर खोलने में आने वाली लागत

एक मेडिकल स्टोर खोलने में आने वाली लागत कई बातों पर निर्भर करती है। लेकिन इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाला खर्चा प्रमुख रूप से दुकान का किराया होता है। एक अच्छी लोकेशन पर दुकान का किराया महंगा हो सकता है। आम तौर पर खुद का मेडिकल स्टोर खोलने या Pharmacy Business शुरू करने में निम्नलिखित मदों पर खर्चा करने की आवश्यकता होती है।

खर्चे का विवरण खर्चा रुपयों में
दुकान का किराया प्रति महीने₹9000
ड्रग लाइसेंस इत्यादि में खर्चा₹5000
दुकान में इंटीरियर इत्यादि का काम कराने में खर्चा₹45000
पहली बार दुकान में दवाइयां भरने में आने वाला खर्चा₹50000
मेडिकल स्टोर खोलने में कुल खर्चा₹109000
Expenses to start a Medical Shop in India

दवाइयों को खरीदने में हमने सिर्फ ₹50000 का खर्चा इसलिए लिया है क्योंकि अधिकतर दवाइयां कंपनियाँ आपको क्रेडिट पर भी दवाइयाँ प्रदान कर देती हैं।      

मेडिकल स्टोर बिजनेस से होने वाली कमाई

यह बिजनेस (Medical Store Business) एक ऐसा व्यापार है जिसमें मार्जिन तुलनात्मक रूप से ज्यादा है । ब्रांडेड दवाइयों पर भी लगभग 16-25% तक मार्जिन प्राप्त किया जा सकता है। नई कंपनी की दवाइयों और जेनरिक दवाइयों पर मार्जिन का प्रतिशत और अधिक हो सकता है।

इसलिए किसी मेडिकल स्टोर से कितनी कमाई होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी एक दिन में कितने की बिक्री कर पाने में सफल हो पा रहा है । मान लीजिये यदि कोई उद्यमी एक दिन में ₹10000 रूपये की दवाइयां बेच रहा है। तो औसतन 20% मार्जिन की दर से वह प्रतिदिन लगभग ₹2000 की कमाई कर रहा है।    

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