कार डीलरशिप बिजनेस कैसे शुरू करें। How to Start Car Dealership Business.

Car Dealership नामक यह व्यवसाय ऐसे व्यवसायों की लिस्ट में शामिल है जिन्हें स्थापित करने में बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए आम तौर पर देखा गया है की इस तरह के बिजनेस को कुछ साधन संपन्न लोग ही स्थापित कर पाते हैं। लेकिन वर्तमान में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा तरह तरह के बिजनेस ऋणों की पेशकश की जा रही है। इसलिए Car Dealership Business को कम साधन संपन्न लोग भी शुरू कर सकते हैं।

चूंकि वर्तमान में मनुष्य के जीवनस्तर में तेजी से बदलाव आ रहे हैं और लोगों के जीवनस्तर में हो रहे सुधार के कारण आये दिनों कारों की माँग भी बढती जा रही है। जहाँ पहले गली मोहल्ले में किसी एक या दो व्यक्तियों के पास कार हुआ करती थी वहीँ आज एक ही परिवार में एक नहीं बल्कि जितने परिवार के सदस्य उतनी कारें मौजूद हैं।

लेकिन यह स्थिति सभी परिवारों की नहीं बल्कि उच्च आय वर्ग वाले परिवारों में है। इसके अलावा मध्यमवर्गीय परिवार भी वर्तमान में कार खरीदना पसंद करने लगे हैं इसलिए कहा जा सकता है की भारत जैसे जनाधिक्य वाले देश में कारों की माँग हमेशा बनी रहती है। मध्यमवर्गीय परिवार जिनके पास कार नहीं है वे तो Car Dealership Business में उद्यमी के आंशिक ग्राहक होते ही हैं।

इसके अलावा वे लोग जिनके पास कार है वे भी समय समय पर नई कारें खरीदते रहते हैं। इसलिए इस तरह का यह  बिजनेस भी कमाई करने का तो एक शानदार माध्यम हो सकता है। लेकिन इसे स्थापित करने के लिए करोड़ों रूपये निवेश करने की आवश्यकता होती है।

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कार डीलरशिप व्यापार क्यों करें (Why Start a Car Dealership Business in India):

हालांकि अच्छी रणनीतियों एवं उद्यमिता के अभाव में अच्छा खासा बिजनेस भी बंद होने के कगार पर पहुँच जाता है । लेकिन अक्सर बिजनेस करके के इच्छुक लोग वह बिजनेस करने से पहले यही जानना कहते हैं की उन्हें वह विशेष बिजनेस क्यों करना चाहिए। जहाँ तक Car Dealership Business की बात है यह भारत जैसे जनाधिक्य वाले देश में इसलिए शुरू किया जा सकता है क्योंकि यहाँ की आबादी तेजी से मध्यम वर्ग की ओर अग्रसित हो रही है।

इसलिए यदि आप भी इस तरह के बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले इस बिजनेस को स्थापित करने में आने वाली लागत के बारे में जानकारी जुटा लें और उसके हिसाब से तय करें की क्या आप परियोजना की लागत के मुताबिक पैसों का प्रबंध कर पाने में सफल होंगे। जहाँ पहले कारें शहरी इलाकों में कुछ साधन संपन्न लोगों तक ही सिमित थी।

लेकिन वर्तमान में हर छोटे बड़े शहर में कारों की कतारें देखी जा सकती हैं लेकिन इसके बावजूद भी भारत में प्रत्येक वर्ष लाखों कारों की माँग बाजार में व्यापत रहती है। लोगों की अपनी पुरानी कार बेचने एवं नई कार खरीदने की आदत के चलते, एवं प्रत्येक वर्ष मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या में वृद्धि के चलते कहा जा सकता है की भारत में Car Dealership Business स्थापित करना लाभकारी हो सकता है।

औद्योगिक परिदृश्य (Industrial Outlook):

Car Dealership उद्योग में जितने भी खिलाड़ी मौजूद हैं वे नई एवं पुरानी दोनों कार बेचते हैं और ये विभिन्न आला क्षेत्र जैसे ब्रिक एंड मोर्टार कार डीलरशिप, ऑनलाइन पुरानी कार डीलरशिप शॉप, इम्पोर्टेड कार डीलरशिप शॉप, लक्ज़री कार डीलरशिप इत्यादि में से कुछ भी हो सकता है। भारत का ऑटो उद्योग दुनिया के ऑटो उद्योगों में से एक अग्रणी उद्योग है। भारत में देश के कुल सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) में ऑटो उद्योग का 7.1% योगदान है। देश में मध्यम वर्ग में बढोत्तरी के चलते दुपहिये वाहन की इस बाजार में हिस्सेदारी 80% है।

इसके अलावा ग्रामीण बाजार में कम्पनियों की बढती रूचि के चलते भी इस क्षेत्र का विकास संभव हो पाया है। और समग्र यात्री वाहन नामक इस खंड की 14% बाजार में हिस्सेदारी है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष लगभग 40 लाख कारों का निर्माण किया जाता है और भारत वित्तीय वर्ष 2015-16 में एशिया के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक था।

नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग इस गति से आगे बढ़ रहा है की वर्ष 2022 तक  इसमें सीधे तौर पर रोजगारित लोगों की संख्या 1.5 करोड़ होगी। अर्थात 2022 तक केवल ऑटो उद्योग 1.5 करोड़ लोगों को नौकरीयाँ देने में सक्षम होगा ।

भारत दुनिया के अग्रणी ऑटो निर्यातकों में से एक है जो सकरात्मक निर्यात वृद्धि क्षमता के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है। हालांकि जैसा की अन्य बिजनेस के मामले में होता है ठीक वैसे ही Car Dealership Business शुरू करना भी आसान तो नहीं है। लेकिन यह एक स्ट्रैट फॉरवर्ड बिजनेस है जिसे यदि ठीक ढंग से प्रबंधित करके चलाया गया तो यह उद्यमी को बहुत अधिक एवं स्थिर लाभ प्राप्त करवा सकता है।

कार डीलरशिप बिजनेस कैसे शुरू करें (How to Start Car Dealership Business):

भारत में Car Dealership Business की बात करें तो निवेश की दृष्टि से इसे स्थापित करना बिलकुल भी आसान काम नहीं है। वह इसलिए क्योंकि इस तरह के बिजनेस को शुरू करने में करोड़ों रूपये निवेश करने की आवश्यकता होती है। इसलिए कोई भी उद्यमी इस तरह के बिजनेस को स्थापित करने से पहले फिजिबिलिटी स्टडी एवं मार्किट सर्वे करते हैं। ताकि वे उस एरिया विशेष में प्रतिस्पर्धा इत्यादि का जायजा लेकर ही कुछ निर्णय ले पायें। 

1. कौन से ब्रांड की कार बेचना चाहते हैं (Decide Car Brand for Car Dealership):

Car Dealership Business शुरू करने के लिए इच्छुक उद्यमी को सबसे पहले इसी बात का निर्णय लेना होगा की वह कौन सी ब्रांड की कार बेचना चाहता है। जैसा की हम सबको विदित है की देश में कार बनाने वाली अनेक कम्पनियाँ हैं और सब कम्पनियों की कारों की अपनी अपनी विशेषताएं हैं। यही कारण है की किसी ब्रांड के कम ग्राहक होंगे तो कोई ब्रांड लोगों के बीच काफी मशहूर होगी।

इसलिए उद्यमी को उस एरिया विशेष के लोगों की पसंद के हिसाब से एवं उनके खर्च करने की क्षमता के हिसाब से कार की ब्रांड का चयन करना चाहिए। उद्यमी चाहे तो विभिन्न ब्रांड की Car Dealership Business भी शुरू कर सकता है या फिर किसी एक कम्पनी के कारों के साथ भी इस तरह का बिजनेस शुरू कर सकता है।      

2. नई, पुरानी या फिर दोनों (Old New or Both) :

Car Dealership Business करने वाले उद्यमी को इस बात का निर्णय भी पहले ही लेना पड़ता है की वह इस बिजनेस के माध्यम से केवल नई कारें बेचना चाहता है या फिर पुरानी कारें भी।उद्यमी चाहे तो नई एवं पुरानी दोनों कारों की डीलरशिप एक साथ भी शुरू कर सकता है। इन दोनों तरह की कारों को बेचने का फायदा यह होगा की उस एरिया में स्थित अधिकतर मध्यमवर्गीय लोग उस उद्यमी के आंशिक एवं लक्ष्यित ग्राहक होंगे । लक्ष्यित एवं आंशिक ग्राहक अधिक होंगे तो उनके पूर्ण रूप से ग्राहक में बदलने की संभावना भी अधिक होगी।   

3. जगह का प्रबंध करें (Arrange land for Car Dealership):

हालांकि Car Dealership business के आकार प्रकार के आधार पर आवश्यक जगह छोटी या बड़ी हो सकती है। लेकिन लगभग 4000 Square Feet जगह इस तरह के बिजनेस के लिए एक आदर्श जगह मानी जाती है। इसलिए इतनी बड़ी जगह का उचित मूल्यों पर मिलना बड़ा कठिन होता है यही कारण है की उद्यमी को उपयुक्त जगह ढूंढने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो सकती है।   

4. वित्त का प्रबंध करें (Arrange Finance for Car Dealership):

चूंकि Car Dealership Business को स्थापित करने के लिए उद्यमी को भारी भरकम निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए केवल स्वयं के पैसों के दम पर इस तरह का बिजनेस करना किसी भी उद्यमी के लिए आसान नहीं है। यही कारण है की उद्यमी को बिजनेस की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुरूप वित्त का प्रबंध करना होगा। उद्यमी चाहे तो अपने पारिवारिक सदस्यों के माध्यम से भी वित्त की व्यवस्था कर सकता है। आम तौर पर उद्यमी फण्ड एकत्रित करने के लिए निम्नलिखित स्रोतों का ही इस्तेमाल करते हैं।

  • स्टार्टअप कैपिटल का प्रबंध करने के लिए लोग अपनी निजी बचत योजनाओं का सहारा लेते हैं।
  • उद्यमी अपने पारिवारिक सदस्यों से सॉफ्ट लोन देने के लिए आग्रह करता है। और आम तौर पर उद्यमी को इस तरह का यह ऋण आसानी से मिल भी जाता है।
  • और यदि इन दोनों विकल्पों को अपनाकर भी उद्यमी के पास पैसों की कमी होती है तो वह बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने के लिए आवेदन करता है।

यद्यपि Car Dealership Business करने वाला उद्यमी चाहे तो फण्ड एकत्रित करने के लिए क्राउड फंडिंग, वेंचर कैपिटल, एंजेल इन्वेस्टर इत्यादि का भी सहारा ले सकता है।

5. कंपनी रजिस्टर करें:

अपनी बिजनेस योजना के मुताबिक वित्त का प्रबंध करने के बाद Car Dealership Business कर रहे उद्यमी को स्वयं के बिजनेस को एक वैधानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए कदम उठाने चाहिये। इसमें उद्यमी चाहे तो व्यक्तिगत स्वामित्व या फिर कंपनी के तौर पर अपने बिजनेस को कंपनी रजिस्ट्रार में रजिस्टर कर सकता है।

यद्यपि इस तरह का बिजनेस करने के लिए कंपनी पंजीकरण करा लेना ही बेहतर होता है। क्योंकि ऐसा करने से व्यक्तिगत तौर पर व्यक्ति के दायित्व कम हो जाते हैं और हर बात के लिए व्यक्तिगत व्यक्ति नहीं बल्कि कंपनी जिम्मेदार होती है।    

6. कर्मचारियों की नियुक्ति करें:

लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी सारे वैधानिक कार्य पूर्ण कर लेने के बाद उद्यमी को अपनी आवश्यकता एवं उनकी योग्यता के अनुरूप कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए। चूंकि उद्यमी द्वारा खुद की कंपनी स्थापित की जा रही है इसलिए उसे निम्नलिखित स्टाफ की आवश्यकता हो सकती है।

  • Car Dealership Business कर रहा उद्यमी खुद को कंपनी का सीईओ नियुक्त कर सकता है।
  • एडमिन एवं एचआर मैनेजर को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • गेराज मैनेजर नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • प्रोक्योरमेंट मैनेजर।
  • सेल एवं मार्केटिंग मैनेजर नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • आईटी पर्सन
  • अकाउंटेंट
  • चपरासी एवं सफाई कर्मचारी।      

7. मार्केटिंग एवं सेल्स रणनीति बनायें:

उद्यमी द्वारा जो पहले फिजिबिलिटी स्टडी एवं मार्किट रिसर्च किया हो उस डाटा के आधार पर उद्यमी कोई लम्बी अवधि के लिए अपने Car Dealership Business हेतु मार्केटिंग एवं सेल्स रणनीति बना सकता है। इसके अलावा इस इंडस्ट्री के विशेषज्ञों की सलाह पर भी अपनी मार्केटिंग रणनीति को विकसित या फिर उसमें फेरबदल कर सकता है। इस तरह के बिजनेस के लिए कुछ सेल्स एवं मार्केटिंग टिप्स इस प्रकार से हैं।

  • गैराज के आसपास के लोगों को आकर्षित करने के लिए उद्यमी को इसके उद्घाटन के अवसर पर एक भव्य पार्टी का आयोजन कराना चाहिए। ताकि आस पास के लोगों को पता चल सके की यहाँ पर इस तरह का बिजनेस शुरू हो चूका है।
  • अपने लक्ष्यित एवं आंशिक ग्राहकों तक अपनी Car Dealership Business का परिचय देने के लिए उन तक अपने बिजनेस की विवरण पत्रिका अवश्य पहुँचायें।
  • अपने बिजनेस लोकेशन तक पहुँचने के लिए ग्राहकों को रास्ता बताने के लिए आकर्षक हैण्डबिल इत्यादि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • शहर के रणनीतिक स्थानों पर अपने बिजनेस के साइनेज/ फ्लेक्सी बैनर इत्यादि लगायें।
  • अपने नियमित ग्राहकों को पुरुस्कृत या कुछ अतिरिक्त लाभ देने के लिए एक लॉयल्टी प्रोग्राम विकसित करें।
  • अपने बिजनेस एवं उत्पादों को येलो पेज जैसे डायरेक्टरी में लिस्ट करें।
  • Car Dealership Business को सफल बनाने के लिए डायरेक्ट मार्केटिंग एवं सेल के लिए सिस्टम विकसित करें।          

8. पब्लिसिटी एवं एडवरटाइजिंग रणनीति बनायें:

उद्यमी का Car Dealership Business भले ही कितनी अच्छी लोकेशन पर ही क्यों न मौजूद हो लेकिन उद्यमी को अपने बिजनेस की पब्लिसिटी एवं एडवरटाइजिंग करनी नहीं छोड़नी चाहिए। हालांकि इस रणनीति के तहत उद्यमी को ग्राहक बनाने पर नहीं बल्कि इस बात पर ध्यान देना होता है की उनकी बात लोगों तक प्रभावी ढंग से कैसे पहुंचे। इसके लिए उद्यमी निम्न टिप्स का अनुसरण कर सकता है।

  • उद्यमी चाहे तो अपने बिजनेस के विज्ञापन समुदाय आधारित समाचार पत्रों, रेडियो और टीवी स्टेशन में दे सकता है।
  • अपने व्यवसाय को विभिन्न इन्टरनेट प्लेटफॉर्म एवं सोशल मीडिया जैसे यूट्यूब, इन्स्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, स्नेपचैट, गूगल+ इत्यादि पर शेयर करें।
  • रणनीतिक लोकेशन पर अपने बैनर एवं साइनेज की उपस्थिति सुनिश्चित करें।
  • फ्लायर एवं हैण्डबिल टारगेट एरिया में वितरित करें।

9. पेमेंट विकल्प (Payment Options for Car Dealership):

Car Dealership Business करने वाले उद्यमी को एक बात का बेहद ध्यान रखना होगा की नकदी में भुगतान करना अब पुरानी बात हो चुकी है। हालांकि हो सकता है कुछ लोग अब भी नकदी का इस्तेमाल खरीदारी के लिए करते हैं लेकिन एक कार जैसी महंगी वस्तु को खरीदने में नकदी का इस्तेमाल शायद ही कोई करे। और वर्तमान में तो लेन देन में नकदी का इस्तेमाल एक सीमा तक ही वैधानिक है। इसलिए आज के युग में प्रत्येक ग्राहक अपनी सुविधानुसार अलग अलग माध्यमों से भुगतान करना पसंद करते हैं। इसलिए Car Dealership Business कर रहे उद्यमी को न सिर्फ ग्राहकों की सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए बल्कि भारत में मौजूद वित्तीय नियमों एवं विनियमन का भी पालन करना चाहिए। उद्यमी चाहे तो निम्नलिखित भुगतान विकल्प अपने ग्राहकों को दे सकता है।

  • बैंक ट्रान्सफर के माध्यम से भुगतान करने की सुविधा।
  • पीओएस मशीन एवं क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करने की सुविधा।
  • चेक द्वारा भुगतान की सुविधा ।
  • मोबाइल मनी ट्रान्सफर की सुविधा ।
  • बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान की सुविधा ।        

10. बिजनेस को स्थिर एवं विस्तार करने की रणनीति बनायें:

किसी भी बिजनेस का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है की उस बिजनेस के पास नियमित ग्राहकों की संख्या, और उस कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों की कार्यक्षमता, निवेश करने की रणनीति, व्यवसायिक संरचना इत्यादि क्या है। यदि ये सभी चीजें किसी भी बिजनेस से नदारद हैं तो ये बिजनेस को बंद करने के लिए पर्याप्त हैं।

इसलिए Car Dealership Business कर रहे उद्यमी को ऐसी रणनीति विकसित करनी होगी की उसका यह बिजनेस स्थिर होके चलता रहे ताकि किसी बाहरी व्यक्ति या कंपनी के पैसों की इसे आवश्यकता न हो। इसलिए अपने ग्राहकों के बीच एक साख स्थापित करने के लिए यदि उद्यमी को कारें थोड़ी सस्ती दरों पर भी बेचनी पड़ें तो बेचनी चाहिए।    

Car Dealership खोलने में आने वाला खर्चा:

Car Dealership Business शुरू करने में आने वाले कुछ प्रमुख खर्चों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • भारत में बिजनेस रजिस्ट्रेशन इत्यादि में आने वाला खर्चा 10000 रूपये मान के चल सकते हैं।
  • लाइसेंस परमिट, पीओएस मशीन, सॉफ्टवेर इत्यादि खरीदने में लगभग 15000 रूपये का खर्चा आ सकता है।
  • बिजनेस कंसलटेंट हायर करने में 4000 रूपये तक का खर्चा हो सकता है।
  • इंश्योरेंस का प्रीमियम 15000 रूपये तक हो सकता है।
  • एक साल का किराया लगभग दो से ढाई लाख रूपये मान के चल सकते हैं।
  • गैराज इत्यादि को अपने मुताबिक बनाने में लगभग 50 हजार से एक लाख रूपये तक का खर्चा आ सकता है।
  • स्टेशनरी, फोन एवं अन्य यूटिलिटी खर्चा 6000 रूपये मान के चल सकते हैं।
  • पहले तीन महीनों के लिए ऑपरेशनल कास्ट वेतन इत्यादि मिलाकर तीन लाख रूपये हो सकते हैं।
  • कारें इत्यादि खरीदने में लगभग 1.5 करोड़ रूपये का खर्चा आ सकता है।
  • सीसीटीवी इत्यादि इनस्टॉल करने में लगभग 12-15000 रूपये का खर्चा आ सकता है।
  • कंप्यूटर, टेलीफोन, प्रिंटर, टेलीविज़न, टेबल चेयर इत्यादि खरीदने में लगभग 100000 रूपये लग सकते हैं।
  • वेबसाइट इत्यादि विकसित करने में लगभग 10000 रूपये तक का खर्चा संभावित है ।

Car Dealership Business करने वाले उद्यमी को कार ब्रांड को डीलरशिप शुल्क देने की भी आवश्यकता हो सकती है जो अलग अलग ब्रांड के आधार पर अलग अलग हो सकता है।

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