टीडीएस क्या है TDS के फायदे नियम गणना रेट चार्ट एवं अन्य जानकारी |

नौकरी पेशा लोगों एवं व्यापारी वर्ग की टीडीएस के बारे में जानने की इच्छा प्रबल होती है | इसका कारण यह है की वेतनधारी लोगों की सैलरी से नियोक्ता द्वारा एवं किसी कंपनी में अपनी सर्विस या माल देने वाले व्यक्ति/कंपनी का टीडीएस खरीदार कंपनी द्वारा काट लिया जाता है | हालांकि कंपनी द्वारा प्रत्येक वेतनभोगी की सैलरी से TDS नहीं काटा जाता है बल्कि सिर्फ उन लोगों की सैलरी से यह काटा जाता है जिनकी सैलरी इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक आयकर के दायरे में आती है |

वेतनभोगी कर्मचारियों के अलावा कंपनी अपने व्यापार को चलाने के लिए जो भी माल एवं सेवाएँ खरीदती है उन सेवाओं एवं माल के बिलों पर भी टीडीएस काटती है और उसे वेंडरों की तरफ से आयकर विभाग में जमा करती है | हालांकि अधिकतर तौर पर TDS को सिर्फ वेतन से जोड़कर देखा जाता है जो की सही नहीं है, सच्चाई यह है की कंपनी विक्रेताओं के बिलों का भुगतान भी टीडीएस काटकर ही करती हैं |

लोगों के अंतर्मन में TDS को लेकर अनेकों सवाल जैसे टीडीएस क्या है? इसके रुल अर्थात नियम क्या हैं ? इसकी रिफंड प्रक्रिया क्या होती है? इसका फुल फॉर्म क्या है? इत्यादि उमड़ती रहती हैं | इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से इन्हीं सब सवालों का जवाब देने का भरसक प्रयत्न करेंगे |

टीडीएस क्या है

टीडीएस क्या है (What is TDS in Hindi):

TDS kya hai : इन तीन शब्दों को हम यदि विस्तारित करेंगे अर्थात इन्हें फुल फॉर्म में परिवर्तित करेंगे तो हमारे पास Tax Deducted at Source नामक यह छोटा सा वाक्य होगा | और इस अंग्रेजी वाक्य को यदि हम हिन्दी में रूपांतरित करेंगे तो ‘’स्रोत पर कर कटौती’’ नामक वाक्य हमारे सामने होगा | चूँकि हर व्यक्ति चाहे उसकी कितनी भी कमाई होती हो की कमाई का स्रोत कुछ न कुछ अवश्य रहता है | लेकिन आम तौर पर व्यक्ति दो स्रोतों नौकरी एवं बिज़नेस से पैसे कमाता है |

नौकरीपेशा लोगों की कमाई का स्रोत वह स्थापना या कंपनी होती है जहाँ वे काम करते हैं | और बिज़नेसमैन की कमाई का स्रोत उसके ग्राहक होते हैं, लेकिन यदि ये ग्राहक कोई व्यक्तिगत व्यक्ति न होकर कोई कंपनी या फर्म हों तो उन्हें बिजनेसमैन द्वारा जारी किये गए बिलों पर टीडीएस काटने का पूरा अधिकार होता है |

कहने का अभिप्राय यह है की जब कमाई के स्रोत पर ही टैक्स काट लिया जाता है तो इस काटे हुए टैक्स को TDS (Tax Deducted at Source) के नाम से जाना जाता है | इस व्यवस्था का प्रावधान आयकर अधिनियम में इसलिए भी किया गया है ताकि वाणज्यिक गतिविधियों में टैक्स चोरी को कम किया जा सके |

वेतन पर TDS की गणना किस तरह से की जाती है

जहाँ तक वेतन पर TDS की गणना का सवाल है इसकी गणना के लिए कंपनी या नियोक्ता द्वारा उस वित्तीय वर्ष के लिए प्रत्येक कर्मचारी का अलग अलग औसत कर दर (Average tax rate) निकाला जाता है | यह कैसे निकाली जाती है इसे हम एक उदाहरण के द्वारा समझने की कोशिश करते हैं |

उदाहरणार्थ: माना सुरेश की महीने की कुल आमदनी या सैलरी 72000 है और उसकी सैलरी का ब्रेकडाउन इस प्रकार से है | Basic Salary- 47000, house rent allowance – 15000, travel allowance 700, Medical allowance 1200, child education allowance 200 एवं अन्य भत्ते 7900 हैं |  

अब इस स्थिति में मान के चलते हैं की सुरेश अपने खुद के घर में रहता है इसलिए सुरेश को टीडीएस पर मिलने वाली मासिक छूट (चिकित्सा भत्ते, ट्रेवल और बच्चे की शिक्षा के भत्ते को मिलाकर) 2100 रूपये होगी जो साल में 2100×12=25200 होगी | जिसका अभिप्राय यह है की सुरेश की कर योग्य आय अब (864000-25200 =838800 )हो जाएगी | अब माना सुरेश ने उस वित्तीय वर्ष में होम लोन ब्याज का भुगतान करने पर रूपये एक लाख का नुकसान अनुभव किया है तो इस स्थिति में उसकी कर योग्य आय (838800-100000=738800) हो जाएगी |

अब माना सुरेश ने आयकर अधिनियम की धारा 80C के अंतर्गत छूट के योग्य मदों में रूपये एक लाख एवं 80D की मदों में रूपये बीस हजार का निवेश किया है तो इस स्थिति में उसकी कर योग्य आय (738800-120000=618800) हो जायेगी | अब आइये जानते हैं की सुरेश को कितना टीडीएस भरना होगा |

आयकर स्लैबटीडीएस कटौती दरदेय कर
2.5 लाख तककुछ नहींकुछ नहीं
2.5 लाख से 5 लाख तक5% (500000-250000)12500
5 लाख से 6.18 लाख तक10% (618800-500000)11880

इस प्रकार सुरेश की आमदनी से साल में कुल TDS (12500+11880)= 24380 रूपये देय होगा | अब महीने की सैलरी से टीडीएस काटने के लिए कंपनी या नियोक्ता को औसत कर दर निकालनी होती है जिसे इस तरह से निकाला जा सकता है |

औसत कर दर (Average Tax rate)=24380×100/838800=2.906% ) इसका अभिप्राय यह है की नियोक्ता द्वारा सुरेश की सैलरी से हर महीने उसके कर योग्य वेतन (69900) का 2.906% यानिकी 2031.66 रूपये TDS के रूप में काटा जायेगा |

कंपनी द्वारा विक्रेता के बिलों पर टीडीएस काटना:

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की कंपनी या किसी अन्य स्थापना द्वारा अपने विक्रेताओं द्वारा दिए जाने वाले बिलों पर टीडीएस काटने के बाद उनका भुगतान किया जाता है आइये इस प्रक्रिया को हम एक उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं |

इस उदाहरण में TDS कटौती की दर 10% मान के चलते हैं राघव एक कंपनी में अकाउंटेंट है और बलराज एक चार्टेड अकाउंटेंट है | जिस कंपनी में राघव अकाउंटेंट है उस कंपनी ने बलराज की सर्विस लीं जिसके बदले बलराज ने 45000 का बिल कंपनी के नाम से दिया | यानिकी राघव की कंपनी को बलराज को रूपये 45000 का भुगतान करना है |

इस स्थिति में राघव बलराज के बिल से 45000 का 10% यानिकी 4500 रूपये टीडीएस के तौर पर काटकर बाकी बचे 40500 रूपये बलराज को देगा | और TDS के तौर पर काटे हुए पैसों को राघव आयकर विभाग के खाते में जमा कर देगा |

टीडीएस के फायदे (Benefits of TDS in Hindi):

TDS ke fayde : टीडीएस प्रणाली की बात करें तो यह कमाई करते जाओ एवं आयकर भी देते जाओ की तर्ज पर काम करती है इसलिए इससे सिर्फ सरकार को ही फायदे नहीं होते हैं बल्कि आयकरदाता को भी इस प्रणाली के फायदे होते हैं | इसलिए नीचे दी गई लिस्ट में सरकार एवं करदाता दोनों को होने वाले फायदे सम्मिलित हैं |

  • इस प्रणाली में कर कटौती की जिम्मेदारी नियोक्ता या स्रोत के कंधो पर डालने से आयकर विभाग की जिम्मेदारी कुछ कम हो जाती है | क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत काफी कम प्रयास करके ही आयकर विभाग एक नियोक्ता के माध्यम से बहुत सारे लोगों से कर एकत्रित कर लेता है |
  • चूँकि यह प्रणाली कमाते जाओ और भरते जाओ की तर्ज पर काम करती है इसलिए व्यक्तिगत तौर पर इसमें टैक्स न भरने या टैक्स चोरी करने की संभावना कम रहती है |
  • स्रोत पर ही टैक्स कट जाने से सिर्फ नौकरीपेशा या वेतनभोगी लोग ही कर के दायरे में नहीं आते बल्कि अन्य व्यवसायिक, वाणज्यिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति भी टीडीएस के कारण टैक्स के दायरे में आ जाते हैं जिससे सरकार को अच्छा खासा रेवेन्यू हासिल हो पाता है |
  • टीडीएस नामक इस कर प्रणाली से सरकार की एक नियमित आय होती है जिससे उसे अपने खर्च एवं व्यवस्थाओं को प्रबंधित करने में सहायता प्रदान होती है |
  • चूँकि इस पद्यति में टैक्स काटने से लेकर उसे आयकर विभाग के खाते में जमा करने तक की जिम्मेदारी नियोक्ता की होती है | इसलिए करदाता को बहुत सारी औपचारिकताओं से छुटकारा मिल जाता है और उसे केवल रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया करनी पड़ती है |

कमाई के किन किन स्रोतों पर टीडीएस काटा जाता है

कमाई के विभिन्न स्रोतों पर TDS काटे जाने का प्रावधान है जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है |

  • ऐसे लोग जिनका सालाना वेतन 5 लाख से अधिक है उनके नियोक्ता द्वारा उनकी सैलरी से टीडीएस काटे जाने का प्रावधान है |
  • किसी भी व्यक्ति को उसके द्वारा जमा की गई पूँजी पर यदि दस हज़ार से अधिक ब्याज मिल रहा हो तो बैंक द्वारा उस अतिरिक्त अमाउंट पर टीडीएस काटे जाने का प्रावधान है |
  • किसी व्यक्ति को यदि किसी संस्थान, कंपनी या व्यक्ति ने अपना काम कराने के बदले कमीशन का भुगतान करना हो तो वह TDS काट सकता है |
  • ऐसे लोग जिन्होंने अपना घर या मकान किराये पर दिया हो और महीने का किराया पचास हज़ार से अधिक हो तो इस स्थिति में किरायेदार को TD S काटकर किराये देने का अधिकार है |
  • परामर्श शुल्क (Consultation Fee) जैसे किसी अधिवक्ता, सीए, वित्तीय सलाहकार इत्यादि की सेवा का भुगतान करते वक्त भी TDS काटे जाने का प्रावधान है |
  • पेशेवर शुल्क के तौर पर होने वाली कमाई से भी टीडीएस काटे जाने का प्रावधान है |

उपर्युक्त नियम वाणज्यिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति, स्थापना, संस्थान, फर्म, कंपनी इत्यादि के लिए हैं न की आम नागरिक के लिए यदि एक आम नागरिक वकील , सीए, वित्तीय सलाहकार इत्यादि से परामर्श लेता है तो इस स्थिति में दिए जाने वाले शुल्क पर TDS काटे जाने का कोई प्रावधान नहीं है | लेकिन यदि यही परामर्श कोई फर्म या कंपनी लेगी तो वह परामर्श शुल्क पर टीडीएस काटकर भुगतान करेगी |

टीडीएस के नियम (Rules of TDS in Hindi):

TDS ke Niyam : आयकर विभाग ने टीडीएस काटने से लेकर जमा करने एवं रिटर्न सम्बन्धी भी कुछ नियम निर्धारित किये हैं | यदि किसी व्यक्ति/संस्थान द्वारा इन नियमों का पालन नहीं किया गया तो इसमें पेनल्टी, देरी शुल्क इत्यादि का भी प्रावधान किया गया है |

  • वास्तविक भुगतान एवं भुगतान करने की अंतिम तारीख में से जो भी पहले हो उस तारीख तक TDS की कटौती हो जानी चाहिए ऐसा न होने पर अर्थात TDS कटौती में देरी करने पर मासिक तौर पर 1% ब्याज भरे जाने का प्रावधान है |
  • TDS के रूप में कटौती हुई धनराशि को काटने वाले को उसके अगले महीने की सात तारीख तक आयकर विभाग के कार्यालय में जमा कराना होता है | यदि कटौती करने वाला ऐसा नहीं करता है तो उसे कुल राशि पर प्रत्येक महीने 5% ब्याज के तौर पर देना होगा |
  • कटौती करने वाले (Deductor) द्वारा जो हर महीने TDS काटा जाता है उसका रिटर्न फाइल वित्तीय वर्ष की तिमाही के अगले महीने की अंतिम तारीख तक करना होता है | जैसे अप्रैल, मई, जून महीनों में काटा गया टीडीएस का रिटर्न अगले महीने यानिकी जुलाई की अंतिम तारीख 31 जुलाई तक भरना होता है | जुलाई, अगस्त, सितम्बर महीनों का 31 अक्टूबर, अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर महीनों का 31 जनवरी एवं जनवरी, फरबरी, मार्च का रिटर्न 31 मई तक फाइल करना होता है | ऐसा न कर पाने पर विलम्ब शुल्क के तौर पर प्रतिदिन 200 रूपये भरने का प्रावधान है लेकिन कुल विलम्ब शुल्क कुल देय कर से अधिक नहीं हो सकता |

टीडीएस सर्टिफिकेट क्या है?

कर्मचारी के वेतन से और विक्रेता के बिल से टीडीएस तो काट लिया गया लेकिन अब यदि कर्मचारी एवं विक्रेता को कहीं पर यह प्रमाण देना पड़े की उन्होंने टैक्स भर दिया तो वे कैसे देंगे | इसका सीधा सा जवाब है की टीडीएस कटौती करने वाला ऐसे कर्मचारीयों एवं विक्रेताओं को टीडीएस सर्टिफिकेट देता है | वह यह सब करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होता है अर्थात वह जितने भी व्यक्तियों/संस्थानों का टीडीएस काटेगा एवं जमा करेगा उन सबको उसे TDS Certificate देना होगा |

यही वह साक्ष्य होता है जिसकी बदौलत कर्मचारी या विक्रेता (Deductee) कर भुगतान का दावा कर सकता है | टीडीएस काटने वाले द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए अलग एवं अन्य के लिए अलग अलग तरह के दो प्रकार के सर्टिफिकेट जारी किये जाते हैं |

  • टीडीएस काटने वाला (Deductor) अपने कर्मचारियों को अर्थात जिनकी सैलरी से वह TDS काटता है को सर्टिफिकेट के तौर पर Form 16 देता है | जिसमें कर्मचारी के वेतन और उस पर काटे गए टैक्स की सम्पूर्ण डिटेल्स होती है |
  • दूसरी स्थिति में जब टीडीएस काटने वाला (Deductor) विक्रेताओं, सर्विस प्रोवाइडर इत्यादि के बिलों से टीडीएस काटता है तो इस स्थिति में सर्टिफिकेट के तौर पर Form 16A दिया जाता है | इसमें भी आमदनी एवं काटे गए टैक्स की पूरी डिटेल्स होती है |

टीडीएस रेट चार्ट (TDS Rate Chart in Hindi):

TDS के मामले में यह कहना बिलकुल भी उचित नहीं होगा की सब प्रकार के कमाई स्रोतों पर एक ही प्रकार के रेट लागू होंगे | बल्कि जहाँ वेतनभोगी कर्मचारियों पर उनके टैक्स स्लैब के आधार पर TDS काटा जाता है वहीँ कुछ स्रोतों जैसे बैंक में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज इत्यादि पर TDS rate एक ही होता है जो वर्तमान में 10% है |

आइये जानते हैं कमाई के किन किन स्रोतों पर कितना TDS लागू होता है | नीचे दिया जा रहा TDS Rates Chart Hindi में वित्तीय वर्ष 2017-18 और Assessment Year 2018-19 के लिए है |

आयकर अधिनियम की धारा कमाई का स्रोत कब कटेगा कितना कटेगा
192वेतन या सैलरीजब वार्षिक कमाई कर  मुक्त स्लैब रेट से अधिक हो जाएगी |उस वित्तीय वर्ष में लागू टैक्स स्लैब रेट के आधार पर |
192Aकर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ)50000 से ज्यादा की रकम पर10% (पैन न दिए जाने की स्थिति में 30%)
193सिक्योरटीज बांड इत्यादि परक्रेडिट या भुगतान के समय जो भी पहले हो 10000 रूपये से अधिक की रकम पर | डिबेंचर के मामले में यह सीमा 5000 रूपये है |10% (पैन न दिए जाने की स्थिति में 30%)
194व्यक्तिगत व्यक्ति की स्थिति में लाभांश से होने वाली कमाई2500 रूपये से अधिक की राशि पर |10% (पैन न दिए जाने की स्थिति में 20%)
194Aसिक्यूरिटी पर मिलने वाले ब्याज के अलावा अन्य ब्याज से होने वाली कमाई |10000 रूपये से अधिक की राशि पर |10% (पैन न दिए जाने की स्थिति में 20%)
194Bलाटरी खेल कर कमाई गई रकम |10000 रूपये से अधिक की राशि पर |30%
194BBहॉर्स रेस जीतकर कमाई गई रकम10000 रूपये से अधिक की राशि पर |30%
194Cकांट्रेक्टर, सब कांट्रेक्टर को भुगतान करने पर |प्रत्येक कॉन्ट्रैक्ट के लिए रूपये तीस हजार से अधिक एवं पूरे साल में एक लाख रूपये से अधिक का भुगतान करने पर |सामान्य व्यक्ति/ HUF के लिए 1%, कंपनी फर्म इत्यादि के लिए 2%
194 Dइंश्योरेंस कमीशन के रूप में मिली राशि15000 रूपये से ज्यादा की रकम पर |5% (पैन वैध न होने पर 20%)
194DAजीवन बीमा योजना के तहत भुगतान (बोनस सहित)वित्तीय वर्ष के दौरान 1 लाख से ज्यादा के भुगतान पर |1% (पैन वैध न होने पर 20%)
194 Eअनिवासी खिलाड़ी या खेल संघ को भुगतानक्रेडिट और भुगतान जो भी पहले हो |20%
194EEराष्ट्रीय बचत योजना के अंतर्गत जमा करने के लिए किया गया भुगतान |2500 रूपये से अधिक10% (पैन वैध न होने पर 20%)
194Fम्यूचुअल फंड या यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा इकाई की पुनर्खरीद करने पर किया गया भुगतान | 20%
194Gलाटरी टिकेट को बेचकर कमाया गया कमीशन |15000 से अधिक पर |5% (पैन वैध न होने पर 20%)
194Hकमीशन एवं ब्रोकरेज पर15000 से अधिक पर |5% (पैन वैध न होने पर 20%)
194 Iकिराया180000 से अधिक होने पर |जमीन, बिल्डिंग, फर्नीचर की स्थिति में 10% और प्लांट, मशीनरी, उपकरण की स्थिति में 2%
194IAकृषि भूमि को छोड़कर किसी जमीन या प्रॉपर्टी को खरीदने में दी गई रकम पर |50 लाख से अधिक की राशि पर |1% (पैन वैध न होने पर 20%)
194IBकिसी व्यक्तिगत व्यक्ति या HUF द्वारा भुगतान किया गया किरायाप्रति माह पचास हजार से अधिक राशि पर5%
194LBकिसी एनआरआई या विदेशी कंपनी को इंफ्रास्ट्रक्चर डेब्ट फण्ड पर दिया जाने वाला ब्याज | 5% (पैन वैध न होने पर 20%)

ज्यादा कट जाने पर टीडीएस कैसे रिफंड होगा?

कभी कभी नियोक्ता द्वारा ऐसे कर्मचारियों का भी टीडीएस काट लिया जाता है, जिनकी आमदनी टैक्स के दायरे में होती ही नहीं है इसके अलावा नियोक्ता द्वारा टैक्स छूट नियमों के तहत कर्मचारियों को छूट दिलाने के लिए उनसे टैक्स छूट से सम्बंधित  प्रमाण एक निश्चित अवधि तक जमा करने को बोला जाता है | लेकिन इनमे से कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो निश्चित अवधि तक प्रमाण नहीं जमा कर पाते हैं ऐसे में नियोक्ता द्वारा उनका टीडीएस काट लिया जाता है |

क्या आप जानते हैं यदि आपकी आमदनी कर योग्य नहीं होती है तो आप जमा टीडीएस को भी वापस पा सकते हैं | इसके लिए आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता होगी | आइये जानते हैं आयकर रिटर्न फाइल करने के फायदों के बारे में | यह रिफंड करदाता को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त दिख जाता है, रिटर्न फाइल करने के तीन महीने के भीतर भीतर यह वापस आपके खाते में आ जाता है |

टीडीएस में पैन टेन की भूमिका:

टैक्स जमा करवाने की दृष्टी से भारतीय आयकर विभाग द्वारा पैन जारी किया जाता है कंपनी कर्मचारियों की नियुक्ति पर ही उनका पैन नंबर अपने रिकॉर्ड में जमा कर लेती है | और टीडीएस जमा करवाते समय कंपनी द्वारा प्रत्येक कर योग्य आय वाले कर्मचारी की डिटेल्स आयकर विभाग में जमा की जाती है इसमें पैन नंबर भी दिया जाता है जिस पर करदाता का टैक्स अकाउंट बन जाता है |

इसलिए टैक्स की कटौती के लिए पैन अनिवार्य होता है | जिस प्रकार करदाता को पैन की जरुरत होती है उसी प्रकार टीडीएस काटने वाले को टेन (TAN) की आवश्यकता होती है |

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