हमारा देश भारत चाय का एक प्रमुख निर्माता, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश है इसलिए चाय प्रसंस्करण Tea Processing भारत में एक महत्वपूर्ण औद्योगिक गतिविधि है | चाय एक प्राकृतिक पेय है इसे एक सदाबहार पौधे Camellia sinensis की युवा पत्तियों से बनाया जाता है | भारत में चाय उद्यान एवं चाय उद्योग बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं भारत के एक प्रमुख हिस्से को इन्होंने कवर किया हुआ है |
असम, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में स्थित कुछ निश्चित जिलों में ही चाय की फसल उगाई जाती है | उपर्युक्त राज्यों के अलावा कुछ हद तक त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड इत्यादि में भी चाय की फसल उगाई जाती है | एक आंकड़े के मुताबिक भारतवर्ष में वाणज्यिक तौर पर चाय का उत्पादन सोलह राज्यों में किया जाता है | जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है |
- भारत में कुल चाय उत्पादन का 52% उत्पादन असम में किया जाता है |
- पश्चिम बंगाल में 9% चाय का उत्पादन होता है |
- तमिलनाडु में 6% और केरल में 7.1% चाय का उत्पादन होता है |
उपर्युक्त चार राज्यों में भारत में कुल चाय उत्पादन का 95% उत्पादन होता है, बाकी राज्य जहाँ कम स्तर पर चाय का उत्पादन होता है उनमे मुख्य रूप से त्रिपुरा, कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, अरुणांचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, उड़ीसा और बिहार हैं | वर्तमान में दुनियाभर में चाय का कारोबार छोटे छोटे स्तर पर वृद्धि कर रहा है | भारत में टी बोर्ड ने चाय के बागानों के क्षेत्र में छोटे चाय उत्पादकों को Tea Processing के लिए सूक्ष्म एवं छोटी फैक्ट्री लगाने की स्वीकृति दे दी है |
बोर्ड द्वारा यह निर्णय बगीचों की ताजगी को बनाये रखने एवं मानकों में सुधार की दृष्टी से लिया गया है | चूँकि चाय की हरी पत्तियों को ट्रांसपोर्ट करने में जो समय लगता था Tea Plantation Area में ही Tea Processing Unit होने पर यह समय घट जायेगा इसलिए चाय की गुणवत्ता में सुधार के आसार भी लगाये जा रहे हैं |
इन्हीं सब बातों के मद्देनज़र आज हम Tea processing Business अर्थात Tea Manufacturing Business के बारे में वार्तालाप करेंगे और जानने की कोशिस करेंगे की यदि कोई small tea growers चाय की छोटी या सूक्ष्म स्तर पर फैक्ट्री लगाना चाहता है तो उसे किन किन मशीनरी एवं उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है |
चाय प्रसंस्करण क्या है (What is tea processing ):
Tea Processing को हिंदी में चाय प्रसंस्करण कहा जाता है | यह एक ऐसी पद्यति है जिसमें चाय के पौधे (Camellia sinensis) के हरे पत्तों को सुखाकर चाय की पत्ती के रूप में परिवर्तित किया जाता है | Tea Processing को Tea Manufacturing Business भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रकार के व्यापार का उद्देश्य चाय का निर्माण करके कमाई करने का होता है |
इंडिया में चाय की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है यही कारण है की यहाँ पर Tea Processing Unit भी विद्यमान हैं | लेकिन यदि यह इकाई Tea Plantation area के नजदीक हो तो चाय की गुणवत्ता में सुधार तो होता ही है चाय निर्माण में लागत भी कम आती है |
बाजार में बिकने की संभावना:
इंडिया में चाय एक प्राथमिक पेय है जिसे लगभग 85% घरों में पीने के उपयोग में लाया जाता है | वर्तमान में इस उत्पाद की डिमांड एवं सप्लाई में अंतर देखा गया है अर्थात कुछ भागों में डिमांड के मुताबिक इसकी सप्लाई नहीं हो पा रही है | मार्केट सर्वेक्षण के अनुसार बीते कुछ वर्षों से चाय के बागानों में अर्थात Tea Plantation Land में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है जबकि देश में चाय की खपत 3-3.5% की दर से प्रति वर्ष बढ़ रही है |
भारत में चाय का व्यापार दो तरीकों से किया जाता है एक तरीका है नीलामी का और दूसरा तरीका है निजी बिक्री का | जहाँ तक चाय सम्बन्धी मार्केट रिपोर्ट की बात है यह भारत के प्रमुख छह नीलामी केन्द्रों कोलकाता, गुवाहाटी, सिलीगुड़ी, कोचिन, कूनूर और कोयंबटूर से प्राप्त की जाती है जहाँ चाय का थोक व्यापार किया जाता है |
कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित CTC Tea यानिकी काली चाय की ग्राहकों के बीच अच्छी खासी डिमांड है | क्योंकि इसको बनाने में एक विशेष निर्माण प्रक्रिया उपयोग में लायी जाती है जो चाय को उच्च गुणवत्ता एवं सुगंध प्रदान करती है | आर्गेनिक टी के अलावा ग्रीन टी की भी मार्केट में बिकने के तीव्र आसार हैं | इसलिए कुछ कुटीर चाय कारखाने चाय उत्पादित क्षेत्रों में खोले जा सकते हैं |
आवश्यक मशीनरी उपकरण एवं कच्चा माल:
जहाँ तक Tea Processing Business में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल का सवाल है इसमें मुक्य रूप से चाय की हरी पत्तियां कच्चे माल के तौर पर उपयोग में लायी जाती हैं इनके अलावा कुछ पैकेजिंग सामग्री की भी आवश्यकता हो सकती है | इस व्यापार में उपयोग में लाये जाने वाले मशीनरी एवं उपकरणों की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है |
- स्टेनलेस स्टील Rotorvane
- CTC Machine
- Roller का जोड़ा
- DF Furnace
- पारम्परिक ड्रायर
- Humidifier
- Mydelton Sorter
- फाइबर सॉर्टर
- वाईब्रो सॉर्टर
चाय पत्ती निर्माण प्रक्रिया (Tea Manufacturing Process in Hindi):
Tea manufacturing business में Tea Processing करने हेतु सर्वप्रथम चाय के बागानों से चाय की हरी पत्तियां तोड़ ली जाती हैं | इन्हें तोड़ते वक्त चाय की पत्तियों को कोई नुकसान न हो इस दृष्टी से बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है | इंडिया में यह प्रक्रिया अधिकतर तौर पर हाथों से ही अंजाम तक पहुंचाई जाती है |
लेकिन अन्य बड़े पैमाने पर चाय उगाने वाली कंपनियों द्वारा मशीनीकृत कटाई का भी सहारा लिया जाने लगा है | चाय के बागानों से हरी पत्तियां तोड़कर फिर इनका वजन किया जाता है और उसके बाद Tea Processing के लिए इन्हें फैक्ट्री की ओर ट्रांसपोर्ट किया जाता है | फैक्ट्री में चाय का निर्माण करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाता है |
1. Withering Process:
Tea Processing Business में चाय निर्माण के लिए फैक्ट्री में की जाने वाली पहली प्रक्रिया चाय की हरी पत्तियों से पानी की मात्रा कम करना अर्थात पत्तियों से नमी दूर करना होता है | इसके अलावा इस प्रक्रिया के दौरान कुछ केमिकल बदलावों को भी अंजाम दिया जाता है |
इसलिए हम कह सकते हैं की इस प्रक्रिया में दो सह क्रियाएं फिजिकल विदर और केमिकल विदर सम्मिलित हैं | Tea Processing में फिजिकल विदर 3-4 घंटे में पूर्ण हो जाती है जबकि केमिकल विदर के लिए 12-16 घंटों की आवश्यकता हो सकती है | पत्तों से नमी कम करने की यह प्रक्रिया या प्राकृतिक रूप से अर्थात पत्तों को सूखाकर की जा सकती है या Withering System का उपयोग करके पूर्ण की जा सकती है |
2. Rolling/Rotorvane:
Tea processing में चाय की पत्तियों में से नमी संतुलित करने के बाद इन्हें Rotorvane की मदद से रोलिंग किया जाता है | यह प्रक्रिया पत्तों को तोड़ने एवं पत्तों से एंजाइम रिहा करने के लिए की जाती है और इस प्रक्रिया में पत्तियों को एक आकार भी मिल जाता है |
रोलिंग ऑपरेशन के दौरान जैसे ही पत्तों का निचोड़ा हुआ रस हवा के संपर्क में आता है इसके प्रमुख घटकों के बीच रासायनिक परिवर्तन होने लगते हैं | यह रासायनिक परिवर्तन पत्ते में मौजूद एंजाइम के कारण होते हैं । एंजाइम रासायनिक परिवर्तन लाता है लेकिन यह खुद को नहीं बदलता है । आम तौर पर, आगे प्रसंस्करण के लिए भेजने से पहले पत्तों को रोटरवेन में डाला जाता है |
3. सामग्री को C.T.C. मशीन में डालना:
Tea Processing में चाय की पत्तियों को रोल्ड करने के बाद उन्हें C.T.C Machine (cutting, tearing, curling machine) में डाला जाता है | यह मशीन अधिकतम कोशिका विरूपण के साथ समान आकार में चाय की पत्तियों को काटती है, जिससे फर्मेंटेशन के दौरान त्वरित और अधिक ऑक्सीकरण (oxidation) होता है | C.T.C. मशीन में व्यवस्थित गति पर विपरीत दिशाओं में घूमने वाले दो रोलर्स होते हैं |
इन दोनों रोलर्स की गति अलग अलग होती है इनमें से एक रोलर बेह्हद तेज गति से घूमता है तो दूसरा बेह्हद धीरे गति से | आम तौर पर इस प्रक्रिया में रोलर्स के बीच निरंतर निकासी बनाये रखना बेहद जरुरी होता है | रोलर सेगमेंट बेहद तेज स्थिति में होता है, जो चाय की पत्तियों को तीन बार काटता है । इस प्रक्रिया के दौरान यह विशेष रूप से देखा गया है कि इसमें पत्ते गर्म नहीं होते, क्योंकि यह पत्तियों की ताजगी और गुणवत्ता को नष्ट कर देता है ।
4. Fermentation Process:
Tea processing में C.T.C मशीन के बाद चाय की पत्तियों को खमीरीकृत किया जाता है | चाय का निर्माण अर्थात Tea Manufacturing में फर्मेंटेशन की यह प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है | क्योंकि चाय की ताजगी, मजबूती, रंग एवं गुण अधिकतर तौर पर इसी प्रक्रिया पर निर्भर करता है | फर्मेंटेशन की अवधि तापमान के उतार चढ़ाव पर निर्भर करती है | Tea Processing में फर्मेंटिंग रूम का आदर्श तापमान 76°F से 78°F तक माना जाता है और इस प्रक्रिया में 1-2 घंटे का समय लगता है |
चाय की पत्तियों को फर्मेंटेशन मशीन में लगे फर्मेंटिंग फ्लोर या फर्मेंटिंग बेड पर बिछा लिया जाता है | सामान्यतया इन पत्तियों को आधे इंच की मोटाई रख के बिछाया जाता है | जैसे ही चाय की पत्ती का रस हवा के संपर्क में आता है फर्मेंटेशन प्रक्रिया शुरू हो जाती है |
पत्तों में उपलब्ध एंजाइम घटकों के बीच पत्तों की कोशिकाओं का लेटेचिन (पॉलीफेनो) और कैफीन में रासायनिक परिवर्तन शुरू कर देते हैं | जब फर्मेंटिंग रूम में पत्ते चमकीले लाल हो जाते हैं तो यह समय फायरिंग के लिए सुखाने के कमरे में स्थानांतरित करने का सबसे अच्छा समय होता है |
5. Firing Drying Process:
Tea Processing में अब अगला स्टेप पत्तों को ड्राईग रूम की तरफ भेजने का होता है | जहां पत्तों को यांत्रिक ड्रायर के ट्रे पर रखा जाता है और पत्तों से अतिरिक्त नमी हटाने के लिए उन्हें 200°F से 220°F पर गरम किया जाता है | इस कक्ष में चाय की पत्तियों को ¼ इंच की मोटाई पर फैलाया जाता है | इस प्रक्रिया के बाद भी चाय में 3% की नमी होनी चाहिए |
6. Sorting Process:
Tea Processing में अगली प्रक्रिया सॉर्टिंग का है | C.T.C चाय पत्ती की सॉर्टिंग बहुत ही सरल प्रक्रिया है । सर्वप्रथम चाय के ग्रेड को अलग करने के लिए चाय पत्ती को सॉर्टर से गुज़रने की इजाजत दी जाती है | इस प्रक्रिया के दौरान चाय को किसी भी अनुपयुक्त सामग्री, फाइबर और अन्य टूटी फूटी पत्तियों से भी मुक्त किया जाता है जो चाय के आकार (ग्रेन्युल) पर निर्भर करता है ।
ग्रेडिंग के बाद चाय को टेस्ट करने के लिए भेजा जाता है | टेस्ट में पास होने के बाद चाय को विभिन्न आकार प्रकार के बैगों में पैक करके मार्केट में बेचने के लिए भेज दिया जाता है | नीलामी केन्द्रों में नीलामी के लिए भी चाय भेजी जा सकती है |
जहां तक चाय की गुणवत्ता का सवाल है चूँकि चाय एक कृषि उत्पाद है इसलिए इसे अशुद्धता, अनावश्यक सामग्री जैसे डस्ट, फाइबर, लकड़ी के कण, छोटे कंकड़, बालू, मिटटी इत्यादि से मुक्त रहना बेहद जरुरी है | इन्हीं सब अशुद्धियों को दूर करने के लिए Tea Processing में Sorting Process को अंजाम दिया जाता है |
जहाँ तक लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन का सवाल है Tea Manufacturing करने अर्थात चाय की फैक्ट्री लगाने के लिए उद्यमी को अपने बिज़नेस को फैक्ट्री अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर करना पड़ सकता है इसके अलावा स्थानीय निकाय से भी बिज़नेस करने की इजाजत लेनी पड़ सकती है | टी बोर्ड ऑफ़ इंडिया से नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की आवश्यकता हो सकती है और एफएसएसएआई लाइसेंस की भी आवश्यकता हो सकती है | एफएसएसएआई लाइसेंस के लिए ऑनलाइन कैसे अप्लाई करें के लिए पढ़ें |
अनुमानित लागत एवं कुल कमाई :
Tea processing का छोटा उद्योग स्थापित करने में लगभग 70 लाख तक की लागत आ सकती है | इसमें जमीन पर आने वाला खर्चा 4 लाख, बिल्डिंग बनाने एवं सिविल वर्क कराने में आने वाला खर्चा 27 लाख 44 हज़ार, प्लांट एवं मशीनरी पर आने वाला खर्चा 26 लाख 40 हज़ार, प्रारंभिक और पूर्व-ऑपरेटिव व्यय 3 लाख 96 हज़ार , फिक्स्ड एसेट 3 लाख 39 हज़ार, आकस्मिक खर्चे 3 लाख 6 हज़ार, कार्यशील पूँजी 1 लाख 75 हज़ार इत्यादि सम्मिलित हैं |
कमाई का आकलन करने के लिए हम मान लेते हैं की यह फैक्ट्री एक साल में 100 टन चाय का उत्पादन करेगी तो इस स्थिति में फैक्ट्री की चाय बेचकर सालाना कमाई (बिक्री) एक करोड़ तीस लाख होने की संभावना है | इसमें चाय की प्रति एक किलो की कीमत 130 रूपये लगाईं हुई है |
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