बिजनेस लोन के प्रकार । Types of Business Loans in Hindi.

बिजनेस लोन के प्रकार की बात करें, तो ये कई प्रकार के होते हैं । जैसा की हम सबको विदित है की बिजनेस चाहे छोटा हो या बड़ा लेकिन इसे हमेशा फण्ड की आवश्यकता होती ही होती है। इस आवश्यकता की पूर्ति चाहे प्रमोटर खुद के पारिवारिक सदस्यों से लेकर करे या फिर मार्किट से पैसे लेकर करे। बिजनेस करने के लिए तो पैसों की आवश्यकता होती ही होती है हालांकि कौन से बिजनेस के लिए कितने फण्ड की आवश्यकता होगी यह सब बिजनेस के आकार एवं व्यवहार्यता पर निर्भर तो करता ही है।

साथ में इस बात पर भी निर्भर करता है की किये जाने वाले व्यवसाय की प्रकृति क्या है ? क्या यह अधिक पूँजी गहन व्यवसाय है और इसकी विकास की अवस्था क्या रहने वाली है। क्योंकि आम तौर पर बिजनेस को सबसे अधिक फण्ड की आवश्यकता तब होती है जब बिजनेस बढ़ रहा होता है। अर्थात ग्रोथ की स्थिति में किसी भी व्यवसाय को विस्तृत या आगे बढ़ने के लिए फण्ड की आवश्यकता होती है।

ऐसे में उद्यमी बिजनेस लोन के प्रकार के बारे में जानने को इच्छुक रहते हैं। इसलिए आज इस लेख में हम इसी विषय पर पूरा लेख केन्द्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि इस लेख को अंत तक पढ़ने के बाद व्यक्ति Types of Business Loan यानिकी बिजनेस लोन के प्रकार के बारे में जान सके।

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बिजनेस लोन के प्रकार (Types of Business Loan in Hindi):

भारत में बिजनेस लोन प्रकार कई हो सकते हैं लेकिन यहाँ पर हम इन्हें व्यवसायिक गतिविधयों के आधार पर प्रमुख दो प्रकारों में विभाजित कर सकते हैं।

  • पहला है प्रोफेशनल लोन।
  • दूसरा है ट्रेड लोन।     

हालांकि प्रोफेशनल एवं ट्रेड लोन दोनों सुरक्षित या असुरक्षित, शोर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कुछ भी  हो सकते हैं। इसलिए आगे हम इनके बारे में थोड़ा डिटेल्स में जानने का प्रयत्न करेंगे।

1. पेशेवर ऋण (Professional Loans):  

इस तरह के बिजनेस लोन के प्रकार को पेशेवर व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है। कहने का आशय यह है की इस प्रकार का या ऋण ऐसे पेशेवरों को प्रदान किया जाता है जो स्वयं का बिजनेस स्थापित करना चाहते हैं इनमें डॉक्टर, चार्टेड अकाउंटेंट, वकील इत्यादि शामिल हैं। इन पेशेवरों को इस प्रकार का यह ऋण उनकी क्रेडिट हिस्ट्री को ध्यान में रखकर प्रदान किया जाता है।

इसके अलावा अलग अलग बैंक के द्वारा किसी व्यक्ति को दिया जाने वाला इस प्रकार के ऋण की मात्रा अलग अलग हो सकती है। पेशेवर व्यक्ति के उस विशेष बैंक के साथ सम्बन्ध भी ऋण की मात्रा घटाने या बढाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यद्यपि इस तरह का यह ऋण व्यक्तिगत तालमेल के आधार पर जारी किया जाता है।

लेकिन कई मामलों में बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा कोलैटरल के तौर पर गैर कृषि भूमि, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र, सरकारी बांड, बैंक की सावधि जमा एवं जीवन बीमा पालिसी के असाइनमेंट इत्यादि रखकर लोन स्वीकृत किया जाता है। आम तौर पर बंधक के तौर पर उपर्युक्त बताई गई चीजें तब रखी जाती हैं जब लिया जाने वाला ऋण बड़ा अर्थात 15-20 लाख रूपये हो। प्रोफेशनल लोन यानिकी इस बिजनेस लोन के प्रकार को बैंक द्वारा ग्राहकों को प्रदान करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज मांगे जा सकते हैं।

  • ऋण के तौर पर मिलने वाले धन के इस्तेमाल और पुनर्भुगतान पद्धति की विस्तृत योजना।
  • व्यापार को विस्तार करने की योजना।
  • पिछले 12 महीनों का व्यक्तिगत वित्तीय विवरण जिसमें बैंक स्टेटमेंट, सिबिल स्कोर इत्यादि शामिल है।
  • यदि ऋण की मात्रा अधिक हो तो कोलैटरल के तौर पर सम्पति के दस्तावेज।
  • यदि उद्यमी का बिजनेस स्थापित है तो सर्टिफिकेट ऑफ़ इनकारपोरेशन, पैन फोटोकॉपी, पता प्रमाण एवं ऐसे दस्तावेज जो यह प्रमाणित करें की बिजनेस का मालिक ऋण लेने वाला व्यक्ति ही है।
  • पिछले दो साल की बैलेंस शीट एवं इनकम टैक्स रिटर्न ।

2. व्यापारिक ऋण (Trade Loan):

व्यापारिक ऋण के लिए अकेली स्वामित्व वाली कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि आवेदन कर सकते हैं। कहने का आशय यह है की किसी व्यक्तिगत स्वामित्व वाली कम्पनी, पार्टनरशिप कंपनी एवं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए ही बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा व्यापारिक ऋण जारी किया जाता है। इस ट्रेड लोन यानिकी बिजनेस लोन के प्रकार के भी निम्नलिखित तीन प्रकार होते हैं ।

1. ओवरड्राफ्ट (Overdraft):

ओवरड्राफ्ट नामक यह ऋण आम तौर पर कुछ कोलैटरल या सिक्यूरिटी को आधार मानकर जारी किये जाते हैं विशेष रूप से ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी फिक्स्ड डिपाजिट खाते के आधार पर दी जाती है। सामान्य तौर पर कोई बैंक उद्यमी के क्रेडिट हिस्ट्री, नकदी प्रवाह, बैंक के साथ सम्बन्ध और पुनर्भुगतान के इतिहास के आधार पर एक निश्चित ओवरड्राफ्ट सीमा के लिए स्वीकृति प्रदान करता है। बैंक द्वारा स्वीकृत सीमा के आधार पर उद्यमी ओवरड्राफ्ट राशि का इस्तेमाल कर सकता है। और इस्तेमाल में लायी गई राशि पर बैंक द्वारा ब्याज लिया जाता है।

ओवरड्राफ्ट की जानकारी के लिए यह पढ़ें.  

2. कार्यशील पूँजी ऋण (Working Capital Loan):

कार्यशील पूँजी ऋण सामान्य तौर पर उद्यमों को नियमित कार्यशील पूँजी के तौर पर प्रदान किया जाता है। इस ऋण को भी बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा कोलैटरल के तौर पर कुछ सम्पति बंधक रखने के बावजूद ही जारी किया जाता है। लेकिन इसमें ओवरड्राफ्ट की तुलना में कम ब्याज लगता है। इस प्रकार के ऋण में, बैंक द्वारा ब्याज पूरी राशि पर न लेकर केवल उपयोग की गई राशि पर ही लिया जाता है।

बैंक द्वारा वर्किंग कैपिटल ऋण की एक सीमा सुनिश्चित की जाती है और उद्यमी इस राशि का उपयोग केवल एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए ही कर सकता है। अर्थात इस तरह के ऋण का उपयोग किसी अन्य तरीके के इस्तेमाल में नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार के ऋण को एक पहले से तय उद्देश्य एवं व्यवसायिक योजना के तहत इस्तेमाल में लाने के लिए मंजूरी दी जाती है। बैंक इस प्रकार के ऋण की पूरी निगरानी और नियंत्रण करते हैं।

यदि ऋण लेने वाले उद्यमी द्वारा बैंकिंग मानकों और मानदंडों के अनुसार निर्धारित मापदंडों और अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया जाता है तो बैंक के पास उस ऋण को रद्द करने का पूरा अधिकार होता है। यही कारण है की अन्य तरह के ऋणों की तुलना में बैंक उद्यमियों को इस तरह का ऋण देने में अधिक सहजता महसूस करते हैं। ताकि बिजनेस का सम्पूर्ण वित्तीय लेखा जोखा उनके नियंत्रण में हो और उद्यमी के डिफाल्टर होने की संभावना बेहद कम हो।

3. टर्म लोन (Term Loan):

टर्म लोन एक स्टैण्डर्ड लोन है जिसका इस्तेमाल व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक तौर पर किया जा सकता है। अर्थात यह एक ऐसा ऋण है जिसका उपयोग व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक दोनों उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा सकता है। टर्म लोन के तहत पूरी स्वीकृत राशि का वितरण किया जाता है जिसका बाद में ईएमआई के माध्यम से पुनर्भुगतान किया जाता है । टर्म लोन को विदेशी मुद्रा में भी लिया जा सकता है जिसे आम तौर पर विदेशी मुद्रा ऋण कहा जाता है। ऐसे ऋण आम तौर पर निर्यातकों को जारी किये जाते हैं जिन्हें अलग अलग मुद्राओं में सौदा करने की आवश्यकता होती है।

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