सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर बढाने के तरीके। Ways to improve CIBIL Score in Hindi.

सिबिल स्कोर से तो आप सभी अच्छी तरह से अवगत होंगे जी हाँ दोस्तो सिबिल स्कोर अच्छा होने का मतलब होता है की सम्बंधित व्यक्ति पुनर्भुगतान बिना देर किये गए समय पर करता है । बढ़ा हुआ  सिबिल स्कोर आपको अनेकों वित्तीय क्रियाकलापों को अंजाम देने में मदद करता है। कहने का आशय यह है की यदि आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ा हुआ है तो वित्तीय संस्थान या बैंक आप पर भरोसा करते हैं और आपको क्रेडिट कार्ड एवं लोन देने के लिए तत्पर रहते हैं। बढ़ा हुआ क्रेडिट स्कोर क्रेडिट कार्ड एवं लोन पर बेस्ट डील दिलाने में भी मदद करता है।

यद्यपि उन लोगों को हमें सिबिल स्कोर की महत्वता के बारे में अधिक बताने की जरुरत नहीं है जिन्होंने कभी क्रेडिट कार्ड या बैंक लोन के लिए अप्लाई किया हो और सिबिल स्कोर कम होने के कारण उनके क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशन एवं ऋण रिजेक्ट हो गया हो। आम तौर पर 750 से कम सिबिल स्कोर बैंक द्वारा कमजोर स्कोर के तौर पर देखा जाता है। जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर अर्थात सिबिल स्कोर कम होता है उन्हें बैंक लोन या क्रेडिट कार्ड जारी करने में झिझकते हैं क्योंकि ऐसे लोगों के डिफाल्टर होने की संभावना अधिक होती है।

हालांकि कुछ ऋणदाता ऐसे व्यक्तियों को लोन एवं क्रेडिट कार्ड तो जारी कर देते हैं लेकिन ब्याज की दरें इत्यादि अधिक होती हैं । ध्यान देने की बात यह है की सिबिल स्कोर केवल पुनर्भुगतान को आधार मानकर ही नहीं गिना जाता है बल्कि इसकी गणना में कई कारक शामिल होते हैं।

CIBIL Score kaise badhaye

सिबिल स्कोर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors That Affect CIBIL Scores):

सिबिल स्कोर को प्रभावित करने वाले कुछ मुख्य कारक इस प्रकार से हैं।

  • यदि आपने अभी अभी नौकरी करना शुरू किया है और आप क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए पहली बार आवेदन कर रहे हैं तो स्वभाविक है की आपका क्रेडिट स्कोर बिलकुल कम होगा।
  • यदि आप क्रेडिट कार्ड के बिल या ऋण का भुगतान बिना देर किये समय समय पर करते रहते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर भी बेहतर होता जायेगा।
  • आपके द्वारा इस्तेमाल में लायी जाने वाली क्रेडिट सीमा के साथ आपका सिबिल स्कोर भी ऊपर नीचे होता रहता है।
  • लम्बी अवधि तक बिलों का समय से पुनर्भुगतान आपके स्कोर को बढाने में सहायक है।
  • यदि आप पर असुरक्षित ऋण जैसे क्रेडिट कार्ड लोन इत्यादि अधिक है तो इससे आपका स्कोर प्रभावित होता है।
  • बहुत सारे ऋणों एवं क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करना भी आपके स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • यदि आपने किसी रिश्तेदार या दोस्त की गारंटी दे रखी है और वह ऋण चुकता कर पाने में नाकाम हो रहा है या देरी कर रहा है। तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर भी कम हो सकता है।
  • ऋणों का निपटान करते समय यह सुनिश्चित करें की आपने मूल राशि , ब्याज, एवं अन्य लागू शुल्कों का भुगतान कर लिया हो और ऋण खाता बंद करा दिया हो ।
  • आपके पास सुरक्षित एवं असुरक्षित ऋणों का मिश्रण होने से यह आपके स्कोर को सकरात्मक रूप से प्रभावित करता है।

ऋण के निपटान में आने वाली कोई भी विफलता आपके सिबिल स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी क्योंकि यदि व्यक्ति बैंक का पूरी तरह से ऋण चुकाने में असमर्थ होता है। तो बैंक अपनी रकम वसूलने के लिए व्यक्ति से समझौता करने का प्रयास करता है। और इस स्थिति में समझौता हो जाने के बाद भी बैंक उस खाते को सेटल्ड के तौर पर चिन्हित करते हैं न की क्लोजर के तौर पर। इसलिए इसका स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सिबिल स्कोर बढाने के तरीके (Ways to improve/increase Credit Score) :

सिबिल स्कोर बढाने के कुछ मुख्य तरीके इस प्रकार से हैं ।

  1. सिबिल स्कोर बढाने का पहला तरीका यह है की यदि आप पर आपके क्रेडिट कार्ड का कुछ भी अमाउंट आउटस्टैंडिंग है तो उसका भुगतान करें ।
  2. क्रेडिट सीमा का इस्तेमाल संतुलन में करें अर्थात एक साथ बहुत अधिक खर्चा न करें हमेशा अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट में बैलेंस बना रहने दें। क्योंकि व्यक्ति का स्कोर धीरे धीरे उसके द्वारा उपयोग किये जाने वाली क्रेडिट सीमा संयमित ढंग से इस्तेमाल करके भी बढ़ जाता है। क्रेडिट सीमा का अधिकतम इस्तेमाल इस बात का संकेत देता है की आपकी कमाई आपके खर्चों का बोझ उठा पाने में अक्षम है।
  3. अपना सिबिल स्कोर बढाने के लिए क्रेडिट हिस्ट्री को बनाये रखना भी बेहद जरुरी है इसके लिए आपको अपने सबसे पुराने क्रेडिट कार्ड का अधिक इस्तेमाल करना होगा। कहने का अभिप्राय यह है की अपने सबसे पुराने कार्ड को छोड़े नहीं बल्कि उसे रिन्यू भी कराये और उसका इस्तेमाल भी करें क्योंकि यह लम्बे समय से आपके उधार एवं पुनर्भुगतान का प्रमाण देगा जिससे बैंकों का आप पर विश्वास बढेगा। एक ऐसा क्रेडिट कार्ड खाता जिसका इस्तेमाल लम्बे समय से किया जा रहा हो क्रेडिट स्कोर को बढ़ाने में सहायक होता है ।
  4. यदि आप एक गृहिणी या कोई छात्र हैं तो आप अपनी क्रेडिट हिस्ट्री को स्थापित करने के लिए एक सुरक्षित क्रेडिट कार्ड प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार ये क्रेडिट कार्ड बैंक द्वारा फिक्स्ड डिपाजिट के तहत जारी किये जा सकते हैं । इसमें फिक्स्ड डिपाजिट की हुई राशि का लगभग 80% तक क्रेडिट लिमिट मिल सकती है। ऐसा क्रेडिट कार्ड प्राप्त होने के बाद समय पर भुगतान करते रहें तो लगभग छह महीने में आपका क्रेडिट स्कोर सुधर जाएगा।
  5. अपने सिबिल स्कोर को बढाने के लिए आप क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट बढाने सम्बन्धी बैंक द्वारा दिए जाने वाले किसी भी ऑफर को स्वीकार कर सकते हैं। कभी कभी होता क्या है की यदि हम किसी बैंक का क्रेडिट कार्ड लम्बे समय से इस्तेमाल में ला रहे हैं तो बैंक द्वारा उसकी क्रेडिट लिमिट बढाने के लिए कहा जाता है। तो हम सोचते हैं की हमें इसकी आवश्यकता तो है नहीं हम क्रेडिट लिमिट क्यों बढ़ाएं। लेकिन यदि आप चाहते हैं की आपका सिबिल स्कोर बेहतर हो तो बैंक द्वारा ऑफर की जाने वाली क्रेडिट सीमा बढ़ाने सम्बन्धी बात को स्वीकारें। अधिक क्रेडिट लिमिट होने से व्यक्ति के क्रेडिट इस्तेमाल के प्रतिशत में भी कमी आएगी, जिसे एक सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जाता है।
  6. यदि आप कोई ऋण लेने का प्लान बना रहे हैं तो इसे लम्बी अवधि के लिए लें और हर किस्त का समय पर पुनर्भुगतान करें। लम्बी अवधि के लिए समय पर भुगतान आपके क्रेडिट स्कोर को बढाने में सहायक होता है।
  7. यदि आपकी लोन एप्लीकेशन किसी बैंक ने कमजोर सिबिल स्कोर होने कारण रिजेक्ट कर दी है तो ध्यान रहे तुरंत दुसरे बैंक से लोन के लिए अप्लाई न करें। आम तौर पर दुबारा लोन के लिए अप्लाई करने के लिए कम से कम छह महीने का समय अवश्य लें। क्योंकि क्रेडिट स्कोर के लिए सिबिल को बार बार अनुरोध करने का भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  8. यदि व्यक्ति द्वारा अपनी सिबिल रिपोर्ट में किसी प्रकार की कमी या त्रुटि जैसे लोन क्लोजर में त्रुटि, किये गए पुनर्भुगतान में त्रुटि, या वित्तीय खाते में कोई त्रुटि तो सम्बंधित बैंक या ऋणदाता से इसकी शिकायत तुरंत करें।
  9. बैंकों से दूसरों को ऋण दिलाने के लिए गारंटर बनते समय सावधानी बरतें क्योंकि यदि किसी ऐसे व्यक्ति की गारंटी आपने ले ली जो ऋण चुकता करने में असमर्थ हो। तो आपके सिबिल स्कोर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  10. यदि आप सुरक्षित एवं असुरक्षित ऋणों का समय पर पुनर्भुगतान करते हैं तो वित्तीय संस्थाओं एवं बैंकों का आप पर विश्वास बढ़ता है। और क्रेडिट स्कोर भी बढ़ता है। अपने जॉइंट खातों पर नियमित ढंग से निगरानी रखें।

एक अच्छा सिबिल स्कोर होने से व्यक्ति लोन लेते समय कम ब्याज दर के लिए बैंक से मोलभाव कर सकता है जबकि पूअर स्कोर करने वालों को तो लोन मिलना ही मुश्किल हो जाता है।  

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