Welfare Scheme For Fishermen| मछुआरों के कल्याण के लिए योजना।

मछुआरों के हितों को ध्यान में रखकर चलाई गई यह Welfare Scheme for Fishermen को समझने से पहले यह समझ लेते हैं की  मछली पकड़ना एवं मत्स्य पालन  एक खतरनाक व्यवसाय है। जो प्रकृति की अनियमितताओं से प्रभावित होता रहता है । मछुआरों के कल्याण के लिए संरचित यह राष्ट्रीय योजना  देश में मछुआरों के कल्याण के लिए एक समर्पित योजना है ।  

जो कि मछुआरों को मछली पकड़ने के दौरान होने वाली दुर्घटना के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है और गरीब मछुआरों को उस स्थिति जब उनके पास काम नहीं होता है से उबरने के लिए आर्थिक रूप से राहत प्रदान करती है । यह Welfare Scheme for Fishermen मछली पकड़ने के सत्र के लिहाज से एक अनूठी योजना है भारत सरकार का लक्ष्य  इस योजना का लाभ देश में बड़ी संख्या में मछुआरों को देने का है ।

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान संभावित रूप से कई मछुआरों को संभावित रूप से प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है ताकि गरीबी रेखा (बीपीएल), महिला और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को इस कल्याण योजना का लाभ प्राप्त हो सके।

welfare scheme for fishermen in hindi

राज्यों एवं केंद्र सरकार का व्यय:

मछुआरों के कल्याण वाली इस योजना की आवश्यकता वास्तव में बहुत अधिक थी इसलिए इसके सफलतापूर्वक कार्यान्वयन करने के लिए इसे संबंधित राज्य सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा भी लागू किया जाएगा। योजना के सभी घटकों के संबंध में सहायता पर व्यय 50:50 केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा साझा किया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में, लागत में हिस्सेदारी 75:25 की होगी ।

केंद्र शाषित राज्य क्षेत्रों के लिए, पूरे व्यय का भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा । इसके अलावा, राज्यों / संघ शासित प्रदेशों को कर्मचारियों की पूरी लागत का भार उठाने की आवश्यकता होगी जिसमें कोई भी वृद्धि, वाहन के रख-रखाव, कार्यालय आकस्मिकताओं और भूमि के अधिग्रहण आदि व्यय सम्मिलित हो सकते हैं ।

  • योजना के सभी घटकों के तहत, पहचानी गई गतिविधियों के लिए अनुदान सहायता के रूप में सहायता, एक व्यक्तिगत मछुआरे लाभार्थी, स्व-सहायता समूह, महिला मछुआरों के समूह, मत्स्य सहकारी समितियों को प्रदान की जाएगी ।
  • Welfare Scheme for Fishermen योजना के अंतर्गत योजना आयोग के निर्देशों के अनुसार अनुसूचित जाति विशेष योजना (एससीएसपी) के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के लिए 2% और 8% धनराशि का लक्ष्य सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है । अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को जाति/ या पेशे द्वारा दोनों स्थिति में मछुआरों के तौर पर होना जरुरी है । इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत 10% धनराशि महिला लाभार्थियों के लिए भी निर्धारित की गई है ।
  • Welfare Scheme for Fishermen नामक इस योजना में यह सुनिश्चित करने के लिए की दिया जाने वाला लाभ उसी को मिले जो इसका हकदार है लाभार्थियों के चयन एवं उन्हें सहायता प्रदान करने का निष्पक्ष एवं पारदर्शी सिस्टम बनाया जायेगा। जिसके लिए चयनित लाभार्थियों को यूआईडी से जोड़ा जा सकता है और आधार कार्ड के माध्यम से सहायता प्रदान करने के लिए प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण किया जा सकता है ।
  • इस योजना के अन्तरगत यह भी प्रावधान किया गया है की जहां भी संभव हो, जिला / राज्य सरकार की वेबसाइट पर लाभार्थियों का विवरण रखा जाना चाहिए; अन्यथा ये विवरण राज्य और जिला स्तर पर बनाए जाने आवश्यक हैं ।

मछुआरों के लिए पात्रता (Eligibility for Welfare Scheme for Fishermen):

Welfare Scheme for Fishermen नामक इस योजना के अंतर्गत समुद्री क्षेत्र, एवं देश की आंतरिक नदियों के माध्यम से मछली पकड़ने वाले पात्र मछुआरों को आधारभूत सुविधाएँ जैसे घर, पेयजल, मनोरंजन इत्यादि के लिए एक सामान्य स्थल प्रदान किये जाने का प्रावधान है। इन आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए सम्बंधित राज्यों एवं केंद्र शाषित प्रदेशों द्वारा भूमि उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। योजना के तहत घरों के आवंटन के लिए लाभार्थियों का चयन करते समय राज्यों को निम्न मानदंडों को ध्यान में रखना चाहिए ।

  • लाभार्थी राज्य सरकार द्वारा पहचान किया जा सकने वाला एक सक्रिय मछुआरा होना चाहिए।
  • गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले मछुआरों और भूमिहीन मछुआरों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • कच्चे मकान धारक एवं ऐसे मछुआरे जिनकी अपनी जमीन है वे भी इस योजना के तहत घरों के आवंटन के लिए पात्र माने जा सकते हैं ।

इस योजना के तहत विकास की लागत को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा समान रूप से साझा किया जाएगा। उत्तर-पूर्व राज्यों के मामले में, विकास की लागत केंद्र और उत्तर-पूर्व राज्यों द्वारा 75:25 के आधार पर साझा की जाएगी। केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में, पूरे व्यय को भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा ।

मछुआरा कल्याण योजना के मुख्य अवयव (Main Components of the Scheme in Hindi):

Welfare Scheme for Fishermen  नामक इस योजना के प्रमुख घटक अर्थात अवयव निम्नलिखित हैं।

1. आवास सहायता के नियम (Rules for Housing Assistance):

  • एक मछुआरे गांव में 10 से कम घर नहीं हो सकते हैं ।
  • गांव में निर्माण के लिए घरों की संख्या की कोई ऊपरी सीमा तय नहीं है जो उस गांव के पात्र मछुआरों की संख्या पर निर्भर करेगी ।
  • हालांकि, राज्य को संभवत: जितना संभव हो, पात्र मछुआरों की संख्या के अनुपात में सभी गांवों में घरों के न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।
  • एक घर का निर्माण क्षेत्र की लागत 35 वर्ग मीटर या रूपये 75000 / तक सीमित होगी । जमीन और निर्माण की लागत पर सीमा ऊपरी सीमा को दर्शाती है राज्य सरकार को चाहिए की वह अपने पास उपलब्ध संसाधनों के इस्तेमाल के अनुकूल योजना बनाये और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी उपयुक्त संसाधनों का उपयोग करके अधिक से अधिक घर बन सकें।

2. पेयजल सहायता (Drinking water Assistance under Welfare Scheme for Fishermen):

  • मछुआरों के एक गाँव में प्रत्येक 20 मकानों के लिए एक ट्यूबवेल की व्यवस्था इस स्कीम के अंतर्गत किये जाने का प्रावधान है।
  • जहां एक गांव में घरों की संख्या 10 से अधिक और 20 से कम है इस स्थिति में भी एक ट्यूबवेल उपलब्ध कराया जा सकता है ।
  • ट्यूबवेल की स्थापना की लागत अधिक से अधिक 40,000 / रु निर्धारित की गई है । हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह सीमा 45,000 / रूपये है।
  • गांव में स्थापित होने वाले ट्यूबलवेल की वास्तविक संख्या को निवासी परिवारों की वास्तविक जल आवश्यकता और ट्यूबवेल की क्षमता के आधार पर तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए ।
  • ऐसे क्षेत्र में जहाँ ट्यूबलवेल एक व्यवहारिक प्रस्ताव के रूप में नज़र नहीं आएगा वहां उस मछुआरे गांव में पीने का पानी वैकल्पिक स्रोत के साथ उपलब्ध कराया जा सकता है ।

3. सामान्य सेवाएँ (Common Facility):

  • मछुआरों का ऐसा गाँव जहाँ कम से कम 75 घर होंगे वह गाँव मनोरंजन एवं आम कामकाजी जगह के रूप में सामुदायिक हॉल के निर्माण के लिए सहायता लेने के पात्र होगा ।
  • सामुदायिक हाल का निर्माण 200 वर्ग मीटर से अधिक के क्षेत्र में नहीं किया जाना चाहिए ।
  • उस सामुदायिक हाल दो टॉयलेट एक महिला एवं दूसरा पुरुषों के लिए और एक ट्यूबलवेल लगाने का भी प्रावधान किया गया है।
  • इस Welfare Scheme for Fishermen योजना के अंतर्गत सामुदायिक हाल की कुल लागत 200000 रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • राज्य एवं केंद्र शाषित प्रदेशों को इस सामुदायिक हाल का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना होगा ।

4. सक्रिय मछुआरों के लिए समूह दुर्घटना बीमा (Group Accident Insurance for Active Fishermen):

  • इस Welfare Scheme for Fishermen के अंतर्गत लाइसेंस या राज्य/ केंद्र शाषित राज्यों के साथ पंजीकृत मछुआरों का बीमा किया जायेगा।
  • मृत्यु या सम्पूर्ण विकलांगता पर रूपये 200000 तक का बीमा नामांकित व्यक्ति या बीमित व्यक्ति को देय होगा।
  • आंशिक स्थायी विकलांगता के लिए रूपये 100000 तक का बीमा बीमित व्यक्ति को देय होगा ।
  • दुर्घटना की स्थिति में रूपये 10000 तक का अस्पताल का खर्चा बीमा कंपनी द्वारा उठाया जायेगा।
  • बीमा कवर जारी होने के 12 महिनों तक के लिए मान्य होगा ।
  • केन्द्रीय और राज्य सरकार के बीच 50:50 के अनुपात में साझा किया जाने वाला वार्षिक प्रीमियम 65 रुपये प्रति हेड से अधिक नहीं होना चाहिए ।
  • प्रीमियम की राशि उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए केंद्र और राज्य के साझा करने का अनुपात 75:25 है वही केंद्र शाषित प्रदेशों से जुड़े मछुआरों का प्रीमियम केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जायेगा ।
  • यह योजना समुद्री और अंतर्देशीय दोनों क्षेत्रों में मछुआरों को कवर करेगी।

5. बचत एवं रिलीफ:

  • इस योजना का यह घटक समुद्री और अंतर्देशीय मछुआरों दोनों के लिए समान रूप से कार्यान्वित होगा।
  • इसमें वह अवधि जब मछली पकड़ना प्रतिबंधित होता है को ध्यान में रखते हुए ऐसा प्रावधान किया गया है की अपनी कमाई के दौरान अर्थात 9 महीने मछुआरे प्रति महीने थोडा बहुत इस योजना के अंतर्गत हिस्सेदारी दे सकें ताकि जब मछली पकड़ना प्रतिबंधित हो उन तीन महीनों के दौरान उनकी कुछ मदद हो सके ।
  • इस योजना के इस घटक के अंतर्गत मछुआरे को 9 महीने में लगभग 900 रूपये जमा करने पड़ेंगे जिसमे 1800 रूपये राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा 50:50 के अनुपात में जमा किये जायेंगे इस स्थिति में एक मछुआरे का कुल योगदान 900+1800=2700 हो जायेगा। जिसे प्रतिबंधित अवधि यानिकी तीन महिनों में बराबर 900, 900 रूपये करके लाभार्थी को दे दिया जायेगा।
  • केंद्र शाषित प्रदेश होने की स्थिति में पूरा योगदान अर्थात रूपये 1800 केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
  • उत्तर पूर्वी राज्यों में केंद्र द्वारा रूपये 1350 एवं राज्यों द्वारा 450 का योगदान दिया जायेगा।
  • मछुआरों की बचत पर अर्जित ब्याज भी 3 किश्त के साथ वितरित किया जाएगा।
  • Welfare Scheme for Fishermen के इस घटक के अंतर्गत पात्र मछुआरे से अभिप्राय एक ऐसे व्यक्ति से है जो पूर्णकालिक मछली पकड़कर अपनी कमाई या आजीविका चलाता है। वह सहकारी सोसायटी/संघ/कल्याण समिति का सदस्य है, गरीबी रेखा के नीचे रहता है और 60 वर्ष से कम उम्र का है ।
  • यदि किसी भी मछुआरे के परिवार के किसी भी सदस्य को नियमित रोजगार या किसी भी अन्य आय पैदा करने की गतिविधि में शामिल होते पाया गया, तो ऐसे परिवार इस घटक के तहत लाभार्थी नहीं होंगे ।

6. Training & Extension:

प्रशिक्षण और विस्तार को ‘मछुआरों के कल्याण की राष्ट्रीय योजना’ के एक घटक के रूप में लागू किये जाने का प्रावधान किया गया है । इस Welfare Scheme for Fishermen प्रशिक्षण इत्यादि में भी आने वाले व्यय को 50:50 के आधार पर भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच साझा किया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में, लागत में हिस्सेदारी 75:25 होगी। केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पूरे व्यय को केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा।

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