White Label ATM क्या है? कैसे काम करता है? आवश्यकता एवं विशेषताएँ |

क्या आपने कभी White Label ATM के बारे में सुना है? यदि हाँ तो क्या आप जानते हैं ये क्या होते हैं ? यदि नहीं तो आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से White label ATM के बारे में विस्तृत रूप से जानने की कोशिश कर रहे हैं | जैसा की हम सबको विदित है की एटीएम से मनुष्य का रोज का लेना देना होता है और अक्सर हम किसी भी एटीएम को बैंक के नाम से जानते हैं जैसे एसबीआई एटीएम, एचडीएफसी एटीएम इत्यादि |

लेकिन आपको कई बार ऐसे भी एटीएम दिखाई देते होंगे जिन पर बैंकों के नाम नहीं बल्कि कुछ कंपनियों के नाम जैसे मुथूट, इंडीकैश इत्यादि उल्लेखित होंगे | और शायद वे व्यक्ति जिन्होंने कभी White label ATM  के बारे में नहीं सुना होगा वे इस सोच में पड़ जाते होंगे की इस बैंक का नाम तो कभी सुना नहीं, फिर आखिर यह कौन सा बैंक होगा |

क्योंकि अब तक वे यही जानते होंगे की केवल बैंक ही अपना एटीएम खोल सकते हैं इसलिए उन्हें लगता है की ये भी कोई बैंक ही होंगे | लेकिन सच्चाई यह है की White Label ATM प्रत्यक्ष रूप से बैंक द्वारा संचालित न होकर किसी कंपनी द्वारा संचालित होते हैं जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस प्रकार के बिज़नेस करने की अनुमति प्राप्त होती है | इनके बारे में अच्छे से समझने के लिए आइये जानते हैं ये हैं क्या?

white label atm

वाइट लेबल एटीएम क्या है (What Is White label ATM in Hindi):

जैसा की हम सबको विदित है की भारत में आम तौर पर एटीएम को बैंकों के नाम से जाना जाता है क्योंकि अधिकतर तौर पर इनका संचालन बैंकों द्वारा ही किया जाता है | बैंकों द्वारा संचालित एटीएम में हम हमेशा बैंक का नाम या बैंक का Logo ATM एवं एटीएम के बाहर छपा हुआ पाते हैं |

लेकिन चूँकि White Label ATM भारतीय रिज़र्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त किसी कंपनी द्वारा संचालित किये जाते हैं इसलिए इन पर बैंकों का नहीं बल्कि उस कंपनी का Logo या नाम होता है जो कंपनी इनका संचालन  कर रही हो | बैंकों के Logo या नाम की अनुपस्थिति के कारण ही इन्हें White label ATM के नाम से जाना जाता है |

वाइट लेबल एटीएम की विशेषताएं (Features of White Label ATM in Hindi):

White label ATM के बारे में कुछ तथ्य एवं इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं |

  • सामान्य एटीएम में बैंक का Logo या नाम होता है इसलिए इन्हें बैंकों के नाम से जाना जाता है | जबकि White Label ATM में बैंक का Logo या नाम नहीं होता है |
  • इस तरह के एटीएम संचालित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक गैर बैंकिंग इकाइयों को लाइसेंस एवं स्वीकृति संचालित करता है |
  • कम से कम सौ करोड़ नेट वर्थ वाली कोई भी गैर बैंकिंग इकाई White label ATM संचालित करने के लिए आवेदन कर सकती है |
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने सन 2012 में वाइट लेबल एटीएम सम्बन्धी दिशानिर्देश जारी किये थे और वर्ष 2013 से लाइसेंस देना शुरू कर दिया था |
  • देश में White Label ATM संचालित करने की अनुमति पाने वाली पहली कंपनी टाटा कम्युनिकेशन पेमेंट सोल्यूशन लिमिटेड थी | जिन्होंने इंडीकैश ब्रांड के नाम से इसकी शुरुआत की थी |
  • सामान्य एटीएम में तीन स्टेकहोल्डर एवं वाइट लेबल एटीएम में चार स्टेक होल्डर होते हैं |

वाइट लेबल एटीएम की आवश्यकता (Requirement of white label ATM):

वर्तमान में जब लगभग देश की सम्पूर्ण आबादी को सरकार बैंकों से जोड़ने को प्रयासरत है | कहने का अभिप्राय यह है की पहले जहाँ लोग अपनी पूँजी को अपने घरों में ही अपने पास रखते थे | वर्तमान में बैंकिंग के प्रति जागरूकता बढ़ने के कारण एवं सरकारी योजनाओं के प्रोत्साहन के कारण अधिक से अधिक आबादी अपने पैसों को अपने बैंक खाते में रखती है |

ऐसे में उन्हें कभी भी पैसे की आवश्यकता हो सकती है, जिसके चलते देश में अधिक से अधिक एटीएम का होना नितांत आवश्यक है | इसके अलावा नीचे कुछ ऐसे कारण दिए जा रहे हैं जो एटीएम की आवश्यकता का बखान करते हैं |

  • एटीएम ग्राहक को हफ्ते के सातों दिन एवं दिन के चौबीस घंटे सुविधा प्रदान करते हैं | जिससे ग्राहकों को बार बार बैंक की शाखाओं के चक्कर नहीं काटने पड़ते |
  • एटीएम रात यहाँ तक की छुट्टियों में भी खुले रहते हैं जिससे ग्राहक इनकी सुविधा कभी भी ले सकता है |
  • White Label ATM की स्थापना से बैंकों को भी फायदा होता है क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति करने की आवश्यकता नहीं होती | जिससे बैंक ब्रांच को चलाने में आने वाला खर्चा कम हो जाता है |
  • वर्ष 2014 के एक आकंडे के मुताबिक उस समय देश में प्रति दस लाख जनता पर केवल 100 ATM थे | जो की अन्य देशों की तुलना में बेहद कम थे | इसलिए White Label ATM खोलकर इस अंतर को कम किया जा सकता है |

वाइट लेबल एटीएम सिस्टम कैसे काम करता है?

White Label ATM क्या है, इसकी विशेषताएं, महत्वता इत्यादि के बारे में अब तक हम जान चुके हैं लेकिन अभी भी लोगों के मन में यह सवाल अवश्य उमड़ रहा होगा की यह कैसे कार्य करते हैं और कैसे इनकी कमाई होती है | इस सवाल का जवाब देने के लिए हम आपको बता देना चाहेंगे की White label ATM में चार स्टेकहोल्डर होते हैं | इस प्रणाली में जिनकी अपनी अलग अलग भूमिका होती है |

  • भारतीय रिज़र्व बैंक जिसका काम वाइट लेबल एटीएम खोलने के लिए लाइसेंस एवं स्वीकृति प्रदान करने का होता है |
  • वाइट लेबल एटीएम कंपनी जिसका काम एटीएम लगवाने के लिए जगह का चयन करना, एटीएम मशीन लगवाना एवं मशीनों की मेंटेनेंस करने का होता है |
  • प्रायोजक बैंक जिसका काम White Label ATM में कैश लोड करने का होता है |
  • भुगतान नेटवर्क ऑपरेटर जैसे Visa, MasterCard, NFS का काम इस प्रणाली को तकनिकी कनेक्टिविटी प्रदान करने का होता है |

वाइट लेबल एटीएम कंपनी की कमाई कैसे होती है (How white label ATM companies Earn Commission?)

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है की भले ही एटीएम के विस्तारित होने से लोगों को फायदे होते हों लेकिन White Label ATM Companies द्वारा इनकी स्थापना अपने लाभ कमाई करने के उद्देश्य से की जाती है | कहने का अभिप्राय यह है की इन कंपनियों ने इसमें निवेश एक बिज़नेस के तौर पर किया होता है | और जैसा की हर बिज़नेस के पीछे उसका लक्ष्य लाभ प्राप्त करने से होता है इसका भी है | लेकिन अब सवाल यह उठता है की इन कंपनियों की कमाई होती कैसे है? तो आइये समझते हैं इस प्रक्रिया को |

जैसा की हम सबको विदित है वर्तमान में हर बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के लिए एटीएम के माध्यम से लेन देन करने की एक सीमा निर्धारित की गई है | कुछ बैंकों में यह 3 है तो कुछ में 5 है | अधिकतर बैंक अपने ग्राहकों को अपने एटीएम से असीमित संख्या में लेन देन करने की छूट प्रदान करते हैं | लेकिन अन्य बैंकों के एटीएम से महीने में केवल 3 या 5 free transaction किये जा सकते हैं |

इसके बाद किये जाने वाले ट्रांजेक्शन पर 20 रूपये प्रति ट्रांजेक्शन उपयोगकर्ता के खाते में से बैंक द्वारा काट लिया जाता है जब किसी उपयोगकर्ता द्वारा White Label ATM से इस प्रकार के ट्रांजेक्शन किये जाते हैं तो बैंक को White Label ATM Company को पैसे देने होते हैं |

जिसे बैंक द्वारा यूजर के खाते से काट लिया जाता है | इसके अलावा White Label ATM के माध्यम से जब भी किसी उपयोगकर्ता द्वारा बिजली बिल, क्रेडिट कार्ड बिल, टेलीफोन बिल या अन्य रिचार्ज किये जाते हैं तो तब भी एटीएम कंपनी की कमाई हो रही होती है | White label ATM Company एटीएम कक्ष के अन्दर या बाहर वाली जगह को अन्य कंपनियों को विज्ञापन करने के लिए देकर भी अपनी कमाई कर सकती है |

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