इन्वेंटरी मैनेजमेंट क्या है इसके उद्देश्य, प्रकार, तकनीक और महत्व। Inventory Management in Hindi.

कोई भी व्यक्ति कुछ भी व्यवसाय कर रहा हो उसे उस व्यवसाय को सफलतापूर्वक चलाने के लिए Inventory Management की नितांत आवश्यकता होती है। कहने का आशय यह है की यदि उद्यमी विनिर्माण बिजनेस शुरू कर रहा हो तो व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए जिस भी सामग्री चाहे वह कोई कच्चा माल हो, उत्पादित माल हो या कोई अन्य उपभोज्य योग्य वस्तु सभी इन्वेंटरी की लिस्ट में आती हैं।

जैसे समय व्यतीत होता है और उत्पाद का उत्पादन होता है वैसे वैसे स्टोर में स्टोर की गई इन्वेंटरी कम होती जाती है, और उत्पादित इन्वेंटरी बढती जाती है। यदि उद्यमी ने समय रहते इन्वेंटरी मैनेजमेंट   को नहीं अपनाया तो इन्वेंटरी की अधिकता या कमी उसके व्यवसाय को प्रतिकूल तौर पर प्रभावित कर सकती है।

इन्वेंटरी प्रबंधन केवल विनिर्माण क्षेत्र के उद्योगों के लिए ही जरुरी नहीं है बल्कि सेवा क्षेत्र की कम्पनियों को भी अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए अनेकों वस्तुओं जैसे कंप्यूटर, स्टेशनरी एवं अन्य सामग्री की आवश्यकता होती है।

इसलिए सेवा क्षेत्र से जुड़े उद्योगों में भी Inventory Management बेहद आवश्यक होता है यही कारण है की आज इस लेख के माध्यम से हम इसी विषय पर जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे हैं।

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इन्वेंटरी प्रबंधन क्या है (What is Inventory Management in Hindi):

इन्वेंटरी मैनेजमेंट  इन्वेंटरी के प्रवाह को ट्रैक करने की एक प्रणाली है यह प्रक्रिया माल की खरीदारी से शुरू होकर भण्डारण से गुजरते हुए कच्चे माल या स्टॉक के विनिर्माण में उपयोग होने या फिर मार्किट तक पहुँचने तक जारी रहती है। इस प्रक्रिया को मैन्युअल रूप से या फिर सॉफ्टवेयर इत्यादि की मदद से स्वचालित प्रणाली के तहत भी प्रबंधित किया जा सकता है।

जब माल व्यवसायिक परिसर में पहुँचता है तो कुशल इन्वेंटरी प्रबंधन माल की रिसीविंग, गिनती, छंटाई, प्रबंधन, भण्डारण और रखरखाव सुनिश्चित करता है। व्यवसायिक स्तर पर इन्वेंटरी प्रबंधन का अर्थ सही समय पर, सही कीमत पर, सही स्थान पर, सही स्तर पर, सामग्री का सही स्टॉक होने से लगाया जा सकता है।

व्यवसायिक संगठनों के पास चुनने के लिए Inventory Management की कई तकनीक उपलब्ध हैं। लेकिन सबसे आम तकनीक में इकनोमिक आर्डर क्वांटिटी (EOQ),  एबीसी एनालिसिस, जस्ट इन टाइम मैनेजमेंट, ईक्यूआर मॉडल, VED Analysis, लास्ट इन लास्ट आउट (LIFO), और फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (FIFO) शामिल हैं।

इन्वेंटरी प्रबंधन के उद्देश्य (Objective of Inventory Management in Hindi):

वैसे देखा जाय तो इन्वेंटरी मैनेजमेंट का प्रमुख उद्देश्य व्यवसाय के परिचालन गतिविधियों को सरल बनाना होता है। इसके अलावा इसके कुछ और प्राथमिक उद्देश्यों की लिस्ट निम्नलिखित है।

  1. सामग्री को डेड स्टॉक या खराब होने से रोकना – कुशल और इष्टतम इन्वेंटरी प्रबन्धन से सामग्री या वस्तुओं को डेड स्टॉक या खराब होने से पहले ही वितरित या इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  2. अनावश्यक भण्डारण को रोकना – जब हमें यह पता रहता है की हमें कितने स्टॉक की आवश्यकता है तो हम कुशल इन्वेंटरी प्रबंधन के माध्यम से उतना ही स्टॉक खरीदकर भंडारित कर सकते हैं। इससे अनावश्यक भण्डारण की लागतों से बचा जा सकता है।
  3. पर्याप्त स्टॉक को बनाये रखना – निरन्तर उत्पादन जारी रखने के लिए पर्याप्त कच्चे माल का होना नितांत आवश्यक है माल की कमी उत्पादन को बंद कर सकती है इसलिए Inventory Management पर्याप्त स्टॉक को बनाये रखता है।   
  4. कैश फ्लो को बढ़ाना – इन्वेंटरी प्रबंधन कंपनी के नकदी प्रवाह पर भी बेहद महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है इस प्रक्रिया के माध्यम से संगठन अपनी परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए लिक्विड कैश सुनिश्चित करता है।
  5. इन्वेंटरी की लागत मूल्य को कम करना – कुशल इन्वेंटरी प्रबंधन के माध्यम से संगठन एक समयावधि के दौरान इस्तेमाल में लायी जाने वाली इन्वेंटरी की मात्रा को पता करने में सक्षम हो पाता है। इसलिए वह चाहे तो विक्रेताओं से सौदेबाजी करके इसके दाम कम करवा सकता है जिससे इन्वेंटरी की लागत मूल्य में कमी आती है।    

इन्वेंटरी प्रबंधन के प्रकार (Types of Inventory Management):

Inventory Management System स्थापित करते समय व्यवसायिक संगठन को लागत, बजट, उपयोगिता, पहुँच जैसे विभिन्न पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता होती है। इन्वेंटरी प्रबंधन को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. बार कोड इन्वेंटरी प्रबंधन – इन्वेंटरी प्रबंधन का यह प्रकार स्वचालित और सरलीकृत प्रसंस्करण में से एक है । इस प्रणाली के तहत कंप्यूटर डिवाइस में केवल एक क्लिक के साथ बचे हुए स्टॉक का पता लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में स्कैन किये गए बारकोड सॉफ्टवेयर को खरीदी गई इन्वेंटरी, इस्तेमाल में लायी गई इन्वेंटरी इत्यादि का ट्रैक रखने में सक्षम बनाता है।  
  2. सतत इन्वेंटरी प्रबंधन – Inventory Management के इस प्रकार के तहत इन्वेंटरी मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए बार कोड और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन को एकाउंटिंग इन्वेंटरी सिस्टम, इन्वेंटरी रिसीवड सिस्टम और पॉइंट ऑफ़ सेल्स सिस्टम के साथ साथ प्रोडक्शन सिस्टम को जोड़ता है। यह आम तौर पर एकाउंटिंग उद्देश्य के लिए बेहतर माना जाता है इसे सतत इन्वेंटरी प्रबंधन कहा जाता है।
  3. आवधिक इन्वेंटरी प्रबंधन – आवधिक इन्वेंटरी प्रबंधन एक मैन्युअल प्रक्रिया है इसका उपयोग वित्तीय वर्ष के अंत में बही खाते में दिखाने के लिए आम तौर पर इन्वेंटरी की क्लोजिंग वैल्यू निर्धारित करने के लिए किया जाता है। व्यवसायिक आवश्यकता के आधार पर इसका तिमाही विश्लेषण भी किया जाता है यह प्रक्रिया समय खाने वाली है क्योंकि इसमें फिजिकली तौर पर इन्वेंटरी को गिना जाता है।

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इन्वेंटरी प्रबंधन का महत्व (Importance of Inventory Management in Hindi):

वर्तमान में उभरती हुई प्रौदयौगिकी और उपभोक्ताओं की बदलती वरीयताओं ने एक मजबूत Inventory Management System की आवश्यकता को बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है।यहाँ हम इन्वेंटरी प्रबंधन के कुछ ऐसे महत्व के बारे में बात करेंगे जो लगभग प्रत्येक व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

  • एंटरप्राइज़ संसाधन योजना (ERP) को सक्षम करता है – ईआरपी सॉफ्टवेयर के माध्यम से विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों को समायोजित और लिंक किया जा सकता है। हालांकि इसे इन्वेंट्री प्रोक्योरमेंट, वेयरहाउसिंग, प्रोडक्शन, ह्यूमन रिसोर्स, फाइनेंस, मार्केटिंग और सेल्स इत्यादि गतिविधियों में इस्तेमाल में लाया जाता है लेकिन इस प्रक्रिया में इन्वेंटरी प्रबंधन आवश्यक डाटा प्रदान करने में अपना योगदान देता है।
  • उचित वेयरहाउस प्रबंधन में मददगार – वेयरहाउस प्रबंधन के लिए बार कोड प्रणाली, लास्ट इन फर्स्ट आउट (LIFO), फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (FIFO) तकनीक को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस प्रकार की ये तकनीक वेयरहाउस के कार्यों को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए कम्पनी की अतीत और वर्तमान इन्वेंटरी की एक स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं।
  • कुशल इन्वेंटरी वैल्यूएशन – यह विभिन्न प्रकार की इन्वेंटरी को उचित वैल्यूएशन प्रदान करता है अर्थात कितना स्टॉक उपलब्ध है, ओपनिंग और क्लोजिंग स्टॉक क्या है, कच्चा माल, उत्पादित माल इत्यादि की उचित वैल्यूएशन करने में मददगार साबित होता है। इन्वेंटरी मैनेजमेंट से उपलब्ध डेटा का इस्तेमाल कास्ट शीट तैयार करने के लिए भी किया जाता है।
  • सप्लाई चैन मैनेजमेंट को सपोर्ट करता है – इन्वेंटरी प्रबन्धन आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन का ही एक हिस्सा होता है इसलिए यह वेयरहाउस के कुशल संचालन, कच्चे माल या स्टॉक के प्रवाह को सुव्यवस्थित करने के लिए जिम्मेदार होता है।
  • बिक्री संचालन का प्रबंधन करता है – बिक्री निरन्तर चलने वाली एक प्रक्रिया है जो वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन पर निर्भर करती है यदि संगठन में सही या कुशल इन्वेंटरी मैनेजमेंट नहीं हो रहा है तो हो सकता है की उत्पादन विभाग को वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए कच्चा माल की प्राप्ति न हो। अब जब उत्पादन ही नहीं होगा तो फिर बिक्री कैसे होगी इसलिए कुशल इन्वेंटरी प्रबंधन बिक्री संचालन को भी प्रबंधित करता है।

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इन्वेंटरी प्रबंधन की तकनीक (Techniques Of Inventory Management in Hindi):

विभिन्न व्यवसायिक संगठनों द्वारा इन्वेंटरी को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए भिन्न भिन्न तकनीक अपनाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रबंधन तकनीक की लिस्ट इस प्रकार से है।

इकनोमिक आर्डर क्वांटिटी (EOQ)- इकनोमिक आर्डर क्वांटिटी नामक यह तकनीक आदर्श आर्डर देने के लिए एक फार्मूला होता है इस प्रक्रिया में कंपनी उसके उत्पादन में लगने वाली इन्वेंटरी की कुल मात्रा, मांग दर इत्यादि कारकों का विश्लेषण करके इन्वेंटरी का आर्डर करती है।

मिनिमम आर्डर क्वांटिटी (MOQ)-  मिनिमम आर्डर क्वांटिटी से आशय किसी वस्तु की उस मात्रा से है जिसे उसका सप्लायर बेचने और डिलीवरी करने के लिए तैयार है। यदि कोई रिटेल विक्रेता किसी थोक विक्रेता द्वारा निर्धारित मिनिमम क्वांटिटी को खरीदने में असमर्थ है तो हो सकता है की वह थोक विक्रेता रिटेल विक्रेता को वह माल उस कीमत पर बेचे ही नहीं जो निर्धारित है।

उदाहरण के लिए – किसी सप्लायर ने किसी वस्तु की कम से कम दो सौ इकाइयों को खरीदने पर ही स्पेशल रेट और डिलीवरी का विकल्प दिया है।

एबीसी विश्लेषण – इन्वेंटरी मैनेजमेंट की यह तकनीक इन्वेंटरी के विषयों को तीन श्रेणियों में विभाजित करती है जिनका समग्र इन्वेंटरी लागत पर भारी प्रभाव पड़ता है।

केटेगरी A में उन उत्पादों को रखा जाता है जो संगठन के सबसे मूल्यवान उत्पादों के रूप में कार्य करते हैं और समग्र लाभ में सबसे अधिक योगदान देते हैं ।

केटेगरी B में उन उत्पादों को रखा जाता है जो सबसे कम मूल्य के उत्पादों और सबसे आधिक मूल्य के उत्पादों के बीच के उत्पाद हैं।

केटेगरी C में उन इन्वेंटरी को रखा जाता है जो छोटे लेन देन के लिए होते हैं ये भी समग्र लाभ के लिए तो महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन कम्पनी के लिए व्यक्तिगत तौर पर बहुत अधिक मायने नहीं रखते हैं।   

जस्ट इन टाइम इन्वेंटरी मैनेजमेंट (JIT)- जस्ट इन टाइम इन्वेंटरी मैनेजमेंट की तकनीक के तहत संगठन या कंपनी द्वारा सीधे सप्लायर से संपर्क करके प्रोडक्शन शेड्यूल पर ही कच्चे माल के आर्डर की व्यवस्था की जाती है।

सेफ्टी स्टॉक इन्वेंटरी – इन्वेंटरी मैनेजमेंट की इस तकनीक के तहत अपेक्षित मांग से अधिक इन्वेंटरी का आर्डर किया जाता है और जो अपेक्षित मांग से अधिक है उसे सुरक्षा के तौर पर अलग रखा जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल गलत पूर्वानुमान या ग्राहक की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण होने वाले इन्वेंटरी स्टॉक आउट को ध्यान में रखकर किया जाता है।

फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (FIFO)-  फर्स्ट इन फर्स्ट आवर का मतलब की जो इन्वेंटरी स्टोर में पहले आई है उसका इस्तेमाल भी पहले ही होना चाहिए। कहने का आशय यह है की पुरानी इन्वेंटरी को पहले इस्तेमाल में या बेचा जाना चाहिए इन्वेंटरी को नया रखने का यह एक शानदार तरीका है। सड़ने, गलने, खराब होने वाली इन्वेंटरी पर यह प्रभावी रूप से लागू होता है।

लास्ट इन फर्स्ट आउट (LIFO) – लास्ट इन फर्स्ट आउट का मतलब है जो वस्तु अंत में आई हो उसका इस्तेमाल या बिक्री पहले होनी चाहिए। यह पद्यति भी चीजों को खराब होने से रोकती है।

री आर्डर पॉइंट फार्मूला – री आर्डर पॉइंट से आशय उस स्थिति से है जब संगठन या कंपनी इन्वेंटरी का पुन: आर्डर करती है। इन्वेंटरी मैनेजमेंट  की इस तकनीक के तहत कंपनी को किसी वस्तु या इन्वेंटरी की अपनी एक दिन की खपत और उस इन्वेंटरी को सप्लाई करने में आर्डर करने के बाद सप्लायर को लगने वाले समय का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

चलिए हम इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं। माना ABC एक कंपनी है जिसे रोज 2000 एक एक लीटर वाली खाली पानी की बोतलों की आवश्यकता होती है, और कंपनी को खाली बोतल सप्लाई करने वाले सप्लायर को आर्डर देने के बाद सप्लायर 5 दिनों में माल सप्लाई करता है। इस स्थिति में देखें तो कंपनी का री आर्डर पॉइंट फार्मूला 2000×5=10000 होगा। 

उपर्युक्त इन्वेंटरी तकनीक के अलावा बैच ट्रैकिंग, कन्साइनमेंट इन्वेंटरी, ड्रापशिपिंग, सिक्स सिग्मा, डिमांड फॉरकास्टिंग, क्रॉस डॉकिंग इत्यादि भी Inventory Management Techniques हैं।

इन्वेंटरी प्रबंधन में चुनौतियाँ (Challenges in Inventory Management in Hindi):    

व्यवसायिक संगठनों के लिए इन्वेंटरी प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण और इनका एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। कई छोटे बड़े संगठनों ने अपने स्टॉक पर नज़र रखने के लिए इस प्रणाली को अपनाया है लेकिन व्यवहारिक रूप से इसे लागू करते समय कम्पनियों को अनेकों चुनौतियों से भी निपटने की आवश्यकता होती है।

  • रिसीविंग और वेयरहाउसिंग डिपार्टमेंट के कर्मियों में आवश्यकता विशेषज्ञता और जानकारी का अभाव पाया गया है जिसके चलते वे मौसमी माल को अन्य माल से पृथक नहीं करते हैं। जिसके कारण चीजें गलत दिशा की ओर अग्रसित हो सकती हैं।
  • जैसा की हम सब जानते हैं की आवश्यकता खोज की जननी होती है वर्तमान में लोगों की आवश्यकता के अनुरूप हजारों लाखों उत्पादों की एक विस्तृत श्रंखला मौजूद है। ऐसे में इन्वेंटरी के आकार में काफी वृद्धि हुई है जिसे मैन्युअल रूप से प्रबंधित करना बेहद दुष्कर कार्य है। इसलिए यह भी Inventory Management में एक बड़ी और महत्वपूर्ण चुनौती है।
  • सप्लाई चेन की जटिलता भी एक बड़ी चुनौती है कई बार संगठन या कंपनी आपूर्ति श्रृंखला प्रक्रिया के दौरान स्टॉक या माल को ट्रैक करने में विफल हो जाती हैं। और यह भी जरुरी नहीं है की व्यापारिक साझेदार भी उचित इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली को अपनाये रखें ।  

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