स्टार्टअप कंपनी  क्या है? भारत में खुद का Startup कैसे शुरू करें ।

यदि आपको व्यवसायिक बातों में रूचि है, तो आपने एक नहीं, बल्कि कई बार, Startup Company नामक शब्द सुना होगा। जी हाँ आम बोलचाल की भाषा में, खासकर युवाओं के बीच यह शब्द काफी प्रचलित है। क्योंकि भारत में भी कई लोग ऐसे हैं, जो खुद का व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक रहते हैं।

इसलिए वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों इत्यादि से व्यवसाय से सम्बंधित बातें करते रहते हैं। और इन बातों में Startup Company का जिक्र आना स्वभाविक है। वैसे आम तौर पर स्टार्टअप का आशय, एक छोटे बिजनेस से लगाया जाता है।

जो थोड़ा बहुत सही भी हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। क्योंकि कुछ लोग मानते हैं की, स्टार्टअप को स्केलेबल व्यापार मॉडल की खोज के लिए, डिजाईन किया गया एक अस्थायी संगठन मानते हैं। जबकि छोटा बिजनेस, एक स्थायी बिजनेस मॉडल पर आधारित होता है।

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स्टार्टअप क्या है? (What is Startup in Hindi):

एक स्टार्टअप एक नई कंपनी होती है। जिसकी स्थापना एक या एक से अधिक, उद्यमियों द्वारा की जाती है। और इस कंपनी को शुरू करने का उद्देश्य, एक यूनिक उत्पाद या सेवा को बनाकर, उसे बाजार में बेचने का होता है।

इससे स्पष्ट होता है की, एक स्टार्टअप कंपनी वह कंपनी है, जो एक नए और यूनिक आईडिया के साथ, एक या एक से अधिक उद्यमियों द्वारा शुरू की जाती है। इस आईडिया का उद्देश्य, लोगों की किसी न किसी समस्या का समाधान करना, या उनके जीवन में कोई मूल्य जोड़ना, या आसान बनाना होता है।

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स्टार्टअप की विशेषताएं (Main Features of Startup Company):   

स्टार्टअप कंपनी  की उपर्युक्त परिभाषा से, इसके कुछ लक्षण सामने आते हैं। जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • इस तरह की कम्पनी नई होती हैं। यानिकी इन्हें स्थापित किये हुए, अधिक समय नहीं हुआ होता है।
  • यूनिक प्रोडक्ट या सर्विस से आशय इनोवेशन, यानिकी नवीनता से लगाया जा सकता है। इसलिए कहा जा सकता है की, नवीनता भी इनकी प्रमुख विशेषता होती है।
  • इस तरह की कंपनी केवल, एक ही उत्पाद या सेवा प्रदान करती है।
  • इस तरह की कंपनी के लिए, छोटी टीम ही पर्याप्त रहती है। इसमें कुछ अनुभवी कर्मचारी, तो कुछ केवल स्नातक पास कर्मचारी शामिल हैं।लेकिन इन पर, काम का दबाव बहुत अधिक होता है।
  • स्ट्रक्चर की यदि बात करें, तो शुरुआत में ये प्रायौगिक और सीखने, की स्थिति में होते हैं। इसलिए हो सकता है की, इनमें पदानुक्रम और प्रबंधकों इत्यादि की व्यवस्था न हो।
  • Startup  में आर्थिक संसाधन, मानव संसाधन और भौतिक संसाधन सिमित होते हैं। और आगे बढ़ने के लिए, इन्हें वेंचर कैपिटलिस्ट, एंजेल इन्वेस्टर इत्यादि से फण्ड लेने की आवश्यकता होती है।
  • चूँकि इस तरह की कंपनियाँ, इनोवेशन पर आधारित होती हैं। इसलिए अनिश्चितता और जोखिम, अधिक होता है।
  • स्टार्टअप नई टेक्नोलॉजी और प्रतिस्पर्धी उत्पादों के लिए, जल्दी से प्रतिक्रिया देने में, सक्षम होते हैं। क्योंकि ये बहुत गतिशील होते हैं। 

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स्टार्टअप में काम करने के फायदे (Benefits to work in a Startup Company)

यदयपि किसी Startup  में जॉब, करना बहुत जोखिम भरा हो सकता है । लेकिन हमें इस सच्चाई को भी, ध्यान में रखना होगा। की आज जो भी हम मल्टी नेशनल कम्पनियां, या बड़ी कम्पनियाँ देखते हैं, ये भी कभी स्टार्टअप हुआ करती थी।

इसलिए यह जरुरी नहीं है की, स्टार्टअप के साथ नौकरी करना, हर स्थिति में जोखिमभरा होता है। बल्कि स्टार्टअप के साथ जॉब करके ही, व्यक्ति मूल्यवान अनुभव और कौशल सीख पाता है।

और यदि कंपनी आगे उन्नति करती गई, तो वह बेहद जल्दी एक बेहद महत्वपूर्ण पद पर भी, पहुँच सकता है। तो आइये जानते हैं की, किसी व्यक्ति को स्टार्टअप में काम करने के क्या क्या फायदे हो सकते हैं।

  1. किसी स्टार्टअप में काम करने का मतलब है, की आपको एक छोटी सी टीम के साथ, काम करना होता है। इसलिए इस तरह के माहौल में, प्रत्येक कर्मचारी पर काम की जिम्मेदारी अधिक होती है। और जब आपके पास जिम्मेदारी अधिक होती है, तो आपके सीखने का मौका तो अधिक रहता ही है। साथ में यह एहसास आपको आत्म संतुष्टि के साथ साथ, कंपनी के लिए आप कितने महत्वपूर्ण हो, यह भी एहसा दिलाता है।
  2. भले ही एक बड़ी कंपनी के बराबर, कोई स्टार्टअप कंपनी आपको वेतन न दे पाय। लेकिन देखा गया है की, इन कम्पनियों में बड़ी कम्पनियों की तुलना में अधिक अवसर प्राप्त होते हैं। कहने का आशय यह है की, कम्पनी की प्रगति के साथ इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की प्रगति भी बड़ी तीव्र गति से होती है। कई बार आपने भी देखा होगा की, किसी बड़े कंपनी में कार्यरत कर्मचारी, उसी पद पर बना रहता है। जबकि स्टार्टअप में कार्यरत कर्मचारी, स्टार्टअप की प्रगति के साथ महत्वपूर्ण पद पर पहुँच जाता है।
  3. बड़ी कम्पनियों में काम करने वाले, कर्मचारियों की अक्सर यह शिकायत रहती है, की वे अपने रोजमर्रा के काम से बोर हो गए हैं। उन्हें हर रोज एक ही तरह का कार्य करना पड़ता है। जबकि किसी स्टार्टअप कंपनी में काम करने वाले, कर्मचारी के पास करने को कई अलग अलग चीजें होती हैं।
  4. स्टार्टअप में कर्मचारी को उन लोगों के अधीन काम, करने की आवश्यकता होती है। जिन्होंने खुद के दम पर अपना बिजनेस शुरू किया हो। और ऐसे लोगों की मानसिक और व्यवसायिक व्यवहार, आम लोगों की तुलना में अधिक होता है। इसलिए कर्मचारी को इनसे सीखने को बहुत कुछ मिलता है।
  5. अक्सर देखा जाता है, की बड़ी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों, के कठिन परिश्रम का फल उनके बॉस या अन्य किसी सहकर्मचारी को मिल जाता है। यह इसलिए होता है, क्योंकि बड़ी कम्पनियों में क्रेडिट लेने की होड़ मची रहती है। और निर्णय लेने वाले अधिकारी हर कर्मचारी की पहुँच में नहीं रहते हैं। जबकि स्टार्टअप में सभी कर्मचारीयों, पर व्यवसाय के मालिक की नज़र बराबर बने रहती है। यही कारण है की उनके काम को Recognize किया जाता है।
  6. स्थापित बड़ी कम्पनियों में, ऑफिस में काम करने के अनेकों नियम मौजूद होते हैं। इनमें पहनावे से लेकर, खान पान, लंच इत्यादि तक के नियम शामिल हैं। यदि आपको जीन्स पहनना पसंद है, तो हो सकता है की आपके ऑफिस में केवल वीकेंड या हफ्ते में, एक दिन जीन्स पहनना ही Allowed हो। जबकि स्टार्टअप में यह सब चीजें नहीं होती हैं।                              

स्टार्टअप में काम करने के नुकसान ( Disadvantage to work in a Startup Company)

जिस प्रकार Startup Company में काम करने के कुछ फायदे हैं। उसी प्रकार इसके कुछ नुकसान भी होते हैं। जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  1. इस तरह की कंपनी में अस्थिरता रहती है। अर्थात कोई नहीं जानता की, इस तरह की कंपनी अपना बिजनेस ऑपरेशन कब बंद कर दें। इसका मतलब यह हुआ की, स्टार्टअप कंपनी में काम करने में जोखिम होता है। क्योंकि आपके रोजगार की स्थिति कभी भी बदल सकती है।
  2. इस तरह की कंपनी में, काम करने वाले कर्मचारियों में ज़िम्मेदारियाँ अधिक होती हैं। इसलिए उन पर काम का तनाव भी अधिक होता है। जो कर्मचारियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
  3. बड़ी कम्पनियों की तुलना में, कर्मचारियों को सैलरी और अन्य सुविधाएँ भी कम मिल सकती हैं। इसलिए ऐसे लोग जो स्टार्टअप में काम करने के इच्छुक रहते हैं, उन्हें कम सैलरी और सुविधाओं के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
  4. बड़ी कंपनियों की तुलना में स्टार्टअप  का स्ट्रक्चर भी छोटा होता है। शायद यही कारण हो सकता है की कर्मचारियों को उनका काम पूर्ण करने के लिए, वो टेक्नोलॉजी, उपकरण इत्यादि नहीं मिल पायें। जो चाहिए होते हैं।              

खुद की स्टार्टअप कंपनी  कैसे शुरू करें (How to Start own Startup in India):

यदि आप भी खुद का Startup  शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको कोई एक ऐसा आईडिया ढूंढना होगा। जिसे लोगों द्वारा इस्तेमाल में लाया जा सके। अर्थात जिसे वे पसंद करते हों, और उसके बिना उनका रहना मुश्किल हो। यानिकी कोई एक ऐसा आईडिया जो लोगों की, किसी न किसी समस्या का हल प्रदान करता हो।

और वह आईडिया उनके जीवन में सुधार लाकर उनके जीवन को आसान बनाने में समर्थ हो। जब आपको ऐसा कोई आईडिया आ जाता है, तो आप उसे धरातल के पटल पर उतारने के लिए खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं।

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अपने आईडिया की व्यवहारिकता की जाँच करें (Feasibility of Idea)

खुद की स्टार्टअप कंपनी को शुरू करने को लेकर जो आईडिया आपके दिमाग में आया हो, उसको धरातल के पटल पर जाँचना आवश्यक हो जाता है।कहने का आशय यह है की जिस आईडिया के भरोसे आप खुद का स्टार्टअप करने की सोच रहे हैं, वह व्यवहारिक, वास्तविक और प्राप्त किये जाने योग्य होना चाहिए।

उदाहरणार्थ: यदि आप सोचते हैं की आपका स्टार्टअप कोई ऐसी सिरप बनाएगा, जिसको पीकर वह उड़ने लगेगा। और एक दुसरे को उड़ता देखकर, आपकी सिरप की मांग बढती जाएगी, और आपका स्टार्टअप बहुत जल्द वैश्विक स्तर पर फैल जाएगा।

तो जरां आप खुद ही सोचिये की, क्या उदाहरण स्वरूप दिया गया यह आईडिया व्यवहारिक है? क्या इस आईडिया के भरोसे उद्यमी Startup Company करने की सोच सकता है? जी नहीं, क्योंकि यह आईडिया मुंगेरी लाल के हँसीन सपनों जैसा ही है। जिसे व्यवहार में लाना और रप्राप्त करना लगभग असम्भव है। इसलिए उद्यमी को अपने आईडिया की व्यवहारिकता की जाँच अवश्य करनी चाहिये।

Startup Company का बिजनेस प्लान तैयार करें

खुद का स्टार्टअप शुरू करने से पहले उद्यमी के पास उसका बिजनेस प्लान तैयार होना चाहिए। क्योंकि यह एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिसमें कंपनी का विवरण, मार्किट में उपलब्ध अवसर, व्यवसायिक रणनीति, बिजनेस मॉडल, प्रबंधन और संगठन, मार्केटिंग प्लान, ऑपरेशनल प्लान, फाइनेंसियल प्लान, इत्यादि का पूर्ण विवरण होता है।

यह दस्तावेज उद्यमी को उसके स्टार्टअप के इतिहास पर भी नज़र दौड़ाने का अवसर प्रदान करता है, जिससे उद्यमी यह पता लगाने में सक्षम हो पाता है, की उसका बिजनेस किसे परफॉर्म कर रहा है। और यदि किसी कारणवश वह बिजनेस प्लान के मुताबिक परफॉर्म नहीं कर रहा है। तो उद्यमी उसमें समय समय पर बदलाव भी कर सकता है।

इसके अलावा यदि स्टार्टअप शुरू करने वाला उद्यमी किसी निवेशक या बैंक इत्यादि को अपने व्यवसाय के बारे में बताना चाहता हो। तो इस बिजनेस प्लान नामक दस्तावेज के माध्यम से वह यह काम आसानी से कर सकता है।

स्टार्टअप के लिए सही बिजनेस ढांचा चुनें

हालांकि यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी अपनी Startup Company को किस स्तर पर शुरू करना चाहता है। शुरूआती दौर में उद्यमी चाहे तो प्रोप्राइटरशिप के तौर पर भी अपने बिजनेस को रजिस्टर कर सकता है। प्रोप्राइटरशिप फर्म वह फर्म होती है जो उद्यमी द्वारा बिना किसी साझेदार के व्यक्तिगत व्यक्ति के तौर पर चलाई जाती है।

लेकिन यदि उद्यमी की योजना प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तौर पर Startup शुरू करने की है, तो इसमें उद्यमी की लायबिलिटी काफी ज्यादा कम हो जाती हैं। अर्थात कानून की नजर में कंपनी भी एक आर्टिफीसियल व्यक्ति के रूप में देखी जाती है। इसके अलावा पार्टनरशिप फर्म के तौर पर इसे शुरू करने के लिए उद्यमी को एक अच्छा पार्टनर ढूँढने की आवश्यकता होती है।

यदि आपके पास रिसोर्स की कमी और छोटे स्तर पर शुरू करना चाहते हैं तो प्रोप्राइटरशिप फर्म या पार्टनरशिप फर्म आपके लिए उपयुक्त हो सकती है। अन्यथा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

स्टार्टअप  के लिए फण्ड का प्रबंध करें (Fund arrangements)  

जब उद्यमी खुद की स्टार्टअप कंपनी शुरू करता है तब भी उसे शुरू करने के लिए धन की आवश्यकता होती है, और उसके बाद उस स्टार्टअप को बरकरार रखने के लिए भी वित्त की आवश्यकता होती है।

उद्यमी के पास फण्ड का प्रबंध करने के अनेकों तरीके हो सकते हैं, लेकिन नीचे हम कुछ तरीकों का जिक्र कर रहे हैं। जिन्हें उद्यमी फण्ड का प्रबंध करने के लिए आजमा सकता है।

बैंक ऋण (Bank Loans)

किसी भी व्यवसाय के लिए बैंक ऋण धन प्राप्त करने का एक सामान्य सा तरीका है। चूँकि वर्तमान में उद्यमिता और रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बैंकों के साथ मिलकर अनेकों योजनाएँ शुरू की हैं। इसलिए यदि आपकी Startup Company किसी इनोवेटिव आईडिया पर आधारित है, तो बैंक से ऋण मिलने में आपको ज्यादा परेशानी नहीं आने वाली।

बैंक ऋण के रिजेक्ट होने के भी कई कारण होते हैं, यदि उद्यमी इन गलतियों से बचे तो शुरूआती दौर में उद्यमी बैंक ऋण लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है, और बाद में उसे बरकरार रखने के लिए वित्त पोषण के अन्य तरीकों के बारे में सोच सकता है।

एंजेल इन्वेस्टर (Angel Investor):

एंजेल इन्वेस्टर वे होते हैं जो आपके स्टार्टअप में इस शर्त पर पैसे लगाने के लिए तैयार रहते हैं की उन्हें उस कंपनी में शेयर या फिर बराबर की भागीदारी मिलेगी। बहुत सारे एंजेल इन्वेस्टर औदयोगिक अनुभव से जुड़े हुए लोग होते हैं, इसलिए समय समय पर इनकी सलाह भी काफी काम आ सकती है। हालांकि इस तरह के इन्वेस्टर किसी भी स्टार्टअप में पैसे लगाने के लिए आसानी से राजी नहीं होते हैं।

वेंचर कैपिटल (Venture Capital)

वेंचर कैपिटलिस्ट केवल उन Startup  में निवेश करते हैं, जिनमें उन्हें कमाई के और आगे बढ़ने की उच्च संभावना दिखाई देती है। वे उस व्यवसाय विशेष में शेयर की माँग करते हैं, और ये बिजनेस के पब्लिक होने पर और अधिग्रहण पर काफी पैसा कमा लेते हैं।

स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम में रजिस्टर कराएँ

स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम भारत सरकार द्वारा देश में Startup Company को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया है। इस प्रोग्राम के तहत रजिस्टर्ड स्टार्टअप को कई तरह झंझटों से मुक्ति मिल सकती है। इसमें रजिस्टर करने के बाद उद्यमी को फण्ड की प्राप्ति और टैक्स का लाभ भी मिल सकता है।

इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को सुरक्षित करें 

उद्यमी को खुद की स्टार्टअप कंपनी शुरू करने के लिए कंपनी का यूनिक नाम, लोगो और अन्य रचनात्मक एसेट की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा उद्यमी को यह भी सुनिश्चित करना होता है की, उसकीइंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी से सम्बंधित सारे अधिकार उसके पास सुरक्षित रहें। इसके लिए उद्यमी चाहे तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन भी कर सकता है। और अपने बिजनेस के नाम का डोमेन भी खरीद सकता है।

अच्छी डिजिटल प्रजेंस बनायें

इस शताब्दी में यदि आपको कोई सफल बिजनेस करना है तो, उसकी डिजिटल प्रजेंस अवश्य बनानी होगी। इन दिनों लोगों के बीच अपने ब्रांड को पहचान दिलाने और ग्राहकों को रिझाने का सबसे प्रभावी तरीका डिजिटल प्लेटफोर्म ही हैं।

इसलिए स्टार्टअप  शुरू कर रहे उद्यमी की अपने बिजनेस से सम्बन्धित एक बेहद आकर्षक वेबसाइट होनी नितांत आवश्यक है। इस वेबसाइट में ऐसे पेज भी विद्यमान होने चाहिए जिनके बारे में उद्यमी के ग्राहक जानने की इच्छा रखते हों। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफोर्म, सर्च इंजन, ईमेल इत्यादि का भी इस्तेमाल उद्यमी अपने बिजनेस को ग्रो करने के लिए कर सकता है।

Startup Company का ऑफिस स्थापित करें    

किसी भी बिजनेस के लिए ऑफिस बेहद जरुरी होता है, यदि आप अभी शुरूआती दौर में हैं तो आप, अपने बजट के हिसाब से कोई छोटा ऑफिस भी स्थापित कर सकते हैं। लेकिन जैसे जैसे आपकी  Company बड़ी होती जाती है, वैसे वैसे उद्यमी को और अधिक कर्मचारी और बड़े कार्यक्षेत्र की आवश्यकता हो सकती है।

इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह सुनिश्चित करे की जिस जगह वह अपना ऑफिस स्थापित करने जा रहा है, भविष्य में उसे वहाँ पर किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, और वह एक व्यवसायिक क्षेत्र में उपलब्ध हो। यदि उद्यमी के Startup  की प्रकृति कुछ ऐसी है, की उसे अपने ग्राहकों को बार बार अपने ऑफिस में बुलाने की आवश्यकता होती है।

तो उद्यमी को अपने ऑफिस को व्यवसायिक क्षेत्र के अलावा लोकप्रिय व्यवसायिक शहर में भी स्थापित करना चाहिए, और एक बेहद आकर्षक और प्रभावशाली ऑफिस और अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकता है।  

FAQ (सवाल/जवाब)   

स्टार्टअप कंपनी क्या होती है?

एक स्टार्टअप किसी युनिक और नवीन बिजनेस आईडिया पर आधारित होती है, जो लोगों की किसी समस्या का हल लेकर लाभ कमाने के उद्देश्य से अपना कारोबार करती है।  

वर्तमान में किस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करना चाहिए?

टेक्नोलॉजी मानव जीवन को दिन प्रतिदिन आसान बना रही है। ऐसे में अन्य क्षेत्रों की तुलना में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करना जीवन बदलने वाला निर्णय हो सकता है।  

स्टार्टअप शुरू करने के लिए पैसों का प्रबंध कैसे करें? 

आप अपने स्टार्टअप के लिए अपनी बचत, बैंक ऋण, सरकारी सब्सिडी योजनाओं के तहत ऋण, क्राउड फंडिंग, एंजेल इन्वेस्टर, वेंचर कैपिटलिस्ट इत्यादि के माध्यम से पैसों का प्रबंध कर सकते हैं।

भारत में स्टार्टअप की सफलता दर क्या है?

इस प्रतिस्पर्धी माहौल में स्टार्टअप की सफलता दर केवल 10% या इससे भी कम है। इसका मतलब यह है की 90% स्टार्टअप किसी न किसी कारण अपनी स्थापना के सात वर्षों के अन्दर अन्दर बंद हो जाते हैं।  

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