Toothbrush Manufacturing Business in India in Hindi – टूथब्रश का इस्तेमाल सुबह शाम दांतों की सफाई के लिए किया जाता है। यही कारण है की आम तौर पर लोगों को हर महीने अपने टूथब्रश को बदलने की आवश्यकता होती है। अब आप ही सोचिये भारत जैसे जनाधिक्य वाले देश में जब प्रत्येक व्यक्ति एक महीने में अपना टूथब्रश बदलेगा तो बाज़ार में इनकी माँग कितनी होगी।
जी हाँ टूथब्रश की माँग बाज़ार में हमेशा इसलिए बनी रहती है क्योंकि लोगों को हर रोज दांत साफ़ करने के लिए यह चाहिए ही होता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति घुमने या फिर किसी अन्य काम से अपने घर से दूर चला गया और वहां वह अपना टूथब्रश ले जाना भूल गया, तो इतना तो जरुर है की वह वहाँ पर भी एक नया टूथब्रश जरुर खरीदेगा । क्योंकि दाँतों को साफ करना नित्य कर्मों में शामिल है।
शायद यही कारण है की आज दाँतों के स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए टूथब्रश एक प्रमुख और महत्वपूर्ण उपकरण के तौर पर सामने आया है । दाँतों को कई बीमारियों से बचाने के लिए टूथब्रश करना वर्तमान में एक रिवाज सा बन गया है, जिसके चलते लोग एक दिन में कम से कम दो बार टूथब्रश करना पसंद करते हैं।
इस उपकरण का इस्तेमाल दाँतों की सफाई करने के लिए टूथपेस्ट या टूथपाउडर के साथ किया जाता है। आम तौर पर टूथब्रश का हैंडल और पूरी बॉडी प्लास्टिक से निर्मित होती है और इसके सिरे पर नायलॉन से निर्मित ब्रिसल्स होते हैं, जिनमें टूथपेस्ट का इस्तेमाल करके दाँतों की सफाई की जाती है।
टूथब्रश के इस्तेमाल और बाज़ार
टूथब्रश नामक इस उपकरण का इस्तेमाल दाँतों की सफाई के लिए किया जाता है । और अच्छी बात यह है की इसका इस्तेमाल हर उम्र के लोगों चाहे बच्चे हों, किशोर हों, युवा हों, अधेड़ हों या बुजुर्ग सभी के द्वारा किया जाता है। हाँ इतना जरुर है की बच्चों के लिए बड़ों की तुलना में छोटे टूथब्रश बनाये जाते हैं।
लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता और दांतों को साफ़ रखने के प्रति बढ़ रही रूचि टूथब्रश के इस्तेमाल को बढ़ाने में और सहायक हो रही हैं। पहले जहाँ इस उपकरण का इस्तेमाल भारत में उच्च आर्थिक वर्ग और मध्यम वर्ग तक ही सिमित हुआ करता था । वर्तमान में दूर सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग भी टूथब्रश का इस्तेमाल नियमित तौर पर अपने दाँतों की सफाई करने के लिए करने लगे हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया भर में टूथब्रश का बाज़ार 6.9% CAGR की दर से वृद्धि कर रहा है, जिसकी वर्ष 2026 तक इसी दर से वृद्धि करने की उम्मीद जताई गई है। भारत और अन्य विकासशील देशों में जैसे जैसे दंत स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, वैसे वैसे इसकी माँग और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
और चूँकि एक महीने या फिर इससे थोड़े ज्यादा समय के बाद टूथब्रश के ब्रीसल्स ख़राब हो जाते हैं, इसलिए लोगों को फिर से नया टूथब्रश खरीदने की आवश्यकता होती है। यही कारण है की इसकी माँग बाज़ार में कभी भी ख़त्म नहीं होती है।
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टूथब्रश बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? ( Toothbrush Manufacturing Business Kaise Shuru Kare)
भारत में किसी भी प्रकार का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ा बिजनेस करना कभी भी आसान काम नहीं रहा है। लेकिन वर्तमान में इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की तरफ राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कई तरह के कदम उठाये गए हैं। जिनकी वजह से बिजनेस के लिए लाइसेंस, पंजीकरण प्राप्त करना और बिजनेस न चलने की स्थिति में उससे बाहर निकलना आसान हो गया है।
लेकिन इन सबके बावजूद भी उद्यमी को खुद का यह बिजनेस (Toothbrush Manufacturing Business) शुरू करने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से होकर गुजरने की आवश्यकता हो सकती है । जिनकी डिटेल्स हम नीचे दे रहे हैं।
व्यवहारिक बिजनेस प्लान तैयार करें
टूथब्रश बनाने का बिजनेस प्लान इस बिजनेस का रोडमैप हो सकता है। वह इसलिए क्योंकि इसमें आप मार्किट रिसर्च में उपलब्ध अवसरों का विश्लेषण तो करेंगे ही साथ में इस बिजनेस को शुरू करने और ढंग से संचालित करने में आने वाली चुनौतियों और बाज़ार में उपलब्ध प्रतिस्पर्धा का भी अच्छे से आकलन करेंगे। और प्रतिस्पर्धा से कैसे निबटा जाएगा उसका भी लिखित रूप से उल्लेख करेंगे।
इसके अलावा मशीनरी, कच्चा माल, सप्लायर इत्यादि की डिटेल्स भी लिखित रूप से इस दस्तावेज का हिस्सा होगी । जमीन और बिल्डिंग कितनी चाहिए उसका रेंट क्या होगा? कुल मिलाकर परियोजना को शुरू करने में आने वाली पूरी लागत की डिटेल्स भी इस दस्तावेज में लिखित रूप से होनी चाहिए।
और उद्यमी अपनी परियोजना को संचालित करने के लिए पैसों का प्रबंध किन किन स्रोतों से करेगा और कैसे चुकाएगा उसकी भी पूरी लिखित प्लानिंग होती है। इन सबके अलावा बिजनेस के लक्ष्यों और उन्हें पूर्ण करने के लिए उठाये जाने वाले क़दमों की जानकारी भी इस दस्तावेज में होती है । कोई भी आंकड़े या तकनीक काल्पनिक नहीं होनी चाहिए।
फण्ड का इंतजाम करें
अब यदि उद्यमी द्वारा कागज पर अपने बिजनेस की रूप रेखा तैयार कर ली गई हो, तो अगला कदम उस परियोजना को शुरू करने में आने वाली लागत का प्रबंध करने का होना चाहिए। यदि आपके पास इतने पैसे हैं की आप इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत को वहन कर सकते हैं तो अच्छा है। लेकिन यदि नहीं हैं तो उद्यमी को चाहिए की वह कई तरह के अनौपचारिक तरीकों जैसे दोस्तों, रिश्तेदारों, पारिवारिक सदस्यों से उधार लेकर भी अपने बिजनेस के लिए फण्ड का प्रबंध कर सकता है।
इसके अलावा बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से भी ऋण के लिए आवेदन कर सकता है । अधिकतर उद्यमी अपने बिजनेस को शुरू करने हेतु फण्ड का प्रबंध करने के लिए बैंक या गैरबैंकिंग वित्तीय संस्थानों से ऋण लेना पसंद करते हैं । लेकिन कुछ लोग वेंचर कैपिटलिस्ट, एंजेल इन्वेस्टर, क्राउडफंडिंग इत्यादि के माध्यम से भी फण्ड जुटाना पसंद करते हैं।
जरुरी जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करें
खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए उद्यमी को सिर्फ विनिर्माण एरिया की ही आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि उस एरिया में उद्यमी को कच्चा माल और उत्पादित माल दोनों के लिए अलग अलग स्टोर, बिजली उपकरणों और पैनल के लिए रूम, सिक्यूरिटी रूम और एक छोटा सा ऑफिस स्थापित करने की भी आवश्यकता हो सकती है । इस तरह से देखें तो इस बिजनेस को शुरू करने के लिए 1500 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।
जरुरी नहीं है की उद्यमी किसी महंगी जगह पर जमीन लीज पर लेकर उसमें निर्माण कार्य कराये, बल्कि उद्यमी चाहे तो शहर से 10 किलोमीटर के रेडियस में कहीं भी जहाँ उसे सस्ती कोई बिल्डिंग किराये पर मिलती है वहीँ पर इस तरह का यह बिजनेस शुरू कर सकता है । इसलिए हम यहाँ पर इस बिजनेस को शुरू करने के लिए जो बिल्डिंग चाहिए हो सकती है उसका किराया ₹25000 मान के चल सकते हैं।
इलेक्ट्रिफिकेशन और अन्य सिविल कार्य पूर्ण करें
जब उद्यमी द्वारा अपने बिजनेस के लिए आवश्यक जगह या बिल्डिंग का प्रबंध कर लिया जाता है, तो उसके बाद उद्यमी को इसमें सिविल कार्य कराने की भी आवश्यकता होती है । यह इलेक्ट्रिफिकेशन और सिविल कार्य इंस्टाल होने वाली मशीनरी, उपकरणों, विनिर्माण एरिया इत्यादि को आधार मानकर किया जाता है ।
आम तौर पर जब उद्यमी एक बनी बनाई बिल्डिंग किराये पर ले रहा होता है तो उसमें हो सकता है की अलग अलग कमरे बने हों, लेकिन फिर भी उद्यमी को ऑफिस इत्यादि बनाने के लिए सिविल वर्क करने की आवश्यकता हो सकती है । मशीनरी, उपकरणों इत्यादि को संचालित करने के लिए सुरक्षित ढंग से इलेक्ट्रिफिकेशन करने की आवश्यकता होती है।
आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करें
भारत में भी किसी भी बिजनेस को वैधानिक रूप से शुरू करने के लिए जरुरी लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। टूथब्रश बनाने के बिजनेस को शुरू करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरणों की आवश्यकता हो सकती है।
- उद्यमी को बिजनेस रजिस्ट्रेशन के तौर पर उद्यम को प्रोप्राइटरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पार्टनरशिप फर्म इत्यादि में से किसी एक चुनाव करके रजिस्टर करने की जरुरत होती है।
- व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड बनाएँ और किसी बैंक में करंट अकाउंट खोलें।
- टैक्स रजिस्ट्रेशन के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराएँ ।
- स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम, नगर पालिका, इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।
- अपने उद्यम को फैक्ट्री अधिनियम के तहत रजिस्टर करा सकते हैं।
- फायर और पोल्यूशन विभाग से एनओसी की आवश्यकता हो सकती है ।
- यदि उद्यमी टूथब्रश को अपना ब्रांड नाम स्थापित करके बेचना चाहता है, तो उसे इसकी सुरक्षा के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा ।
- अपने उद्यम को सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम के तौर पर रजिस्टर करने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं।
मशीनरी और कच्चे माल की खरीदारी करें
किसी भी विनिर्माण इकाई को संचालित करने के लिए मशीनरी उपकरणों और कच्चे माल की आवश्यकता तो होती ही होती है। टूथब्रश बनाने के बिजनेस में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी, उपकरण और कच्चा माल भारत में ही आसानी से मिल जाता है। क्योंकि टूथब्रश बनाने के लिए आम तौर पर प्लास्टिक के दानों और प्लास्टिक का सामान बनाने में इस्तेमाल में लायी जाने वाली इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन का ही इस्तेमाल होता है । जो भारत में किसी भी महानगर में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
- 125 किलो क्षमता वाली इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन जिसकी कीमत ₹13 लाख तक हो सकती है।
- टूथब्रश टफिंग मशीन जिसकी कीमत ₹10.5 लाख तक हो सकती है।
- टूथब्रश ट्रिमिंग मशीन जिसकी कीमत ₹7.5 लाख तक हो सकती है।
- अन्य उपकरण एवं हाथ से चलाने वाले हैण्ड टूल्स जिनकी कीमत ₹50000 मान के चल सकते हैं।
इस बिजनेस (Toothbrush Manufacturing) शुरू करने के लिए केवल मशीनरी और उपकरणों पर ही उद्यमी को लगभग ₹31.5 लाख खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसमें इस्तेमाल में लाया जाने वाला कच्चा माल इस प्रकार से है।
- प्लास्टिक के दाने (पॉलीप्रोपाइलीन या पॉलीथीन)
- नायलोन ब्रिस्टल
- रबर ग्रिप
- पैकेजिंग सामग्री
जरुरी कर्मचारी नियुक्त करें
इस बिजनेस को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए भी उद्यमी को मशीन ऑपरेटर से लेकर मैनेजर तक को नियुक्त करने की आवश्यकता होती है।आम तौर पर इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी की निम्नलिखित कर्मचारियों को काम पर रखने की आवश्यकता हो सकती है।
- कम से कम दो मशीन ऑपरेटर नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
- कम से कम 4 हेल्पर को काम पर रखने की आवश्यकता होती है ।
- कम से कम 3 कुशल/अकुशल श्रमिकों को काम पर रखना पड़ सकता है।
- 2 सेल्समेन की आवश्यकता हो सकती है।
- 1 सुपरवाईजर की आवश्यकता हो सकती है।
- 1 अकाउंटेंट कम मैनेजर की आवश्यकता हो सकती है।
कुल मिलाकर टूथब्रश बनाने की फैक्ट्री को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए उद्यमी को कम से कम 11-12 कर्मचारियों को काम पर रखने की जरुरत होती है।
टूथब्रश बनाना शुरू करें
सारी प्रक्रियाएं पूरी कर लेने के बाद अब उद्यमी को टूथब्रश का ट्रायल उत्पादन शुरू कर देना चाहिए। उपर्युक्त बताई गई मशीनरी, उपकरणों और कच्चे माल का इस्तेमाल करके कोई भी उद्यमी बेहद कम समय में प्लांट की उत्पादन क्षमता के मुताबिक उत्पादन कर सकता है।
आम तौर पर बिजनेस को शुरू करने के इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरणों के विक्रेता ही उद्यमी या उद्यमी के कर्मचारियों को इसकी विनिर्माण प्रक्रिया को सीखने की ट्रेनिंग प्रदान कर सकते हैं। लेकिन यदि उद्यमी अनुभवी मशीन ऑपरेटर की नियुक्ति करता है तो उनके लिए टूथब्रश का उत्पादन करना और भी आसान हो जाता है ।
टूथब्रश को कैसे बनाया जाता है
अलग अलग इकाइयों में हो सकता है की टूथब्रश के आकार डिजाईन इत्यादि के आधार पर अलग अलग निर्माण प्रक्रिया अपनाई जा रही हो। लेकिन हम भी यहाँ पर टूथब्रश बनाने की प्रक्रिया के बारे में संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं।
टूथब्रश के बॉडी का निर्माण
सबसे पहले टूथब्रश की बॉडी का निर्माण करना शुरू किया जाता है इसके लिए प्लास्टिक के दानों को इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन के हॉपर में डाला जाता है । जहाँ से ये दाने उसी मशीन के मेल्टिंग सेक्शन को जाते हैं, जहाँ पर इन्हें पिघलाया जाता है। उसके बाद इस मशीन के आगे टूथब्रश के साइज़ डिजाईन के हिसाब से मोल्ड लगाये जाते हैं, और फिर यह मशीन प्लास्टिक के पिघले हुए द्रव से मोल्ड के हिसाब से टूथब्रश की बॉडी का निर्माण करती है। जिसके बाद इन्हें ठंडा करके यह सख्त स्वरूप में बदल जाते हैं।
टफिंग प्रक्रिया को पूर्ण करना
अब इस प्रक्रिया में अगला कदम टूथब्रश की बॉडी पर नायलॉन से निर्मित ब्रिस्टल को लगाने का होता है। जिसके लिए टूथब्रश टफिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। कहने का आशय यह है की टूथब्रश पर नायलॉन से निर्मित ब्रीसल्स लगाने के लिए टूथब्रश टफिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
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ब्रीसल्स की ट्रिमिंग प्रक्रिया
टूथब्रश पर ब्रीसल्स लग तो जाते हैं लेकिन इनकी लम्बाई इत्यादि डिजाईन के मुताबिक नहीं होती है। इसलिए इन ब्रीसल्स को डिजाईन के मुताबिक आकार और लम्बाई देने के लिए इन्हें टूथब्रश ट्रीमिंग मशीन से पास कराया जाता है। और वांछित लम्बाई और आकार में काटा जाता है।
इस तरह से टूथब्रश बनके तैयार हो जाते हैं अब इनमें रबर की ग्रिप चढ़ाई जा सकती है, कई प्रक्रियाओं में यह रबर की ग्रिप पहले ही फिट कर दी जाती है। उसके बाद पैकेजिंग मशीन की मदद से इनकी पैकिंग की जाती है।
टूथब्रश बनाने का बिजनेस में आने वाली लागत
स्वाभाविक है की यदि आप बड़ा प्लांट स्थापित करेंगे तो ज्यादा लागत और यदि छोटा प्लांट स्थापित करेंगे तो कम लागत इस बिजनेस को शुरू करने में आएगी। लेकिन एक ऐसा प्लांट जिसमें उद्यमी एक दिन में लगभग 1500 टूथब्रश बनाने की योजना बना रहा हो, को शुरू करने में आने वाली लागत निम्न है।
खर्चे का विवरण | खर्चा |
मशीनरी और उपकरणों को खरीदने में खर्चा | ₹31.5 लाख |
तीन महीने का किराया | ₹75000 |
फर्नीचर और फिक्सिंग | ₹3 लाख |
वर्किंग कैपिटल (कच्चा माल, सैलरी , इत्यादि) | ₹9 लाख |
कुल लागत | ₹44.25 लाख |
एक ऐसा उद्यम जिसमें उद्यमी प्रतिदिन लगभग 1500 टूथब्रश का निर्माण कर रहा को शुरू करने में अनुमानित लागत लगभग ₹44.25 लाख हो सकती है।
टूथब्रश बनाने के बिजनेस से होने वाली कमाई
इस बिजनेस (Toothbrush Manufacturing Business ) से होने वाली कमाई भी पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी अपनी फैक्ट्री द्वारा उत्पादित उत्पादों को बेचने में सक्षम हो पाता है या नहीं। और वह इन्हें किस कीमत पर बेचना चाहता है।
इसके अलावा साल में उद्यमी की फैक्ट्री में माल इत्यादि की वेस्टेज कितनी होती है, यह भी उद्यमी की कमाई पर प्रभाव डालने वाला कारक है। लेकिन यदि उद्यमी अपने कुल उत्पाद को बेचने में सक्षम हो गया तो इस स्तर पर वह एक साल में इस बिजनेस से लगभग ₹10.5 लाख तक का शुद्ध मुनाफा अर्जित कर सकता है।
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