बैंक क्या होते हैं? कितने प्रकार के होते हैं बैंकिंग के कार्य, महत्व, उद्देश्य।

भारत में बैंकिंग प्रणाली की यदि हम बात करें, तो यह देश की आर्थिक प्रगति का आधार माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में लोगों की जरुरत एवं आवश्यकताओं के अनुसार, बैंकिंग सिस्टम और प्रबन्धन में बड़े बदलाव देखे गए हैं। जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की, हमारे देश भारत को, सन 1947 में आज़ादी मिली थी। लेकिन बैंकिंग का इतिहास यहाँ, आजादी से काफी पहले का है। अर्थात हमारे देश भारत में बैंकिंग सिस्टम की शुरुआत, आज़ादी से पहले ही हो चुकी थी।

कहा यह जाता है की, हमारे देश भारत में पहला बैंक, सन 1770 ई. में, बैंक ऑफ़ हिन्दुस्तानी के नाम से, देश की तात्कालिक राजधानी कलकत्ता में स्थापित हुआ था। लेकिन यह अच्छे ढंग से कार्य कर पाने में असफल रहा, और सन 1832 में बैंक ने अपना कार्य बंद कर दिया। कहा यह भी जाता है की, आज़ादी के पहले ही देश में लगभग 600 से अधिक बैंक पंजीकृत थे। लेकिन इनमें से कुछ ही बैंक, अपना कार्य कर पाने में सक्षम थे।

भारत में ब्रिटिश शाषन के दौरान, ईस्ट इंडिया कंपनी ने तीन बैंकों, बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ बॉम्बे और बैंक ऑफ़ मद्रास की स्थापना की थी। जिन्हें प्रेसिडेंशियल बैंक भी कहा जाता था। लेकिन सन 1921 में, इन तीनों बैंकों का विलय करके, एक नए बैंक इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना कर दी गई। और वर्तमान की यदि हम बात करें, तो देश में 21 से अधिक प्राइवेट बैंक 12 से अधिक पब्लिक बैंक स्थापित हैं।

इनकी सैकड़ों शाखाएं, पूरे देश में फैली हुई हैं। जो लोगों को शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक Banking सेवाएँ प्रदान कर रही हैं। बैंकिंग सिस्टम के बारे में जानना इसलिए आवश्यक हो जाता है, क्योंकि किसी उद्यमी को अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक चलाने के लिए, इसकी जानकारी होना आवश्यक है।

banking system kya hai

बैंक होता क्या है (What is bank in Hindi)

Bank Kya hai : यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ लोग अपनी बचत को जमा कर सकते हैं। ताकि जरुरत पड़ने पर, वे उन पैसों को निकाल सकें। इसके अलावा, जिन लोगों को अपने व्यक्तिगत या व्यवसायिक उद्देश्य के लिए, पैसों की आवश्यकता होती है। वे भी बैंक से ऋण प्राप्त करते हैं। इसलिए एक ऐसा संस्थान, जिसे सरकार ने पैसे जमा करने, और लोगों को ऋण प्रदान करने के लिए लाइसेंस दिया होता है, बैंक कहलाता है।

बैंक जिस प्रणाली के तहत अपने ग्राहकों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान कर रहा होता है, उसे Banking सिस्टम कहा जाता है। स्पष्ट है की, बैंक एक ऐसा संस्थान है जो लोगों में बचत की आदत को प्रोत्साहित करने के साथ साथ, जरुरतमंदों को ऋण भी प्रदान करता है। इस तरह से कृषि और ग्रामीण विकास के, कई कार्यों में यह मदद भी करता है।

बैंकिंग का महत्व (Importance of Banking in Hindi):

सुचारू एवं प्रभावी बैंकिंग प्रणाली के बिना, कोई भी देश प्रगति के रस्ते पर आगे नहीं बढ़ सकता। क्योंकि एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए, सुचारू और प्रभावी बैंकिंग आवश्यक है। कहने का आशय यह है की, बैंक किसी भी देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बैंकों के माध्यम से ही, ऐसे लोग जुड़ पाते हैं जिनके पास अधिक पूँजी है। और इनके माध्यम से ही, उन तक वित्त पहुँच पाता है, जिन्हें इसकी आवश्यकता है। Banking के महत्व की यदि हम बात करें तो इनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • Bank में जमा राशि पर लोगों को ब्याज मिलता है, इससे लोगों में बचत करने की भावना का उदय होता है।
  • बैंक पूँजीपूतियों और जरुरतमंदों के बीच मध्यस्थता के तौर पर का काम करता है।
  • किसी भी देश का आर्थिक विकास तब तक संभव नहीं, जब तक वहां पूँजी की कमी बनी रहती है। बैंक लोगों की पूँजी को, अर्थव्यवस्था में लाने का काम करते हैं। इस प्रकार से पूँजी निर्माण की कमी को दूर करने का काम करते हैं।
  • बैंकों द्वारा औद्योगिक इकाइयों को, वित्तीय संसाधन प्रदान किये जाते हैं। जिससे उद्योग अपना व्यापार बढ़ाते हैं, और इस प्रकार रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होते हैं। इसलिए बैंक लोगों को, रोजगार प्रदान करने में भी सहायक होते हैं।
  • बैंक मौजूदा इकाइयों के विस्तार, विविधीकरण, आधुनिकीकरण या नवीकरण और नई इकाइयों की स्थापना के लिए, विदेशी ऋण प्रदान करने में भी मदद करते हैं।
  • अविकसित देशों में, या विकाशशील देशों में लोगों के पास मकान, फर्नीचर, रेफ्रीजिरेटर इत्यादि खरीदने के लिए, आवश्यक वित्त की कमी होती है। बैंक इन्हें अग्रिम ऋण प्रदान करके, इनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने में भी मदद करते हैं।
  • कमर्शियल Banking System कृषि, व्यापार और उद्योग को ऋण देकर, पूंजी निर्माण में मदद करके, एवं देश की मौद्रिक नीति का पालन करते हुए, विकासशील अर्थव्यवस्था की वृद्धि में, अहम् योगदान देते हैं।
  • विकास बैंकों द्वारा, नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए, अनेकों योजनायें एवं कार्यक्रम चलाये जाते हैं।
  • बैंकों द्वारा किसानों को, अपनी उपज की मार्केटिंग के लिए, खेतों के आधुनिकीकरण और मशीनिकरण, सिंचाई की सुविधा के लिए, विकासशील भूमि इत्यादि के लिए ऋण प्रदान किये जाते हैं। क्योंकि कृषि भारत जैसे विकाशशील देश की रीढ़ है।

भारत में बैंकों के प्रकार (Types of Bank in India in Hindi):

भारत में बैंकों के अनेकों प्रकार हो सकते हैं, लेकिन भारत के बैंकों को प्रमुख तौर पर पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है।

  • सेंट्रल बैंक
  • कमर्शियल बैंक
  • डेवलपमेंट बैंक
  • को- ऑपरेटिव बैंक
  • स्पेशलाइज्ड बैंक  

सेंट्रल बैंक: यह ऐसा बैंक है जो देश की सरकार और कमर्शियल Banking System के लिए, वित्तीय और बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करता है। साथ ही देश में मुद्रा जारी करना, और मौद्रिक निति को लागू करना भी इसी की जिम्मेदारी होती है। भारत का सेंट्रल बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक है।

कमर्शियल बैंक – एक कमर्शियल बैंक वह वित्तीय संस्थान है, जो सामान्य जनता से और व्यवसायों से जमा स्वीकार करता है, ऋण प्रदान करता है। इस तरह के बैंक ग्राहकों को, विभिन्न प्रकार के ऋण प्रदान करके, ब्याज वसूलकर पैसा कमाते हैं। इनमें पब्लिक सेक्टर बैंक, प्राइवेट सेक्टर बैंक, और विदेशी बैंक शामिल हैं।

डेवलपमेंट बैंक – विकास बैंक वे Bank होते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से, देश के औदयोगिक विकास के लिए, बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से, स्थापित किया जाता है। ये देश में निजी और प्राइवेट, दोनों क्षेत्रों के उद्योगों के विकास के लिए, वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।

को- ऑपरेटिव बैंक  – सहकारी बैंक की यदि हम बात करें, तो यह एक ऐसा वित्तीय संस्थान होता है। जिसे एक दूसरे के सहयोग, या सहकारिता के आधार पर, स्थापित किया जाता है। इसलिए यह सहकारी Bank के सदस्यों से ही सम्बंधित होता है। जिसका अभिप्राय यह है की, इस बैंक के ग्राहक भी इसके मालिक होते हैं। इनमें प्राथमिक क्रेडिट सोसाइटी, केन्द्रीय सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक शामिल हैं।

स्पेशलाइज्ड बैंक – विशेषीकृत बैंक ऐसे वित्तीय संस्थान होते हैं, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र या  गतिविधि में संलग्न रहते हैं । एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ऑफ़ इंडिया (एक्सिम), सिडबी, नाबार्ड विशेषीकृत बैंक के ही उदाहरण हैं।

बैंक के कार्य (Functions of Bank in Hindi):

बैंक में सिर्फ जमा स्वीकार करना, और लोगों को ऋण प्रदान करने का ही कार्य नहीं होता। बल्कि इनके अलावा बहुत सारे और भी कार्य होते हैं, जिन्हें करने की जिम्मेदारी, बैंकों की होती है। बैंक के कार्यों को प्रमुख तौर पर, दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ।

  • प्राथमिक कार्य (Primary Functions)
  • द्वितीयक कार्य (Secondary Functions)

1. प्राथमिक कार्य (Primary Functions):

बैंक के प्राथमिक कार्यों को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। इसमें पहला जमा स्वीकार करने सम्बन्धी कार्य और दूसरा ऋण प्रदान करने सम्बन्धी कार्य शामिल हैं।

जमा स्वीकार करने सम्बन्धी कार्य : जमा स्वीकार करने सम्बन्धी कार्यों में ग्राहकों को वित्तीय सुविधाएँ प्रदान करने के लिए या उनका जमा स्वीकार करने हेतु खोले जाने वाले चालू खाता, बचत खाता, आवर्ती जमा खाता, फिक्स्ड डिपाजिट खाता खोलने के लिए किये जाने वाले कार्य शामिल हैं।

ऋण प्रदान करने सम्बन्धी कार्य : ऋण प्रदान करने सम्बन्धी कार्यों में ग्राहकों या लोगों को विभिन्न प्रकार के ऋण जैसे ओवरड्राफ्ट, क्रेडिट कार्ड, कैश लोन, लोन, बिलों में छूट इत्यादि देने के लिए किये जाने वाले कार्य शामिल हैं ।  

2. द्वितीयक कार्य  (Secondary Functions):

द्वितीयक कार्यों में ऐसे कार्य शामिल हैं, जो बैंक को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरुरी होते हैं। इन्हें भी प्रमुख रूप से दो भागों एजेंसी कार्य और उपयोगिता कार्य में बांटा जा सकता है।

एजेंसी कार्य – एजेंसी के कार्यों में वे कार्य शामिल हैं जो बैंक को धन हस्तांतरण, आवधिक भुगतान, चेक एकत्रित करने, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, आवधिक संग्रह इत्यादि करने के लिए करने पड़ते हैं।

उपयोगिता कार्य – इन्हें यूटिलिटी फंक्शन भी कहा जाता है इनमें वे कार्य शामिल हैं जो बैंक को ड्राफ्ट सुविधा, लाकर्स सुविधा, जोखिम का अनुमान लगाने, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, सामजिक कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने इत्यादि के लिए करने की आवश्यकता होती है।

बैंक के उद्देश्य (Objective of a Bank in Hindi):

जरां सोचिये की लोगों को Banking की आवश्यकता क्यों हुई होगी। जैसा की हम सब जानते हैं की, लोगों को अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने, और अपना जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए, पैसों की आवश्यकता होती है। और पैसे लोग प्राचीनकाल से ही बचाते आ रहे हैं। लेकिन उस समय वे अपने घरों में ही पैसा जमा करके रखते थे।

इससे उन्हें चोरी, डकेती या अन्य घटना होने का खतरा बना रहता था, इस तरह से देखें तो लोगों को एक ऐसी जगह की आवश्यकता थी, जहाँ लोग अपने पैसों को सुरक्षित तौर पर जमा कर सकें, और जरुरत पड़ने पर निकाल भी सकें। शुरुआत में इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए, बैंकों का उद्गम हुआ होगा। लेकिन आज बैंकों के अनेकों उद्देश्य देखने को मिलते हैं, जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • Banking System का उद्देश्य समग्र आर्थिक गतिविधियों का संचालन करने, और मुनाफे को अधिकतम करने के लिए अपने आपको स्थापित करना है।
  • जनता से निष्क्रिय धन को कम ब्याज पर लेकर, उसे उच्च ब्याज दरों पर, जरुरतमंद लोगों को प्रदान करना।
  • लोगों में बचत की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।
  • पैसे से पैसा बनाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना, ताकि पैसे की आपूर्ति बढती रहे।
  • बचत के माध्यम से बड़ा कैपिटल बनाना।
  • मुद्रा बाजार को नियंत्रित करके, आर्थिक स्थिरता को बनाये रखना।
  • Banking का उद्देश्य आर्थिक मुद्दों पर, सरकार को सहयोग और सलाह प्रदान करना ।
  • ट्रेड, व्यापार और सामाजिक आर्थिक विकास के लिए सरकार की सहायता करना।
  1. भारत में पहला बैंक कब स्थापित हुआ?

    भारत में पहला बैंक 1770 ई० में कलकत्ता में स्थापित हुआ था, जिसका नाम बैंक ऑफ़ हिन्दुस्तानी था।

  2. ईस्ट इंडिया कंपनी ने किन तीन बैंकों की स्थापना की थी?

    ईस्ट इंडिया कंपनी ने बैंक ऑफ़ बॉम्बे, बैंक ऑफ़ बंगाल और बैंक ऑफ़ मद्रास की स्थापना की थी।       

निष्कर्ष : इसमें हमने भारत में उपलब्ध बैंकिंग प्रणाली के बारे में विस्तार से जाना । आज के समय में समय की माँग यह है की हर किसी व्यक्ति को वित्तीय रूप से जागरूक होने की जरुरत है । इसलिए जब तक आपको यही नहीं पता होगा की Bank Kya hota hai और यह कैसे काम करता है । तब तक शायद ही आप बैंकिंग प्रणाली का लाभ ले पाएँगे। यही कारण है की हमने इस लेख के माध्यम से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की हुई है।

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