विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी की जीवनी और सफलता की कहानी।

Biography of Wipro’s Chairman Azim Premji in Hindi : भारतीय उद्योग जगत में अजीम प्रेमजी एक जाना पहचाना नाम है। इन्हें सिर्फ इसलिए नहीं जाना जाता की वे भारतीय आईटी कंपनी विप्रो के अध्यक्ष हैं। बल्कि इन्हें एक परोपकारी पुरुष के तौर पर भी पहचान मिली है, और यह पहचान उन्हें इसलिए मिली है। क्योंकि वे समय समय पर मानव कल्याण से जुड़े कार्यों के लिए करोड़ों करोड़ रूपये दान करते आए हैं।

विप्रो के अध्यक्ष अजीम जी भारत में सबसे धनी और प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं। जानकारी के मुताबिक वर्ष 1999 से लेकर वर्ष 2005 तक ये भारत के सबसे अमीर आदमी थे। बाद में अमीरों की लिस्ट में स्थानों में परिवर्तन होते रहे। लेकिन आज भी अजीम प्रेमजी भारत के ही नहीं अपितु एशिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं।

दुनिया की सबसे सुप्रसिद्ध मैगजीन जो समय समय पर दुनिया के प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट जारी करती रहती है। उस टाइम मैगजीन ने प्रेमजी को दो बार 2004 और 2011 में दुनिया के सौ सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल किया था। इसके अलावा एशियावीक ने भी उन्हें दुनिया के 20 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया था।

इन्होंने अपनी योग्यता और कुशलता से छोटी सी कंपनी विप्रो को सफलता के आसमान में पहुँचाया। और वर्तमान में विप्रो को भारत की ही नहीं अपितु दुनिया की एक प्रसिद्ध आईटी कंपनी के रूप में जाना जाता है। इन्होने अपने नेतृत्व में कैसे एक छोटी सी कंपनी को 7 बिलियन डॉलर की कंपनी बना दिया। इसी कहानी को पढने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं।

परोपकारी अजीम प्रेमजी
अजीम प्रेमजी की छवि

Biography & Life Story of Azim Premji in Hindi :

अजीम प्रेमजी का जीवन परिचय  

पूरा नामअजीम हाशिम प्रेमजी
उपनामअजीम प्रेमजी
जन्मतिथि24, जुलाई 1945
जन्मस्थानबोम्बे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया (मुंबई भारत)
पिता का नामएम. एच. हाशम प्रेमजी
पत्नी का नामयास्मीन
बच्चेऋषद, तारिक
व्यवसायविप्रो के अध्यक्ष
शैक्षिणक योग्यताइंजीनियरिंग (स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी)
आवासबैंगलोर, कर्णाटक (भारत )

अजीम प्रेमजी का प्रारम्भिक जीवन

Childhood Story of Azim Premji in Hindi : तेल साबुन का व्यवसाय करने वाली कंपनी को एक प्रसिद्ध आईटी कंपनी बनाने वाले अजीम प्रेमजी का जन्म ब्रिटिश इंडिया में बॉम्बे प्रेसीडेंसी जिसे अब मुंबई कहा जाता है, में 24 जुलाई 1945 को हुआ था। हालांकि इनके पूर्वज गुजरात राज्य में स्थित कच्छ के निवासी थे। इसके पिता उस समय के प्रसिद्ध व्यपारी थे, जिन्हें ‘’ राइस किंग ऑफ़ बर्मा’’ के नाम से भी जाना जाता था।

इसलिए कहा जा सकता है की अजीम प्रेमजी का जन्म एक संपन्न और धनी परिवार में हुआ था। कहा यह जाता है की इनके पिता इतने बड़े व्यापारी थे, की भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय स्वयं जिन्नाह ने उन्हें पाकिस्तान आने का आमंत्रण दिया। लेकिन उन्होंने जिन्नाह के आमंत्रण को ठुकराकर भारत में ही रहना पसंद किया ।

जहाँ तक शिक्षा की बात है विप्रो के अध्यक्ष उच्च शिक्षित व्यक्ति हैं। इन्होनें अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण की है।

वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड की स्थापना

History of Wipro in Hindi : इस कंपनी का इतिहास भारत की आज़ादी से भी पुराना है। कहने का आशय यह है की विप्रो एक ऐसी कंपनी है जो भारत के आज़ाद होने से पहले से ही चल रही थी। सन 1945 में अजीम प्रेमजी के पिताजी मोहम्मद हाशम प्रेमजी ने महाराष्ट्र के जलगाँव के एक छोटे से शहर अमलनेर में ‘’वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड’’ नामक कंपनी की स्थापना की।

शुरू में इस कंपनी ने खाने के तेल का व्यापार शुरू किया, लेकिन इस कंपनी का उत्पाद सनफ्लावर बनस्पति आयल काफी लोकप्रिय हुआ। उसके बाद इस कंपनी ने अपने प्रोडक्ट में बढ़ोत्तरी की और कपड़े धोने वाले साबुन 787 का भी उत्पादन शुरू कर दिया।

इनका यह बिजनेस चल निकला और जल्द ही इनके पिताजी ब्रिटिश भारत में एक बड़े व्यापारी के तौर पर सामने आए। 1966 में जब अजीम प्रेमजी के पिताजी की मृत्यु हुई तब वे अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्यनरत थे ।

विप्रो का उदय  

The Birth of Wipro : जब तक इनके पिता जिन्दा थे, तब तक उन्हें कभी भी बिजनेस में पिता का हाथ बंटाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ । क्योंकि 1966 में वे सिर्फ 21 साल के थे और अपनी इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर रहे थे। लेकिन भगवान ने इनके कन्धों पर एकदम से पिता के बिजनेस की पूरी जिम्मेदारी डाल दी।

पिता के देहांत के बाद अजीम प्रेमजी भारत लौट आए और उन्होंने उसके बाद अपनी पिताजी की कंपनी का विस्तार किया, और जहाँ पहले उनकी कंपनी को सिर्फ वनस्पति तेल और साबुन के लिए जाना जाता था। अब उन्होंने बेकरी उत्पाद, टॉयलेट सम्बन्धी उत्पाद, बालों की देखभाल सम्बन्धी उत्पाद, बच्चों की देखभाल सम्बन्धी उत्पादों को अपनी कंपनी का हिस्सा बनाया ।

वर्ष 1977 तक अजीम प्रेमजी ने अपने कार्यकुशलता और दूरदृष्टी से अपने व्यवसाय को काफी आगे बढ़ा दिया। और अब उनका व्यवसाय काफी फ़ैल चुका था। 1980 के दशक में जब दुनिया की एक बहुत बड़ी कंपनी IBM भारत से अपना कारोबार समेटकर निकल रही थी। अजीम को तब इस क्षेत्र में एक नया अवसर दिखाई दे रहा था।    

जब दुनिया में कंप्यूटर और उससे जुड़े उपकरणों का विकास हो रहा था, तो उस समय अजीम प्रेमजी ने भारत में भी आईटी आवश्यकताओं को समझा। और अपनी कंपनी का नाम बदलकर विप्रो कर दिया। उसके बाद उन्होंने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जाने की योजना बनाई, और एक अमेरिकी कंपनी सेंटीनेल कंप्यूटर के साथ करार किया और माइक्रोकंप्यूटर बनाने के व्यापार में लग गए ।

लेकिन कुछ समय बाद उनकी इस कंपनी ने अपने हार्डवेयर को सपोर्ट करने वाले सॉफ्टवेयर बनाना भी शुरू कर दिया और इस तरह से उन्होंने एक साबुन बनाने वाली कंपनी को सॉफ्टवेयर कंपनी में तब्दील कर दिया।

वर्ष 2001 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की  

Azim Premji Foundation : यद्यपि इन्होने अपने जीवन में अभाव और गरीबी नहीं देखी। लेकिन इसके बावजूद उनका गरीब और बेसहारा लोगों और इंसानियत की मदद करने में बड़ी रूचि है । 2001 में बेसहारा और गरीब लोगों को मदद देने के उद्देश्य से उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की।

उनका मानना है की गरीब हो या अमीर शिक्षा की पहुँच सभी तक होनी चाहिए। क्योंकि मानव विकास में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वे कहते हैं की हमारे देश में अभावों के कारण लाखों बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, इसलिए उनकी इस फाउंडेशन का प्रमुख उद्देश्य ऐसे बच्चों की शिक्षा में मदद करना होगा, जो अभावों के कारण स्कूल जाने में असमर्थ हैं।

वर्ष 2010 में अमेरिका के दो बड़े व्यापारी और अमीर आदमी बिल गेट्स और वारेन बफेट ने ‘’द गिविंग प्लेज’’ के नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया। इस अभियान के तहत उन बिजनेसमैन और अमीर व्यक्तियों को दान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिनको ईश्वर ने अकूत संपति प्रदान की है। अजीम प्रेमजी इस अभियान से जुड़ने वाले पहले भारतीय थे ।

उनका मानना है की जब ईश्वर ने हमें इस काबिल बनाया है की हम किसी की मदद कर सकें, तो हमें अवश्य करनी चाहिए। दिसम्बर 2010 में उन्होंने भारत में स्कूली शिक्षा को बेहतर करने की दृष्टी से तकरीबन 2 अरब डॉलर प्रेमजी ट्रस्ट को दान देने का निर्णय लिया।

अवार्ड और सम्मान

  • अजीम प्रेमजी को विप्रो को तेजी के साथ आगे बढ़ाने वाली कंपनी बनाने के लिए बिजनेस वीक द्वारा दुनिया के महानतम उद्यमियों में से एक उद्यमी के तौर पर मान्यता प्रदान की गई है।
  • मणिपाल अकैडमी ऑफ़ हायर एजुकेशन द्वारा उन्हें वर्ष 2000 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
  • मुंबई में स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग द्वारा ‘’ लक्ष्य बिजनेस विजनरी’’ अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • मिडलटाउन, कनेक्टिकट में स्थित वेस्लेयन विश्वविद्यालय द्वारा सन 2009 में उन्हें उनके परोपकारी कार्यों के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
  • व्यापार और वाणिज्य में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत सरकार ने 2005 में पद्म भूषण की उपाधि से अलंकृत किया।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2011 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार पदम् विभूषण से सम्मानित किया।
  • इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा जारी देश के 50 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में 2017 में उन्हें 9वाँ स्थान प्राप्त हुआ।
  • फ़्रांसिसी सरकार द्वारा 2018 में अजीम प्रेमजी को फ़्रांस का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘’शेवेलियर डे ला लेजियन डी’होनूर’’ से सम्मानित किया गया।
  • 2019 में फोर्ब्स पत्रिका द्वारा जारी एशिया प्रशांत क्षेत्र में 30 परोपकारी लोगों की सूची में उन्हें शामिल किया गया।

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