फाइनेंसियल स्टेटमेंट क्या हैं? इसके प्रकार महत्व और विशेषताएँ।

Financial Statement को हिंदी में वित्तीय विवरण कहा जा सकता है, और किसी भी व्यवसाय की सफलता या असफलता, लाभ हानि का अनुमान उसके वित्तीय विवरणों के माध्यम से लगाया जा सकता है। दुनिया में स्थापित अधिकतर व्यवसायों का लक्ष्य वित्तीय तौर पर लाभ कमाना ही होता है। इसलिए इस तरह के ये वित्तीय विवरण वित्त वर्ष के अंत में तैयार किये जाते हैं।

क्योंकि वित्त वर्ष के अंत में व्यवसाय कर रहे उद्यमी सरकारी तौर पर भी इस बात के लिए बाध्य होते हैं की वे अपने व्यवसाय के वित्तीय विवरणों को नियमों के मुताबिक तैयार करें, ताकि सरकार उसी आधार पर टैक्स इत्यादि संग्रहित कर सके।

इसके अलावा उद्यमी खुद भी जानना चाहते हैं की वित्तीय वर्ष में उनके व्यवसाय वित्तीय स्थिति क्या रही यही कारण है की उद्यमी खुद भी बिना किसी बाध्यता के फाइनेंसियल स्टेटमेंट तैयार करने के लिए उत्सुक रहते हैं। किसी भी व्यवसाय का निचोड़ उसके वित्तीय विवरणों के इर्द गिर्द घूमता है, और इनका यही महत्व किसी भी व्यवसाय के लिए इनकी भूमिका को सर्वोपरी बनाता है। इसलिए इस लेख में आज हम इसी विषय पर जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे हैं तो आइये सबसे पहले यही जान लेते हैं की ये वित्तीय विवरण होते क्या हैं?

financial statements
Image : Financial Statement kya hota hai

फाइनेंसियल स्टेटमेंट  क्या होते हैं?

फाइनेंसियल स्टेटमेंट  किसी कंपनी या व्यवसाय की गतिविधियों के वे लिखित रिकॉर्ड होते हैं जो उनके वित्तीय प्रदर्शन को व्यक्त करते हैं। वित्तीय विवरणों में बैलेंस शीट, नकदी प्रवाह विवरण और कम्पनी का आय विवरण शामिल है। इन वित्तीय विवरणों को अक्सर सरकारी एजेंसीयों, अकाउंटेंट, ऑडिट फर्म इत्यादि द्वारा ऑडिट किया जाता है। ताकि व्यवसाय के टैक्स, वित्तपोषण, निवेश इत्यादि की सटीक जानकारी प्राप्त हो सके।

वित्तीय विवरणों का इस्तेमाल ऋणदाताओं जैसे बैंक वित्तीय संस्थान इत्यादि द्वारा इकाई या कंपनी को ऋण प्रदान करने के दौरान किया जा सकता है। इसके अलावा निवेशकों द्वारा भी किसी कंपनी के प्रमोटर को उस कंपनी के वित्तीय विवरणों को दिखाने को कहा जा सकता है। ताकि निवेशक इस बात का निर्णय ले सकें की उन्हें उस कम्पनी में निवेश करना चाहिए या नहीं।

वित्तीय विवरणों के और भी कई इस्तेमाल जैसे व्यवसाय को यदि बेचने की आवश्यकता पड़ी तो यह मौजूदा प्रमोटर को उस व्यवसाय की कीमत तय करने में, और खरीदने वाले को इस बात का विश्वास दिलाने में मदद करते हैं की वह उस व्यवसाय को सही कीमत पर खरीद रहा है।

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फाइनेंसियल स्टेटमेंट के प्रकार (Types of Financial Statement in Hindi):

फाइनेंसियल स्टेटमेंट व्यवसाय के प्रदर्शन, वित्तीय स्थिति और नकदी प्रवाह की एक तस्वीर प्रदान करते हैं। इन विवरणों का इस्तेमाल कम्पनी विलय के दौरान, ऋण लेने के दौरान, निवेशकों, उधारदाताओं, लेनदारों एवं प्रबंधन द्वारा उस इकाई का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। इसके चार प्रमुख प्रकारों की लिस्ट निम्नलिखित है।

आय विवरण (Income Statement): 

इनकम स्टेटमेंट से किसी संगठन की पूरी वित्तीय अवधि के लिए वित्तीय प्रदर्शन का पता चलता है। यह एक निश्चित समयावधि में हुई बिक्री से शुरू होता है और फिर बिक्री में से खर्चों को घटाकर शुद्ध लाभ व हानि का पता चलता है। यदि पब्लिक लिमिटेड कंपनी द्वारा इस तरह का वित्तीय विवरण जारी किया जा रहा है तो उसमें प्रति शेयर आय में हुई बढ़ोत्तरी को भी शामिल करना चाहिए। आय विवरण सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय विवरण माना जाता है क्योंकि यह व्यवसाय के प्रदर्शन का वर्णन करता है।

बैलेंस शीट (Balance Sheet):

वित्तीय विवरणों  का यह प्रकार किसी व्यवसाय या कंपनी की वित्तीय स्थिति के विवरण को रिपोर्ट की तारीख तक ही दिखाती है। इसलिए यह समय के एक विशिष्ट बिंदु को कवर करती है। इसमें विवरण को परिसंपत्तियों, देनदारियों और इक्विटी के सामान्य वर्गीकरण में एकत्रित किया जाता है। इसमें सबसे अधिक लिक्विडिटी वाली चीजें पहले बताई जाती हैं यह भी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। इसलिए यह भी उन वित्तीय विवरणों में शामिल है जिन्हें सबसे अधिक बार जारी करने की आवश्यकता होती है।

नकदी प्रवाह का विवरण (Cash Flow):

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस विवरण में केवल नकदी लेन-देन को उल्लेखित किया जाता है। इस नकदी प्रवाह को भी तीन भागों ऑपरेटिंग गतिविधियाँ, निवेश गतिविधियाँ और वित्तपोषण गतिविधियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। चूँकि इस विवरण से जुड़े दस्तावेजों को संग्रहित करना कठिन होता है इसलिए इन्हें सिर्फ बाहरी पार्टियों को ही जारी किया जाता है।

इक्विटी के बदलावों का विवरण (Statement of Changes in equity):  

इस प्रकार के फाइनेंसियल स्टेटमेंट में रिपोर्टिंग अवधि के दौरान इक्विटी में होने वाले सभी परिवर्तनों को दर्ज किया जाता है। इन बदलावों में शेयर जारी करना, शेयर खरीदना, लाभांश जारी करना और लाभ या हानि शामिल हैं। जब आंतरिक रूप से वित्तीय विवरण जारी किये जाते हैं तब इसे शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह मैनेजमेंट टीम के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं होता है।

वित्तीय विवरणों का महत्व (Importance of Financial Statement):

वित्तीय विवरणों के महत्व की बात करें तो यह इनके उपयोगिता के आधार पर विभिन्न श्रेणियों जैसे प्रबंधन, लेनदारों, पब्लिक इत्यादि को संतुष्ट करने के लिए हो सकता है।

प्रबंधन के लिए महत्व

आधुनिक व्यवसायिक उद्यमों के प्रबंधन में व्यवसाय संचालन को प्रभावित करने वाले कारकों के आकार और जटिलता में वृद्धि इत्यादि से निपटने के लिए वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इन्हीं उद्देश्यों के लिए प्रबंधन टीम को अप टू डेट, सटीक और व्यवस्थित वित्तीय विवरणों की आवश्यकता होती है। यह विवरण मैनेजमेंट टीम को व्यवसाय की स्थिति, प्रगति और व्यापार की संभावनाओं को समझने में सहायता करते हैं।

शेयरहोल्डर के लिए महत्व

कंपनी के मामले में स्वामित्व और प्रबंधन अलग अलग होता है, किसी कंपनी के शेयरधारक कंपनी की दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते हैं। लेकिन जो भी व्यवसायिक गतिविधियाँ होती हैं उनके बारे में वार्षिक सामान्य निकाय की बैठक में शेयरहोल्डर को सूचित किया जाता है। ये जानकारियां शेयरहोल्डर को मैनेजमेंट की दक्षता, प्रभावशीलता, कंपनी की कमाई करने की क्षमता और वित्तीय ताकत के बारे में जानने में मददगार साबित होते हैं ।

इसके अलावा भावी शेयरधारक कंपनी की फाइनेंसियल स्टेटमेंट के माध्यम से कंपनी की लाभ कमाने की क्षमता, वित्तीय स्थिति, भविष्य की संभावनाओं का पता लगाकर उस कंपनी में निवेश करने के बारे में निर्णय ले सकते हैं।

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उधारदाताओं/लेनदारों के लिए महत्व

वित्तीय विवरण किसी कंपनी के वर्तमान और भविष्य के सप्लायर और संभावित उधारदाताओं के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शिका के तौर पर कार्य करते हैं। किसी व्यवसाय की फाइनेंसियल स्टेटमेंट देखकर ही उधारकर्ता इस बात का निर्णय ले पाने में सक्षम हो पाते हैं की इस व्यवसाय को ऋण देना है या नहीं, और देना है तो फिर कितना देना है।  

श्रमिकों के लिए महत्व

कंपनी के लाभ और हानि के आधार पर ही श्रमिकों का बोनस भी निर्धारित होता है। इसलिए किसी व्यवसाय के वित्तीय विवरण  उस व्यवसाय से जुड़े श्रमिकों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होती है।

जनता के लिए महत्व

व्यवसाय को एक सामाजिक इकाई कहा जाता है हालांकि समाज के विभिन्न समूह जो व्यवसाय से सीधे जुड़े हुए नहीं होते, वे भी व्यवसाय की स्थिति, प्रगति और संभावनाओं को जानने में रूचि रखते हैं। ये लोग या समूह वित्तीय विश्लेषक, वकील व्यापार संघ, ट्रेड यूनियन, वित्तीय प्रेस, रिसर्च स्कॉलर और शिक्षक इत्यादि हो सकते हैं। किसी कंपनी या व्यवसाय के वित्तीय विवरणों को जानकर ही ये लोग उस पर टिप्पणी इत्यादि कर सकते हैं।

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्व

कॉर्पोरेट क्षेत्र का विकास कम्पनियों या उद्यमों के विकास से ही निर्मित होता है और कॉर्पोरेट क्षेत्र का उदय एवं विकास काफी हद तक देश की आर्थिक प्रगति को प्रभावित करता है । जो व्यवसाय असंवैधानिक और कपटपूर्ण कॉर्पोरेट प्रबंधन का अनुसरण करते हैं उन पर जनता का विश्वास नहीं होता है जिससे देश की आर्थिक प्रगति में मंदी आने का खतरा रहता है।

ऐसे में वित्तीय विवरण  आम जनता के बचाव में आते दिखाई देते हैं क्योंकि इनके द्वारा कंपनी की वास्तविक तस्वीर का आकलन किया जा सकता है । यही कारण है की कानून स्पष्ट और व्यवस्थित रूप से कम्पनियों को वित्तीय विवरण तैयार करने और भौतिक जानकारी का खुलासा करने के लिए मजबूर करता है ताकि व्यवसायिक नैतिकता के स्तर को बढाया जा सके।

वित्तीय विवरण की विशेषताएं (Features of Financial Statement in Hindi)

  • यह  उस उद्देश्य के लिए प्रासंगिक होते हैं जिस उद्देश्य के लिए उन्हें तैयार किया गया है इनमें अनावश्यक और भ्रामक विवरण नहीं होते हैं। कहने का आशय यह है की ये प्रासंगिक और विश्वास करने योग्य होते हैं।
  • वित्तीय विवरणों में उद्यम को लेकर उद्यम के प्रदर्शन, स्थिति, प्रगति और संभावनाओं के बारे में पूरी और सटीक जानकारी उपलब्ध होती है। इन विवरणों को किसी व्यक्तिगत पूर्वाग्रह के चलते विकृत करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
  • वित्तीय विवरण की पुराने वित्तीय विवरणों और तथ्यों के साथ आसानी से तुलना की जा सकती है और तुलनात्मकता का यही गुण इनकी उपयोगिता को बढ़ाता है।
  • इनको वर्गीकृत रूप में तैयार किया जाता है ताकि तथ्यों का बेहतर और सार्थक विश्लेषण किया जा सके।
  • वित्तीय विवरणों को सही समय पर प्रदर्शित करने के लिए पहले से ही तैयार कर लिया जाता है क्योंकि तयारी में देरी करने से उन विवरणों का महत्व और उपयोगिता कम हो जाएगी।
  • वित्तीय विवरणों में सामान्य स्वीकार्यता और समझ का गुण व्यापत होता है।
  • इन विवरणों को व्यक्तिगत निर्णय और अकाउंटेंट के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले अन्य प्रक्रियात्मक विकल्पों से उत्पन्न विसंगतियों के कारण प्रभावित नहीं करना चाहिए।
  • वित्तीय विवरण (Financial Statement) तभी वैध मानी जा सकती हैं जब इन्हें सभी कानूनों और नियमों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया हो। 

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