जब पहले भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात आती थी, तो इसे हासिल करना लगभग असम्भव सा लगता था। लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने तेलंगाना में इस विषय पर हुए एक कार्यक्रम में कहा की भारत 2028-29 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन सकता है।
हालांकि उन्होंने कहा की भारत 2029 तक तब 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकता है। जब वह निरन्तर 9% या इससे अधिक दर से प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहे। और उन्होंने इस सपने को हासिल करने के लिए प्रमुख आठ चुनौतियों से निपटने की भी आवश्यकता बताई।
5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य कठिन जरुर, लेकिन असम्भव नहीं
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने स्पष्ट कर दिया है की, भारतीय अर्थव्यवस्था को 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाना कठिन जरुर है, लेकिन असम्भव नहीं है। उन्होंने कहा की यदि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले पाँच वर्षों में कम से कम 9% की दर से बढे। तो इस सपने को साकार किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि के साथ देश को आठ प्रमुख चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। न सिर्फ सामना करना पड़ेगा, बल्कि उन चुनौतियों को अवसर में बदलना पड़ेगा। तभी हमारा देश भारत अपने इतने बड़े सपने को 2029 तक पूरा कर पाने में सक्षम हो सकता है।
सब्सिडी 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी में बाधक
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा की वर्तमान मोदी सरकार ने सब्सिडी पर जो बहस शुरू की है, उस स्थिति के लिए देश के लगभग सभी राजनैतिक दल जिम्मेदार हैं।
उन्होंने अपने वक्तव्य में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आगाह करते हुए कहा की उन्हें एक बात समझनी होगी की उनके पास सब्सिडी या मुफ्त में चीजें देने के लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं है।
ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को चयनात्मक होना पड़ेगा की वे उधार लिए गए पैसों को मुफ्त में बाँटना चाहते हैं, या विकास कार्यों में खर्च करना चाहते हैं। हमें अपने आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना चाहिए, और उन पर कर्ज का अनावश्यक बोझ डालने से बचना चाहिए।
5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी की राह में चुनौतियाँ
आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव के मुताबिक वर्ष 2028- 29 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर का आँकड़ा छू सकती है। लेकिन इसके लिए जरुरी है की भारतीय अर्थव्यवस्था अगले पांच सालों तक कम से कम 9% की दर से बढ़े। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में ऐसी आठ चुनौतियों का जिक्र किया, जिनसे देश को निपटना होगा।
उनके द्वारा बताई गई चुनौतियों में निवेश बढ़ाना, उत्पादकता बढ़ाना, शिक्षा और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करना, कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, अर्थव्यवस्था में स्थायित्व बनाये रखना, शासन में सुधार करना, वैश्विक रुझानों का प्रबंधन करना, रोजगार पैदा करना आदि शामिल हैं।
2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का लक्ष्य हासिल करना लगभग असम्भव
हालांकि जब कोरोना महामारी का उद्गम नहीं हुआ था, तो उससे पहले भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने का लक्ष्य 2025 रहा है। लेकिन कोरोना के प्रादुर्भाव के कारण विश्व की अर्थव्यवस्थाओं की गति में काफी गिरावट आई है।
अब 2025 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करना लगभग असम्भव है। क्योंकि पिछले दो वर्षों में कोरोना महामारी ने भारत की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। अब यदि इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड (IMF) की मानें, तो भारत इस लक्ष्य को 2029 तक हासिल कर सकता है।
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