खादी ग्रामोद्योग के उद्योगों में दियासलाई उद्योग अर्थात Match box udyog एक प्रमुख उद्योग है | India में कुटीर दियासलाई उद्योग स्थापित करने के लिए खादी ग्रामोद्योग कमीशन उद्यमियों को आर्थिक सहायता एवं तकनीकी मार्गदर्शन भी Provide करता है |
वर्तमान में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल एवं तमिलनाडू में कुटीर दियासलाई उद्योग किये जाते हैं, देश में लगभग 200 से अधिक छोटे बड़े उद्योग दियासलाई बनाने का काम कर रहे हैं | एक आंकड़े के मुताबिक देश में इस बिज़नेस में Full Automatic Units की संख्या केवल पांच हैं, बाकी इकाई या तो Semi Automatic या फिर Manual units हैं |
दियासलाई उद्योग क्या है |
दियासलाई उद्योग से हमारा तात्पर्य बिज़नेस की उस क्रिया से है | जिसमें कोई उद्यमी दियासलाई का निर्माण व्यावसायिक लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए करता है | भारत में दियासलाई का निर्माण सन 1895 ई से प्रारम्भ हुआ था | और इसका पहला उद्योग गुजरात के अहमदाबाद में उसके बाद 1909 में कलकत्ता में दूसरा दियासलाई उद्योग स्थापित किया गया |
माचिस उद्योग के लिए आवश्यक जगह
दियासलाई उद्योग के लिए जगह का चयन एवं building construction में बहुत सारी बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है |
- चूँकि दियासलाई उद्योग के लिए भिन्न भिन्न प्रकार का Raw Materials जिसमे रसायन भी सम्मिलित होते हैं, चाहिए होते हैं | इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह किसी ऐसी बिज़नेस लोकेशन का चुनाव करे, जहाँ कच्चे माल और रसायनों को मंगवाने में यातायात का खर्च अधिक न आये | अन्यथा उद्यमी को अपने बिज़नेस को इस प्रतिस्पर्धात्मक Market में Profitable बनाना बहुत ही मुश्किल हो सकता है |
- इसके अलावा उद्यमी को इस बात का ध्यान रखना भी बेहद जरुरी है, की उसके udyog द्वारा उत्पादित उत्पाद को वह आसानी से बाज़ार में बेच सके | अर्थात बाज़ार नजदीक हो |
- Labor cost को कम करने या संतुलित बनाये रखने के लिए आस पास के क्षेत्रो में श्रमिको का मिलना भी बेहद जरुरी है | उद्यमी चाहे तो घरेलु महिलाओं, वृद्ध पुरुषों इत्यादि को काम पर लगाकर उनके लिए रोज़गार के अवसर पैदा कर सकता है |
- दियासलाई उद्योग के लिए Building Construction या बिल्डिंग किराये पर लेते वक्त उद्यमी को चाहिए की वह अपनी आवश्यकता का अच्छे ढंग से मूल्यांकन कर ले, और उसके बाद ही किराया या construction का काम Start करे |
- यह उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमी को काम करने की जगह, अलग अलग रसायनों के लिए Storage room, तैयार उत्पाद को रखने की जगह, Dipping room, Clerical office room इत्यादि को ध्यान में रखकर ही बिल्डिंग किराये पर या construction का काम करवाना चाहिए |
- किराये पर ली हुई बिल्डिंग या बनाने जाने वाली बिल्डिंग में उत्पादन तब शुरू किया जा सकता है, जब Fire brigade department, नगर पालिका परिषद् इत्यादि ने यह नक्शा पास कर दिया हो |
दियासलाई उद्योग के लिए आवश्यक लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन
खुद का माचिस उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमी को विभिन्न लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
दियासलाई उद्योग ऐसे ज्वलनशील रसायनों से जुड़ा हुआ बिज़नेस है, जिनके घर्षण या गरम होने पर आग पैदा होती है | इसलिए यह उद्योग स्थापित करने के लिए विभिन्न विभागों से License की आवश्यकता पड़ सकती है |
- उद्यमी चाहे तो अपने बिजनेस को प्रोप्राइटर शिप फर्म, प्रोप्राइटरशिप फर्म या फिर वन पर्सन कंपनी इत्यादि में से किसी एक के तहत रजिस्टर करा सकता है।
- व्यवसाय के नाम से पण कार्ड बनाना, बैंक में चालू खाता खोलना और जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्राप्त करना।
- स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस और फैक्ट्री लाइसेंस प्राप्त करना।
- फायर और पोल्यूशन विभाग से एनओसी प्राप्त करना।
- उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना।
- केंद्रीय उत्पादन शुल्क विभाग से लाइसेंस |
- जिला के जिलाधिकारी से रसायनों को storage करने का License |
दियासलाई उद्योग के लिए कच्चे माल की लिस्ट | Raw Materials list
दियासलाई उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल की लिस्ट कुछ इस प्रकार है |
- पोटेशियम क्लोरेट
- Glue
- सल्फर
- Glass Powder
- मैगनीज डाइऑक्साइड
- फॉस्फोरस
- Resin
- पोटेशियम बाईक्रोमेट
- रंग
- क्राफ्ट पेपर
- Blue paper
- पैराफिन मोम
- अरारूट
- तीलियाँ
- Labels
- Copper Sulphate
- Veneers
दियासलाई उद्योग में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी
दियासलाई उद्योग में इस्तेमाल में लायी जाने वाली प्रमुख मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट इस प्रकार से है।
- चेन सॉ एक मशीन होती है जो पेड़ों की कटाई, लम्बरिंग, बकिंग, प्रूनिंग इत्यादि गतिविधियों के लिए इस्तेमाल में लायी जाती है।
- लकड़ी की छाल निकालने वाली मशीन जिसे लॉग डीबार्कर कहते हैं।
- विनियर पीलिंग मशीन का इस्तेमाल लकड़ी के मोटे तने को पतले एवं चपटे आकार में काटने के लिए किया जाता है।
- विनियर चोप्पिंग मशीन का इस्तेमाल इस पतले और चपटे आकार की लकड़ी से माचिस की तीलियाँ बनाने के लिए किया जाता है।
- स्टील के टैंक जिनका इस्तेमाल तीलियों के सिरे पर लगने वाले केमिकल को स्टोर करने के लिए किया जाता है।
- फीड हॉपर जो आवश्यक मात्रा में कच्चे माल की आपूर्ति मशीन को जारी रखता है ।
- स्टील के ओपन केमिकल टैंक जिन्हें विभिन्न प्रकार के केमिकल को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
- आटोमेटिक प्रोसेस के लिए छिद्रित बेल्ट कन्वेयर का इस्तेमाल किया जाता है।
- कोटिंग इकाई के साथ दियासलाई बनाने वाली मशीन।
- दियासलाई की तीलियों को दियासलाई के डिब्बों में भरने वाली मशीन।
- दियासलाई के डिब्बों की गणना करके उन्हें बड़े पूड़े में पैकेजिंग करने वाली मशीन।
- दियासलाई के सिरे पर लगने वाले केमिकल को सुखाने के लिए रोटेटिंग ड्रम ड्रायर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
माचिस उद्योग को शुरू करने में इस्तेमाल में लायी जाने वाली उपर्युक्त मशीनरी और उपकरणों की कुल कीमत ₹25 – ₹27 लाख तक हो सकती है।
माचिस की निर्माण प्रक्रिया (Manufacturing Process) :
उपर्युक्त बताई गई मशीनरी और उपकरणों से दियासलाई के निर्माण प्रक्रिया काफी सरल हो जाती है। आम तौर पर माचिस निर्माण प्रक्रिया को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है।
- माचिस की तीलियों का निर्माण करना
- माचिस के डिब्बियों का निर्माण करना
माचिस की तीलियों का निर्माण करना – सबसे पहले जिस लकड़ी से माचिस की तीलियों का निर्माण किया जाना है उसे उपयुक्त लम्बाई में चेन सॉ मशीन की मदद से काटा जाता है।
इस प्रक्रिया में लकड़ी की बाहरी छाल को छिल लिया जाता है और लकड़ी को आवश्यक लम्बाई में काट लिया जाता है उसके बाद विनियर पीलिंग मशीन की मदद से इस लकड़ी को कई चपटे भागों में छीला या चीरा जाता है।
और जब यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो उसके बाद चोप्पिंग मशीन का इस्तेमाल करके इस लकड़ी को तीलियों का आकर दे दिया जाता है । जब तीलियाँ तैयार हो जाती है तो इनके अग्र सिरे को केमिकल के घोल में डुबोया जाता है।
इसके लिए इन तीलियों को एक हॉपर में डाला जाता है जहाँ से ये तीलियाँ पंक्तिबद्ध होकर एक एक करके छिद्रित कन्वेयर बेल्ट की मदद से केमिकल टैंक तक पहुँचती हैं । और उसके बाद इन्हें लगभग एक घटे तक सुखाया जाता है।
माचिस के डिब्बियों का निर्माण – माचिस की डिब्बियों का निर्माण करने के लिए सबसे पहले किसी प्रिंटिंग करने वाले उद्यमी को मैच बॉक्स प्रिंटिंग करने का आर्डर दे दिया जाता है। उसके बाद पेपर बॉक्स मेकिंग मशीन की मदद से इस प्रिंटिंग पेपर की छोटी छोटी डिब्बियां बनाई जाती है।
और इन पर एक घोल केमिकल अप्लाई किया जाता है जो माचिस की तीलियों को रगड़ने पर अग्नि प्रज्वलित करता है। और बाद में इनमें माचिस की तीलियों को भरा जाता है।
वर्तमान में दियासलाई उद्योग की कठिनाइयाँ :
- लोगों में धूम्रपान से होने वाली हानियों की जानकारी का विस्तृतिकरण होने के कारण धूम्रपान को सार्वजनिक स्थानों में निषेध कर दिया गया है | जिसका प्रभाव दियासलाई उद्योग में देखने को मिलता है, क्योकि जो धूम्रपान करने वाले लोग माचिस अपनी जेब में रखा करते थे | अब धूम्रपान की दूकान में जाकर ही धूम्रपान करते हैं |
- पहले माचिस का उपयोग चूल्हा इत्यादि जलाने के लिए किया जाता था, लेर्किन गैस लाइटर के बढ़ते उपयोग के कारण माचिस की जगह गैस लाइटर ने ले ली है |
- जहाँ पहले इंडिया से दियासलाई को अफ्रीकन देशों में निर्यात किया जाता था, वर्तमान में अफ्रीकन देशो में भी स्थानीय ब्रांड का बोलबाला है |
- उपर्युक्त कठिनाइयों के कारण बड़े बड़े दियासलाई उद्योग भी अपने उत्पाद को बाजारों में बेचने हेतु संघर्ष कर रहे हैं |
माचिस उद्योग खोलने में कितना खर्चा आएगा
खुद का दियासलाई या माचिस उद्योग खोलने के लिए इच्छुक उद्यमी को विभिन्न मदों पर पैसा खर्चा करने की आवश्यकता होती है, जिनका संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार से है।
अनुमानित खर्चों का विवरण | अनुमानित खर्चा रुपयों में |
जमीन और बिल्डिंग | उद्यमी की खुद की |
प्लांट और मशीनरी का खर्चा | ₹25 लाख |
फर्नीचर और फिक्सिंग का खर्चा | ₹2 लाख |
सैलरी, कच्चा माल इत्यादि को मिलाकर कार्यशील लागत | ₹8 लाख |
कुल खर्चा | ₹35 लाख |
इस तरह से देखें तो माचिस उद्योग शुरू करने में कुल अनुमानित खर्चा ₹35 लाख है। यह भी तब जब उद्यमी के पास जमीन और बिल्डिंग खुद की हो। अन्यथा यह खर्चा और अधिक हो सकता है।
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