सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकरण योजना। PM FME Scheme in Hindi.

PM FME Scheme Information in Hindi: केंद्र सरकार द्वारा समर्थित एक योजना है जिसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू किया गया है। इस योजना का लक्ष्य असंगठित क्षेत्र में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण से सम्बंधित व्यक्तिगत उद्यमों को प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में बने रहने, आगे बढ़ने और इस क्षेत्र में प्रणालियों को दुरुस्त करने का है।

इस योजना की शुरुआत 29 जून 2020 को हुई थी, लेकिन वर्तमान में भारत में लगभग सभी राज्यों एवं केंद्र शाषित प्रदेशों में यह योजना लागू है। इस योजना के क्रियान्वयन और आवेदन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल को 25 जनवरी 2021 से लाइव कर दिया गया था। यानिकी इसका लाभ लेने के लिए इच्छुक एवं पात्र उम्मीदवार को किसी सरकारी या गैर सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। वे अपने घर से या साइबर कैफ़े से इस योजना का लाभ लेने के लिए आसानी से आवेदन कर पाएंगे। इस पोर्टल पर अब तक 19000 से भी अधिक एप्लीकेशन सबमिट हो चुकी हैं।

PM Formalisation of Micro Food Processing Enterprises Scheme की शुरुआत स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान और वोकल फॉर लोकल अभियान के तहत की थी। ताकि खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े व्यक्तिगत उद्यमों को तकनिकी, वित्तीय और अन्य व्यापारिक सहायता जो उन्हें चाहिए दी जा सके।

PM FME Scheme kya hai

इस योजना के लिए लगभग 10 हजार करोड़ रूपये आवंटित किये गए थे जिन्हें 2020 से 2025 तक इन पाँच वर्षों में वितरित किये जाने का लक्ष्य था। इसके अलावा सरकार का लक्ष्य इस योजना के तहत लगभग 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को वित्तीय और तकनिकी सहायता प्रदान करना था।

योजना के उद्देश्य (Objective of PM FME Scheme in Hindi)   

इस योजना के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं।

  • सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण व्यवसायों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूह, सहकारी समितियों इत्यादि तक आसानी से ऋण पहुँचाना।
  • मौजूदा 2 लाख से अधिक सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को मार्केटिंग और ब्रांडिंग में सहायता प्रदान करके संगठित इकाइयों के साथ आपूर्ति श्रृंखला को एकीकृत करके संगठित इकाइयों में बदलने का प्रयास करना।
  • शेयर्ड सर्विसेज जैसे स्टोरेज, इन्क्यूबेशन फैसिलिटी और पैकेजिंग में वृद्धि करना।
  • सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को व्यवसायिक और तकनिकी सहायता प्रदान करना भी इस योजना का लक्ष्य है।
  • समूह या व्यक्तिगत व्यक्ति स्वामित्व वाले खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को उचित प्रशिक्षण और रिसर्च प्रदान करना।    

PM FME Scheme के प्रमुख घटक  

भारतीय सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस योजना के प्रमुख चार घटक इस प्रकार से हैं।

1. सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सहायता

पहले से मौजूद सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ जो अपने व्यवसाय को अपग्रेड करना चाहती हैं, वे इस योजना के तहत कुल प्रोजेक्ट लागत का लगभग 35% क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल के लिए पात्र हैं। लेकिन इसकी सीमा अधिक से अधिक 10 लाख रूपये निर्धारित की गई है।

इसके अलावा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ इस योजना के तहत रूपये 40000 रूपये तक सीड फंडिंग के तौर पर टूल्स उपकरण खरीदने के लिए भी ले सकते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक जून, 2021 तक राज्य नोडल एजेंसी द्वारा लगभग 8040 सदस्यों को राज्य आजीविका मिशन के तहत सीड फंडिंग की सुविधा दी जा चुकी है। इसमें लगभग 25.25 करोड़ रूपये वितरित किये जा चुके हैं।

2. मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता  

इस योजना में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े किसान उत्पादन संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, सहकारी समितियों इत्यादि को मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के माध्यम से पात्र उद्यमों को विभिन्न गतिविधियों जैसे पैकेजिंग, गुणवत्ता नियंत्रण, ब्रांडिंग, मानकीकरण, खाद्य सुरक्षा इत्यादि में काफी मदद मिलती है।

मार्केटिंग और ब्रांडिंग प्रपोजल के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने हेतु राज्य नोडल एजेंसी किसान उत्पादन संगठनों, स्वयं सहायता समूहों को रूपये 5 लाख तक की वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। यह योजना कुल मार्केटिंग और ब्रांडिंग लागत का केवल 50% ही कवर करती है लेकिन यह रिटेल आउटलेट खोलने में आने वाली लागत को कवर नहीं करती है।

योजना के तहत पात्र उद्यमों को मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव्स मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) एवं और ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (TRIFED) को सौंपी गई है ।

3. सामान्य बुनियादी ढाँचे के विकास में सहायता

सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को स्कीम के तहत कोल्ड स्टोरेज, प्रयोगशाला, वेयरहाउस, सामान्य बुनियादी सुविधा, इन्क्यूबेशन सेण्टर इत्यादि बुनियादी ढाँचे को बनाने और विकसित करने में भी मदद मिलती है । किसी उद्यम की वित्तीय योग्यता का निर्धारण करते समय विभिन्न बातों जैसे निवेश की कमी, मूल्य श्रंखला की महत्वता, समग्र लाभ, व्यवहार्यता अंतर इत्यादि का भी ध्यान रखा जाता है और कुल लागत का 35% क्रेडिट लिंक्ड अनुदान के रूप में भी दिया जाता है।

4. रिसर्च और कैपेसिटी बिल्डिंग में सहायता

इस स्कीम का लक्ष्य असंगठित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को संगठित क्षेत्र में बदलना रहा है, और इन्हें संगठित क्षेत्रों में परिवर्तित करने के घटकों में प्रशिक्षण यानिकी ट्रेनिंग प्रमुख है । इस योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने वाले इकाइयों में कार्यरत व्यक्तियों को अपनी योग्यता और कौशल में बढ़ोतरी के लिए प्रशिक्षण में भाग लेने की जरुरत होती है।वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट अभियान समर्थित इकाइयों को भी मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता प्रदान की जाती है।

कहने का आशय यह है की  वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट समर्थित इकाइयों को भले ही अनुदान न दिया जा रहा हो लेकिन योजना के तहत कौशल विकास के लाइट प्रशिक्षण उन्हें भी दिया जाता है।

इस योजना के तहत कैपेसिटी बिल्डिंग और प्रशिक्षण की देखरेख करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (NIFTEM) और भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (IIFPT) को दी गई है। हालांकि इन राष्ट्रीय संगठनों को खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकीसे जुड़े किसी राज्य स्तरीय संगठन के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता होती है।

PM FME Scheme के तहत कुछ नई गतिविधियाँ    

इस योजना की शुरुआत के कुछ महीने बाद दिसंबर 2020 में यूनियन बैंक को इस स्कीम के तहत नोडल बैंक नियुक्त किया गया। इस बैंक के अलावा ग्यारह अन्य बैंकों को इस योजना के तहत ऋण प्रदान करने वाले पार्टनर के तौर पर चुना गया । 2021 के सितम्बर माह में मिन्स्ट्री ऑफ़ फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज (MOFPI) ने इस योजना के तहत दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन पोर्टल पर एक सीड कैपिटल मोड्यूल शुरू किया।

यह पोर्टल शहरी क्षेत्र में कार्यरत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय से जुड़े स्वयं सहायता समूह को प्रति सदस्य के हिसाब से इस योजना के तहत रूपये 4000 तक का सीड कैपिटल सहायता प्रदान करता है। केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी इसमें सुधारों को लेकर प्रयत्नशील हैं। हाल ही में इस योजना को लेकर कुछ राज्यों में जो घटनाक्रम हुए हैं उनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • आन्ध्र प्रदेश सरकार ने राज्य के लगभग 10,035 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को PM इस योजना के तहत सहायता प्रदान करने की दिशा में आने वाले पाँच वर्षों के लिए 450 करोड़ रूपये आवंटित किये। और अक्टूबर 2021 में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम की घोषणा की, ताकि इच्छुक एवं पात्र उद्यमियों को सरकारी योजनाओं के तहत ऋण आसानी से मिल सके।
  • उड़ीसा सरकार द्वारा जनवरी 2021 में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत 30 जिलों में तीस अलग अलग उत्पादों को प्रमोट करने की घोषणा की। और यह भी कहा गया की आने वाले समय में राज्य सरकार ऐसे सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उत्पादों को विशेष रूप से वैश्विक बाज़ारों में बेचने के लिए बढ़ावा देगी जो महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाये जा रहे हों।
  • PMFME Scheme, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड अप इंडिया एवं अन्य सरकारी योजनाओं के तहत दिए जाने वाले ऋणों की मंजूरी और वितरण को सुचारू ढंग से संचालित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने 24 अक्टूबर, 2021 को सभी 52 जिलों में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम की घोषणा की।
  • हाल ही में केरल सरकार द्वारा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों से उत्पादित उत्पादों को बेचने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने की घोषणा की गई ।

इस योजना में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट भी शामिल है

वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में उद्यमिता को बढाने और हर जिले की एक विशेष पहचान बनाने के लिए ‘’One District, One Product’’ नामक अभियान को चलाया था। बाद में जब यह योजना शुरू हुई तो उसमें भी इस अभियान को अपनाया गया और इसे इस योजना का हिस्सा भी बनाया गया।

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट अभियान के तहत राज्य प्रत्येक जिले में एक ऐसे उत्पाद की पहचान करता है, जिसे बनाने में उस जिले के लोगों की विशेज्ञता, कच्चे माल की उपलब्धता आसान हो। लेकिन इसके तहत ODOP के तहत प्रत्येक जिले में एक ऐसे खाद्य उत्पाद की पहचान की जाती है, जो उस जिला विशेष में बड़े पैमाने पर उत्पादित होता है, लेकिन वह उत्पाद जल्दी खराब होने वाला हो।

हालांकि ODOP के तहत कवर किये जाने वाले प्रमुख उत्पादों में आम, टमाटर, बाजरा, लीची, मुर्गी पालन, मछली पालन इत्यादि हैं। लेकिन उदाहरण के तौर पर आप समझ सकते हैं की कोई एक ऐसा जिला जहाँ पर टमाटर का उत्पादन अधिक होता है, और जैसा की हम सब जानते हैं की टमाटर जल्दी खराब होने वाली फसलों में से एक है।

ऐसे में उस जिला विशेष में सरकार का लक्ष्य कोई ऐसी इकाई स्थापित करने का या पहले से मौजूद टमाटर प्रसंस्करण का व्यवसाय कर रही इकाई को हर संभव मदद देने का होगा। ताकि वह इकाई उस टमाटर का इस्तेमाल करके कुछ मूल्य वर्धित उत्पाद बना सके।

इसके तहत ODOP वाली इकाइयों को केवल मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता प्रदान की जाती है। एक आंकड़े के मुताबिक जून 2021 तक सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 707 जिले ऐसे थे जिन्हें वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत कवर कर लिया गया था।  

योजना का लाभ लेने के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

इस योजना के तहत कोई भी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाई चाहे वह कोई किसान उत्पादन संगठन हो, स्वयं सहायता समूह हो, या उत्पादक सहकारी समितियाँ हों आवेदन कर सकती हैं। लेकिन नई इकाइयों को केवल वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत ही सहायता प्रदान किये जाने का प्रावधान PM FME Scheme के तहत है। अन्य पात्रता मानदंड कुछ इस प्रकार से हैं।

  • आवेदनकर्ता की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • आवेदक को कम से कम आठवीं पास होना चाहिए।
  • आवेदनकर्ता सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाई का स्वामी होना चाहिए।
  • ऐसी इकाई जिसमें 10 से अधिक श्रमिक कार्य करते हों इस योजना के तहत लाभ पाने के लिए पात्र नहीं हैं।

  किसान उत्पादक संगठनों के लिए पात्रता मानदंड

  • किसान उत्पादक संगठन का कम से कम टर्नओवर एक करोड़ रूपये होना चाहिए।
  • संगठन को उस विशेष उत्पाद के उत्पादन का कम से कम 3 वर्षों का अनुभव होना आवश्यक है।
  • संगठन की कीमत वर्तमान में जितनी है प्रस्तावित परियोजना की लागत उससे अधिक नहीं होनी चाहिए।

स्वयं सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड

  • स्वयं सहायता के सदस्यों को एक जिला एक उत्पाद के प्रसंस्करण में कम से कम 3 साल का अनुभव होना चाहिए।
  • राज्य सरकार से सब्सिडी प्राप्त करने के लिए स्वयं सहायता समूहों के पास कुल प्रोजेक्ट कास्ट का 10% और वर्किंग कैपिटल की स्थिति में 20% स्वयं की धनराशि मार्जिन मनी के रूप में होनी आवश्यक है।
  • सीड फंडिंग के लिए केवल खाद्य प्रसंस्करण में लगे स्वयं सहायता समूह ही पात्र हैं।
  • स्वयं सहायता समूह को यह सुनिश्चित करना होगा की सीड फंडिंग का इस्तेमाल केवल छोटे उपकरणों की खरीदारी के लिए ही किया जाएगा।
  • स्वयं सहायता समूह द्वारा कई जानकारी जैसे वह उत्पाद जो संसाधित किया जा रहा है उसका विवरण, सालाना टर्नओवर, कच्चा माल कहाँ से मंगाया जाता है, मार्केटिंग कैसे की जाती है, एनी गतिविधियों के बारे में स्वयं सहायता समूह संघ को जानकारी देनी होती है। 

PM FME Scheme के लिए आवेदन कैसे करें   

Applying process to get Benefit of PM FME Scheme in Hindi: ऐसी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ जो अपने आप को PM FME Scheme के तहत ऋण प्राप्त करने के लिए पात्र मानती हैं। वे इसके अधिकारिक वेबसाइट https://pmfme.mofpi.gov.in/pmfme/#/Home-Page पर जा सकते हैं। उसके बाद आपको यहाँ पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करना होता है, और Sign Up पर क्लीक करके आगे बढ़ना होता है। उसके बाद एक फॉर्म खुलता है जिसमें आपको अपना एप्लीकेशन का प्रकार, नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी इत्यादि प्रविष्ट करके Register पर क्लिक करना होता है।

इस प्रकार से आप इस अधिकारिक पोर्टल पर केवल रजिस्ट्रेशन करते हैं न की PM FME Scheme के तहत आवेदन। आवेदन करने के लिए आपको आपकी ईमेल आईडी पर भेजे गए लॉग इन आईडी और पासवर्ड के माध्यम से इस पोर्टल पर लॉग इन करना होता है।   

योजना से जुड़े सवाल जवाब

PM FME स्कीम क्या है?

इसका फुल फॉर्म प्रधानमंत्री माइक्रो फ़ूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज है। यह केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक योजना है जिसमें माइक्रो फ़ूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमों के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों में 10000 करोड़ रूपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। जिससे लगभग 2 लाख माइक्रो फ़ूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमों को फायदा मिलेगा।

क्या इस योजना के तहत क्रेडिट सब्सिडी की कोई सीमा है?

हाँ बिलकुल है, एक व्यक्तिगत लाभार्थी के लिए यह 10 लाख रूपये या परियोजना लागत का 35% दोनों में से जो भी कम हो।

मुझे खुद का कितना प्रारम्भिक निवेश करना पड़ेगा?

आवेदक को कुल प्रोजेक्ट कास्ट का लगभग 10% योगदान अपनी तरफ से करना होगा।

योजना का लाभ लेने के लिए कौन कौन आवेदन कर सकता है?

माइक्रो फ़ूड प्रोसेसिंग से जुड़ी कोई भी मौजूदा इकाई, किसान उत्पादक संगठन (FPO), स्वयं सहायता समूह (SHG) और उत्पादक सहकारी समितियाँ इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकती है। ओडीपी प्रोडक्ट के लिए नई इकाइयाँ भी आवेदन कर सकती हैं।

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