लोन क्या होता है, और लोन कैसे लिया जा सकता है। Loan in Hindi.

कई बार आपको भी आपके पारिवारिक सदस्य, हितेषी, जानकार लोन लेने का सुझाव देते होंगे। वह भी विशेष तौर पर जब आप कोई कार खरीदना चाहते हैं, घर खरीदना या बनवाना चाहते हैं, बच्चों को उच्चतम पढाई के लिए बाहर या किसी लोकप्रिय संस्थान में भेजना चाहते हैं आदि। जी हाँ मनुष्य जीवन में इन्सान को एक नहीं बल्कि कई दायित्वों का निर्वहन करना पड़ता है, और इन दायित्वों को निभाने में उसे हर कदम पर पैसे की आवश्यकता होती है।

लेकिन क्या वाकई में हर मनुष्य के पास हर समय हर चीज खरीदने के लिए पैसा रहता है? जवाब है नहीं, कई चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें खरदीने या बनवाने के लिए मनुष्य के पास पैसे नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति या व्यवसाय के मालिक बैंक या वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने पर विचार करते हैं।

कहने का मतलब यह है की जब मनुष्य या व्यवसायों के पास अपने किसी कार्य को करने के लिए वित्त की कमी होती है, तो वे ऋण के माध्यम से पैसे प्राप्त करके उस कार्य को पूर्ण करते हैं। इसलिए कहा जा सकता है की जब किसी बैंक या वित्तीय संस्थान या अन्य लैंडर द्वारा किसी व्यक्तिगत व्यक्ति या संस्थान को एक निश्चित गारंटी के साथ, इस आशा के साथ पैसा उधार दिया जाता है, की वह लैंडर के पैसे को अतिरिक्त लाभों के साथ जैसे ब्याज के साथ वापस चुकाएगा तो इसी प्रक्रिया को ही Loan देना, उधार देना या ऋण देना कहा जाता है।

Loan kya hai aur kaise le

किसी भी प्रकार के लोन के प्रमुख तौर पर तीन घटक मूलधन (उधार दी गई राशि), ब्याज दर और समय जितने समय तक के लिए ऋण दिया गया हो, होते हैं । हालांकि कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी से भी उधार लेने के लिए स्वतंत्र हैं ।

लेकिन आम तौर पर देखा गया है की अधिकतर लोग किसी बैंक या विश्वसनीय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से ही ऋण लेना पसंद करते हैं। शायद वह इसलिए क्योंकि इन्हें रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्धारित मानकों और नीतियों के अनुसार कार्य करना होता है, इसलिए ये ग्राहकों की नज़र में अधिक विश्वसनीय होते हैं।

लेख की विषय वस्तु दिखाएँ

लोन क्या है (Loan kya hota hai)

एक राशि जो किसी व्यक्ति या संस्थान द्वारा अपने नियोजित या फिर अनियोजित कार्यों को पूर्ण करने, उनका प्रबंधन करने के लिए किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान से उधार ली जाती है, तो इसे लोन कहा जाता है। यानिकी बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों से उधार लिए गए पैसे ही लोन कहलाता है, उधारकर्ता को इसे एक निर्धारित ब्याज दर के साथ एक निश्चित अवधि में वापस चुकाना होता है।

उधार देने वाला और उधार लेने वाला दोनों पार्टी पैसे के लेनदेन से पहले लोन की शर्तों पर सहमत होते हैं। और कुछ ऋण ऐसे भी होते हैं जिनमें उधार लेने वाले को अपनी कोई सम्पति कोलेटरल और सिक्यूरिटी के तौर पर उधार देने वाले के पास गिरवी रखनी होती है। ताकि निश्चित अवधि के भीतर ऋण चुकता न होने की स्थिति में उधार देने वाला अपने पैसों की उगाही उस गिरवी रखी गई संपति से कर सके। ऐसे लोन को सुरक्षित ऋण (Secure Loan) कहा जाता है।

लोन कितने प्रकार के होते हैं (Types of Loan in Hindi)

ऋणों के कई प्रकार हो सकते हैं, इसलिए हम इन सभी प्रकारों को प्रमुख तौर पर तीन श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं।

  1. प्रदान की गई सिक्यूरिटी के आधार पर
  2. लोन के इस्तेमाल के आधार पर
  3. गिरवी रखी गई सम्पतियों के आधार पर     

प्रदान की गई सिक्यूरिटी के आधार पर

प्रदान की जाने वाली सिक्यूरिटी के आधार पर ऋणों के दो प्रमुख प्रकार हैं।

1. सुरक्षित ऋण (Secured Loans)

ये वे ऋण होते हैं जिसमें उधार लेने वाला व्यक्ति या संस्थान कोलेटरल के तौर पर अपनी कोई संपति उधार देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखता है। ताकि यदि उधार लेने वाला निश्चित अवधि के भीतर ब्याज सहित ऋण का भुगतान नहीं कर पाया, तो बैंक या वित्तीय संस्थान गिरवी रखी गई सम्पति से ऋण की वसूली कर सकते हैं। चूँकि ये सुरक्षित ऋण होते हैं, इसलिए आम तौर पर अन्य ऋणों के मुकाबले इन पर लगने वाली ब्याज दर कम होती है।

2. असुरक्षित ऋण (Unsecured Loans):

असुरक्षित ऋण वे ऋण होते हैं जिन्हें प्रदान करने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान किसी प्रकार की सम्पति को गिरवी नहीं रखते हैं। इस तरह के ये ऋण उधार लेने वाले के क्रेडिट स्कोर, बैंक या वित्तीय संस्थान के साथ पिछले सम्बन्धों और अन्य कारकों का विश्लेषण करके प्रदान किये जाते हैं। इसमें बैंक या वित्तीय संस्थानों के पैसे को रिस्क अधिक होता है इसलिए इस प्रकार के ऋणों की ब्याज दरें भी अधिक होती हैं।   

लोन के इस्तेमाल के आधार पर  

इस्तेमाल के आधार पर लोन के प्रमुख प्रकारों में निम्न शामिल हैं।

1. व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan):

कभी कभी मनुष्य को अपने व्यक्तिगत खर्चों जैसे पुराने ऋण को चुकाने, छुट्टियों पर घुमने जाने, गाड़ी/घर के डाउन पेमेंट, शादी, हॉस्पिटल दवाइयों इत्यादि के खर्चे के लिए ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह के ऋणों को पर्सनल लोन यानिकी व्यक्तिगत ऋण कहा जाता है, इन्हें भी बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा आवेदक के क्रेडिट स्कोर और पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ही प्रदान किया जाता है।

2. आवास ऋण (Home Loan)   

घर की मरम्मत करने, घर का विस्तार करने, नया घर बनाने, घर/फ़्लैट खरीदने, प्लाट खरीदने इत्यादि के लिए Home Loan दिया जाता है। चूँकि इस प्रकार के ऋण के तहत एक बड़ी राशि बैंक या वित्तीय संस्थानों द्वारा उधार लेने वाले को प्रदान की जाती है। इसलिए आम तौर पर वह संपति बैंक या वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखी हुई होती है। और जब होम लोन का भुगतान कर दिया जाता है तो उस संपति का स्वामित्व असली मालिक को ट्रान्सफर कर दिया जाता है।

3. शिक्षा ऋण (Education Loan):

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस प्रकार के ये ऋण बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा शिक्षा ग्रहण करने में हो रही धन की कमी को पूरा करने के लिए दिए जाते हैं । आम तौर पर किसी प्रमाणित प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान से कोई भी सर्टिफिकेट/ डिप्लोमा / डिग्री/ पोस्ट डिग्री इत्यादि कोर्स पूर्ण करने के लिए एजुकेशन लोन यानिकी शिक्षा ऋण लिया जा सकता है।

अधिकतर बैंक एवं वित्तीय संस्थान इस प्रकार का यह ऋण प्रदान करने के लिए शिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान किया गया प्रवेश पत्र माँगते हैं। और अच्छी बात यह है की इस तरह के ऋणों को देश से या विदेश से कहीं से भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए लिया जा सकता है।

4. वाहन ऋण (Vehicle Loan):

बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा इस तरह के ये ऋण दुपहिया या चार पहियों वाले वाहन खरदीने के लिए प्रदान किये जाते हैं। यह जरुरी नहीं है की आप केवल नए वाहन खरीदने के लिए ही Vehicle Loan ले सकते हैं, बल्कि आप चाहें तो पुराना वाहन खरीदने के लिए भी इस प्रकार के ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

जहाँ तक ऋण राशि का सवाल है यह वाहन की ऑन रोड कीमत के आधार पर प्रदान की जाती है। चूँकि आपको वाहन की कीमत का 100% लोन नहीं दिया जाएगा, इसलिए डाउनपेमेंट का होना बेहद आवश्यक होता है ।

गिरवी रखी गई सम्पतियों के आधार पर

गिरवी रखी जाने वाली सम्पतियों के आधार पर भी Loan के दो प्रकार हो सकते हैं, जो इस प्रकार से हैं।

1. गोल्ड लोन (Gold Loan):

लगभग सभी ऋणदाता चाहे वे बैंक हों या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ ऐसे लोगों को नकद कैश ऋण के रूप में प्रदान करती हैं, जिनके पास गिरवी रखने के लिए सोना हो। ऋण प्रदान करने से पहले ऋणदाता द्वारा सोने की शुद्धता की जाँच और वजन किया जाता है। और इन्हीं के आधार पर प्रदान की जाने वाली राशि की गणना की जाती है। गोल्ड लोन के तहत मिली राशि का उपयोग किसी भी उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।

इस तरह के लोन को भी मासिक किस्तों में चुकाया जा सकता है, और बैंक या गैर वित्तीय कंपनी से गिरवी रखा हुआ सोना वापस लिया जा सकता है। यदि उधार लेने वाला ऋण का भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो बैंक या ऋणदाता को सोना बेचकर या अपने पास रखकर दिए गए ऋण की वसूली करने का आधिकार होता है।

2. अन्य सम्पति गिरवी रख कर ऋण लेना     

जैसे कोई व्यक्ति ऋण लेने के लिए सोना गिरवी रखता है ऐसे ही वह उसकी अन्य संपति को जैसे बीमा पालिसी, एफडी प्रमाणपत्र, म्यूच्यूअल फण्ड, बांड, शेयर इत्यादि ऋणों के लिए गिरवी रख सकता है। गिरवी रखी गई सम्पति की कीमत से कुछ कम करके उतनी राशि ऋण के तौर पर प्रदान की जा सकती है। तय की गई अवधि के भीतर उधार लेने वाले को ऋण का भुगतान करना होता है, ताकि वह अपनी गिरवी रखी गई सम्पति को वापस प्राप्त कर सकें।

लोन की विशेषताएँ (Features of Loan in Hindi)   

  • विभिन्न कारकों पर आधारित कई प्रकार के ऋण कई श्रेणियों के तहत उपलब्ध हैं।
  • जिस तरह की आवश्यकता या जरुरत आपको है, और जितना भुगतान करने की क्षमता आपकी है। आप उसी के आधार पर अपने लिए ऋणों का चयन कर सकते हैं।
  • आपकी आय, भुगतान करने की क्षमता, क्रेडिट स्कोर इत्यादि को आधार मानकर ऋणदाता तय करते हैं की आपको कितनी राशि देना उपयुक्त होगा।
  • ध्यान रहे जो मूलधन आपको ऋणदाता द्वारा दिया जाएगा, उस पर ब्याज दर और उसे भुगतान करने का एक निश्चित समय होगा ।
  • हर उधार पर ऋणदाता द्वारा कई शुल्क एवं फीस लगाई जा सकती हैं।
  • इन्टरनेट के बढ़ते उपयोग ने बैंकिंग प्रणाली में भी काफी सुधार कर लिया है, इसलिए कई ऋणदाता कुछ मिनटों और घंटों में भी ऋण प्रदान करने में सक्षम हैं।
  • बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर ही ब्याज दरें लागू करनी होती हैं। जिससे इनकी मनमानी पर अंकुश लग जाता है।
  • कुछ मामलों में सिक्यूरिटी तो कई मामलों में थर्ड पार्टी गारंटी का भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • लोन चुकता करने का समय दोनों पक्षों की रजामंदी से होता है और निर्धारित समय के लिए समान मासिक किस्तें बनाई जाती हैं।
  • कई ऋण ऐसे भी होते हैं जिनमें ऋणदाता पूर्ण या आंशिक रूप से पूर्व भुगतान करने का विकल्प प्रदान करते हैं।
  • यद्यपि कई ऋणदाता ऐसे भी हैं जो पूर्व भुगतान के लिए उधार लेने वाले पर जुर्माना भी लगा देते हैं।

लोन के लिए पात्रता मानदंड (Eligibilty criteria for Loan in Hindi)

ऋणों के लिए पात्रता मानदंड आपके द्वारा चुने गए ऋण के प्रकार, ऋणदाता इत्यादि के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। अर्थात HDFC Bank से लोन लेने के लिए अलग और SBI Bank से लोन लेने के लिए अलग पात्रता मानदंड हो सकते हैं। सिर्फ यही नहीं लोन के प्रकार के आधार पर भी जैसे पर्सनल लोन के लिए अलग होम लोन के लिए अलग तो किसी अन्य प्रकार के ऋण के लिए अलग अलग पात्रता मानदंड निर्धारित हो सकते हैं। लेकिन कुछ जरुरी पात्रता मानदंडों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • क्रेडिट स्कोर – अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन दिलाने में मदद करता है।
  • अच्छी कमाई – जिसकी आय अच्छी हो, उन्हें ज्यादा और जल्दी Loan मिलता है।
  • आम तौर पर ऋण आवेदक की आयु 23 वर्ष और 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • आवेदक द्वारा यदि कुछ फिक्स्ड डिपाजिट, शेयर इत्यादि में निवेश, अचल संपति बनायीं गई हो तो उसे उस संपति को गिरवी रखकर आसानी से ऋण मिल सकता है।
  • आवेदक के बैंक या वित्तीय संस्थान के साथ लम्बे और अच्छे सम्बन्ध होने चाहिए।
  • यदि आवेदक द्वारा पहले कोई ऋण लिया गया हो और जिसे उसने चुका दिया हो, तो ऐसे आवेदक को भी जल्दी लोन मिल जाता है।            

लोन लेने के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट चाहिए

यदि आवेदक नौकरी कर रहा हो तो अलग, और यदि आवेदक खुद का बिजनेस कर रहा हो तो अलग दस्तावेजों की आवश्यकता हो सकती है।

वेतनधारी आवेदक

  • फोटोग्राफ के साथ एप्लीकेशन फॉर्म।
  • पहचान प्रमाण।
  • पता प्रमाण।
  • पिछले छह महीने की बैंक स्टेटमेंट की प्रति।
  • लेटेस्ट सैलरी स्लिप ।
  • फॉर्म 16।

बिजनेस करने वाला आवेदक

  • फोटोग्राफ के साथ एप्लीकेशन फॉर्म।
  • पता प्रमाण।
  • पहचान प्रमाण।
  • पिछले छह महीने की बैंक स्टेटमेंट।
  • बिजनेस करने का प्रमाण।
  • बिजनेस प्रोफाइल बिजनेस प्लान या प्रोजेक्ट रिपोर्ट ।
  • पिछले तीन सालो का इनकम टैक्स रिटर्न।
  • लाभ/हानि स्टेटमेंट और पिछले तीन सालो की बैलेंस शीट।

ऋणदाता ऋण प्रदान करने के लिए क्या देखता है

आपने ध्यान दिया होगा की बहुत सारे लोग इस बात से दुखी हो जाते हैं की उनका ऋण बैंक या वित्तीय संस्थान ने रिजेक्ट कर दिया। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है की उनका लोन रिजेक्ट होने के पीछे क्या क्या कारक रहे होंगे। लोन रिजेक्ट होने के अनेकों कारण हो सकते हैं, लेकिन यहाँ पर यह जान लेना जरुरी है की कोई बैंक या अन्य ऋणदाता ऋण प्रदान करने से पहले किन किन कारकों का विश्लेषण करता है।

  1. क्रेडिट स्कोर
  2. कमाई और रोजगार का इतिहास
  3. कमाई के अनुपात में ऋण
  4. कोलेटरल
  5. डाउन पेमेंट

1. क्रेडिट स्कोर (Credit Score)

यह किसी भी प्रकार के लोन आवेदन के लिए और स्वीकृत होने के लिए बेहद आवश्यक अवयवों में से एक है। यही वह पहली चीज होती है जिसे कोई भी ऋणदाता सबसे पहले चेक करता है, और इसी के आधार पर निर्णय लेता है की आप ऋण के लिए योग्य हैं या नहीं। हालांकि सुरक्षित ऋण जिनमें कुछ गिरवी रखा जाता है उनके लिए यह इतना महत्वपूर्ण नहीं होता, लेकिन असुरक्षित ऋणों को स्वीकृत कराने या रिजेक्ट कराने में इसकी अहम् भूमिका होती है।

यदि आप अपने सभी बिलों का भुगतान समय से करते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ता जाता है। आपके क्रेडिट स्कोर को आपके पैन कार्ड से लिंक किया जाता है और पैन कार्ड से ही इसकी ट्रैकिंग होती है। क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण तरीका यही है की आप अपने क्रेडिट कार्ड बिल, लोन पेमेंट इत्यादि का समय पर भुगतान करें।     

2. कमाई और रोजगार का इतिहास  

एक ऐसा व्यक्ति जो कुछ कमाता ही नहीं है उसे बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान ऋण भी नहीं देते हैं। वह इसलिए क्योंकि उन्हें नहीं लगता की वह व्यक्ति उनसे उधार लिए पैसों को वापस कर पाएगा। यही कारण है की बैंक या वित्तीय संस्थान पिछले छह महीने की बैंक स्टेटमेंट इत्यादि माँगते हैं, ताकि वे आपकी कमाई का आकलन कर सकें।

यदि व्यक्ति को काम पर रहते हुए लम्बा समय हो गया है, और उसकी सैलरी भी अच्छी है तो उसे लोन अन्य की तुलना में आसानी से मिल जाता है। इसलिए ऋण देने या न देने के निर्णय में कमाई और रोजगार का इतिहास भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. कमाई के अनुपात में ऋण

जिस व्यक्ति की मासिक कमाई 50000 रूपये है और उस पर पहले से ही इतना कर्ज है की उसकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा मासिक क़िस्त देने में चला जाता है। तो इस स्थिति में भी बैंक या वित्तीय संस्थान उस व्यक्ति को उधार नहीं देंगे। कहने का आशय यह है की ऋण की कितनी राशि आवेदक को दी जानी है, या दी भी जानी है की नहीं भी दी जानी है इस बात का निर्णय उसकी कमाई से चुकता किये जाने वाले मौजूदा खर्चों के अनुपात को देखते हुए लिया जाता है।

इसलिए यह जरुरी नहीं है की यदि आपकी कमाई बहुत अच्छी है तो आपको लोन मिलेगा ही मिलेगा। कमाई 5 लाख महीने और उस कमाई से चार लाख रूपये महीने की मासिक क़िस्त पहले ही जा रही है। और बाकी के पैसे अन्य खर्चों में खर्च हो जा रहे हैं, तो भी आपको ऋण नहीं दिया जाएगा।

4. कोलेटरल (Collateral)      

जब आप लोन लेते समय अपनी किसी सम्पति को ऋणदाता के पास कोलेटरल के तौर पर रखते हैं। तो यह भी ऋणदाता के निर्णय को प्रभावित करता है, यदि कोलेटरल के तौर पर रखी गई संपति की कीमत लिए जा रहे ऋण से अधिक है, तो ऋणदाता इस पर लगने वाले ब्याज की दरों को घटा सकता है।

क्योंकि वह इस बात को लेकर आश्वस्त है की उसके द्वारा दिया गया पैसा जरुर वापस आएगा। और यदि नहीं आएगा तो वह कोलेटरल के तौर पर रखी सम्पति को बेचकर अपने द्वारा दिए गए ऋण की भरपाई करेगा।

5. डाउन पेमेंट

डाउन पेमेंट भी ऋण स्वीकृत करने और रिजेक्ट करने के निर्णय लेने में प्रभावी हो सकते हैं, क्योंकि आवेदक जितना अधिक डाउन पेमेंट करेगा, उसे ऋण राशि उतनी कम चाहिए होगी और ऋणदाता का विश्वास उस पर उतना अधिक बढेगा। ऋणदाता का विश्वास बढेगा तो वह ऋण भी आसानी से स्वीकृत कर पाएगा।    

लोन के लिए आवेदन कैसे करें (How to apply for Loan in Hindi)

यद्यपि वर्तमान में लोन के लिए आवेदन करना आसान हो गया है, बहुत सारे बैंक और ऋणदाता घर बैठे बैठे ही ग्राहकों को ऋण प्रदान करने में सक्षम हैं। इसलिए इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है की, यदि आपको लोन की आवश्यकता है भी नहीं, तब भी आप इसके लिए आवेदन कर रहे हैं।

वह इसलिए क्योंकि आप घर बैठे ऑनलाइन ऐसा कर पा रहे हैं। लेकिन आपको किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण के लिए आवेदन करने से पहले अपनी वित्तीय जरूरतों को समझने की आवश्यकता है। क्योंकि ऋण को आपको ब्याज सहित वापस भी करना होता है।

अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को समझने के बाद यदि आपको लगता है की आपको वास्तव में पैसों की आवश्यकता है, और आपके पास ऋण लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है, तो आप अपने पसंदीदा बैंक की शाखा में जाकर इसके बारे में पता कर सकते हैं। ऋण हेतु आवेदन करने के लिए आपको निम्नलिखित स्टेप उठाने की आवश्यकता हो सकती है।

  1. सबसे पहले रिसर्च करें की कौन सा बैंक है जो आपकी आवश्यकता के आधार पर कम ब्याज दरों पर भी ऋण प्रदान कर रहा है।
  2. अब जिस बैंक या वित्तीय संस्थान का चयन आपने लोन लेने के लिए किया हो, उसकी शाखा या अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करें ।
  3. जो भी दस्तावेज ऋणदाता द्वारा माँगे जा रहे हों, उन्हें ऑनलाइन अपलोड करें या बैंक की शाखा में जाकर जमा करें।

जब आप सभी आवश्यक दस्तावेजों जिसमें Loan Application form भी शामिल होता है, बैंक में जमा कर देते हैं। उसके बाद बैंक द्वारा उन दस्तावेजों को वेरीफाई किया जाता है, और आपको आपके लोन के बारे में अवगत कराया जाता है।