रेशमकीट पालन कैसे शुरू करें? Sericulture Business In Hindi.

Sericulture Business से आशय एक ऐसे व्यापार से लगाया जा सकता है जिसमें रेशम के कीड़ों का पालन करके इनसे रेशम का उत्पादन करके उस रेशम को बेचकर कमाई की जाती है । दूसरे शब्दों में जहाँ रेशम का उत्पादन किया जाता है उस स्थल को रेशम उद्योग के नाम से भी जाना जाता है । कुछ लोगों द्वारा इसे Silk Worm farming भी कहा जाता है।

रेशम की महिमा का बखान न सिर्फ फ़िल्मी गानों में हुआ है बल्कि अनेकों कवियों ने इसे अपनी कविता में भी प्रमुखता से जगह दी है यही कारण है की वर्तमान में इससे निर्मित उत्पाद न केवल विलासिता का सूचक बन गए हैं बल्कि रेशम के कपडे पहने हुए लोगों को एक अलग तरह के आराम का एहसास तो होता ही है साथ में अन्य लोग भी उन्हें विशिष्टता प्रदान करते हैं।

चूँकि Sericulture Business कृषि से जुड़ा हुआ व्यवसाय है इसलिए इसे ग्रामीण इलाकों से भी आसानी से शुरू किया जा सकता है । आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से यही जानने का प्रयत्न कर रहे हैं की कैसे कोई व्यक्ति ग्रामीण इलाके से भी खुद का रेशम उद्योग शुरू कर सकता है ।

Sericulture business in hindi

सेरीकल्चर या रेशमकीट पालन क्या है (What is Sericulture Business in Hindi):

Sericulture Business एक कृषि आधारित उद्योग है इस व्यवसाय में कच्चे रेशम का उत्पादन करने के लिए रेशम के कीड़ों का पालन किया जाता है । कच्चा रेशम एक ऐसा धागा होता है जिसे इन विशेष प्रकार के कीड़ों द्वारा कोकून स्पून से प्राप्त किया जाता है। रेशम के कीड़ों को पालने के लिए रेशम के Sericulture Business की प्रमुख गतिविधियों में उन पौधों की खेती करना भी शामिल है जिनसे रेशम के कीड़े अन्न ग्रहण करते हैं।

उद्यमी चाहे तो शहतूत, गूलर, पलाश इत्यादि के वृक्ष लगाकर रेशम के कीड़ों का पालन कर सकता है। एक रेशम उद्योग में अनेकों गतिविधियाँ जैसे वृक्ष लगाना, कीड़े पालना, रेशम की सफाई, सूत कातना, कपड़ा बनाना इत्यादि शामिल हो सकती हैं। कहने का अभिप्राय यह है की आम तौर पर व्यवसायिक रूप से रेशम का उत्पादन करने की प्रक्रिया को ही Sericulture Business कहा जा सकता है ।

रेशम उद्योग के फायदे:

रेशम उद्योग यानिकी Sericulture Business के अनेकों फायदे होते हैं इनमें कुछ फायदे उद्यमी से जुड़े हैं तो कुछ फायदे समाज एवं देश से भी जुड़े हुए हैं।  

  • रेशम उद्योग एक ऐसा उद्योग है जिसमें पूरे देश में साठ लाख से अधिक लोग रोजगारित हैं। एक आकंडे के मुताबिक इस प्रकार का यह उद्योग एक किलो रेशम के उत्पादन में लगभग सभी प्रकार की गतिविधियों को शामिल करके 11 लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
  • कहने का अभिप्राय यह है की यह एक श्रमिक प्रधान व्यवसाय है इसलिए इसमें रोजगार के बहुतायत अवसर प्रदान करने की क्षमता है।
  • चूँकि Sericulture Business को ग्रामीण इलाकों से शुरू किया जा सकता है इसलिए इस कार्य हेतु श्रमिक उद्यमी को सस्ते दामों में उपलब्ध हो सकते हैं ।
  • इस तरह का बिज़नेस करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है।
  • ग्रामीण इलाकों में रेशम उद्योग कम समय में अधिक कमाई करने का एक बेहतरीन माध्यम बन सकता है।
  • रेशम के कीड़ों का पालन करने वाला यह व्यवसाय महिलाओं के अनुकूल व्यवसायों की लिस्ट में शामिल है।
  • कृषि से जुड़ा यह व्यवसाय आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए एक बेहद अच्छे कार्यक्रम के तौर पर साबित हो सकता है।
  • रेशम उद्योग के अंतर्गत होने वाली गतिविधियाँ पर्यावरण के अनुकूल हैं जो पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं करती हैं।

भारत में रेशम उद्योग की स्थिति:

एक आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2017 में भारत में रेशम का प्रति वर्ष उत्पादन लगभग 28 से 30 हजार मिलियन टन था लेकिन भारत में रेशम की माँग में उत्पादन से अधिक वृद्धि थी। जिसकी भरपाई चीन से रेशम का आयात करके की जा रही थी। हालांकि रेशम के उत्पादन में विश्व में भारतवर्ष का दूसरा स्थान है लेकिन फिर भी इस उत्पाद पर भारत आत्मनिर्भर शायद इसलिए नहीं है क्योंकि देश में उत्पादन से ज्यादा रेशम की खपत हो जाती है। यही कारण है की भारत को अपनी पूर्ति के लिए रेशम को आयात करना पड़ता है।

इसलिए भारत में Sericulture Business या रेशम उद्योग एवं इससे जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय ने अनेकों कार्यक्रम एवं योजनायें शुरू की हुई हैं। यही कारण है की भारत में रेशम उद्योग तेजी से वृद्धि कर रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक इस बिज़नेस में लाभ की कम से कम दर 1.33 और अधिक से अधिक 1.5 आंकी गई है। जिसका अभिप्राय यह है की उद्यमी को एक रूपये के निवेश पर कम से कम एक रूपये तैंतीस पैसे और अधिक से अधिक एक रूपये पचास पैसे तक रिटर्न प्राप्त हो सकता है ।

उच्च रिटर्न मिलने के कारण इसे कमाई की दृष्टी से एक अच्छा व्यवसाय माना जाता रहा है लेकिन इसे शुरू करने के लिए काफी तकनीकी एवं व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है।

हालांकि भारत में रेशम के सभी प्रकारों एवं इनसे निर्मित होने वाले सभी उत्पादों का उत्पादन किया जाता है लेकिन इन सबमें रेशम की साड़ी काफी प्रचलित हैं। जब भी साड़ी की बात आती है तो रेशम का नाम आना भी स्वभाविक है क्योंकि भारत में रेशम की साड़ी प्राचीन काल से ही भारतीय नारी की वेश भूषा में शामिल रही है । यही कारण है की वर्तमान में भी भारत के विभिन्न राज्यों के कुछ शहरों को रेशम का केंद्र कहा जाता है।

रेशम केंद्र की लिस्ट (Silk Center In India in Hindi):

Sl No. राज्य का नाम रेशम केंद्र
1. असम सुअलकुची
2. आंध्र प्रदेश धर्मावरम, पोचमपल्ली, वेंकटगिरी, नरैन्पेट
3. बिहार भागलपुर
4. गुजरात सूरत, काम्बे
5. जम्मू एंड कश्मीर श्रीनगर
6. कर्नाटक बंगलौर, अनेकल, ईकल, मोलकाल्मुरु,मेलकोटे
7. छत्तीसगढ़ चंपा, चंदेरी, रायगढ़
8. महाराष्ट्र पैठान
9. तमिलनाडु कांचीपुरम, अर्नी, सालेम, कुम्भाकोनाम, तंजावुर
10. उत्तर प्रदेश वाराणसी
11. पश्चिम बंगाल बिशनपुर, मुर्शिदाबाद, बीरभूम

रेशम कीट पालन कैसे शुरू करें?(How to Start Sericulture Business in India in Hindi):

भारत में Sericulture Business शुरू करने के लिए उद्यमी को अनेकों प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ सकता है । कृषि से सम्बंधित व्यवसाय होने के कारण इसे शुरू करने के लिए उचित मात्रा में जगह का होना अनिवार्य है। और इस बिजनेस की खास बात यह है की इसे ग्रामीण क्षेत्रों से भी आसानी से शुरू किया जा सकता है। तो आइये जानते हैं की कैसे कोई व्यक्ति खुद का रेशम उद्योग या Sericulture Business शुरू करके कमाई कर सकता है।

1. शहतूत इत्यादि के वृक्ष उगायें (Cultivation of Mulberry Plant):

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में भी बता चुके हैं की रेशम के कीड़ों को पालने के लिए शहतूत, गूलर, पलाश इत्यादि के वृक्ष लगाने की आवश्यकता हो सकती है । वह इसलिए क्योंकि शहतूत के पत्ते रेशम के कीड़ों का मुख्य भोजन हुआ करते हैं। इसलिए Sericulture Business शुरू करने से पहले उद्यमी को शहतूत के पौधों की खेती करनी होगी ताकि जब वह अपना रेशम उद्योग शुरू करे तो वह उसमें उपलब्ध रेशम के कीड़ों को शहतूत के पत्तों को भोजन के रूप में दे सके।

क्योंकि शायद आपको जानकार हैरानी होगी की रेशम के कीड़े बहुत अधिक भोजन करने वाले होते हैं अर्थात उनके खाने की क्षमता इतनी होती है की पहली बार सुनकर लोग विश्वास नहीं करते। हालांकि उद्यमी चाहे तो अन्य किसान जो शहतूत के पौधों की खेती कर रहे हों उनसे भी इनके पत्ते खरीद सकता है लेकिन यह सब कुछ उद्यमी को महंगा पड़ सकता है। इसलिए यदि उद्यमी के पास स्वयं की पर्याप्त जमीन हो तो उसे शहतूत के पौधों की खेती शुरू कर देनी चाहिए।

2. शेड का निर्माण करना (Construction of Shed for Sericulture Business): 

Sericulture Business शुरू करने की ओर उद्यमी का अगला कदम रेशम कीट पालन के लिए शेड का निर्माण करने का होना चाहिए। उद्यमी चाहे तो घर के किसी खाली कमरे से भी इसकी शुरुआत कर सकता है और चाहे तो अलग सा शेड का निर्माण करके भी इसे शुरू कर सकता है। लेकिन ध्यान रहे रेशम कीट पालन के लिए इस्तेमाल में लाये जाने वाले कमरे में वेंटिलेशन का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।

रेशम कीटों को धूप की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए शेड का निर्माण करते वक्त उद्यमी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा की सूर्य की रौशनी शेड के अन्दर न आने पाए। उद्यमी चाहे तो बाँस या अन्य सामग्री से चटाई की भांति रैक तैयार कर सकता है जो रेशम कीटों को उनके पालन पोषण की ओर स्थान्तरित करने में सहायक होंगे। इसके अलावा Sericulture Business कर रहे उद्यमी को उस कमरे में तापमान एवं नमी मेन्टेन करके रखनी होगी और इसे साफ़ एवं कीटाणुमुक्त रखना होगा।

3. रेशम के कीट की नस्ल का चुनाव करें (Select Silkworm Breed):

Sericulture Business शुरू करने का यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवयव है क्योंकि इस प्रक्रिया में उद्यमी को अपने बिजनेस के लिए रेशम के कीटों की एक ऐसी नस्ल का चुनाव करना होता है।

जिसकी उत्पादक क्षमता अधिक हो यद्यपि भारत में अनेकों नस्ल के रेशम के कीटों का पालन जलवायु एवं भौगौलिक परिस्थितियों के हिसाब से किया जाता है। लेकिन उद्यमी जिस क्षेत्र में यह बिजनेस शुरू कर रहा है उस क्षेत्र में कौन सी नस्ल का पालन उपयुक्त रहेगा इसकी जानकारी उद्यमी चाहे तो सिल्क बोर्ड या कृषि विज्ञान केन्द्र से प्राप्त कर सकता है। भारत में मुलबेरी, तस्सर, ओक तस्सर, एरी, मुगा इत्यादि नस्लों के रेशम कीटों का पालन किया जाता है।

4. इन्क्यूबेशन एवं ब्रशिंग:

 Sericulture Business में यह वह प्रक्रिया होती है जब उद्यमी को रेशम के कीट के अण्डों को सेने अर्थात इन्क्युबेट करने के लिए रखा जाता है। लेकिन ध्यान रहे इन अण्डों को विश्वसनीय स्रोतों जैसे कृषि विज्ञान केन्द्र या सिल्क बोर्ड इत्यादि से ही खरीदना चाहिए क्योंकि अण्डों का बीमारी एवं किसी प्रकार के संक्रमण से मुक्त होना बेहद जरुरी है। इस समय के दौरान उद्यमी को तापमान, नमी, सूखा इत्यादि का बेहद ध्यान रखना पड़ता है। एक आंकड़े के मुताबिक इस दौरान तापमान 25-26°C, नमी 85% इत्यादि की आवश्यकता होती है ।

यह इन्क्यूबेशन पीरियड 9 से 10 दिनों का हो सकता है। इन्क्यूबेशन के बाद Sericulture Business में उद्यमी को रेशम के कीटों को उनके पालने में या किसी कंटेनर में ब्रश करना होता है। इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुँचाने के लिए उद्यमी कोमल पंखों का इस्तेमाल बड़ी सावधानी के साथ कर सकता है। ताकि रेशम के कीटों को किसी प्रकार की हानि न हो।

5. रेशम के कीटों को भोजन देना:

Sericulture Business में इस प्रक्रिया को Chawki Rearing भी कहा जाता है इस प्रकिया में उद्यमी को रेशम के कीटों को भोजन देना होता है। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह रेशम कीटों को शहतूत की पत्तियां भोजन के रूप में प्रदान करे । चूँकि ये कीड़े छोटे छोटे होते है इसलिए उद्यमी को शहतूत की पत्तियों को आधे सेंटीमीटर या एक सेंटीमीटर में काटकर इन्हें देना चाहिए। और चूँकि ये कीट अधिक भोजन करने वाले होते हैं इसलिए दिन में कम से कम चार बार इन्हें भोजन खिलाना चाहिए।

6. रेशम कीट द्वारा केंचुली छोड़ना मोल्टिंग :

Sericulture Business कर रहे उद्यमी को मोल्टिंग प्रक्रिया से अवगत होना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि रेशम के कीड़ों के पालन में यह एक ऐसा समय है जब रेशम कीट केंचुली छोड़ते हैं । अर्थात पुरानी त्वचा को त्यागने की प्रकिया ही मोल्टिंग कहलाती है ।

उद्यमी को चाहिए की हैचिंग के सात से दस दिनों के भीतर ही इसका निरीक्षण करे। मोल्टिंग प्रक्रिया के लिए उपयुक्त स्थिति की बात करें तो इसके लिए 24-25°C तापमान और 65-70% नमी की आवश्यकता होती है । इस प्रक्रिया के दौरान उद्यमी को चाहिए की वह रेशम कीट के पालने या कंटेनर में सल्फर को फैला दे क्योंकि यह करने से उनके पालने या कंटेनर किसी प्रकार के संक्रमण एवं कीटाणु से मुक्त रहेंगे ।

7. Late Age Silkworm Rearing:

Late Age worms रेशम कीट की आयु का तीसरा चरण होता है हालांकि इसे तीसरा instar भी कह सकते हैं। जहाँ तक Instar की बात है यह किसी कीट लार्वा या अन्य कोई ऐसा जानवर जिसकी रीढ़ न हो के विकास में दो अवधि के बीच का एक चरण होता है।

चूँकि रेशम के कीट शहतूत की पत्तियां बहुत ज्यादा खाती हैं यही कारण है की वे अपने जीवन में पांच बार तक मोल्टिंग प्रक्रिया को अंजाम देती हैं। पांचवी मोल्टिंग के बाद इन्हें दो हफ़्तों तक और भोजन देना होगा। रेशम कीट आम तौर पर चौथी पांचवीं मोल्टिंग के बाद कोकून बनाना प्रारंभ कर देते हैं ।

8. कोकून बनाना (Cocoon Formation): 

Sericulture Business या रेशम उद्योग कर रहे उद्यमी को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए की रेशम कीट पालन में अगली प्रक्रिया कीटों द्वारा कोकून बनाने की होती है। कोकून बनाने के लिए उन्हें अँधेरे की आवश्यकता होती है इसलिए उद्यमी चाहे तो किसी कपडे से उन्हें ढक सकता है । कोकून के बन जाने के बाद उद्यमी को उन्हें संग्रहित करना पड़ता है इस प्रक्रिया को उद्यमी कोकून बनने की प्रक्रिया के 5-6 दिनों बाद कर सकता है।

9. कोकून का चयन करना:

Sericulture Business में अगला कदम रेशम कीटों द्वारा बनाये गए कोकून का चयन करने का होना चाहिए। रेशम को अटेरने हेतु उद्यमी को अच्छे ढंग से कोकून के चयन करने की आवश्यकता हो सकती है । वह इसलिए क्योंकि अच्छे कोकून के माध्यम से ही अधिक सिल्क का उत्पादन किया जा सकता है। इसलिए कोकून का चयन करते समय Sericulture Business कर रहा उद्यमी निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकता है ।

  • सभी कोकून की शेप बराबर होनी चाहिए।
  • सभी कोकून का आकार एक समान होना चाहिए।
  • आवरण का वजन अधिक होना चाहिए ।
  • पेशाब किया हुआ, मुद्रित या छेदा हुआ नहीं होना चाहिए ।

10. ड्राई हीट एवं रीलिंग करना:

Sericulture Business में अब उद्यमी को कोकून इकट्ठे कर लेने के बाद इन्हें ड्राई हीट या भाप देनी पड़ सकती है । ड्राई हीट या भाप देने की प्रकिया इसलिए की जाती है ताकि कोकून या रेशम को बिना कोई नुकसान पहुंचाए कीड़ों को मारा जा सके । उसके बाद उद्यमी को कोकून को गर्म पानी में भिगोना होता है। इस समय पानी का तापमान लगभग 95°C होता है । यह प्रक्रिया रेशम के फाइबर को ढीला कर देगी जिसे उद्यमी को आगे की प्रकिया में रील करना होगा। 

 भारत में Sericulture Business शुरू करने के इच्छुक लोगों को कमाई की ओर अग्रसित करने के लिए हमने इस लेख में रेशम उद्योग से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। फिर भी उद्यमी को Sericulture Business स्टार्ट करने से पहले सिल्क बोर्ड या कृषि विज्ञान केन्द्र से या अन्य किसी निजी या सरकारी संस्थान से इसका प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए। ताकि उद्यमी इस व्यापार को शुरू करने में आने वाली कठिनाइयों से भी अवगत हो पाए। 

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